5- प्रेमचंद के फटे जूते (Premchand Ke Phate Joote)- Class 9 - Kshitij 1
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प्रेमचंद के फटे जूते (Premchand Ke Phate Joote)
Class 9 - Hindi (Kshitij - 1) | Author: हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai)
1. पाठ का सार (Quick Revision Summary)
प्रेमचंद का व्यक्तित्व: लेखक के सामने प्रेमचंद का एक चित्र है जिसमें वे फटे जूते पहने अपनी पत्नी के साथ खड़े हैं. उनके चेहरे पर एक लापरवाही भरा विश्वास और अधूरी मुस्कान है.
English: The author has a picture of Premchand standing with his wife wearing torn shoes. There is a careless confidence and a half-smile on his face.
दिखावे की संस्कृति पर व्यंग्य: लेखक हैरान है कि फोटो खिंचवाने के लिए भी प्रेमचंद ने जूते नहीं बदले. लोग तो फोटो के लिए कोट, मोटर और यहाँ तक कि बीवी भी मांग लेते हैं, ताकि समाज में अपनी प्रतिष्ठा दिखा सकें.
English: The author is surprised that Premchand did not change shoes even for a photo. People rent coats, cars, and even wives for photos to show off their prestige in society.
लेखक और प्रेमचंद के जूते में अंतर: प्रेमचंद का जूता ऊपर से फटा है जिससे उंगली बाहर दिख रही है, लेकिन उनका तलवा (पाँव) सुरक्षित है. इसके विपरीत, लेखक (और समाज) का जूता ऊपर से ठीक है, लेकिन नीचे से तलवा घिस रहा है. यह 'दिखावे' और 'यथार्थ' का द्वंद्व है.
English: Premchand's shoe is torn from the top exposing the toe, but his sole (foot) is safe. In contrast, the author's (and society's) shoe looks fine from above, but the sole is wearing out from underneath. This is the conflict between 'show-off' and 'reality'.
टीले की रूपक कथा: प्रेमचंद का जूता इसलिए फटा क्योंकि उन्होंने सामाजिक बुराइयों रूपी 'टीलों' (Obstacles) से समझौता नहीं किया, बल्कि उन्हें ठोकर मारी. जबकि समाज के लोग टीलों से बचकर (तलवा घिसाकर) निकलते हैं.
English: Premchand's shoe tore because he did not compromise with the 'mounds' (social evils) but kicked them. Whereas people in society avoid the mounds (wearing out their soles) to bypass them.
2. शब्द-संपदा (Vocabulary)
शब्द (Word) | अर्थ (Hindi Meaning) | English Meaning |
उपहास | खिल्ली उड़ाना / मजाक | Mockery / Ridicule |
क्लेश | दुख / पीड़ा | Pain / Distress |
तगादा | तकाज़ा / उधारी माँगना | Reminder for payment / Dun |
पन्हैया | देशी जूतियाँ | Traditional Shoes |
बिसरना | भूल जाना | To forget |
बरकाकर | बचाकर / साइड से निकलकर | By avoiding / Sidestepping |
बेतरतीब | अव्यवस्थित / बिना ढंग के | Disorganized / Randomly |
3. चरित्र चित्रण (Character Sketches)
प्रेमचंद (Premchand)
सादगी पसंद और स्वाभिमानी (Simple and Self-respecting): प्रेमचंद बनावटीपन से दूर थे. वे जैसे असल जीवन में थे, वैसे ही फोटो में भी नज़र आए. उन्हें फटे जूते पहनने में कोई लज्जा या संकोच नहीं था.
English: Premchand was far from artificiality. He appeared in the photo exactly as he was in real life. He felt no shame or hesitation in wearing torn shoes.
संघर्षशील और समझौता न करने वाले (Struggling and Uncompromising): उन्होंने जीवन में आने वाली कठिनाइयों (टीलों) से समझौता नहीं किया, बल्कि उन्हें ठोकर मारी, भले ही इससे उनका जूता फट गया हो.
English: He did not compromise with the difficulties (mounds) in life but kicked them, even if it meant tearing his shoe.
लेखक (हरिशंकर परसाई) / सामान्य समाज (Narrator/Society)
अवसरवादी और दिखावा करने वाले (Opportunistic and Pretentious): लेखक स्वयं को उस समाज का प्रतिनिधि मानता है जो "परदे" (Hiding flaws) पर कुर्बान होता है. वे अपनी उंगली (इज्जत) बचाने के लिए अपना तलवा (चरित्र/मूल्य) घिसने को तैयार हैं.
English: The author considers himself a representative of the society that sacrifices everything for the "veil" (appearance). They are ready to wear out their sole (character/values) to save their toe (reputation).
4. योग्यता-आधारित प्रश्न (Competency-Based Questions)
A. अभिकथन और तर्क (Assertion & Reasoning)
प्रश्न 1:
अभिकथन (A): प्रेमचंद फोटो में व्यंग्य भरी मुस्कान हँस रहे हैं.
तर्क (R): वे खुश हैं कि उनका जूता फट गया है और हवा लग रही है.
उत्तर: (ग) अभिकथन सही है लेकिन तर्क गलत है. वे उन लोगों पर हँस रहे हैं जो उंगली छिपाने के चक्कर में अपना तलवा घिसा रहे हैं (दिखावा कर रहे हैं).
प्रश्न 2:
अभिकथन (A): लेखक का मानना है कि जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है.
तर्क (R): शक्तिशाली और धनवान लोगों (जूता) के सामने गुणी और सम्मानित लोगों (टोपी) को झुकना पड़ता है.
उत्तर: (क) अभिकथन और तर्क दोनों सही हैं और तर्क, अभिकथन की सही व्याख्या करता है. यहाँ 'जूता' शक्ति/समर्थ का और 'टोपी' मान-सम्मान का प्रतीक है.
B. स्थिति-आधारित विश्लेषण (Situation Analysis)
स्थिति (Situation): आज के दौर में लोग सोशल मीडिया पर अपनी खुशहाल तस्वीरें डालते हैं, भले ही वे असल जीवन में कर्ज में डूबे हों.
प्रश्न: 'प्रेमचंद के फटे जूते' पाठ के आधार पर इस मानसिकता को क्या कहा जाएगा?
उत्तर: इसे 'परदे का महत्व' समझना और 'दिखावे की संस्कृति' कहा जाएगा. पाठ के अनुसार, लोग "इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं" ताकि फोटो में खुशबू आए, यानी वे असलियत छिपाकर एक झूठी छवि प्रस्तुत करते हैं.
C. आशय स्पष्टीकरण (Intent/Inference)
प्रश्न 1: "तुम परदे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं!"
उत्तर: यहाँ 'परदा' छिपाव या झूठी प्रतिष्ठा का प्रतीक है. प्रेमचंद अपनी गरीबी या कमियों को छिपाते नहीं थे (वे परदे का महत्व नहीं जानते थे), जबकि आज का समाज अपनी कमियों को छिपाने (परदे) के लिए अपना सब कुछ नष्ट (कुर्बान) कर रहा है.
प्रश्न 2: "जिससे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो?"
उत्तर: इसका आशय है कि प्रेमचंद सामाजिक बुराइयों या गलत आचरण को इतना नीच समझते थे कि उसकी ओर हाथ से इशारा करना भी अपनी शान के खिलाफ मानते थे, इसलिए वे अपने फटे जूते की उंगली से उसकी ओर इशारा करते हैं.
5. प्रश्न-उत्तर (Subjective Q&A)
A. लघु उत्तरीय (Short Answer Questions - 30-40 Words)
प्रश्न 1: लेखक ने प्रेमचंद को 'जनता का लेखक' कहकर क्या प्रश्न पूछा?
उत्तर: लेखक ने पूछा कि हे 'जनता के लेखक', क्या तुम्हारा जूता बनिये के तगादे से बचने के लिए चक्कर काटने से घिस गया, या तुमने किसी सख्त चीज़ (टीले) पर ठोकर मारी?
प्रश्न 2: कुंभनदास का जूता कैसे घिस गया था?
उत्तर: भक्त कवि कुंभनदास को बादशाह अकबर ने फतेहपुर सीकरी बुलाया था. आने-जाने में उनका जूता घिस गया और उन्हें पछतावा हुआ कि "आवत जात पन्हैया घिस गई, बिसर गयो हरि नाम".
प्रश्न 3: प्रेमचंद के फटे जूते से क्या बाहर निकल आया था और लेखक की दृष्टि उस पर क्यों अटक गई?
उत्तर: प्रेमचंद के बाएँ पाँव के जूते में एक बड़ा छेद हो गया था, जिससे उनकी अँगुली बाहर निकल आई थी. लेखक की दृष्टि उस पर इसलिए अटक गई क्योंकि इतनी महान शख्सियत की पोशाक इतनी दयनीय थी.
प्रश्न 4: "टीला" शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में किया गया है?
उत्तर: "टीला" शब्द का प्रयोग जीवन में आने वाली रुकावटों, सामाजिक कुरीतियों, अन्याय और शोषण जैसी उन कठिनाइयों के लिए किया गया है जो सदियों से जमी हुई हैं ("परत-पर-परत").
B. दीर्घ उत्तरीय/मूल्यपरक (Long/Value-Based Questions - 100 Words)
प्रश्न 1: "तुम फटा जूता बड़े ठाठ से पहने हो! मैं ऐसे नहीं पहन सकता." लेखक के इस कथन से आज के समाज की किस विडंबना का पता चलता है?
उत्तर: इस कथन से आज के समाज की 'दिखावे की प्रवृत्ति' और 'अवसरवादिता' का पता चलता है. प्रेमचंद आंतरिक गुणों को महत्व देते थे, इसलिए उन्हें बाहरी फटेपन से शर्म नहीं आती थी. इसके विपरीत, आज का मनुष्य (लेखक सहित) अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए कष्ट सह लेगा (तलवा घिसा लेगा), लेकिन समाज के सामने अपनी गरीबी या कमी प्रकट नहीं होने देगा. यह विडंबना है कि हम सच्चाई को स्वीकारने के बजाय झूठी शान में जीना पसंद करते हैं.
प्रश्न 2: हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उभारा है?
उत्तर: लेखक ने प्रेमचंद को 'महान कथाकार', 'उपन्यास-सम्राट' और 'युग-प्रवर्तक' कहा है. वे एक यथार्थवादी व्यक्ति थे जो बनावटी दुनिया से दूर रहते थे. उनमें स्वाभिमान कूट-कूट कर भरा था, इसलिए उन्होंने कभी किसी से जूते या कपड़े नहीं माँगे. वे साहसी थे, जिन्होंने सामाजिक 'टीलों' (बुराइयों) से समझौता करने के बजाय उनसे संघर्ष किया, भले ही उनका जूता फट गया. उनकी मुस्कान में समाज के प्रति एक तीखा व्यंग्य छिपा था.
6. व्याकरण (Integrated Grammar)
प्रश्न 1: निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग (Prefix) और मूल शब्द अलग कीजिए:
(क) बेतरतीब
(ख) बरकरार
उत्तर:
(क) बे (उपसर्ग) + तरतीब (मूल शब्द)
(ख) बा (उपसर्ग) + कायदा (मूल शब्द)
प्रश्न 2: "अँगूठा ज़मीन से घिसता है और पैनी मिट्टी पर कभी रगड़ खाकर लहूलुहान भी हो जाता है." - इस वाक्य में प्रयुक्त विशेषण (Adjective) छाँटिए.
उत्तर:
पैनी (मिट्टी की विशेषता)
लहूलुहान (अँगूठे की अवस्था)
प्रश्न 3: पाठ में आए मुहावरे का अर्थ लिखकर वाक्य बनाइए: "हौसले पस्त करना".
उत्तर:
अर्थ: उत्साह खत्म कर देना / हिम्मत तोड़ना.
वाक्य: विपक्षी टीम की मजबूत बल्लेबाजी ने हमारे खिलाड़ियों के हौसले पस्त कर दिए.
7. सामान्य त्रुटियाँ (Common Student Errors)
जूते की स्थिति में भ्रम:
त्रुटि: छात्र अक्सर लिखते हैं कि प्रेमचंद का 'तलवा' घिसा था.
सुधार: प्रेमचंद का ऊपरी जूता फटा था (उंगली बाहर थी), तलवा सुरक्षित था. लेखक का तलवा घिसा था, ऊपर से जूता ठीक था.
'व्यंग्य-मुसकान' का अर्थ:
त्रुटि: इसे खुशी की मुस्कान समझना.
सुधार: यह उपहास (Mockery) की मुस्कान है. प्रेमचंद उन लोगों पर हँस रहे हैं जो अपनी कमियाँ छिपाने के लिए अपना नुकसान कर रहे हैं.
कुंभनदास का संदर्भ:
त्रुटि: कुंभनदास को प्रेमचंद का मित्र समझना.
सुधार: कुंभनदास भक्तिकाल के कवि थे. उनका उदाहरण यह बताने के लिए दिया गया कि संतों/लेखकों के लिए 'आने-जाने' (सत्ता के चक्कर काटने) से जूते घिसते हैं, फटते नहीं.

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