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    7- साखियाँ एवं सबद (Sakhiyan Evam Sabad) - Class 9 - Kshitij 1

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    Updated: 2 days ago

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    साखियाँ एवं सबद (Sakhiyan Evam Sabad)

    Class 9 - Hindi (Kshitij - 1) | Poet: कबीर (Kabir)


    1. पाठ का सार (Quick Revision Summary)

    साखियाँ (Sakhiyan)

    • ईश्वर प्रेम और मुक्ति: 'मानसरोवर' (मन/शून्य शिखर) में जीवात्मा रूपी हंस प्रभु-भक्ति के मोती चुग रहा है और अब वह इस सुख को छोड़कर कहीं और नहीं जाना चाहता.

      • English: The soul (swan) is picking pearls of devotion in the 'Mansarovar' (mind/spiritual realm) and does not want to leave this bliss to go anywhere else.

    • सच्चे भक्त की खोज: कबीर (प्रेमी) ईश्वर (प्रेमी) को ढूँढ रहे हैं. जब सच्चा भक्त ईश्वर से मिलता है, तो मन के सारे विकार (विष) अमृत (पुण्य/आनंद) में बदल जाते हैं.

      • English: Kabir (the lover) is searching for God (the Beloved). When a true devotee meets God, all impurities (poison) of the mind turn into nectar (bliss).

    • ज्ञान और संसार: साधक को ज्ञान के हाथी पर सहज समाधि का आसन लगाकर सवारी करनी चाहिए. यह संसार उस कुत्ते के समान है जो हाथी को देखकर भोंकता है, अर्थात आलोचना करता है, जिसकी परवाह नहीं करनी चाहिए.

      • English: The seeker should ride the elephant of knowledge with the carpet of easy meditation. The world is like a dog that barks at the elephant (criticizes), which should be ignored.

    • सांप्रदायिक एकता: लोग पक्ष-विपक्ष (हिंदू-मुस्लिम) के झगड़ों में पड़कर असली उद्देश्य (ईश्वर) को भूल गए हैं. सच्चा संत वही है जो निष्पक्ष होकर भजन करता है.

      • English: People have forgotten the true goal (God) by getting involved in sectarian arguments (Hindu-Muslim). A true saint is one who worships impartially.

    • कर्मों की महत्ता: ऊँचे कुल में जन्म लेने से कोई महान नहीं होता, बल्कि ऊँचे कर्म करने से होता है. जैसे सोने के कलश में अगर शराब भरी हो, तो भी सज्जन उसकी निंदा ही करेंगे.

      • English: High birth does not make one great; noble actions do. Just as a gold vessel filled with wine is still condemned by the wise.

    सबद (Sabad/Pad)

    • ईश्वर का निवास: ईश्वर न मंदिर में है, न मस्जिद में, न काबा या कैलाश में. वह न तो क्रिया-कर्म में है, न योग-वैराग्य में. वह तो हर प्राणी की साँस में बसा है और सच्चे खोजी को पल भर में मिल जाता है.

      • English: God is neither in the temple nor in the mosque, neither in Kaaba nor in Kailash. He is not in rituals or yoga. He resides in the breath of every being and is found instantly by a true seeker.

    • ज्ञान की आँधी: जब ज्ञान की आँधी आती है, तो भ्रम की टाटी (दीवार) उड़ जाती है, माया की रस्सी टूट जाती है और मोह के खंभे गिर जाते हैं. इसके बाद प्रेम की वर्षा होती है जिससे भक्त का मन भीग जाता है और अज्ञान का अंधेरा मिट जाता है.

      • English: When the storm of knowledge arrives, the screen of illusion blows away, the rope of attachment breaks, and pillars of delusion fall. This is followed by the rain of love, drenching the devotee's soul, and the darkness of ignorance vanishes.

    2. शब्द-संपदा (Vocabulary)

    शब्द (Word)

    अर्थ (Hindi Meaning)

    English Meaning

    सुभर

    अच्छी तरह भरा हुआ

    Well-filled / Abundant

    केलि

    क्रीड़ा / खेल

    Play / Pastime

    मुकताफल

    मोती (मोक्ष)

    Pearl (Salvation)

    दुलीचा

    छोटा आसन / कालीन

    Carpet / Small Rug

    स्वान

    कुत्ता

    Dog

    झख मारना

    वक्त बर्बाद करना / मजबूर होना

    To waste time / To be helpless

    पखापखी

    पक्ष-विपक्ष

    Favor and Opposition (Arguments)

    कारनै

    कारण

    Reason / Cause

    मोट चून

    मोटा आटा

    Coarse flour

    टाटी

    बाँस की फट्टियों का पल्ला (परदा)

    Screen made of bamboo strips

    बलिंडा

    छप्पर की मजबूत मोटी लकड़ी (टेक)

    Supporting beam / Rafter

    थूनी

    खंभा / स्तंभ

    Pillar / Post

    3. महत्वपूर्ण विचार बिंदु (Key Concepts)

    कबीर का जीवन दर्शन (Kabir's Philosophy)

    • निर्गुण भक्ति (Formless Devotion): कबीर मूर्ति पूजा और अवतारवाद में विश्वास नहीं करते थे. उनके राम अयोध्या के राजा नहीं, बल्कि निर्गुण ब्रह्म हैं जो घट-घट (हर प्राणी) में बसते हैं.

      • English: Kabir did not believe in idol worship or incarnation. His 'Ram' is not the king of Ayodhya, but the formless God residing in every being.

    • बाह्याडंबरों का विरोध (Opposition to Rituals): उन्होंने हिंदुओं की मूर्ति-पूजा और मुसलमानों की नमाज़/काबा यात्रा जैसे बाहरी दिखावों का कड़ा विरोध किया.

      • English: He strongly opposed external ostentations like idol worship of Hindus and ritual prayers/pilgrimages of Muslims.

    • निष्पक्षता (Impartiality): कबीर के अनुसार, सच्चा ज्ञानी वही है जो "पखापखी" (पक्ष-विपक्ष) से दूर रहकर ईश्वर को भजता है.

      • English: According to Kabir, a truly wise person is one who worships God staying away from sectarian arguments.

    4. योग्यता-आधारित प्रश्न (Competency-Based Questions)

    A. अभिकथन और तर्क (Assertion & Reasoning)

    प्रश्न 1: अभिकथन (A): कबीर ने संसार को 'स्वान' (कुत्ता) रूप कहा है. तर्क (R): संसार के लोग अज्ञानी हैं और वे ज्ञान के मार्ग पर चलने वाले साधक की व्यर्थ निंदा (भोंकना) करते रहते हैं. उत्तर: (क) अभिकथन और तर्क दोनों सही हैं और तर्क, अभिकथन की सही व्याख्या करता है.

    प्रश्न 2: अभिकथन (A): ज्ञान की आँधी आने पर भक्त का घर टूट जाता है. तर्क (R): ज्ञान भ्रम और माया के बंधनों को नष्ट कर देता है. उत्तर: (घ) अभिकथन गलत है, लेकिन तर्क सही है. (ज्ञान की आँधी से घर नहीं टूटता, बल्कि भ्रम की टाटी और मोह का बलिंडा टूटता है, जो साधक के लिए अच्छा है).

    B. स्थिति-आधारित विश्लेषण (Situation Analysis)

    स्थिति (Situation): दो लोग आपस में लड़ रहे हैं. एक कहता है "मेरा राम बड़ा" और दूसरा कहता है "मेरा अल्लाह बड़ा". प्रश्न: कबीर की साखियों के आधार पर आप उन्हें क्या समझाएंगे? उत्तर: मैं उन्हें कबीर की साखी "हिंदू मूआ राम कहि, मुसलमान खुदाइ" का उदाहरण दूँगा. कबीर के अनुसार राम और रहीम एक ही हैं (जैसे मोटा चून ही मैदा बनता है). ईश्वर को दो मानकर लड़ना मूर्खता है. सच्चा जीवित मनुष्य वही है जो इस भेदभाव (दुहुँ) के निकट नहीं जाता.

    C. आशय स्पष्टीकरण (Intent/Inference)

    प्रश्न 1: "मोको कहाँ ढूँढे बंदे, मैं तो तेरे पास में।" उत्तर: इस पंक्ति का आशय है कि ईश्वर सर्वव्यापी है. उसे मंदिरों, तीर्थों या एकांत में ढूँढने की ज़रूरत नहीं है. वह हर मनुष्य की आत्मा में, उसकी हर साँस में मौजूद है. हमें उसे बाहर नहीं, अपने भीतर खोजना चाहिए.

    प्रश्न 2: "विष अमृत होइ।" उत्तर: यहाँ 'विष' सांसारिक वासनाओं (पाप/बुराई) का और 'अमृत' भक्ति और आनंद का प्रतीक है. जब भक्त को परमात्मा मिल जाता है, तो उसके सारे बुरे विचार (विष) अच्छाई और आनंद (अमृत) में बदल जाते हैं.

    5. प्रश्न-उत्तर (Subjective Q&A)

    A. लघु उत्तरीय (Short Answer Questions - 30-40 Words)

    प्रश्न 1: 'मानसरोवर' से कवि का क्या आशय है? उत्तर: 'मानसरोवर' के दो अर्थ हैं- (1) तिब्बत में स्थित एक पवित्र झील, और (2) भक्त का 'मन' या 'हृदय' जो भक्ति रूपी जल से भरा हुआ है, जहाँ आत्मा रूपी हंस क्रीड़ा करता है.

    प्रश्न 2: कबीर ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है? उत्तर: कबीर के अनुसार, सच्चा प्रेमी (ईश्वर भक्त) वह है जिसके मिलने से मन के सारे पाप, विकार और बुराइयाँ (विष) पुण्य और आनंद (अमृत) में बदल जाती हैं.

    प्रश्न 3: 'सुबरन कलस सुरा भरा' से कबीर क्या संदेश देना चाहते हैं? उत्तर: कबीर कहना चाहते हैं कि यदि व्यक्ति के कर्म बुरे हैं, तो उसका उच्च कुल में जन्म लेना व्यर्थ है. जैसे सोने (सुबरन) के घड़े में शराब (सुरा) भरी हो, तो भी सज्जन उसकी निंदा ही करते हैं.

    प्रश्न 4: "स्वान रूप संसार है" - ऐसा क्यों कहा गया है? उत्तर: हाथी को चलता देख कुत्ते उस पर भोंकते हैं, लेकिन हाथी अपनी चाल चलता रहता है. उसी प्रकार, ज्ञानी व्यक्ति को दुनिया की आलोचना (भोंकने) की परवाह किए बिना अपने भक्ति मार्ग पर चलते रहना चाहिए.

    प्रश्न 5: कबीर के अनुसार ईश्वर को 'सब स्वाँसों की स्वाँस में' क्यों कहा गया है? उत्तर: क्योंकि ईश्वर किसी एक स्थान पर नहीं रहता, वह कण-कण में व्याप्त है. जैसे प्राणवायु (साँस) हर शरीर में है, वैसे ही ईश्वर हर जीव के अस्तित्व का आधार है.

    B. दीर्घ उत्तरीय/मूल्यपरक (Long/Value-Based Questions - 100 Words)

    प्रश्न 1: ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? (पद 2 के आधार पर) उत्तर: जब साधक के जीवन में ज्ञान की आँधी आती है, तो उसके मन से अज्ञान और भ्रम का पर्दा (टाटी) उड़ जाता है. माया उसे बाँध नहीं पाती. स्वार्थ और मोह के खंभे (थूनी और बलिंडा) टूट जाते हैं. तृष्णा (लालच) का छप्पर गिर जाता है और कुबुद्धि के बर्तन फूट जाते हैं. इसके बाद प्रभु प्रेम की जो वर्षा होती है, उसमें भक्त पूरी तरह भीग जाता है और उसे आत्म-ज्ञान (सूर्य) का प्रकाश मिल जाता है. संक्षेप में, ज्ञान मनुष्य को विकारों से मुक्त कर देता है.

    प्रश्न 2: कबीर की दृष्टि में एक सच्चा संत कौन है? वर्तमान समय में इसकी क्या प्रासंगिकता है? उत्तर: कबीर के अनुसार, सच्चा संत वह है जो किसी धर्म या संप्रदाय के पक्ष-विपक्ष (पखापखी) में नहीं पड़ता. वह तर्क-वितर्क और भेदभाव से दूर रहकर, निष्पक्ष भाव (निरपख) से ईश्वर का भजन करता है. वह राम और रहीम को एक मानता है. वर्तमान समय में जब धर्म के नाम पर दंगे और नफरत फैली है, कबीर की यह सीख अत्यंत प्रासंगिकता है. यदि हम निष्पक्ष होकर इंसानियत को धर्म मानें, तो समाज में शांति स्थापित हो सकती है.

    6. व्याकरण (Integrated Grammar)

    प्रश्न 1: निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम (Sanskrit) रूप लिखिए (पाठ्यपुस्तक प्रश्न 15):

    • पखापखी: पक्ष-विपक्ष

    • अनत: अन्यत्र

    • जोग: योग

    • जुगति: युक्ति

    • बैराग: वैराग्य

    • निरपख: निष्पक्ष

    प्रश्न 2: अलंकार पहचानिए: (क) "हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ" (ख) "विष अमृत होइ" उत्तर: (क) रूपक अलंकार (ज्ञान को हाथी का रूप दिया गया है). (ख) रूपक अलंकार (विकारों को विष और आनंद को अमृत कहा गया है).

    7. सामान्य त्रुटियाँ (Common Student Errors)

    1. 'स्वान' शब्द का अर्थ:

      • त्रुटि: छात्र 'स्वान' को 'हंस' या 'सुंदर' समझ लेते हैं.

      • सुधार: यहाँ 'स्वान' (Shwan) का अर्थ कुत्ता है. (हंस के लिए 'हंसा' शब्द प्रयोग हुआ है).

    2. प्रेमी-प्रेमी का मिलन:

      • त्रुटि: इसे साधारण नायक-नायिका का प्रेम समझना.

      • सुधार: यहाँ 'प्रेमी' का अर्थ भक्त और ईश्वर है. यह आध्यात्मिक प्रेम है.

    3. 'मोट चून मैदा भया' का भाव:

      • त्रुटि: इसे खाने-पीने से जोड़ना.

      • सुधार: यह एक रूपक है. इसका अर्थ है कि धार्मिक भेद (मोटा आटा) खत्म होकर एक तत्व (बारीक मैदा) बन गए. राम और रहीम का भेद मिट गया.

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