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हिन्दी भाषा में हिन्दी व्याकरण का महत्व - शिल्पी प्रकाश, भाषालॅब


ज्ञान का विकास होता रहता है। समय-समय पर ज्ञानीजन अपने अनुभवों को अपने संचित ज्ञान के आधार पर नवीन विषय हमारे सामने रखते आए हैं। 


“महर्षि पाणिनि के माताअनुसार व्याकरण शब्दअनुशासन है, इससे भाषा का रूप व्यवस्थित होता है।’’ हिन्दी व्याकरण हिन्दी भाषा को एक शुद्ध स्वरूप तथा शुद्ध प्रयोग का ज्ञान देता है। जैसे  भावों की स्पष्टता भाषा पर निर्भर करती हैं, वैसे ही भाषा की  शुद्धता व्याकरण पर निर्भर करती है। 


व्याकरण की जानकारी बिना, भाषा शुद्ध नहीं हो सकती। इसी कारण व्याकरण का ज्ञान प्राप्त करना अनिवार्य है, क्योंकि व्याकरण भाषा का संगठन करता है। उदाहरण -  यदि हम किसी शब्द को लिखते समय उसके वर्णों को निश्चित रूप में व्यवस्थित करके लिखते हैं तभी उससे अर्थपूर्ण शब्द का निर्माण होता है। जैसे, - ‘आनंद’ अगर वर्णों को निश्चित रूप में व्यवस्थित नहीं करें तो निरर्थक शब्द बन जाता है, जैसे - ‘आननद’। अर्थात्, हिन्दी भाषा की शिक्षा, हिन्दी व्याकरण की शिक्षा के बिना अधूरी है।


हिन्दी भाषा और हिन्दी व्याकरण दोनों एक दूसरे के पूरक है। हिन्द व्याकरण, हिन्दी भाषा का एक रूप निर्धारित करके उस पर नियंत्रण रखता है। तथा एक सच्चे मित्र के समान अर्थपूर्ण रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है।

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