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    2.4 - तुम मुझे खून दो - Tum Mujhe Khoon Do - Class 8 - Sugambharati

    • Sep 29
    • 7 min read

    Updated: Oct 5

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    पाठ का प्रकार: गद्य (भाषण) पाठ का शीर्षक: तुम मुझे खून दो लेखक/कवि का नाम: नेताजी सुभाषचंद्र बोस


    सारांश (Bilingual Summary)


    हिन्दी: प्रस्तुत पाठ नेताजी सुभाषचंद्र बोस द्वारा 'आजाद हिंद सेना' को दिया गया एक ओजस्वी भाषण है। इसमें नेताजी सबसे पहले पिछले एक वर्ष की उपलब्धियों का विवरण देते हैं, जिसमें उन्होंने 'संपूर्ण सैन्य संगठन' के तहत पूर्वी एशिया के हर कोने से जवानों, धन और सामग्री को सफलतापूर्वक एकत्र किया। वे बताते हैं कि हमारी विजयी सेनाएँ अब भारत की पवित्र धरती पर लड़ रही हैं। इसके बाद, वे अपने सैनिकों और देशवासियों के सामने एक नई और अंतिम याचना रखते हैं। वे कहते हैं कि केवल जवान, धन और सामग्री से स्वतंत्रता नहीं मिल सकती; इसके लिए एक ऐसी प्रेरक शक्ति चाहिए जो हमें बलिदान के लिए प्रेरित करे। वे अपने साथियों से स्वतंत्रता के मीठे फलों का आनंद लेने की इच्छा त्यागने और मरने की इच्छा रखने का आह्वान करते हैं। अंत में वे अपनी प्रसिद्ध प्रतिज्ञा बुलंद करते हैं- "तुम मुझे खून दो और मैं तुमसे स्वतंत्रता का वचन देता हूँ।"

    English: This lesson is a powerful speech delivered by Netaji Subhas Chandra Bose to the 'Azad Hind Fauj' (Indian National Army). In it, Netaji first gives an account of the achievements of the past year, in which he successfully gathered soldiers, funds, and materials from every corner of East Asia under the 'Total Military Organization' program. He announces that their victorious armies are now fighting on the sacred soil of India. Following this, he places a new and final demand before his soldiers and countrymen. He says that freedom cannot be achieved with just soldiers, money, and materials; a motivating force that inspires sacrifice is needed. He calls upon his comrades to renounce the desire to enjoy the sweet fruits of freedom and instead harbor a desire to die. In the end, he raises his famous promise - "You give me blood, and I promise you freedom."


    केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)


    हिन्दी: इस भाषण का केंद्रीय भाव स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए सर्वोच्च बलिदान की प्रेरणा देना है। नेताजी का मानना है कि स्वतंत्रता की राह बलिदानियों के रक्त से ही बनती है और इसका मूल्य केवल रक्त देकर ही चुकाया जा सकता है। वे अपने सैनिकों में जोश भरते हुए उन्हें किसी भी प्रकार की शिथिलता से दूर रहने और केवल एक ही इच्छा रखने के लिए कहते हैं - 'मरने की इच्छा'। यह भाषण केवल एक सैन्य आह्वान नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र के प्रति पूर्ण समर्पण और त्याग की भावना का प्रतीक है। इसका मूल उद्देश्य सैनिकों और देशवासियों को यह अनुभव कराना है कि स्वतंत्रता एक अमूल्य वस्तु है जिसे पाने के लिए अंतिम और सर्वोच्च बलिदान देने के लिए भी तत्पर रहना चाहिए।

    English: The central theme of this speech is to inspire the ultimate sacrifice for achieving freedom. Netaji believes that the path to independence is paved with the blood of martyrs and its price can only be paid with blood. Energizing his soldiers, he asks them to stay away from any kind of complacency and to have only one desire - the 'desire to die'. This speech is not just a military call, but a symbol of the spirit of complete dedication and sacrifice towards the nation. Its core objective is to make the soldiers and countrymen realize that freedom is a priceless entity, for which one must be prepared to make the final and supreme sacrifice.


    शब्दार्थ (Glossary)


    शब्द (Word)

    पर्यायवाची शब्द (Synonym)

    विलोम शब्द (Antonym)

    ब्योरा

    विवरण, लेखा-जोखा

    -

    एहसास

    अनुभव, प्रतीति

    -

    रंगरूट

    नया सिपाही, सैनिक

    पुराना सैनिक, अनुभवी

    कुमक

    सैन्य सहायता, मदद

    -

    निर्बाध

    बिना बाधा के, निरंतर

    बाधित, रुका हुआ

    नायकोचित

    वीर के समान, वीरोचित

    कायरतापूर्ण

    घातक

    विनाशक, जानलेवा

    रक्षक, जीवनदायी

    मातृभूमि

    जन्मभूमि, वतन

    विदेश, परदेस

    अभियान

    मुहिम, चढ़ाई

    -

    वचन

    प्रतिज्ञा, वादा

    -

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    सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)


    कथन १: नेताजी को 'संपूर्ण सैन्य संगठन' कार्यक्रम के लिए पर्याप्त रंगरूट नहीं मिले थे। उत्तर: गलत। कारण, नेताजी ने कहा, "मुझे आपको बताने में खुशी हो रही है कि हमें पर्याप्त संख्या में रंगरूट मिल गए हैं।"

    कथन २: आजाद हिंद सेना के सामने सबसे बड़ी समस्या हथियारों की कमी थी। उत्तर: गलत। कारण, नेताजी के अनुसार, "सबसे बड़ी समस्या युद्धभूमि में जवानों और सामग्री की कुमक पहुँचाने की है।"

    कथन ३: नेताजी का मानना था कि जवान, धन और सामग्री अपने आप स्वतंत्रता दिला सकते हैं। उत्तर: गलत। कारण, उन्होंने कहा, "जवान, धन और सामग्री अपने आप विजय या स्वतंत्रता नहीं दिला सकते। हमारे पास ऐसी प्रेरक शक्ति होनी चाहिए..."

    कथन ४: नेताजी ने अपने साथियों को स्वतंत्रता के मीठे फलों का आनंद लेने के लिए प्रेरित किया। उत्तर: गलत। कारण, उन्होंने कहा, "यहाँ मौजूद लोगों में से किसी के मन में स्वतंत्रता के मीठे फलों का आनंद लेने की इच्छा नहीं होनी चाहिए।"

    कथन ५: नेताजी के अनुसार, स्वतंत्रता का मूल्य रक्त से ही चुकाया जा सकता है। उत्तर: सही। कारण, उनका स्पष्ट कहना था, "खून से ही आजादी की कीमत चुकाई जा सकती है।"


    स्वमत (Personal Opinion)


    प्रश्न १: नेताजी के अनुसार, आधुनिक युग में निहत्थे लोगों के लिए स्वतंत्रता हासिल करना असंभव क्यों है? उत्तर: नेताजी के अनुसार, आधुनिक युग में निहत्थे लोगों के लिए स्वतंत्रता हासिल करना इसलिए असंभव है क्योंकि शत्रु शक्तिशाली शस्त्रों से सज्जित होता है। सन् १८५७ के महान संघर्ष के बाद से ही देशवासियों को शस्त्रहीन कर दिया गया था, जबकि ब्रिटिश सेना के पास आधुनिक हथियार थे। आज के समय में, जहाँ युद्ध तकनीक पर आधारित होते हैं, वहाँ केवल साहस और देशभक्ति से सुसज्जित सेना का सामना नहीं किया जा सकता। एक आधुनिक सेना और शस्त्रों के बिना शत्रु को परास्त करना और स्वतंत्रता प्राप्त करना संभव नहीं है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: आधुनिक युग, निहत्थे, शस्त्र-सज्जित शत्रु, तकनीक, आधुनिक सेना, परास्त करना, असंभव।

    प्रश्न २: 'संपूर्ण युद्ध' से नेताजी का क्या तात्पर्य है? उत्तर: 'संपूर्ण युद्ध' से नेताजी का तात्पर्य एक ऐसे युद्ध से है जो केवल दो सेनाओं के बीच ही नहीं लड़ा जाता, बल्कि जिसमें संपूर्ण राष्ट्र सम्मिलित होता है। इसमें केवल सैनिक ही नहीं, बल्कि सामान्य नागरिक भी अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं। घरेलू मोर्चे पर जवानों, धन और सामग्री की व्यवस्था करना, आपूर्ति और परिवहन को सुचारु रखना, यह सब 'संपूर्ण युद्ध' का ही अंग है। इसका अर्थ है कि राष्ट्र का प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह मोर्चे पर हो या घर पर, युद्ध में अपना संपूर्ण योगदान दे रहा है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: संपूर्ण युद्ध, सेना और नागरिक, राष्ट्र की भागीदारी, घरेलू मोर्चा, आपूर्ति, संपूर्ण योगदान।

    प्रश्न ३: "स्वतंत्रता की राह बलिदानियों के रक्त से बनाई जा सके।" - इस पंक्ति का क्या आशय है? उत्तर: इस पंक्ति का आशय है कि स्वतंत्रता एक अमूल्य वस्तु है जो बिना त्याग और बलिदान के प्राप्त नहीं हो सकती। 'बलिदानियों का रक्त' सर्वोच्च त्याग का प्रतीक है। नेताजी यह कहना चाहते हैं कि जब तक देश के नौजवान स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण न्योछावर करने को तैयार नहीं होंगे, तब तक सच्ची स्वतंत्रता का मार्ग नहीं बन सकता। इतिहास साक्षी है कि हर देश ने अपनी स्वतंत्रता के लिए रक्त बहाया है। यह पंक्ति देशवासियों में उत्साह भरने और उन्हें यह स्मरण कराने के लिए है कि स्वतंत्रता का बड़ा मूल्य चुकाना पड़ता है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: आशय, अमूल्य, सर्वोच्च बलिदान, बलिदानियों का रक्त, स्वतंत्रता का मार्ग, त्याग, प्राण न्योछावर, मूल्य।

    प्रश्न ४: नेताजी का भाषण आज भी युवाओं को क्यों प्रेरित करता है? उत्तर: नेताजी का भाषण आज भी युवाओं को इसलिए प्रेरित करता है क्योंकि इसमें राष्ट्रप्रेम, त्याग और निःस्वार्थ सेवा की भावना भरी हुई है। उनकी वाणी में एक ओज और सत्य है जो सीधे हृदय को स्पर्श करता है। "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा" जैसा आह्वान केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली प्रतिज्ञा है जो युवाओं को देश के लिए कुछ भी कर गुजरने का साहस देती है। उनका जीवन स्वयं में एक प्रेरणा है। वे हमें सिखाते हैं कि यदि लक्ष्य महान हो तो कोई भी बलिदान बड़ा नहीं होता। यही कारण है कि उनकी बातें आज भी उतनी ही प्रासंगिक और प्रेरणादायक हैं। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: प्रेरणा, राष्ट्रप्रेम, त्याग, निःस्वार्थ सेवा, ओज, सत्य, साहस, बलिदान, प्रासंगिक।

    प्रश्न ५: स्वाधीनता संग्राम में सुभाषचंद्र बोस का संगठक के रूप में कार्य लिखो। उत्तर: स्वाधीनता संग्राम में सुभाषचंद्र बोस एक उत्कृष्ट संगठक थे। उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय पूर्वी एशिया में बिखरे हुए भारतीयों को एकजुट किया और 'आजाद हिंद सेना' का गठन किया। उन्होंने 'संपूर्ण सैन्य संगठन' का कार्यक्रम चलाकर चीन, जापान, बर्मा, मलाया जैसे देशों से हजारों जवानों को सेना में सम्मिलित किया। उन्होंने सेना के लिए धन और सामग्री एकत्र करने के लिए भी एक मजबूत तंत्र बनाया। उन्होंने न केवल सैनिकों को संगठित किया, बल्कि उनमें 'जय हिंद' और 'चलो दिल्ली' जैसे उद्घोषों से एक नया उत्साह और अनुशासन भी भरा। उनका यह संगठनात्मक कौशल अद्वितीय था। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: संगठक, आजाद हिंद सेना, एकजुट करना, सैन्य संगठन, सम्मिलित करना, धन-संग्रह, उत्साह, अनुशासन।


    संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)


    प्रश्न १: नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने भारतीयों के सामने कौन-सा कार्यक्रम प्रस्तुत किया था? उत्तर: नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने भारतीयों के सामने 'संपूर्ण सैन्य संगठन' या 'अधिकतम बलिदान' का कार्यक्रम प्रस्तुत किया था।

    प्रश्न २: पाठ के अनुसार, स्वातंत्र्य संघर्ष का आधार किसे बताया गया है? उत्तर: पाठ के अनुसार, पूर्वी एशिया, विशेष रूप से बर्मा को हमारे स्वातंत्र्य संघर्ष का आधार बताया गया है।

    प्रश्न ३: नेताजी ने लोगों से जवानों, धन और सामग्री के अतिरिक्त और क्या माँगा? उत्तर: नेताजी ने लोगों से जवानों, धन और सामग्री के अतिरिक्त एक ऐसी પ્રેरक शक्ति माँगी जो उन्हें वीर तथा नायकोचित कार्यों के लिए प्रेरित करे। अंत में, उन्होंने सबसे ऊपर अपना रक्त माँगा।

    प्रश्न ४: संजाल पूर्ण कीजिए: पाठ में आए देश उत्तर:

    • चीन

    • जापान

    • थाईलैंड

    • बर्मा (अन्य उत्तर: इंडोचीन, फिलीपींस, जावा, बोर्नियों, सेलेबस, सुमात्रा, मलाया)

    प्रश्न ५: टिप्पणी लिखिए: नेताजी सुभाषचंद्र बोस की याचना और वचन। उत्तर: याचना: नेताजी ने अपने भाषण के अंत में भारतीय सैनिकों और देशवासियों से उनकी सबसे बड़ी याचना की, जो थी - 'रक्त'। उनका कहना था कि स्वतंत्रता का मूल्य केवल रक्त से ही चुकाया जा सकता है और इसके लिए सर्वोच्च बलिदान देना होगा। वचन: इस सर्वोच्च बलिदान के बदले में नेताजी ने एक अदम्य वचन दिया। उन्होंने कहा, "तुम मुझे खून दो और मैं तुमसे स्वतंत्रता का वचन देता हूँ।" यह वचन भारत को पूर्ण स्वतंत्रता दिलाने की उनकी अटूट प्रतिज्ञा थी।




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