2.5 - संतवाणी - Santvani - Class 8 - Sugambharati
- Oct 2
- 10 min read
Updated: Oct 5

पाठ का प्रकार: पद्य (पद) पाठ का शीर्षक: संतवाणी लेखक/कवि का नाम: संत मीराबाई, गोस्वामी तुलसीदास
सारांश (Bilingual Summary)
हिन्दी:
संत मीराबाई: अपने पहले पद में, मीराबाई कहती हैं कि वे अपने प्रभु नारायण (श्रीकृष्ण) की दासी हो गई हैं और उनके लिए लोक-लाज त्यागकर पैरों में घुँघरू बाँधकर नाचती हैं। लोग उन्हें पागल कहते हैं और कुल के लोग कुल का नाश करने वाली कहते हैं, पर उन्हें इसकी परवाह नहीं। वे राणाजी द्वारा भेजा गया विष का प्याला भी हँसते-हँसते पी जाती हैं। दूसरे पद में, वे कृष्ण के विरह में अपनी व्याकुलता प्रकट करती हैं। वे कहती हैं कि प्रभु के दर्शन के बिना उनके नैन दुखते हैं और उन्हें पल भर भी चैन नहीं मिलता।
गोस्वामी तुलसीदास: तुलसीदास जी के पदों में वनवास के दौरान श्रीराम और सीता के प्रसंग का वर्णन है। पहले पद में, अयोध्या से निकलते ही कुछ दूर चलने पर सीता जी थक जाती हैं, उनके माथे पर पसीना आ जाता है और होंठ सूख जाते हैं। वे श्रीराम से पूछती हैं कि अभी और कितना चलना है और पर्णकुटी कहाँ बनाएँगे। सीता की यह व्याकुलता देखकर श्रीराम की आँखों में आँसू आ जाते हैं। दूसरे पद में, सीता जी श्रीराम से लक्ष्मण के जल लेकर लौटने तक थोड़ा विश्राम करने का आग्रह करती हैं। वे कहती हैं कि मैं आपका पसीना पोंछ दूँगी और गर्म रेत से जले आपके चरणों को धो दूँगी। सीता को थका हुआ जानकर श्रीराम देर तक बैठकर अपने पैरों से काँटे निकालने का अभिनय करते हैं, ताकि सीता को आराम करने का समय मिल जाए।
English: Sant Meerabai: In her first verse, Meerabai says that she has become a devotee of her Lord Narayan (Shri Krishna) and dances for him with anklets on her feet, abandoning all societal decorum. People call her mad, and her in-laws call her a disgrace to the family, but she does not care. She even drinks the cup of poison sent by Rana-ji with a smile. In the second verse, she expresses her anguish in separation from Krishna. She says that her eyes ache without the sight of her Lord and she finds no peace even for a moment. Goswami Tulsidas: The verses by Tulsidas describe an incident between Shri Ram and Sita during their exile. In the first verse, after walking just a short distance from Ayodhya, Sita gets tired, her forehead is covered in sweat, and her lips dry up. She asks Shri Ram how much further they have to walk and where they will build their hut. Seeing Sita's distress, tears well up in Shri Ram's eyes. In the second verse, Sita requests Shri Ram to rest for a while until Lakshman returns with water. She says she will wipe his sweat and wash his feet, which are burnt by the hot sand. Understanding that Sita is tired, Shri Ram sits for a long time and pretends to remove thorns from his feet, giving her time to rest.
केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)
हिन्दी:
संत मीराबाई: मीराबाई के पदों का केंद्रीय भाव श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य और सर्वस्व समर्पण वाली भक्ति है। वे अपनी भक्ति के लिए सभी सामाजिक बंधनों और निंदा की परवाह नहीं करतीं। उनके पद ईश्वर-प्रेम की तीव्रता और विरह की गहरी पीड़ा को दर्शाते हैं।
गोस्वामी तुलसीदास: तुलसीदास जी के पदों का केंद्रीय भाव श्रीराम और सीता के बीच के आदर्श दांपत्य प्रेम और एक-दूसरे के प्रति गहरी संवेदना को दर्शाना है। ये पद दिखाते हैं कि कठिन परिस्थितियों में भी उनका आपसी स्नेह, सम्मान और एक-दूसरे की देखभाल करने का भाव कितना गहरा था।
English:
Sant Meerabai: The central theme of Meerabai's verses is exclusive and all-surrendering devotion to Shri Krishna. She does not care for any social norms or criticism for her devotion. Her verses depict the intensity of divine love and the deep pain of separation.
Goswami Tulsidas: The central theme of Tulsidas's verses is to depict the ideal marital love and deep empathy between Shri Ram and Sita. These verses show how deep their mutual affection, respect, and caring nature was, even in the midst of hardships.
शब्दार्थ (Glossary)
शब्द (Word) | पर्यायवाची शब्द (Synonym) | विलोम शब्द (Antonym) |
पग | पैर, चरण | - |
बावरी | पागल, दीवानी | समझदार, ज्ञानी |
कुलनासी | कुल का नाश करने वाली | कुलभूषण |
अविनासी | अनश्वर, अमर | नश्वर, विनाशी |
दरस | दर्शन, दीदार | - |
बैन | वचन, वाणी | - |
बिरह | वियोग, जुदाई | मिलन, संयोग |
भाल | माथा, ललाट | - |
चारु | सुंदर, मनोहर | कुरूप, असुंदर |
पसेउ | पसीना, स्वेद | - |
पंक्तियों का सरल अर्थ लिखें (Simple Meaning of Lines)
संत मीराबाई
१. पग घुँघरू बाँध...सहज मिले अविनासी रे॥
परिचय: इन पंक्तियों में मीराबाई अपनी कृष्ण-भक्ति की घोषणा कर रही हैं। सरल अर्थ: मीराबाई कहती हैं कि मैं तो पैरों में घुँघरू बाँधकर कृष्ण के लिए नाच रही हूँ। मैं तो अपने नारायण की अपने आप ही दासी बन गई हूँ। लोग कहते हैं कि मीरा पागल हो गई है और मेरे ससुराल वाले कहते हैं कि मैं कुल का नाश करने वाली हूँ। राणाजी ने मेरे लिए विष का प्याला भेजा, जिसे मैं हँसते-हँसते पी गई। मीरा कहती हैं कि मेरे प्रभु तो गिरिधर नागर (श्रीकृष्ण) हैं, जो अविनाशी हैं और सहज भक्ति से ही मिल जाते हैं।
२. दरस बिन दूखण...दुख मेटण सुख दैन॥
परिचय: इस पद में मीराबाई कृष्ण के विरह में अपनी पीड़ा का वर्णन कर रही हैं। सरल अर्थ: मीराबाई कहती हैं कि हे प्रभु, आपके दर्शन के बिना मेरे नैन दुखने लगे हैं। जब से आप मुझसे बिछुड़े हैं, मुझे कभी चैन नहीं मिला। आपके शब्द सुनते ही मेरी छाती काँपने लगती है, पर आपके वचन बहुत मीठे लगते हैं। हे सखी, मैं अपने विरह की यह कथा किससे कहूँ? मेरी पीड़ा असहनीय हो गई है। मुझे एक-एक पल आपके रास्ते को देखते हुए बीतता है और रात छह महीने जितनी लंबी हो गई है। मीरा कहती हैं कि हे मेरे प्रभु, आप कब मिलोगे और मेरे दुख को मिटाकर सुख दोगे?
गोस्वामी तुलसीदास
१. पुरतें निकसीं रघुबीर बधू...अँखियाँ अति चारु चलीं जल च्वै॥
परिचय: इन पंक्तियों में तुलसीदास जी वन-मार्ग पर चलती हुई सीता जी की थकान का वर्णन कर रहे हैं। सरल अर्थ: श्री राम की पत्नी (सीता जी) अयोध्या से निकलकर बड़े धैर्य के साथ रास्ते में दो ही कदम चली थीं कि उनके सुंदर माथे पर पसीने की बूँदें झलकने लगीं और उनके मधुर होंठ सूख गए। तब वे पूछती हैं कि अभी और कितना चलना है और आप पत्तों की कुटिया कहाँ बनाएँगे? अपनी पत्नी की ऐसी व्याकुलता देखकर प्रिय (श्रीराम) की सुंदर आँखों से आँसू बहने लगे।
२. जल को गए लक्खन...बारि बिलोचन बाढ़े॥ परिचय: इस पद में सीता जी की चिंता और श्रीराम के प्रेम का सुंदर चित्रण है। सरल अर्थ: सीता जी कहती हैं कि हे प्रिय! लक्ष्मण जल लाने गए हैं, वे अभी बालक हैं। आइए, घड़ी भर छाँव में खड़े होकर उनकी प्रतीक्षा कर लें। मैं आपका पसीना पोंछकर हवा कर देती हूँ और गर्म बालू से जले हुए आपके चरणों को धो देती हूँ। तुलसीदास जी कहते हैं कि श्री राम अपनी प्रिया (सीता) को थका हुआ जानकर, बहुत देर तक बैठकर (विश्राम देने के लिए) अपने पैरों से काँटे निकालने का अभिनय करते रहे। अपनी पत्नी जानकी के इस प्रेम को देखकर उनका शरीर रोमांचित हो गया और आँखों में प्रेम के आँसू भर आए।
सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)
कथन १: मीराबाई ने राणाजी द्वारा भेजा गया विष का प्याला रोते-रोते पिया।
उत्तर: गलत। कारण, पद में कहा गया है, "बिष का प्याला राणाजी भेज्या पीवत मीरा हाँसी रे।"
कथन २: कृष्ण के विरह में मीरा को रातें बहुत छोटी लगती थीं।
उत्तर: गलत। कारण, वे कहती हैं, "भई छमासी रैन," अर्थात रात छह महीने जितनी लंबी हो गई।
कथन ३: वन-मार्ग पर चलते हुए सीता जी बहुत ऊर्जावान और प्रसन्न थीं।
उत्तर: गलत। कारण, उनके माथे पर पसीना झलक रहा था और होंठ सूख गए थे ("झलकीं भरि भाल कनीं जलकी, पुट सूखि गए मधुराधर वै")।
कथन ४: लक्ष्मण फल लाने के लिए गए हुए थे।
उत्तर: गलत। कारण, सीता जी कहती हैं, "जल को गए लक्खन"।
कथन ५: श्रीराम ने सीता जी को आराम देने के लिए काँटे निकालने का अभिनय किया। उत्तर: सही। कारण, "तुलसी' रघुबीर प्रिया श्रम जानि कै, बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े।"
पद विश्लेषण (Poetry Appreciation)
रचनाकार का नाम: संत मीराबाई / गोस्वामी तुलसीदास
रचना का प्रकार: पद
पसंदीदा पंक्ति | पसंदीदा होने का कारण | रचना से प्राप्त संदेश |
बिष का प्याला राणाजी भेज्या पीवत मीरा हाँसी रे। | यह पंक्ति मीराबाई की भक्ति की पराकाष्ठा और निर्भयता को दर्शाती है। ईश्वर पर उनका विश्वास इतना गहरा है कि विष भी उन पर प्रभावहीन हो जाता है। | सच्ची भक्ति हमें हर भय और संकट से मुक्त कर देती है। |
दरस बिन दूखण लागे नैन। | यह पंक्ति भक्त के भगवान के प्रति तीव्र प्रेम और विरह की पीड़ा को बहुत ही सरल और मार्मिक शब्दों में व्यक्त करती है। | सच्चा प्रेम séparation में पीड़ा देता है और मिलन की तीव्र इच्छा जगाता है। |
तियकी लखि आतुरता पिय की, अँखियाँ अति चारु चलीं जल च्वै॥ | यह पंक्ति श्रीराम के संवेदनशील और प्रेमपूर्ण हृदय को दर्शाती है। अपनी पत्नी की थोड़ी सी थकान देखकर ही उनकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। | सच्चे प्रेम में हम अपने साथी के दुख को गहराई से महसूस करते हैं। |
बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े। | यह श्रीराम की समझदारी और प्रेम जताने के मौन तरीके का सुंदर उदाहरण है। वे सीधे-सीधे आराम करने को नहीं कहते, बल्कि एक बहाने से उन्हें अवसर देते हैं। | प्रेम और देखभाल केवल शब्दों से नहीं, बल्कि छोटे-छोटे कार्यों से भी व्यक्त होती है। |
जानकी नाह को नेहु लख्यो, पुलक्यो तनु, बारि बिलोचन बाढ़े॥ | यह पंक्ति दर्शाती है कि सीता जी भी श्रीराम के मौन प्रेम को समझ जाती हैं, जिससे उनका शरीर रोमांचित हो उठता है और आँखों में प्रेम के आँसू आ जाते हैं। | सच्चा प्रेम आपसी समझ पर आधारित होता है; इसके लिए शब्दों की आवश्यकता नहीं होती। |
स्वमत (Personal Opinion)
प्रश्न १: मीराबाई अपनी भक्ति के लिए सामाजिक निंदा सहने को तैयार थीं। सच्ची आस्था के लिए क्या-क्या त्याग करना पड़ता है?
उत्तर: मेरे विचार में, सच्ची आस्था के लिए व्यक्ति को सबसे पहले लोक-निंदा और सामाजिक दबावों का त्याग करना पड़ता है। जैसा मीराबाई ने किया, उन्हें 'बावरी' और 'कुलनासी' कहा गया, फिर भी वे अपने पथ से नहीं हटीं। सच्ची आस्था के लिए हमें अपने अहंकार का त्याग करना पड़ता है और पूरी तरह से समर्पित होना पड़ता है। कभी-कभी हमें भौतिक सुख-सुविधाओं का भी त्याग करना पड़ता है, क्योंकि आस्था का मार्ग सरल नहीं होता। सबसे महत्वपूर्ण है कि हमें अपने मन के संदेहों का त्याग करना पड़ता है और अपने चुने हुए मार्ग पर अटूट विश्वास रखना पड़ता है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: आस्था, त्याग, लोक-निंदा, सामाजिक दबाव, अहंकार, समर्पण, अटूट विश्वास, संदेह।
प्रश्न २: तुलसीदास जी द्वारा वर्णित श्रीराम और सीता के दांपत्य जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर: तुलसीदास जी द्वारा वर्णित श्रीराम और सीता के दांपत्य जीवन से हमें एक आदर्श रिश्ते की प्रेरणा मिलती है। हमें यह प्रेरणा मिलती है कि पति-पत्नी का रिश्ता आपसी प्रेम, सम्मान और एक-दूसरे की देखभाल पर आधारित होना चाहिए। सीता जी अपने पति की थकान देखकर उनकी सेवा करना चाहती हैं, और श्रीराम अपनी पत्नी की व्याकुलता देखकर भावुक हो जाते हैं और उन्हें आराम देने का उपाय सोचते हैं। यह हमें सिखाता है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हमें एक-दूसरे का सहारा बनना चाहिए और एक-दूसरे की भावनाओं को बिना कहे ही समझ लेना चाहिए।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: प्रेरणा, आदर्श दांपत्य, आपसी प्रेम, सम्मान, देखभाल, सहारा, आपसी समझ।|
प्रश्न ३: लोग मीरा को 'बावरी' क्यों कहते थे?
उत्तर: लोग मीरा को 'बावरी' (पागल) इसलिए कहते थे क्योंकि उनका व्यवहार उस समय के सामाजिक मानदंडों के बिल्कुल विपरीत था। वे एक राजघराने की बहू थीं, जिनसे पर्दे में रहने और कुल की मर्यादा का पालन करने की अपेक्षा की जाती थी। इसके विपरीत, मीराबाई लोक-लाज त्यागकर, पैरों में घुँघरू बाँधकर मंदिरों में और साधु-संतों के साथ कृष्ण के भजन गाती और नाचती थीं। उनका कृष्ण के प्रति प्रेम इतना गहरा था कि वे उन्हें ही अपना पति मानती थीं। दुनिया की नजर में यह व्यवहार पागलपन जैसा था, इसीलिए लोग उन्हें 'बावरी' कहते थे।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: बावरी, सामाजिक मानदंड, विपरीत व्यवहार, लोक-लाज, मर्यादा, कृष्ण-प्रेम, पागलपन।
प्रश्न ४: श्रीराम का काँटे निकालने का अभिनय उनके चरित्र की किस विशेषता को दर्शाता है?
उत्तर: श्रीराम का काँटे निकालने का अभिनय उनके अत्यंत संवेदनशील, समझदार और प्रेमपूर्ण चरित्र को दर्शाता है। वे जानते थे कि सीता जी थक गई हैं, लेकिन यदि वे सीधे-सीधे रुकने को कहते, तो शायद सीता जी अपने पति को कष्ट में देखकर रुकने से मना कर देतीं। इसलिए, उन्होंने स्वयं के पैरों से काँटे निकालने का एक ऐसा बहाना बनाया जिससे सीता जी को विश्राम करने का पर्याप्त समय और अवसर मिल गया। यह उनकी सूक्ष्म समझ और अपनी पत्नी के प्रति गहरे सम्मान और प्रेम को दिखाता है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: संवेदनशील, समझदार, प्रेमपूर्ण, सूक्ष्म समझ, सम्मान, देखभाल, अभिनय।
प्रश्न ५: मीराबाई का प्रेम 'भक्ति प्रेम' है और सीता-राम का प्रेम 'दांपत्य प्रेम'। दोनों में क्या समानताएँ और अंतर हैं? उत्तर: मीराबाई और सीता-राम के प्रेम में समानता यह है कि दोनों ही रूपों में समर्पण, त्याग और एक-दूसरे के प्रति गहरी निष्ठा है। दोनों में ही अपने प्रिय के सुख-दुख की चिंता है। अंतर यह है कि मीराबाई का प्रेम एक भक्त का अपने भगवान के प्रति 'अलौकिक प्रेम' है, जिसमें वे कृष्ण को पति रूप में देखती हैं और यह सामाजिक बंधनों से परे है। वहीं, सीता और राम का प्रेम एक पति-पत्नी के बीच का 'लौकिक और दांपत्य प्रेम' है, जो सामाजिक मर्यादाओं के भीतर एक-दूसरे के प्रति कर्तव्य, सम्मान और स्नेह पर आधारित है। एक का आधार आध्यात्मिकता है, तो दूसरे का आधार गृहस्थ धर्म है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: समानता, अंतर, भक्ति प्रेम, दांपत्य प्रेम, समर्पण, निष्ठा, अलौकिक, लौकिक, आध्यात्मिकता, गृहस्थ धर्म।
संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)
प्रश्न १: कृष्ण प्रेम में लोग मीरा को क्या-क्या कहते थे?
उत्तर: कृष्ण प्रेम में लोग मीरा को बावरी (पागल) कहते थे और उनके ससुराल वाले (न्यात) उन्हें कुलनासी (कुल का नाश करने वाली) कहते थे।
प्रश्न २: कृष्ण के विरह में मीरा की स्थिति कैसी है?
उत्तर: कृष्ण के विरह में मीरा की स्थिति बहुत व्याकुल है। उनके नैन दर्शन के बिना दुखते हैं, उन्हें कभी चैन नहीं मिलता, रातें छह महीने जितनी लंबी लगती हैं और वे हर पल कृष्ण के आने का मार्ग देखती रहती हैं।
प्रश्न ३: संजाल पूर्ण करो: सीता की थकान दर्शाने वाले शब्द उत्तर:
झलकीं भरि भाल कनीं जलकी (माथे पर पसीने की बूँदें झलकना)
पुट सूखि गए मधुराधर वै (होंठ सूख जाना)
प्रश्न ४: श्रीराम की आँखों में आँसू क्यों आ गए?
उत्तर: वन-मार्ग पर कुछ ही दूर चलने पर अपनी पत्नी सीता को थका हुआ और व्याकुल देखकर श्रीराम की आँखों में प्रेम और करुणा के आँसू आ गए।
प्रश्न ५: पद की इन पंक्तियों का सरल अर्थ लिखो: "जानकी नाह को नेहु लख्यो, पुलक्यो तनु, बारि बिलोचन बाढ़े॥" उत्तर: अपने पति (श्रीराम) का अपने प्रति ऐसा स्नेह देखकर सीता जी का शरीर रोमांचित हो गया और उनकी आँखों में भी प्रेम और आनंद के आँसू भर आए।
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