1.8 - कदम मिलाकर चलना होगा - Kadam Milakar Chalna Hoga - Class 8 - Sugambharati
- Sep 28
- 9 min read
Updated: Oct 5

पाठ का प्रकार: पद्य (नवगीत) पाठ का शीर्षक: कदम मिलाकर चलना होगा लेखक/कवि का नाम: अटलबिहारी वाजपेयी
सारांश (Bilingual Summary)
हिन्दी: प्रस्तुत कविता में कवि अटलबिहारी वाजपेयी जी सभी को हर परिस्थिति में एकजुट होकर आगे बढ़ने का आह्वान करते हैं। वे कहते हैं कि चाहे जीवन में कितनी भी बाधाएँ, प्रलयंकारी संकट, या व्यक्तिगत कष्ट क्यों न आएँ, हमें एक साथ मिलकर चलना होगा। यह एकता हँसी-खुशी, दुख, तूफान, बलिदान, सम्मान-अपमान, उजाले-अंधेरे, जीत-हार—हर स्थिति में बनी रहनी चाहिए। अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं का त्याग करना होगा और एक उन्नत मस्तक के साथ सभी पीड़ाओं को सहना सीखना होगा। कवि कहते हैं कि हमें मानसून की तरह बनना चाहिए, जो बिना कुछ माँगे अपना सब कुछ देकर चला जाता है। कविता का सार यह है कि सामूहिक प्रगति और राष्ट्र निर्माण के लिए व्यक्तिगत मतभेदों और सुख-दुख से ऊपर उठकर कदम से कदम मिलाकर चलना अनिवार्य है।
English: In this poem, the poet Atal Bihari Vajpayee calls upon everyone to move forward together in unity under all circumstances. He says that no matter how many obstacles, cataclysmic crises, or personal hardships come in life, we must walk together. This unity must be maintained in every situation—in laughter and sorrow, in storms, in sacrifices, in honor and dishonor, in light and darkness, in victory and defeat. To achieve our goals, we will have to sacrifice our personal desires and learn to endure all pains with our heads held high. The poet says that we must become like the monsoon, which gives its everything without asking for anything in return. The essence of the poem is that for collective progress and nation-building, it is essential to rise above personal differences and joys and sorrows and walk in step with each other.
केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)
हिन्दी: इस कविता का केंद्रीय भाव एकता, दृढ़ता और निःस्वार्थ समर्पण की भावना को जगाना है। कवि का मानना है कि किसी भी समाज या राष्ट्र की प्रगति तभी संभव है जब उसके सभी नागरिक व्यक्तिगत सुख-दुख, स्वार्थ और मतभेदों को भुलाकर एक साझा लक्ष्य के लिए कदम से कदम मिलाकर चलें। यह कविता जीवन की हर चुनौती का सामना एकजुट होकर करने का संदेश देती है। चाहे परिस्थितियाँ अनुकूल हों या प्रतिकूल, हमें निराश या विचलित हुए बिना, एक-दूसरे का हाथ थामकर आगे बढ़ते रहना चाहिए। निःस्वार्थ भाव से सब कुछ अर्पण कर देना ही प्रगति का मूल मंत्र है।
English: The central theme of this poem is to awaken the spirit of unity, perseverance, and selfless dedication. The poet believes that the progress of any society or nation is possible only when all its citizens forget their personal joys and sorrows, self-interests, and differences and walk in step for a common goal. This poem gives the message of facing every challenge of life together. Whether the circumstances are favorable or unfavorable, we must continue to move forward holding each other's hands, without getting disappointed or distracted. Selflessly dedicating everything is the key mantra for progress.
शब्दार्थ (Glossary)
शब्द (Word) | पर्यायवाची शब्द (Synonym) | विलोम शब्द (Antonym) |
प्रलय | विनाश, कयामत | सृजन, निर्माण |
ज्वाला | आग, लपट | - |
रुदन | रोना, विलाप | हास्य, हँसना |
असंख्यक | अनगिनत, अगणित | सीमित, गणनीय |
वीरान | उजाड़, निर्जन | आबाद, रौनक |
उन्नत | ऊँचा, श्रेष्ठ | अवनत, नीचा |
कछार | नदी का किनारा, तट | धार, मझधार |
घृणा | नफरत | प्रेम, स्नेह |
क्षणिक | पल भर का | दीर्घ, स्थायी |
ध्येय | लक्ष्य, उद्देश्य | - |
पंक्तियों का सरल अर्थ लिखें (Simple Meaning of Lines)
१. बाधाएँ आती हैं आएँ...कदम मिलाकर चलना होगा।
परिचय: इन पंक्तियों में कवि हर मुश्किल का सामना एक साथ करने का आह्वान कर रहे हैं। सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि जीवन के मार्ग पर भले ही बाधाएँ आएँ, प्रलय की भयानक घटाएँ घिर आएँ, पैरों के नीचे अंगारे हों या सिर पर आग की लपटें बरस रही हों, हमें इन सब भयानक कष्टों को हँसते-हँसते स्वयं ही झेलना होगा और हर हाल में एक-दूसरे के साथ कदम मिलाकर आगे बढ़ना होगा।
२. हास्य-रुदन में, तूफानों में...कदम मिलाकर चलना होगा।
परिचय: कवि यहाँ जीवन के हर सुख-दुख में एकजुट रहने की बात कह रहे हैं। सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि चाहे जीवन में हँसी-खुशी का माहौल हो या रोने का, चाहे तूफान जैसी मुश्किलें हों, चाहे अनगिनत अमर बलिदान देने पड़ें, चाहे हम बागों में हों या वीराने में, चाहे हमें सम्मान मिले या अपमान, हमें हर परिस्थिति में अपना मस्तक ऊँचा और सीना चौड़ा रखकर सभी पीड़ाओं को सहते हुए जीना सीखना होगा और एक साथ कदम मिलाकर आगे चलना होगा।
३. उजियारे में, अंधकार में...कदम मिलाकर चलना होगा।
परिचय: इन पंक्तियों में कवि हर तरह के अच्छे-बुरे समय में साथ रहने का संदेश दे रहे हैं। सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि चाहे जीवन में उजाला (सुख) हो या अंधकार (दुख), चाहे हम नदी के किनारे (सुरक्षित) हों या बीच धारा (संकट) में, चाहे घोर घृणा का सामना करना पड़े या पवित्र प्रेम मिले, चाहे क्षण भर की जीत हो या लंबी हार, हमें हर हाल में अपने जीवन की सैकड़ों आकर्षक इच्छाओं और अरमानों को कुचलना होगा और एकजुट होकर कदम मिलाकर आगे बढ़ना होगा।
४. सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ...कदम मिलाकर चलना होगा। परिचय: इन अंतिम पंक्तियों में कवि निःस्वार्थ भाव से लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा दे रहे हैं। सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि जब हमारा लक्ष्य हमारे सामने है और प्रगति का पथ अनंत है, तो फिर यात्रा का अंत कैसा? हमें प्रसन्नता और मुस्कुराहट के साथ बिना थके परिश्रम करना है। सफलता मिले या असफलता, हमारे मन का भाव एक समान होना चाहिए। हमें वर्षा ऋतु (मानसून) की तरह बनना होगा, जो अपना सब कुछ (जल) देकर बदले में कुछ नहीं माँगता, और इसी निःस्वार्थ भाव से हमें भी आगे बढ़ना होगा और कदम मिलाकर चलना होगा।
सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)
कथन १: कवि कहते हैं कि बाधाएँ आने पर हमें रुक जाना चाहिए।
उत्तर: गलत। कारण, कवि कहते हैं, "बाधाएँ आती हैं आएँ...कदम मिलाकर चलना होगा।"
कथन २: हमें केवल सम्मान में ही नहीं, बल्कि अपमान में भी सिर ऊँचा रखना है।
उत्तर: सही। कारण, कविता में कहा गया है, "अपमानों में, सम्मानों में उन्नत मस्तक, उभरा सीना"।
कथन ३: कवि के अनुसार, हमें अपनी सभी इच्छाओं और अरमानों को पूरा करने पर ध्यान देना चाहिए।
उत्तर: गलत। कारण, कवि कहते हैं, "जीवन के शत-शत आकर्षक, अरमानों को दलना होगा।"
कथन ४: कवि हमें मानसून की तरह निःस्वार्थ बनने की प्रेरणा देते हैं।
उत्तर: सही। कारण, वे कहते हैं, "सब कुछ देकर कुछ न माँगते, पावस बनकर ढलना होगा।"
कथन ५: कवि के अनुसार, सफलता और असफलता में हमारा मनोरथ अलग-अलग होना चाहिए। उत्तर: गलत। कारण, कवि की इच्छा है कि "असफल, सफल, समान मनोरथ"।
पद विश्लेषण (Poetry Appreciation)
रचनाकार का नाम: अटलबिहारी वाजपेयी रचना का प्रकार: नवगीत
पसंदीदा पंक्ति | पसंदीदा होने का कारण | रचना से प्राप्त संदेश |
कदम मिलाकर चलना होगा। | यह पंक्ति कविता का हृदय है और एक शक्तिशाली आह्वान है। इसका दोहराव मन में एकता और दृढ़ संकल्प का भाव जगाता है। | किसी भी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एकता अनिवार्य है। |
उन्नत मस्तक, उभरा सीना, पीड़ाओं में पलना होगा! | यह पंक्ति आत्म-सम्मान और साहस की पराकाष्ठा को दर्शाती है। यह सिखाती है कि सच्ची वीरता कष्टों से भागने में नहीं, बल्कि उनका सामना करने में है। | हमें आत्म-सम्मान के साथ जीवन की हर पीड़ा को सहना सीखना चाहिए। |
जीवन के शत-शत आकर्षक, अरमानों को दलना होगा। | यह पंक्ति त्याग के महत्व को दर्शाती है। यह बताती है कि बड़े लक्ष्य के लिए व्यक्तिगत इच्छाओं का बलिदान देना पड़ता है। | महान लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए व्यक्तिगत सुख और इच्छाओं का त्याग आवश्यक है। |
असफल, सफल, समान मनोरथ | यह पंक्ति 'गीता' के निष्काम कर्म के सिद्धांत की याद दिलाती है। यह हमें सिखाती है कि परिणाम की चिंता किए बिना समान भाव से प्रयास करते रहना चाहिए। | हमें सफलता और असफलता, दोनों में मानसिक संतुलन बनाए रखना चाहिए। |
सब कुछ देकर कुछ न माँगते, पावस बनकर ढलना होगा। | यह निःस्वार्थ सेवा का एक बहुत ही सुंदर और प्रेरक रूपक है। मानसून की तरह बनना हमें प्रकृति से जुड़कर परोपकार का पाठ पढ़ाता है। | सच्चा बड़प्पन लेने में नहीं, बल्कि समाज को निःस्वार्थ भाव से देने में है। |
स्वमत (Personal Opinion)
प्रश्न १: 'पीड़ाओं में पलना होगा' - इस पंक्ति से संबंधित अपने विचार लिखो।
उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि जीवन में सफलता और मजबूती प्राप्त करने के लिए कष्टों और संघर्षों का सामना करना अनिवार्य है। जिस प्रकार सोना आग में तपकर ही कुंदन बनता है, उसी प्रकार मनुष्य भी पीड़ाओं और मुश्किलों से गुजरकर ही मजबूत और अनुभवी बनता है। जो व्यक्ति पीड़ाओं से डरकर भागता है, वह कभी भी महान नहीं बन सकता। हमें पीड़ाओं को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए जो हमें धैर्य, सहनशीलता और साहस जैसे गुण सिखाती हैं। इसलिए, जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमें पीड़ाओं में पलने, अर्थात उन्हें सहने और उनसे सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: पीड़ा, संघर्ष, मजबूती, अनुभव, धैर्य, सहनशीलता, साहस, अवसर, सीखना।
प्रश्न २: 'एकता में ही शक्ति है' - इस विचार को कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यह कविता 'एकता में ही शक्ति है' के विचार को पूरी तरह से चरितार्थ करती है। कवि का बार-बार "कदम मिलाकर चलना होगा" कहना इसी बात पर जोर देता है। कविता में वर्णित बाधाएँ, प्रलय, तूफान और ज्वालाएँ इतनी बड़ी हैं कि कोई अकेला व्यक्ति उनका सामना नहीं कर सकता। इन भयानक चुनौतियों से तभी पार पाया जा सकता है जब सभी लोग एकजुट होकर, एक-दूसरे का हाथ थामकर, एक ही दिशा में आगे बढ़ें। जब पूरा समाज एक साथ चलता है, तो बड़ी से बड़ी मुश्किल भी छोटी हो जाती है। यही एकता की शक्ति है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: एकता, शक्ति, कदम मिलाकर चलना, एकजुट, चुनौती, सामूहिक प्रयास, संगठन।
प्रश्न ३: कवि सबको 'पावस बनकर ढलने' के लिए क्यों कहते हैं? उत्तर: कवि सबको 'पावस बनकर ढलने' के लिए इसलिए कहते हैं क्योंकि पावस यानी मानसून निःस्वार्थ सेवा और परोपकार का सबसे बड़ा प्रतीक है। मानसून बादलों के रूप में समुद्र से जल लेता है, लेकिन उसे बरसाकर धरती की प्यास बुझाता है और जीवन देता है। वह बदले में कुछ भी नहीं माँगता। कवि चाहते हैं कि हम भी मानसून की तरह बनें—समाज और राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व (ज्ञान, श्रम, समय) समर्पित कर दें, लेकिन बदले में किसी पद, प्रतिष्ठा या धन की अपेक्षा न करें। यही निःस्वार्थ कर्म का सर्वोच्च आदर्श है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: पावस, मानसून, निःस्वार्थ सेवा, परोपकार, समर्पण, अपेक्षा रहित, सर्वोच्च आदर्श।
प्रश्न ४: कविता में किन-किन विपरीत परिस्थितियों का उल्लेख किया गया है? उत्तर: कविता में निम्नलिखित विपरीत परिस्थितियों की जोड़ियों का उल्लेख किया गया है:
हास्य - रुदन (हँसी - रोना)
उद्यान - वीरान (बाग - उजाड़)
अपमान - सम्मान
उजियारा - अंधकार
कल कछार - बीच धार (किनारा - बीच धारा)
घोर घृणा - पूत प्यार
क्षणिक जीत - दीर्घ हार
असफल - सफल यह दर्शाता है कि हमें हर प्रकार की विपरीत परिस्थितियों में एक समान रहना है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: विपरीत परिस्थितियाँ, सुख-दुख, अच्छा-बुरा, सफलता-असफलता, समान भाव, संतुलन।
प्रश्न ५: कविता का शीर्षक 'कदम मिलाकर चलना होगा' क्यों सार्थक है? उत्तर: कविता का शीर्षक 'कदम मिलाकर चलना होगा' पूरी तरह से सार्थक है क्योंकि यही पंक्ति कविता का मुख्य संदेश और ध्रुवपद है। पूरी कविता इसी एक विचार के इर्द-गिर्द बुनी गई है। कवि हर छंद में अलग-अलग परिस्थितियों का वर्णन करते हैं, लेकिन हर बार वे इसी निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि समाधान केवल एकजुट होकर आगे बढ़ने में ही है। यह शीर्षक सीधे और स्पष्ट रूप से कविता के केंद्रीय भाव—एकता, सामूहिकता और निरंतर प्रगति—को व्यक्त करता है, इसलिए यह अत्यंत उपयुक्त और सार्थक है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: सार्थक शीर्षक, मुख्य संदेश, ध्रुवपद, एकजुटता, सामूहिकता, प्रगति, केंद्रीय भाव।
संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)
प्रश्न १: कवि किन-किन परिस्थितियों में कदम मिलाकर चलने के लिए कहते हैं? (कोई चार) उत्तर: कवि निम्नलिखित परिस्थितियों में कदम मिलाकर चलने के लिए कहते हैं:
हास्य-रुदन में, तूफानों में
अपमानों में, सम्मानों में
उजियारे में, अंधकार में
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में
प्रश्न २: निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ लिखो:
१. अरमानों को दलना होगा: अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें अपनी सैकड़ों व्यक्तिगत इच्छाओं और आकांक्षाओं को कुचलना होगा या उनका त्याग करना होगा।
२. पीड़ाओं में पलना होगा: हमें जीवन के कष्टों और दुखों का साहसपूर्वक सामना करना सीखना होगा और उन्हीं के बीच रहकर मजबूत बनना होगा।
प्रश्न ३: पावस बनकर हमें क्या करना होगा?
उत्तर: पावस (मानसून) बनकर हमें अपना सब कुछ (श्रम, ज्ञान, सामर्थ्य) समाज और राष्ट्र को निःस्वार्थ भाव से देना होगा और बदले में कुछ भी माँगना नहीं होगा।
प्रश्न ४: आकृति में दिए शब्दों की उचित जोड़ियाँ मिलाओ:
उत्तर:
| 'अ' | 'आ' | | :--- | :--- |
| १. घोर | घटा |
| २. असंख्यक | बलिदान |
| ३. उन्नत | मस्तक |
| ४. क्षणिक | जीत |
प्रश्न ५: आग की ज्वालाएँ कहाँ बरसने की बात कही गई है? उत्तर: आग की ज्वालाएँ सिर पर बरसने की बात कही गई है।
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