1.1 - हृदय का उजाला - Hriday ka Ujala - Class 8 - Sugambharati
- Sep 20
- 9 min read
Updated: Sep 22

पाठ का प्रकार: पद्य (गीत) पाठ का शीर्षक: हृदय का उजाला लेखक/कवि का नाम: रमाकांत यादव
सारांश (Bilingual Summary)
हिन्दी: प्रस्तुत गीत में कवि रमाकांत यादव जी त्योहारों को मनाने के सही तरीके पर बल देते हैं। वे कहते हैं कि केवल स्नेह से भरे दीप जलाकर घरों को रोशन करना ही काफी नहीं है, बल्कि हमें अपने दिलों में भी ज्ञान और करुणा का दीप जलाना चाहिए। वे समाज में व्याप्त असमानता की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं, जहाँ कुछ लोग खुशियाँ मनाते हैं और कुछ गम में डूबे रहते हैं। कवि की सलाह है कि हमें फुलझड़ियाँ और पटाखे जलाने जैसे दिखावे करने की बजाय, उन दीन-दुखियों के दुख को मिटाना चाहिए, भूखे लोगों को भोजन कराना चाहिए और उनके जख्मों पर स्नेह का मरहम लगाना चाहिए। उनके अनुसार, सच्ची दिवाली तभी है जब हम किसी के बुझे हुए दिल में आशा की ज्योति जलाएँ और अपने हृदय के अंधकार को मिटाकर उसे उजाले से भर दें।
English: In this song, the poet Ramakant Yadav emphasizes the right way to celebrate festivals. He says that it is not enough to just light lamps filled with oil and illuminate our homes; rather, we should also light the lamp of knowledge and compassion in our hearts. He draws attention to the inequality prevalent in society, where some people celebrate with joy while others are immersed in sorrow. The poet advises that instead of indulging in ostentation like lighting sparklers and bursting firecrackers, we should eradicate the sorrow of the poor and needy, feed the hungry, and apply a soothing balm of affection on their wounds. According to him, the true Diwali is when we light a flame of hope in someone's extinguished heart and fill our own hearts with light by removing the darkness within.
केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)
हिन्दी: इस कविता का केंद्रीय भाव त्योहारों के अवसर पर दिखावा करने की जगह समाज के दीन-दुखियों और जरूरतमंदों की सेवा करने को अधिक महत्व देना है। कवि का मानना है कि उत्सव की सार्थकता बाहरी सजावट और शोर-शराबे में नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं और परोपकार में है। 'हृदय का उजाला' का अर्थ है मन में व्याप्त स्वार्थ और उदासीनता के अंधकार को मिटाकर करुणा, दया और प्रेम का प्रकाश फैलाना। कविता का मूल संदेश है कि हमें अपनी खुशियों में समाज के वंचित वर्ग को भी शामिल करना चाहिए, क्योंकि सच्ची खुशी बाँटने से ही बढ़ती है।
English: The central theme of this poem is to give more importance to serving the poor and needy of society instead of showing off during festivals. The poet believes that the true meaning of a celebration lies in human sensitivities and benevolence, not in external decorations and noise. 'The light of the heart' means removing the darkness of selfishness and apathy from the mind and spreading the light of compassion, kindness, and love. The core message of the poem is that we should include the underprivileged sections of society in our happiness because true joy increases by sharing.
शब्दार्थ (Glossary)
शब्द (Word) | पर्यायवाची शब्द (Synonym) | विलोम शब्द (Antonym) |
स्नेह | प्रेम, प्यार | घृणा, द्वेष |
उजाला | प्रकाश, रोशनी | अँधेरा, अंधकार |
सूनापन | अकेलापन, खालीपन | रौनक, चहल-पहल |
गम | दुख, शोक | खुशी, हर्ष |
दीन-दुखी | गरीब, पीड़ित | सुखी, संपन्न |
जख्म | घाव, व्रण | - |
मलहम | लेप | - |
चाहत | इच्छा, अभिलाषा | अनिच्छा |
अनगिन | असंख्य, अगणित | गिने-चुने, सीमित |
स्नेहक | स्नेह का लेप | - |
पंक्तियों का सरल अर्थ लिखें (Simple Meaning of Lines)
१. जलाते हो क्यों तुम दीप...अँधेरे हृदय में उजाला तो लाओ।
परिचय: इन पंक्तियों में कवि बाहरी दिखावे पर प्रश्न उठाते हुए आंतरिक शुद्धि पर बल दे रहे हैं। सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि तुम तेल भर-भरकर ये बाहरी दीपक क्यों जलाते हो? इसकी जगह अपने दिलों में प्रेम और सद्भावना का दीपक जलाओ। तुम अपने घरों को तो उजालों से सजाते हो, लेकिन अपने मन में भरे अँधेरे (अज्ञान, स्वार्थ) को दूर कर उसमें ज्ञान और संवेदना का उजाला क्यों नहीं लाते?
२. कहीं तो दीवाली...अपने दिलों के दीप तो जलाओ।
परिचय: कवि यहाँ समाज में व्याप्त आर्थिक और सामाजिक असमानता का चित्रण कर रहे हैं। सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि समाज में एक तरफ तो दीवाली है और खुशियाँ झूम रही हैं, वहीं दूसरी तरफ सूनापन और गम ही गम है। तुम उन गरीब और दुखी लोगों के दुखों को दूर करो और सच्ची दीवाली मनाओ। इसके लिए पहले अपने दिलों में करुणा का दीप जलाओ।
३. न फुलझड़ियाँ चमकाओ...अपने दिलों का दीप तो जलाओ।
परिचय: कवि यहाँ त्योहारों पर होने वाले व्यर्थ के खर्चों को रोककर जरूरतमंदों की मदद करने की सलाह दे रहे हैं। सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि तुम न तो फुलझड़ियों की चमक-दमक करो और न ही पटाखे फोड़ो। इसके बजाय, जिन लोगों के पास भोजन नहीं है, उनके पास जाकर उन्हें भोजन दो। उनके दुखों के घावों पर स्नेह का मरहम लगाओ और अपने दिलों में दया का दीपक जलाओ।
४. जला दीप तुमने अँधेरा मिटाया...रोटी तुम उनको जाकर खिलाओ।
परिचय: इन पंक्तियों में कवि सच्ची सेवा के महत्व को समझा रहे हैं। सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि तुमने दीपक जलाकर बाहरी अँधेरा तो मिटा दिया, लेकिन क्या तुमने कभी किसी भूखे व्यक्ति को भोजन कराया है? जिन लोगों ने कभी ऐसे उजालों की इच्छा तक नहीं की, उनकी असली जरूरत रोटी है। तुम जाकर उन्हें रोटी खिलाओ, यही सच्ची सेवा है।
५. पहला ही दीपक बहुत है...जो लगा तक न पाते।
परिचय: कवि यहाँ मन की सुंदरता और दूसरों की पीड़ा के बारे में बता रहे हैं। सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि बाहरी अँधेरे को मिटाने के लिए तो एक ही दीपक काफी है, लेकिन अनगिनत दीपक मिलकर भी मन को नहीं सजा सकते। मन की सुंदरता तो प्रेम और करुणा से ही आती है। तुम जाकर उन लोगों के दिलों का हाल पूछो, जो इतने असहाय हैं कि अपने घावों पर स्नेह का मरहम भी नहीं लगा पाते।
६. बुझे दिल में उनके ज्योति जलाओ...अँधेरे हृदय में उजाला तो लाओ। परिचय: अंतिम पंक्तियों में कवि हमें सच्ची दिवाली मनाने का मार्ग दिखा रहे हैं। सरल अर्थ: तुम उन निराश और दुखी लोगों के बुझे हुए दिलों में आशा और प्रेम की ज्योति जलाओ। अपने हृदय में भरे स्वार्थ और अज्ञान के अँधेरे को मिटाकर उसमें करुणा और ज्ञान का उजाला लाओ।
सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)
कथन १: कवि ने हमें अपने दिलों के दीप जलाने के लिए कहा है।
उत्तर: सही। कारण, कविता में पंक्ति है, "अपने दिलों के दीप तो जलाओ।"
कथन २: कवि ने दीन-दुखियों को दुख देने के लिए कहा है।
उत्तर: गलत। कारण, कवि ने कहा है, "उन दीन-दुखियों के दुख को मिटाओ।"
कथन ३: कवि फुलझड़ियाँ चमकाने और पटाखे फोड़ने की सलाह देते हैं।
उत्तर: गलत। कारण, कवि स्पष्ट रूप से कहते हैं, "न फुलझड़ियाँ चमकाओ, न फोड़ो पटाखे।"
कथन ४: कवि के अनुसार, भूखे को भोजन कराना एक सार्थक कार्य है।
उत्तर: सही। कारण, कवि प्रश्न करते हैं, "पर क्या किसी भूखे को भोजन कराया?" और भूखों को रोटी खिलाने का आग्रह करते हैं।
कथन ५: कवि का मानना है कि अनगिनत दीपक दिल को सजा सकते हैं। उत्तर: गलत। कारण, कविता में कहा गया है, "अनगिन दीप मिल न दिल को सजाते।"
पद विश्लेषण (Poetry Appreciation)
रचनाकार का नाम: रमाकांत यादव रचना का प्रकार: गीत
पसंदीदा पंक्ति | पसंदीदा होने का कारण | रचना से प्राप्त संदेश |
अपने दिलों के दीप तो जलाओ। | यह पंक्ति कविता का मूल संदेश है और बार-बार दोहराई गई है। यह हमें बाहरी दिखावे से हटकर आंतरिक आत्म-सुधार पर ध्यान देने के लिए कहती है। | सच्ची रोशनी हमारे भीतर से आती है, बाहर से नहीं। |
कहीं तो दीवाली, कहीं सूनापन है। | यह पंक्ति समाज की कड़वी सच्चाई को बहुत ही सरल शब्दों में प्रस्तुत करती है। यह हमें हमारे आस-पास की असमानता के प्रति संवेदनशील बनाती है। | हमें अपनी खुशियाँ मनाते समय समाज के वंचित वर्ग को नहीं भूलना चाहिए। |
न फुलझड़ियाँ चमकाओ, न फोड़ो पटाखे। | यह पंक्ति त्योहारों में होने वाली फिजूलखर्ची और प्रदूषण पर एक सीधा और साहसिक प्रहार है। यह हमें एक जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा देती है। | त्योहारों को सादगी और सार्थकता के साथ मनाना चाहिए। |
पर क्या किसी भूखे को भोजन कराया? | यह एक साधारण सा प्रश्न है, लेकिन यह हमें आत्म-मंथन करने पर मजबूर कर देता है। यह हमारे धार्मिक और सामाजिक कर्तव्यों की याद दिलाता है। | कर्मकांड से बढ़कर मानवता की सेवा है। |
अनगिन दीप मिल न दिल को सजाते। | यह पंक्ति एक गहरा दार्शनिक सत्य बताती है। यह समझाती है कि मन की सुंदरता और शांति भौतिक वस्तुओं या बाहरी चमक-दमक से नहीं मिल सकती। | आंतरिक शांति और सुंदरता प्रेम और करुणा जैसे गुणों से ही प्राप्त होती है। |
स्वमत (Personal Opinion)
प्रश्न १: 'दीन-दुखियों का दुख दूर करना चाहिए' विषय पर अपने विचार संक्षेप में लिखो।
उत्तर: मेरे विचार में, दीन-दुखियों का दुख दूर करना मानवता का सबसे बड़ा धर्म है। समाज में हर व्यक्ति को सुखी और सम्मानित जीवन जीने का अधिकार है। जब हम किसी दुखी या जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करते हैं, तो हम केवल उसकी भौतिक सहायता नहीं करते, बल्कि उसे यह एहसास भी दिलाते हैं कि वह अकेला नहीं है। इससे समाज में आपसी प्रेम और भाईचारा बढ़ता है। एक छात्र के रूप में, हम अपने जेब खर्च से बचाकर, अपने पुराने कपड़े या किताबें दान करके, या किसी सामाजिक संस्था से जुड़कर इस महान कार्य में अपना छोटा सा योगदान दे सकते हैं।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: मानवता, धर्म, सम्मान, सहायता, भाईचारा, योगदान, सामाजिक कार्य।
प्रश्न २: कवि के 'हृदय के अँधेरे' से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: कवि के 'हृदय के अँधेरे' से तात्पर्य मन में बसे नकारात्मक भावों से है, जैसे- स्वार्थ, अज्ञान, घृणा, ईर्ष्या और दूसरों के दुख के प्रति उदासीनता। जब किसी व्यक्ति का हृदय इन भावों से भरा होता है, तो बाहरी उजाला भी उसके जीवन में सच्ची खुशी नहीं ला सकता। कवि चाहते हैं कि हम इन नकारात्मक भावों को मिटाकर अपने हृदय में प्रेम, करुणा, ज्ञान और सहानुभूति जैसे सकारात्मक गुणों का 'उजाला' लाएँ। यही सच्चा आत्म-सुधार है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: नकारात्मक भाव, स्वार्थ, अज्ञान, उदासीनता, सकारात्मक गुण, प्रेम, करुणा, आत्म-सुधार।
प्रश्न ३: आपके अनुसार त्योहारों को सार्थक ढंग से कैसे मनाया जा सकता है?
उत्तर: मेरे अनुसार, त्योहारों को सार्थक ढंग से मनाने के लिए हमें दिखावे और फिजूलखर्ची से बचना चाहिए। हमें अपनी खुशियों में उन लोगों को भी शामिल करना चाहिए जो किसी कारणवश उत्सव नहीं मना पा रहे हैं। हम गरीबों को भोजन करा सकते हैं, अनाथालय या वृद्धाश्रम में जाकर लोगों के साथ समय बिता सकते हैं, और जरूरतमंदों को कपड़े या अन्य आवश्यक वस्तुएँ दान कर सकते हैं। साथ ही, हमें पर्यावरण का ध्यान रखते हुए प्रदूषण-मुक्त तरीके से त्योहार मनाना चाहिए। इस प्रकार, त्योहार केवल हमारे लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए खुशी का अवसर बन जाएँगे।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: सार्थक ढंग, दिखावे से बचना, जरूरतमंदों की मदद, दान, पर्यावरण की सुरक्षा, सामाजिक खुशी।
प्रश्न ४: "पहला ही दीपक बहुत है अँधेरे को" - इस पंक्ति का क्या आशय है?
उत्तर: इस पंक्ति का आशय है कि बाहरी भौतिक अंधकार को मिटाने के लिए बहुत अधिक संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती; एक छोटा सा दीपक भी घना अँधेरा दूर करने के लिए पर्याप्त होता है। इसके माध्यम से कवि यह संदेश देना चाहते हैं कि यदि हमें समाज से गरीबी और दुख का अँधेरा मिटाना है, तो हमें बड़े-बड़े आडंबरों की जरूरत नहीं है। प्रेम और करुणा से किया गया एक छोटा सा प्रयास भी किसी के जीवन में बहुत बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकता है। एक छोटी सी मदद भी किसी निराश व्यक्ति के जीवन में आशा की किरण जला सकती है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: अँधेरा मिटाना, एक छोटा प्रयास, सकारात्मक बदलाव, आशा की किरण, आडंबर की आवश्यकता नहीं।
प्रश्न ५: कविता में 'जखमों पर मलहम' लगाने की बात कही गई है। दीन-दुखियों के कौन-से जख्मों की बात कवि कर रहे हैं? उत्तर: कविता में 'जखमों पर मलहम' लगाने से कवि का तात्पर्य दीन-दुखियों के केवल शारीरिक घावों से नहीं, बल्कि उनके मानसिक और भावनात्मक घावों से भी है। ये गरीबी, अपमान, अकेलेपन और निराशा के जख्म हैं। जब कोई व्यक्ति भूखा या बेसहारा होता है, तो उसका आत्म-सम्मान भी घायल होता है। कवि चाहते हैं कि हम भोजन और वस्त्र जैसी भौतिक मदद के साथ-साथ, उन्हें स्नेह, सम्मान और अपनापन देकर उनके इन गहरे जख्मों पर भी मरहम लगाएँ, ताकि वे फिर से सम्मान के साथ जी सकें। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: शारीरिक जख्म, मानसिक जख्म, भावनात्मक घाव, गरीबी, अपमान, अकेलापन, निराशा, स्नेह, सम्मान।
संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)
प्रश्न १: कवि हमें किस प्रकार के दीप जलाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं?
उत्तर: कवि हमें बाहरी दीप जलाने के बजाय अपने दिलों में प्रेम, करुणा और संवेदना के दीप जलाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि हम दीन-दुखियों के बुझे हुए दिलों में भी आशा की ज्योति जलाएँ।
प्रश्न २: कवि के अनुसार त्योहार मनाने का श्रेष्ठ तरीका क्या है?
उत्तर: कवि के अनुसार, त्योहार मनाने का श्रेष्ठ तरीका दिखावा करना या पटाखे फोड़ना नहीं, बल्कि दीन-दुखियों के दुख को मिटाना, भूखे पेट को भोजन कराना, और उनके जख्मों पर स्नेह का मरहम लगाना है।
प्रश्न ३: कविता की पंक्तियों को पूर्ण कीजिए: न फुलझड़ियाँ चमकाओ, ............................., भोजन नहीं जिनके, .............................।
उत्तर: न फुलझड़ियाँ चमकाओ, न फोड़ो पटाखे, भोजन नहीं जिनके, दे आओ जा के।
प्रश्न ४: 'उजालों की चाहत कभी न रही जिनकी' - कवि ने ऐसा किन लोगों के लिए कहा है और क्यों? उत्तर: कवि ने ऐसा उन गरीब और भूखे लोगों के लिए कहा है जिनकी पहली और सबसे बड़ी जरूरत भोजन है। वे इतने अभाव में जीते हैं कि दीवाली के दीयों और उजालों के बारे में सोचने का भी उन्हें अवसर नहीं मिलता। उनकी एकमात्र चाहत अपनी भूख मिटाने के लिए रोटी पाना है। इसलिए कवि कहते हैं कि उनकी चाहत उजाले नहीं, बल्कि रोटी है।
प्रश्न ५: रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए: १. उजाला लाना है हृदय में। २. ज्योति जलानी है बुझे दिल में।
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