9. आदमी का अनुपात - (Aadmi Ka Anupat)- Class 8 - Malhar
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Poet: गिरिजा कुमार माथुर (Girija Kumar Mathur)
1. पाठ का सार (Quick Revision Summary)
विस्तार का क्रम: कविता की शुरुआत एक कमरे में बैठे दो व्यक्तियों से होती है। कवि धीरे-धीरे दायरे को बढ़ाते हैं—कमरा घर में है, घर मुहल्ले में, मुहल्ला नगर में, नगर प्रदेश में, प्रदेश देश में और देश पृथ्वी पर है। यह पृथ्वी भी आकाशगंगा (नभ गंगा) की परिधि में एक छोटी सी इकाई है और ब्रह्मांड में ऐसी अनगिनत पृथ्वियाँ और सृष्टियाँ हैं।
English: Order of Expansion: The poem starts with two people sitting in a room. The poet gradually expands the scope—the room is in a house, the house in a neighborhood, the neighborhood in a city, the city in a state, the state in a country, and the country on Earth. Even this Earth is a small unit within the circumference of the galaxy (Nabh Ganga), and there are countless such Earths and creations in the universe.
आदमी की लघुता (छोटापन): कवि बताते हैं कि इस विराट (विशाल) ब्रह्मांड की तुलना में आदमी का अस्तित्व अत्यंत सूक्ष्म (छोटा) है। यह अनुपात चींटी और पहाड़ से भी ज्यादा गहरा है। भौतिक रूप से मनुष्य ब्रह्मांड के सामने नगण्य है।
English: Smallness of Man: The poet explains that compared to this vast universe, man's existence is extremely minute. This ratio is deeper than that of an ant and a mountain. Physically, man is negligible before the universe.
मनुष्य का अहंकार: इतनी लघुता (Smallness) होने के बावजूद मनुष्य के भीतर ईर्ष्या, अहंकार (घमंड), स्वार्थ, घृणा और अविश्वास भरा हुआ है। वह अपनी झूठी शान में लीन रहता है।
English: Man's Arrogance: Despite such smallness, man is filled with jealousy, ego (pride), selfishness, hatred, and distrust. He remains engrossed in his false glory.
मानसिक दीवारें: कवि कहते हैं कि आदमी अपने चारों ओर शंखों जैसी अनगिनत (संख्यातीत) दीवारें खड़ी कर लेता है। वह दूसरों पर अपना अधिकार जमाता है और खुद को दूसरों का स्वामी (मालिक) बताता है।
English: Mental Walls: The poet says that man builds countless walls (like conch shells) around himself. He asserts his authority over others and claims to be the master of others.
एक कमरे में दो दुनिया: विडंबना यह है कि देशों के बीच तो दूरियाँ हैं ही, मनुष्य अपने अहंकार के कारण एक ही कमरे में साथ रहते हुए भी अलग-अलग दुनिया बसा लेता है। शारीरिक रूप से पास होकर भी वे मानसिक रूप से एक-दूसरे से कोसों दूर हैं।
English: Two Worlds in One Room: The irony is that while there are distances between countries, man, due to his ego, creates separate worlds even while living together in a single room. Being physically close, they are miles apart mentally.
2. शब्द-संपदा (Vocabulary)
शब्द (Word) | अर्थ (Hindi Meaning) | English Meaning |
अनुपात | तुलनात्मक मात्रा / रेश्यो | Ratio / Proportion |
परिधि | घेरा / सीमा | Circumference / Boundary |
नभ गंगा | आकाशगंगा | Galaxy / Milky Way |
नक्षत्र | तारे | Stars / Constellations |
ब्रह्मांड | संपूर्ण विश्व / जगत | Universe / Cosmos |
विराट | बहुत विशाल / बड़ा | Vast / Colossal |
संख्यातीत | जिसकी गिनती न हो सके / अनगिनत | Countless / Innumerable |
लीन | डूबा हुआ / व्यस्त | Engrossed / Absorbed |
अहं | अहंकार / घमंड | Ego |
सृष्टि | रचना / संसार | Creation / World |
3. केंद्रीय भाव (Central Theme)
मनुष्य की लघुता बनाम अहंकार (Man's Insignificance vs. Arrogance)
कविता का मुख्य विषय यह है कि ब्रह्मांड की विशालता के सामने मनुष्य एक धूल के कण के बराबर भी नहीं है। इसके बावजूद वह अपने अहंकार, नफरत और स्वार्थ की बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर लेता है। कवि चाहते हैं कि हम अपनी इस तुच्छता को समझें, अहंकार त्यागें और प्रेम व विश्वास के साथ रहें। भौतिक दूरियाँ कम हैं, लेकिन दिलों की दूरियाँ (एक कमरे में दो दुनिया) चिंता का विषय हैं।
English: The main theme of the poem is that compared to the vastness of the universe, man is not even equal to a speck of dust. Despite this, he builds huge walls of ego, hatred, and selfishness. The poet wants us to understand this insignificance, give up ego, and live with love and trust. Physical distances are small, but the distances of hearts (two worlds in one room) are a matter of concern.
4. योग्यता-आधारित प्रश्न (Competency-Based Questions)
A. अभिकथन और तर्क (Assertion & Reasoning)
प्रश्न 1:
अभिकथन (A): मनुष्य एक ही कमरे में दो दुनिया रचा लेता है।
तर्क (R): उसके मन में ईर्ष्या, स्वार्थ और अविश्वास की भावनाएँ भरी होती हैं जो उसे दूसरों से मानसिक रूप से अलग कर देती हैं।
उत्तर: (क) A और R दोनों सही हैं, तथा R, A की सही व्याख्या करता है।
प्रश्न 2:
अभिकथन (A): पृथ्वी ब्रह्मांड का सबसे बड़ा और प्रमुख हिस्सा है।
तर्क (R): कविता के अनुसार, लाखों ब्रह्मांडों में पृथ्वी एक बहुत छोटी इकाई है।
उत्तर: (घ) A गलत है, R सही है। (पृथ्वी विराट ब्रह्मांड के सामने नगण्य है)।
B. स्थिति-आधारित विश्लेषण (Situation Analysis)
स्थिति (Situation): दो भाई एक ही घर में रहते हैं लेकिन वे एक-दूसरे से बात नहीं करते और अपने-अपने मोबाइल में व्यस्त रहते हैं।
प्रश्न (Question): 'आदमी का अनुपात' कविता की कौन-सी पंक्ति इस स्थिति का सटीक वर्णन करती है?
उत्तर (Answer): "एक कमरे में / दो दुनिया रचाता है।" यह पंक्ति सटीक बैठती है क्योंकि शारीरिक रूप से साथ (एक घर/कमरे में) होने के बावजूद, अविश्वास और संवादहीनता के कारण उन्होंने अपनी अलग-अलग मानसिक दुनिया बना ली है।
C. आशय स्पष्टीकरण (Intent/Inference)
प्रश्न 1: "यह है अनुपात आदमी का विराट से।"
उत्तर: कवि यहाँ तुलना कर रहे हैं। एक तरफ अनंत ब्रह्मांड (विराट) है जिसमें अरबों तारे और ग्रह हैं, और दूसरी तरफ एक नन्हा सा इंसान है। मनुष्य की हैसियत समुद्र में एक बूँद से भी कम है। यह पंक्ति हमें हमारी वास्तविक स्थिति (औकात) याद दिलाने के लिए है ताकि हम घमंड न करें।
प्रश्न 2: "संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है।"
उत्तर: यहाँ 'शंख सी' का अर्थ है - कठोर, घुमावदार और अनगिनत। मनुष्य अपने पूर्वाग्रहों, जाति, धर्म और अहंकार की इतनी जटिल और कठोर दीवारें अपने चारों ओर बना लेता है कि कोई दूसरा उसमें प्रवेश नहीं कर पाता। यह उसके अलगाव (Isolation) को दर्शाता है।
5. प्रश्न-उत्तर (Subjective Q&A)
A. लघु उत्तरीय (Short Answer - 30-40 Words)
प्रश्न 1: कविता में 'विराट' शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
उत्तर: कविता में 'विराट' शब्द ब्रह्मांड (Universe) की असीम विशालता के लिए प्रयुक्त हुआ है, जिसमें लाखों आकाशगंगाएँ, अनगिनत नक्षत्र और अनेकों पृथ्वियाँ समाहित हैं।
प्रश्न 2: मनुष्य अपने को दूजे का स्वामी कब बताता है?
उत्तर: जब मनुष्य अहंकार (Ego), स्वार्थ और घृणा में लीन हो जाता है, तब वह भूल जाता है कि हम सब समान हैं। इसी भ्रम में वह दूसरों पर अधिकार जमाता है और खुद को उनका स्वामी (मालिक) समझने लगता है।
प्रश्न 3: 'एक कमरे में दो दुनिया' रचने से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर: इसका तात्पर्य 'मानसिक अलगाव' (Mental separation) से है। जब दो लोग एक साथ रहते हुए भी एक-दूसरे पर विश्वास नहीं करते और मनमुटाव रखते हैं, तो वे एक ही छत के नीचे होकर भी अजनबियों की तरह दो अलग दुनियाओं में जीते हैं।
B. दीर्घ उत्तरीय/मूल्यपरक (Long/Value-Based - 100 Words)
प्रश्न 1: 'आदमी का अनुपात' कविता के माध्यम से कवि समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर: कवि गिरिजा कुमार माथुर समाज को 'विनम्रता' और 'विश्व-बंधुत्व' का संदेश देना चाहते हैं। वे हमें आईना दिखाते हैं कि इस विशाल सृष्टि में हमारा अस्तित्व न के बराबर है, फिर हम किस बात का घमंड करते हैं? हमारा अहंकार, ईर्ष्या और नफरत बेबुनियाद है। कवि चाहते हैं कि हम इन कृत्रिम दीवारों को गिराकर एक-दूसरे के करीब आएँ। जब हम भौगोलिक रूप से इतने छोटे हैं, तो हमें दिल से बड़ा होना चाहिए। हमें 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना के साथ रहना चाहिए, न कि एक कमरे में बँटकर।
प्रश्न 2: कविता में वर्णित क्रम (Sequence) का क्या महत्व है?
उत्तर: कविता में एक विशिष्ट क्रम का प्रयोग किया गया है: कमरा -> घर -> मुहल्ला -> नगर -> प्रदेश -> देश -> पृथ्वी -> ब्रह्मांड। यह क्रम 'जूम आउट' (Zoom out) तकनीक जैसा है। यह हमें संकीर्णता से विशालता की ओर ले जाता है। यह दिखाने के लिए कि हम जिस कमरे या घर को अपनी पूरी दुनिया मानकर लड़ते रहते हैं, वह ब्रह्मांड के नक्शे पर एक बिंदु भी नहीं है। यह क्रम हमारे दृष्टिकोण (Perspective) को व्यापक बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
6. व्याकरण (Integrated Grammar)
(Based on the text of the chapter)
प्रश्न 1: विलोम शब्द लिखिए:
विराट: लघु / क्षुद्र
घृणा: प्रेम
अविश्वास: विश्वास
स्वामी: सेवक / दास
स्वार्थ: परमार्थ / निस्वार्थ
प्रश्न 2: पर्यायवाची शब्द:
नभ: आकाश, गगन, व्योम
पृथ्वी: धरा, वसुधा, भूमि, अचला
दुनिया: जगत, संसार, विश्व
अहं: दर्प, दंभ, अभिमान
प्रश्न 3: विशेषण-विशेष्य पहचानिए:
छोटी पृथ्वी: (छोटी - विशेषण, पृथ्वी - विशेष्य)
अनगिन नक्षत्र: (अनगिन - विशेषण, नक्षत्र - विशेष्य)
विराट ब्रह्मांड: (विराट - विशेषण, ब्रह्मांड - विशेष्य)
7. सामान्य त्रुटियाँ (Common Student Errors)
अनुपात का अर्थ:
त्रुटि: छात्र 'अनुपात' को गणितीय सवाल समझ लेते हैं।
सुधार: यहाँ अनुपात का अर्थ 'तुलना' (Comparison) है - मनुष्य की तुच्छता बनाम ब्रह्मांड की विशालता।
शंख सी दीवारें:
त्रुटि: छात्र इसका अर्थ शंख की आवाज़ से जोड़ते हैं।
सुधार: यहाँ यह कठोरता और अलगाव (Isolation) का प्रतीक है।
कवि का नाम:
त्रुटि: छात्र अक्सर निराला या पंत लिख देते हैं।
सुधार: इसके कवि गिरिजा कुमार माथुर हैं (जिन्होंने 'हम होंगे कामयाब' गीत भी लिखा है)।
End
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