3 - आत्मकथ्य (Aatmakathya) - Class 10 - Kshitij 2
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आत्मकथ्य (Aatmakathya)
Class 10 - Hindi Course A (Kshitij Bhag 2) | Author: जयशंकर प्रसाद
1. पाठ का सार (Quick Revision Summary)
आत्मकथा लिखने में अनिच्छा: कवि जयशंकर प्रसाद अपने मित्रों के आग्रह पर भी अपनी आत्मकथा नहीं लिखना चाहते। उन्हें लगता है कि उनका जीवन सामान्य और उपलब्धियों से रहित है, जिसे सुनकर लोग केवल उनका उपहास (मजाक) उड़ाएंगे।
English: Reluctance to write autobiography: Poet Jaishankar Prasad does not want to write his autobiography despite his friends' insistence. He feels his life is ordinary and devoid of achievements, and hearing it would only make people mock him.
जीवन की नश्वरता और दुख: कवि अपने जीवन की तुलना मुरझाकर गिरती हुई पत्तियों से करते हैं। वे कहते हैं कि इस विशाल संसार में अनगिनत जीवन-इतिहास बनते और मिटते हैं, जो जीवन की नश्वरता और निराशा को दर्शाते हैं।
English: Mortality and Sorrow of Life: The poet compares his life to withering falling leaves. He says that in this vast world, countless life histories are created and destroyed, reflecting the mortality and despair of life.
खाली गागर (रीती गागर): कवि अपने जीवन को 'खाली गागर' (Empty Pitcher) के समान बताते हैं, जिसमें सुख और रस नहीं है। वे अपनी कमजोरियों और भूलों को दुनिया के सामने उजागर करके हंसी का पात्र नहीं बनना चाहते।
English: Empty Pitcher: The poet describes his life as an 'empty pitcher' devoid of happiness and essence. He does not want to become a laughing stock by exposing his weaknesses and mistakes to the world.
सुख का क्षणिक स्वप्न: कवि बताते हैं कि उनके जीवन में सुख केवल एक स्वप्न की तरह आया और आलिंगन में आने से पहले ही मुस्कुरा कर भाग गया। उनके जीवन में सुख स्थायी नहीं रहा।
English: Momentary Dream of Happiness: The poet explains that happiness came into his life like a dream and slipped away with a smile before he could embrace it. Happiness was not permanent in his life.
स्मृति पाथेय (सहारा): अब कवि के पास केवल अपनी प्रेयसी की यादें (स्मृतियाँ) ही शेष हैं, जो थके हुए यात्री (कवि) के लिए रास्ते का सहारा (पाथेय) बनी हुई हैं। वे अपनी पुरानी यादों (कंथा) को कुरेदना नहीं चाहते।
English: Memory as Support: Now the poet is left only with the memories of his beloved, which act as a support (provision for the journey) for the tired traveler (poet). He does not want to dig up his old memories (worn-out quilt).
मौन व्यथा: अंत में, कवि कहते हैं कि अभी उनकी व्यथा (दुख) थकी हुई सो रही है। यह उचित समय नहीं है कि वे अपनी आत्मकथा लिखें। वे दूसरों की महान गाथाएं सुनकर मौन रहना ही बेहतर समझते हैं।
English: Silent Sorrow: In the end, the poet says that his sorrow is tired and asleep. It is not the right time to write his autobiography. He considers it better to remain silent and listen to the great stories of others.
2. शब्द-संपदा (Vocabulary)
शब्द (Word) | अर्थ (Hindi Meaning) | English Meaning |
मधुप | भंवरा (यहाँ मन रूपी भंवरा) | Bumblebee (Here, the mind) |
अनंत-नीलिमा | अंतहीन आकाश / विस्तार | Infinite blue sky / Expanse |
गागर-रीती | खाली घड़ा (सुख रहित जीवन) | Empty pitcher (Life without happiness) |
प्रवंचना | धोखा / छल | Deception / Fraud |
कंथा | गुदड़ी / अंतर्मन की बातें | Worn-out quilt / Inner thoughts |
पाथेय | रास्ते का भोजन / सहारा | Provisions for a journey / Support |
अरुण-कपोल | लाल गाल | Red cheeks |
अनुरागिनी उषा | प्रेम भरी सुबह | Loving dawn |
विडंबना | दुर्भाग्य / उपहास | Irony / Misfortune |
3. चरित्र चित्रण (Character Sketches)
जयशंकर प्रसाद (कवि / The Poet)
विनम्र और यथार्थवादी (Humble & Realistic): कवि स्वयं को एक साधारण व्यक्ति मानते हैं। वे अपनी उपलब्धियों का बखान करने के बजाय अपनी कमियों को स्वीकार करते हैं और मानते हैं कि उनके जीवन में ऐसा कुछ विशेष नहीं है जो दूसरों को प्रेरित करे।
English: The poet considers himself an ordinary person. Instead of boasting about his achievements, he accepts his shortcomings and believes there is nothing special in his life to inspire others.
अंतर्मुखी और भावुक (Introverted & Emotional): वे अपनी निजी पीड़ा और प्रेम के पलों को दुनिया से छिपाकर रखना चाहते हैं। वे अपने अतीत के सुखद और दुखद क्षणों को केवल अपने तक ही सीमित रखना पसंद करते हैं।
English: He wants to keep his personal pain and moments of love hidden from the world. He prefers to keep his past happy and sad moments limited only to himself.
4. योग्यता-आधारित प्रश्न (Competency-Based Questions)
A. अभिकथन और तर्क (Assertion & Reasoning)
प्रश्न 1: अभिकथन (A): कवि जयशंकर प्रसाद अपनी आत्मकथा नहीं लिखना चाहते हैं।
तर्क (R): उन्हें लगता है कि आत्मकथा लिखने से उनकी छिपी हुई कमजोरियां और पीड़ा दुनिया के सामने आ जाएंगी, जिससे लोग उनका उपहास उड़ाएंगे।
उत्तर: (क) A और R दोनों सही हैं, तथा R, A की सही व्याख्या करता है।
प्रश्न 2: अभिकथन (A): कवि ने अपने जीवन को 'गागर-रीती' कहा है। तर्क (R): कवि का जीवन अनेक महान उपलब्धियों और सुखद अनुभवों से भरा हुआ है। उत्तर: (ग) A सही है, R गलत है। (क्योंकि 'गागर-रीती' का अर्थ खाली घड़ा है, जो अभावों को दर्शाता है, न कि उपलब्धियों को।)
B. स्थिति-आधारित विश्लेषण (Situation Analysis)
स्थिति (Situation): एक सफल व्यक्ति अपनी आत्मकथा में केवल अपनी सफलताओं का जिक्र करता है और संघर्षों या असफलताओं को छिपा लेता है।
प्रश्न (Question): 'आत्मकथ्य' कविता के आधार पर बताइए कि जयशंकर प्रसाद का दृष्टिकोण इस व्यक्ति से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर (Answer): वह सफल व्यक्ति अपनी छवि चमकाने के लिए सच छिपा रहा है, जबकि जयशंकर प्रसाद अत्यधिक ईमानदार और विनम्र हैं। वे आत्मकथा न लिखने का कारण ही यह बताते हैं कि उनका जीवन 'खाली' और 'दुर्बलताओं' से भरा है। वे झूठ या बढ़ा-चढ़ाकर लिखने के बजाय मौन रहना बेहतर समझते हैं। प्रसाद जी यथार्थ को स्वीकारते हैं, जबकि वह व्यक्ति यथार्थ से भाग रहा है।
स्थिति (Situation): सोशल मीडिया पर लोग अपनी खुशियों का दिखावा करते हैं, भले ही वे अंदर से दुखी हों। प्रश्न (Question): कवि प्रसाद की पंक्तियों "अरु सरलते तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं" के संदर्भ में इस व्यवहार पर टिप्पणी करें। उत्तर (Answer): कवि प्रसाद अपनी सरलता और भोलेपन का मजाक नहीं बनवाना चाहते। वे जानते हैं कि दुनिया निष्ठुर है और किसी की सरलता या दुख का उपहास उड़ाती है। आज सोशल मीडिया पर भी यही हो रहा है - लोग अपनी असलियत (दुख/सरलता) छिपाते हैं ताकि दुनिया उनका मजाक न बनाए या उन्हें कमजोर न समझे। कवि का दृष्टिकोण इस दिखावे की संस्कृति के विपरीत, निजता की रक्षा करने वाला है।
C. आशय स्पष्टीकरण (Intent/Inference)
प्रश्न 1: "आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।"
उत्तर: इस पंक्ति का आशय है कि कवि के जीवन में सुख बहुत कम समय के लिए आया। जैसे ही उन्हें लगा कि उन्हें इच्छित सुख या प्रेम मिलने वाला है (आलिंगन में आना), वह सपना टूट गया और सुख उनसे दूर चला गया। यह सुख की क्षणभंगुरता (Transience) को दर्शाता है।
प्रश्न 2: "सीवन को उधेड़ कर देखोगे क्यों मेरी कंथा की?" उत्तर: 'कंथा' का अर्थ है गुदड़ी या अंतर्मन। कवि अपने मित्रों से पूछते हैं कि तुम मेरे जीवन की पुरानी, दबी हुई यादों की सिलाई (सीवन) उधेड़कर मेरे जख्मों को फिर से क्यों देखना चाहते हो? अर्थात, मेरे अतीत के दुखों को कुरेदने से तुम्हें क्या मिलेगा? मैं उन्हें छिपाकर ही रखना चाहता हूँ।
5. प्रश्न-उत्तर (Subjective Q&A)
A. लघु उत्तरीय (Short Answer - 30-40 Words)
प्रश्न 1: कवि को अपनी आत्मकथा लिखने में किन-किन संकोचों का सामना करना पड़ रहा है?
उत्तर: कवि को लगता है कि उनका जीवन उपलब्धियों से रहित 'खाली गागर' जैसा है। उन्हें डर है कि अपनी कमजोरियों और भूलों को बताकर वे जग-हँसाई का पात्र बनेंगे और लोग उनके सरल स्वभाव का मजाक उड़ाएंगे।
प्रश्न 2: 'मधुप' का प्रयोग कवि ने किस संदर्भ में किया है?
उत्तर: 'मधुप' (भंवरा) का प्रयोग कवि ने अपने 'मन' के लिए किया है। उनका मन रूपी भंवरा गुनगुनाकर अपने जीवन की दुखभरी और निराशाजनक कहानी कह रहा है।
प्रश्न 3: "मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ" किसका प्रतीक हैं?
उत्तर: "मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ" मानव जीवन की नश्वरता और निराशा का प्रतीक हैं। यह दर्शाता है कि जीवन में खुशियाँ स्थायी नहीं हैं और अंततः सब कुछ नष्ट हो जाता है।
प्रश्न 4: कवि ने 'स्मृति पाथेय' किसे कहा है और क्यों?
उत्तर: कवि ने अपने जीवन के सुखद पलों और अपनी प्रेयसी की यादों को 'स्मृति पाथेय' (रास्ते का संबल) कहा है। यही यादें उन्हें जीवन के कठिन मार्ग पर चलने का सहारा देती हैं।
प्रश्न 5: "अरी सरलते तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं" - कवि ऐसा क्यों कहते हैं?
उत्तर: कवि का स्वभाव बहुत सरल है, जिसके कारण उन्होंने जीवन में कई धोखे खाए हैं। वे अपनी इस सरलता को जगजाहिर करके खुद अपनी ही खिल्ली नहीं उड़ाना चाहते। वे अपनी भूलों को निजी रखना चाहते हैं।
प्रश्न 6: "उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की" - कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर: कवि के जीवन में प्रेम के कुछ निजी, अत्यंत सुखद क्षण (चाँदनी रातें) आए थे। वे उन अंतरंग पलों को सार्वजनिक नहीं करना चाहते क्योंकि वह उनकी निजी पूंजी है, जिसे वे दुनिया के साथ नहीं बांटना चाहते।
प्रश्न 7: कविता में 'थकी सोई मौन व्यथा' का क्या अर्थ है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि कवि के पुराने दुख और वेदनाएँ अब शांत हो चुकी हैं (सो गई हैं)। कवि उन्हें फिर से जगाकर हरा नहीं करना चाहते, इसलिए वे आत्मकथा लिखने के लिए 'अभी समय नहीं' कहते हैं।
प्रश्न 8: जयशंकर प्रसाद के अनुसार एक महान कवि का गुण क्या है? उत्तर: इस कविता के अनुसार, अपनी लघुता (छोटापन) को स्वीकार करना और दूसरों की महानता को सुनना ही एक महान व्यक्ति का गुण है। कवि स्वयं को छोटा मानकर मौन रहना पसंद करते हैं।
B. दीर्घ उत्तरीय/मूल्यपरक (Long/Value-Based - 100 Words)
प्रश्न 1: 'आत्मकथ्य' कविता के माध्यम से जयशंकर प्रसाद के व्यक्तित्व की कौन-सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?
उत्तर: 'आत्मकथ्य' कविता से जयशंकर प्रसाद के व्यक्तित्व की विनम्रता, सादगी और गंभीरता उभरकर आती है। वे एक छायावादी कवि होते हुए भी आत्म-प्रशंसा से दूर रहते हैं। वे यथार्थवादी हैं जो स्वीकार करते हैं कि उनका जीवन सामान्य है। उनमें निजता (Privacy) के प्रति सम्मान है; वे अपने प्रेम और सुखद पलों को सार्वजनिक तमाशा नहीं बनाना चाहते। वे संयमित हैं और अपनी पीड़ा को गरिमा के साथ सहते हैं। उनकी यह स्वीकारोक्ति कि "औरों की सुनता मैं मौन रहूँ" उनकी महानता और बड़प्पन को दर्शाती है।
प्रश्न 2: क्या आत्मकथा लिखना साहस का काम है? 'आत्मकथ्य' कविता के आलोक में तर्क सहित उत्तर दीजिए। उत्तर: हाँ, आत्मकथा लिखना निश्चित रूप से साहस का काम है। जैसा कि 'आत्मकथ्य' कविता में संकेत मिलता है, आत्मकथा लिखने के लिए व्यक्ति को अपनी 'दुर्बलताओं', 'भूलों' और 'प्रवंचनाओं' (धोखों) को स्वीकार करना पड़ता है। अपनी कमियों को दुनिया के सामने रखना और जग-हँसाई का जोखिम उठाना आसान नहीं होता। कवि प्रसाद इसीलिए हिचकिचाते हैं क्योंकि वे अपनी सरलता का मजाक नहीं बनवाना चाहते। सत्य को ज्यों का त्यों स्वीकारने और व्यक्त करने के लिए अत्यधिक नैतिक साहस और ईमानदारी की आवश्यकता होती है, जो हर किसी में नहीं होती।
प्रश्न 3: "सुख का स्वप्न देखकर जाग जाना" - यह पंक्ति मानव जीवन की किस विडंबना को दर्शाती है? आज के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता बताएं। उत्तर: यह पंक्ति मानव जीवन की क्षणभंगुरता और अतृप्ति की विडंबना को दर्शाती है। मनुष्य अक्सर सुख की कल्पना करता है, लेकिन वह सुख हकीकत बनने से पहले ही ओझल हो जाता है। आज के भौतिकवादी युग में यह और भी प्रासंगिक है। हम धन, पद या रिश्तों में सुख खोजते हैं, सपने बुनते हैं, लेकिन प्राप्ति से पहले ही परिस्थितियाँ बदल जाती हैं या वह सुख असंतोष में बदल जाता है। यह पंक्ति हमें सिखाती है कि सुख स्थायी नहीं है, और अतृप्त इच्छाएं ही जीवन की नियति बन जाती हैं, जिसे स्वीकार करके ही जीना पड़ता है।
6. व्याकरण (Integrated Grammar)
(Based on Class 10 Hindi Course A - Kshitij Pattern)
प्रश्न 1: पद-परिचय दीजिए: "मधुप गुन-गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी।" (रेखांकित शब्द: मधुप) उत्तर: संज्ञा (जातिवाचक - यहाँ रूपक अलंकार के कारण मन का प्रतीक), पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक, 'कह जाता' क्रिया का कर्ता।
प्रश्न 2: वाच्य परिवर्तन कीजिए: "कवि ने आत्मकथा नहीं लिखी।" (कर्मवाच्य में बदलिए)
उत्तर: कवि द्वारा आत्मकथा नहीं लिखी गई।
प्रश्न 3: अलंकार पहचानिए: "अरी सरलते तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं।" उत्तर: मानवीकरण अलंकार (यहाँ 'सरलता' को एक स्त्री के रूप में संबोधित किया गया है)।
7. सामान्य त्रुटियाँ (Common Student Errors)
कविता का उद्देश्य:
त्रुटि: छात्र अक्सर लिखते हैं कि कवि आत्मकथा लिख रहे हैं।
सुधार: यह कविता आत्मकथा न लिखने के कारणों को बताने के लिए लिखी गई है। यह आत्मकथा नहीं, बल्कि 'आत्मकथ्य' (आत्मकथा के बारे में कथन) है।
'मधुप' का अर्थ:
त्रुटि: छात्र इसका शाब्दिक अर्थ केवल 'भंवरा' लिखते हैं।
सुधार: यहाँ 'मधुप' एक रूपक (Metaphor) है जो कवि के 'मन' के लिए प्रयुक्त हुआ है।
रस और भाव:
त्रुटि: छात्र इसे वीर रस या भक्ति रस की कविता मानते हैं।
सुधार: यह छायावादी कविता है जिसमें 'करुण' और 'शांत' रस की प्रधानता है, और इसमें वियोग श्रृंगार के भी तत्व हैं।
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