1. साखी - Saakhi- Class 10 - Sparsh Bhag 2
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साखी (Saakhi)
Class 10 - Hindi Course B (Sparsh Bhag 2)
Author: कबीर (Kabir)
1. पाठ का सार (Quick Revision Summary)
मीठी वाणी का महत्व: कबीर दास जी कहते हैं कि हमें अपने मन का अहंकार त्याग कर ऐसी विनम्र और मीठी वाणी बोलनी चाहिए, जिससे हमारा अपना शरीर भी शीतल (शांत) रहे और दूसरों को भी सुख मिले।
English: Importance of Sweet Speech: Kabir Das says that we should give up the ego of our mind and speak such humble and sweet words, which keep our own body cool (calm) and also give happiness to others.
ईश्वर की सर्वव्यापकता: जिस प्रकार कस्तूरी मृग की अपनी ही नाभि में कस्तूरी की सुगंध होती है, लेकिन वह उसे जंगल में ढूँढता फिरता है, उसी प्रकार ईश्वर घट-घट (कण-कण) में व्याप्त हैं, लेकिन अज्ञानी मनुष्य उन्हें मंदिरों और तीर्थों में खोजता है।
English: Omnipresence of God: Just as the musk deer has the fragrance of musk in its own navel but keeps searching for it in the forest, similarly God resides in every particle, but ignorant humans search for Him in temples and pilgrimages.
अहंकार और ईश्वर: जब तक मनुष्य के भीतर 'मैं' (अहंकार) होता है, तब तक उसे ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती। ज्ञान रूपी दीपक के जलने पर अज्ञान का सारा अंधकार मिट जाता है और अहंकार समाप्त हो जाता है।
English: Ego and God: As long as there is 'I' (ego) within a human, he does not attain God. When the lamp of knowledge is lit, all the darkness of ignorance vanishes, and the ego is destroyed.
विरह की वेदना: ईश्वर से बिछड़ने का दुख (विरह) एक ऐसे साँप के समान है जिस पर कोई मंत्र या दवा असर नहीं करती। राम (ईश्वर) का वियोगी या तो जीवित नहीं रहता, और यदि जीता भी है तो वह पागल (बौरा) हो जाता है।
English: The Pain of Separation: The sorrow of separation from God (Virah) is like a snake on which no mantra or medicine works. One separated from Ram (God) either does not survive, and if he does, he goes mad.
निंदक का महत्व: हमें अपनी निंदा करने वाले को अपने पास (आँगन में कुटी बनाकर) रखना चाहिए। वह बिना साबुन और पानी के हमारी कमियों को बताकर हमारे स्वभाव को निर्मल (साफ) कर देता है।
English: Importance of the Critic: We should keep our critics close to us (by building a hut in the courtyard). They cleanse our nature by pointing out our flaws without soap and water.
सच्चा पंडित: बड़ी-बड़ी पुस्तकें (पोथी) पढ़ने से कोई ज्ञानी नहीं बनता। जो व्यक्ति प्रिय (ईश्वर) के प्रेम का एक अक्षर भी पढ़ लेता है, वही सच्चा पंडित (ज्ञानी) है।
English: True Scholar: Reading big books does not make anyone wise. The person who reads even one letter of the Beloved's (God's) love is the true scholar (Pandit).
त्याग और समर्पण: कबीर कहते हैं कि उन्होंने अपना घर (मोह-माया और अहंकार) जला दिया है। अब वे जलती हुई लकड़ी लेकर उनका घर जलाएंगे (मोह भंग करेंगे) जो उनके साथ भक्ति के मार्ग पर चलेंगे।
English: Sacrifice and Surrender: Kabir says that he has burnt his house (attachment and ego). Now, carrying the burning wood, he will burn the houses (break the attachments) of those who wish to walk with him on the path of devotion.
2. शब्द-संपदा (Vocabulary)
शब्द (Word) | अर्थ (Hindi Meaning) | English Meaning |
बाँणी | बोली / वाणी | Speech / Voice |
आपा | अहम् / अहंकार | Ego / Pride |
कुंडलि | नाभि | Navel |
भुवंगम | भुजंग / साँप | Snake |
बौरा | पागल | Mad / Insane |
नेड़ा | निकट / पास | Near / Close |
आँगणि | आँगन | Courtyard |
साबण | साबुन | Soap |
अषिर | अक्षर | Letter / Alphabet |
पीव | प्रिय / ईश्वर | Beloved / God |
मुराड़ा | जलती हुई लकड़ी | Burning wood |
3. चरित्र चित्रण (Character Sketches)
कबीर (Kabir - The Poet/Speaker)
समाज सुधारक और स्पष्टवादी (Social Reformer & Outspoken): कबीर बाह्य आडंबरों, किताबी ज्ञान और झूठे दिखावे के विरोधी हैं। वे सत्य को निडर होकर कहते हैं।
English: Kabir opposes external rituals, bookish knowledge, and false pretenses. He speaks the truth fearlessly.
ईश्वर प्रेमी (Lover of God): वे निर्गुण ब्रह्म के उपासक हैं और मानते हैं कि ईश्वर कण-कण में है। उनके लिए भक्ति का अर्थ 'पोथी पढ़ना' नहीं, बल्कि 'प्रेम का ढाई अक्षर' पढ़ना है।
English: He is a worshipper of the Formless God and believes that God exists in every particle. For him, devotion implies reading the 'letters of love', not reading books.
4. योग्यता-आधारित प्रश्न (Competency-Based Questions)
A. अभिकथन और तर्क (Assertion & Reasoning)
प्रश्न 1:
अभिकथन (A): कबीर ने निंदक को अपने आँगन में कुटी बनाकर रखने की सलाह दी है।
तर्क (R): निंदक हमारी बुराइयों को उजागर करके हमारे स्वभाव को बिना साबुन-पानी के निर्मल बना देता है।
उत्तर: (क) A और R दोनों सही हैं, तथा R, A की सही व्याख्या करता है।
प्रश्न 2:
अभिकथन (A): कस्तूरी मृग पूरे जंगल में भटकता रहता है और दुखी होता है।
तर्क (R): उसे यह ज्ञान नहीं होता कि सुगंध उसकी अपनी नाभि में ही विद्यमान है।
उत्तर: (क) A और R दोनों सही हैं, तथा R, A की सही व्याख्या करता है।
B. स्थिति-आधारित विश्लेषण (Situation Analysis)
स्थिति (Situation): आज के दौर में लोग सोशल मीडिया पर दूसरों की आलोचना सुनकर अवसाद (Depression) में चले जाते हैं या झगड़ा करते हैं।
प्रश्न (Question): कबीर की साखी 'निंदक नेड़ा राखिये' के आधार पर बताइए कि हमें आलोचकों के प्रति कैसा दृष्टिकोण रखना चाहिए?
उत्तर (Answer): कबीर के अनुसार, हमें आलोचना से घबराना या चिढ़ना नहीं चाहिए, बल्कि आलोचकों का स्वागत करना चाहिए। आलोचक हमारे सबसे बड़े शुभचिंतक होते हैं क्योंकि वे हमारी कमियों का आईना दिखाते हैं, जिससे हम खुद में सुधार कर सकते हैं और बेहतर इंसान बन सकते हैं।
C. आशय स्पष्टीकरण (Intent/Inference)
प्रश्न 1: "पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।"
उत्तर: इस पंक्ति का आशय यह है कि केवल धार्मिक ग्रंथ या पुस्तकें रटने से कोई व्यक्ति ज्ञानी नहीं बन जाता। सच्चा ज्ञान पुस्तकों में नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं, प्रेम और ईश्वर की अनुभूति में है। शुष्क ज्ञान व्यर्थ है यदि उसमें प्रेम नहीं है।
प्रश्न 2: "हम घर जाल्या आपणाँ, लिया मुराड़ा हाथि।"
उत्तर: यहाँ 'घर जलाने' का प्रतीकात्मक अर्थ है- अपने मोह-माया, अहंकार और सांसारिक वासनाओं का नाश करना। कबीर कहते हैं कि मैंने ज्ञान की मशाल से अपना अज्ञान नष्ट कर दिया है और अब मैं दूसरों को भी इसी मार्ग पर ले जाने के लिए तैयार हूँ।
5. प्रश्न-उत्तर (Subjective Q&A)
A. लघु उत्तरीय (Short Answer - 30-40 Words)
प्रश्न 1: कबीर ने 'दीपक' और 'अँधियारा' का प्रयोग किसके प्रतीक के रूप में किया है?
उत्तर: कबीर ने 'दीपक' का प्रयोग 'ज्ञान' या 'ईश्वर' के प्रतीक के रूप में और 'अँधियारा' का प्रयोग 'अज्ञान' या 'अहंकार' के प्रतीक के रूप में किया है। ज्ञान का प्रकाश होते ही अज्ञान का अंधकार मिट जाता है।
प्रश्न 2: संसार में सुखी कौन है और दुखी कौन? (कबीर के अनुसार)
उत्तर: कबीर के अनुसार, संसार के वे लोग सुखी हैं जो अज्ञान में जी रहे हैं, खाते हैं और सोते हैं। दुखी स्वयं कबीर (ज्ञानी) हैं, जो ईश्वर के वियोग और संसार की नश्वरता को देखकर जागते हैं और रोते हैं।
प्रश्न 3: "ऐसी बाँणी बोलिये, मन का आपा खोइ" - यहाँ 'आपा' खोने का क्या अर्थ है?
उत्तर: यहाँ 'आपा' खोने का अर्थ है 'अहंकार' (Ego) का त्याग करना। कबीर कहते हैं कि जब व्यक्ति अपने 'मैं' भाव को त्यागकर विनम्रता से बोलता है, तभी उसकी वाणी प्रभावशाली और सुखदायी होती है।
B. दीर्घ उत्तरीय/मूल्यपरक (Long/Value-Based - 100 Words)
प्रश्न 1: कबीर की साखियाँ आधुनिक जीवन में कितनी प्रासंगिक हैं? 'निंदक नेड़ा राखिये' और 'ऐसी बाँणी बोलिये' के संदर्भ में विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर: कबीर की साखियाँ आज के तनावपूर्ण और असहिष्णु समाज में अत्यंत प्रासंगिक हैं। 'ऐसी बाँणी बोलिये' हमें सिखाती है कि मृदुभाषी होकर हम कई विवादों को सुलझा सकते हैं और मानसिक शांति पा सकते हैं। 'निंदक नेड़ा राखिये' हमें सहनशीलता और आत्म-सुधार का पाठ पढ़ाती है। आज हम आलोचना बर्दाश्त नहीं कर पाते, जिससे रिश्ते टूटते हैं। कबीर का यह संदेश कि ईश्वर बाहर नहीं, हमारे भीतर है, धार्मिक कट्टरता और भेदभाव को समाप्त करने में सहायक हो सकता है। उनकी शिक्षाएँ एक बेहतर और शांतिपूर्ण समाज की नींव रखती हैं।
6. व्याकरण (Integrated Grammar)
(Based on Class 10 Hindi Course B - Sparsh Pattern)
प्रश्न 1: पदबंध पहचानिए: "तताँरा की तलवार एक विलक्षण रहस्य थी।" (रेखांकित अंश: तताँरा की तलवार)
उत्तर: संज्ञा पदबंध
प्रश्न 2: पदबंध पहचानिए: "कबीर की साखियाँ बहुत ज्ञानवर्धक और नीतिपरक हैं।" (रेखांकित अंश: बहुत ज्ञानवर्धक और नीतिपरक)
उत्तर: विशेषण पदबंध
प्रश्न 3: समास विग्रह कीजिए: "पीतांबर"
उत्तर: पीत (पीला) है अंबर (वस्त्र) जिसका (अर्थात् श्री कृष्ण) - बहुव्रीहि समास
7. सामान्य त्रुटियाँ (Common Student Errors)
कस्तूरी का अर्थ:
त्रुटि: छात्र अक्सर 'कस्तूरी' को कोई जगह या जानवर समझ लेते हैं।
सुधार: 'कस्तूरी' एक सुगंधित पदार्थ है जो केवल नर मृग की नाभि में पाया जाता है।
'घर जाल्या' का शाब्दिक अर्थ:
त्रुटि: छात्र लिखते हैं कि कबीर ने अपना भौतिक घर (House) जला दिया।
सुधार: यहाँ 'घर' का अर्थ मन के विकार, मोह-माया और अहंकार है। इसे जलाना मतलब इनका त्याग करना है, न कि ईंट-पत्थर के घर को जलाना।
End
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