1.10. ठेस - Thes - Class 10 - Lokbharati
- Nov 6
- 9 min read
Updated: Nov 13

पाठ का प्रकार: गद्य (आंचलिक कहानी)
पाठ का शीर्षक: ठेस
लेखक/कवि का नाम: फणीश्वरनाथ 'रेणु'
सारांश (Bilingual Summary)
हिन्दी: सिरचन गाँव का एक कुशल कारीगर है, जिसे अब लोग 'बेकार' और 'बेगार' समझते हैं। एक समय था जब उसकी बहुत पूछ थी, लेकिन अब लोग उसे कामचोर और चटोर समझते हैं। लेखक की छोटी बहन मानू के ससुराल से फैशनेबल चिक और शीतलपाटी की माँग आती है, जिसके लिए सिरचन को बुलाया जाता है। सिरचन काम में मगन रहता है, लेकिन उसे खाने के लिए रूखा-सूखा कलेवा दिया जाता है और मंझली भाभी व चाची उसे अपमानित करती हैं। उसके स्वाभिमान को 'ठेस' लगती है और वह काम अधूरा छोड़कर चला जाता है। जब मानू ससुराल जाने के लिए स्टेशन पहुँचती है, तो सिरचन वहाँ दौड़ता हुआ आता है। वह मानू को उपहार में अपनी तरफ से बनाई चिक, शीतलपाटी और आसनी देता है और उनके दाम लेने से इंकार कर देता है। सिरचन का यह स्नेह देखकर मानू फूट-फूटकर रो पड़ती है।
English: Sirchan is a skilled artisan in the village, whom people now consider 'useless' and 'forced labor'. There was a time when he was highly sought after, but now people see him as a shirker and a foodie. A demand for fashionable 'chiks' (curtains) and 'sheetalpatis' (mats) comes from the in-laws of the author's youngest sister, Manoo, for which Sirchan is hired. Sirchan gets deeply engrossed in his work, but he is given dry food for breakfast, and the middle sister-in-law (Manjhi Bhabhi) and aunt (Chachi) insult him. His self-respect is 'hurt', and he leaves the work unfinished. When Manoo reaches the station to leave for her in-laws' house, Sirchan comes running. He gives Manoo his own handmade chik, sheetalpati, and a mat as a gift and refuses to take any money for them. Seeing this affection from Sirchan, Manoo bursts into tears.
केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)
हिन्दी: यह एक आंचलिक कहानी है जो बिहार के ग्रामीण जीवन पर आधारित है। इस कहानी का केंद्रीय भाव एक ग्रामीण कारीगर (सिरचन) के स्वाभिमान और उसकी संवेदनशीलता को दर्शाना है। यह कहानी बताती है कि कैसे आधुनिकीकरण और समय के साथ कुशल कारीगरों का महत्व कम हो गया है और लोग उन्हें 'बेकाम' समझने लगे हैं। यह कहानी स्पष्ट करती है कि एक कलाकार भोजन का अपमान या मेहनत का कम मेहनताना सह सकता है, लेकिन वह अपने स्वाभिमान पर लगी 'ठेस' (अपमानजनक बातें) बर्दाश्त नहीं कर सकता।
English: This is a regional story based on the rural life of Bihar. The central theme of this story is to depict the self-respect and sensitivity of a village artisan, Sirchan. It shows how, with modernization and time, the value of skilled artisans has diminished, and people have begun to consider them 'useless'. The story clarifies that an artist might tolerate bad food or low wages, but he cannot bear a 'wound' (insulting words) to his self-respect.
पात्रों का चरित्र-चित्रण (Bilingual Character Sketch)
सिरचन:
हिन्दी: सिरचन गाँव का एक अत्यंत कुशल कारीगर है, जो शीतलपाटी, चिक, मोढ़े आदि बनाना जानता है। वह अपने काम में पूरी तन्मयता से डूब जाता है। वह 'मुँहजोर' (स्पष्टवादी) है, लेकिन 'कामचोर' नहीं। वह अत्यंत स्वाभिमानी है और अपमानजनक बातें बर्दाश्त नहीं कर सकता। वह 'चटोर' (खाने का शौकीन) भी है। वह एक संवेदनशील कलाकार है जिसे चाची और मंझली भाभी की बातों से 'ठेस' लगती है, लेकिन उसका हृदय कोमल है, जो मानू के लिए मुफ्त उपहार लाने से पता चलता है।
English: Sirchan is a highly skilled village artisan who knows how to make sheetalpati, chik, modhe, etc. He gets completely absorbed in his work. He is 'outspoken' (munhzor) but not a 'shirker' (kaamchor). He is extremely self-respecting and cannot tolerate insulting words. He is also a 'foodie' (chator). He is a sensitive artist who gets 'hurt' by the words of the aunt and middle sister-in-law, but he is kind-hearted, as shown by his bringing free gifts for Manoo.
मानू:
हिन्दी: वह लेखक की सबसे छोटी बहन है जो पहली बार ससुराल जा रही है। वह एक समझदार, स्नेही और शांत स्वभाव की लड़की है। वह सिरचन के स्वाभिमान को समझती है, इसीलिए चुपके से उसे पान देती है और दूसरों की बातों पर ध्यान न देने को कहती है। अंत में सिरचन का उपहार और स्नेह देखकर वह भावुक होकर फूट-फूटकर रो पड़ती है।
English: She is the author's youngest sister, going to her in-laws' home for the first time. She is an understanding, affectionate, and calm-natured girl. She understands Sirchan's self-respect, which is why she secretly gives him 'paan' and tells him to ignore what others say. In the end, seeing Sirchan's gift and affection, she becomes emotional and bursts into tears.
मंझली भाभी और चाची:
हिन्दी: ये दोनों घर की वे महिलाएँ हैं जो सिरचन के प्रति द्वेष और तिरस्कार का भाव रखती हैं। मंझली भाभी व्यंग्य करती है ("मोहर छापवाली धोती") और सिरचन को बुंदिया फेंककर देती है। चाची सिरचन से जली-भुनी रहती है और उसे 'चटोर' कहकर उसकी जीभ में आग लगने का अपमानजनक ताना देती है, जिससे सिरचन को गहरी ठेस पहुँचती है।
English: They are the women of the house who hold malice and contempt for Sirchan. Manjhi Bhabhi (middle sister-in-law) uses sarcasm ("mohar chhaap wali dhoti") and throws the bundiya at Sirchan. Chachi (aunt) is spiteful towards him and insults him by calling him a 'foodie' and cursing his 'greedy tongue', which deeply hurts Sirchan.
शब्दार्थ (Glossary)
शब्द (Word) | पर्यायवाची शब्द (Synonym) | विलोम शब्द (Antonym) |
बेगार | बिना मजदूरी दिए काम | मजदूरी, सवेतन |
मड़ैया | झोंपड़ी | महल, हवेली |
चिक | बाँस की तीलियों का परदा | - |
मोथी | एक प्रकार की घास | - |
शीतलपाटी | चटाई | - |
मूँज | एक प्रकार की घास | - |
कलेवा | नाश्ता | रात्रिभोज |
स्वाभिमान | आत्म-सम्मान | निरादर, अपमान |
तन्मयता | एकाग्रता | चंचलता |
चटोर | खाने का शौकीन | अल्पाहारी |
सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)
कथन १: गाँव के किसान सिरचन को बहुत मेहनती समझते थे।
उत्तर: गलत। कारण, लोग उसको "बेकार ही नहीं, 'बेगार' समझते हैं।"
कथन २: सिरचन काम में बाधा पड़ने पर गेहुँअन साँप की तरह फुफकार उठता था।
उत्तर: सही। कारण, "काम करते समय उसकी तन्मयता में जरा भी बाधा पड़ी कि गेहुँअन साँप की तरह फुफकार उठता।"
कथन ३: सिरचन को 'मोहर छापवाली धोती' मंझली भाभी ने देने का वादा किया था।
उत्तर: गलत। कारण, माँ ने कहा था, "देखो सिरचन! इस बार नई धोती दूँगी; असली मोहर छापवाली धोती।"
कथन ४: मानू ने सिरचन को पान और गमकौआ जर्दा दिया था।
उत्तर: गलत। कारण, मानू ने चुपके से पान का एक बीड़ा सिरचन को दिया था, लेकिन जर्दा सिरचन ने चाची से माँगा था।
कथन ५: सिरचन ने स्टेशन पर मानू से चिक और शीतलपाटी का दाम ले लिया।
उत्तर: गलत। कारण, जब मानू दाम निकालने लगी तो "सिरचन ने जीभ को दाँत से काटकर, दोनों हाथ जोड़ दिए।"
स्वमत (Personal Opinion)
प्रश्न १: "कलाकार के दिल में ठेस लगी है।" - इस बात से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: "कलाकार के दिल में ठेस लगी है" का अर्थ है कि कलाकार के स्वाभिमान को गहरी चोट पहुँची है। सिरचन जैसे कलाकार पैसे से ज्यादा सम्मान के भूखे होते हैं। जब मंझली भाभी और चाची ने उसे रूखा-सूखा खाना दिया, व्यंग्य किया और 'चटोर' कहकर अपमानित किया, तो यह अपमान उसे एक घाव की तरह महसूस हुआ। यह 'ठेस' उसके कलाकार मन को इतनी गहराई से चुभी कि उसने काम अधूरा छोड़ दिया।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: स्वाभिमान, आत्म-सम्मान, अपमान, संवेदनशीलता, कलाकार का मन, सम्मान का भूखा।
प्रश्न २: आपके विचार में सिरचन 'मुँहजोर' था या 'स्वाभिमानी'? कारण सहित लिखिए।
उत्तर: मेरे विचार में सिरचन 'स्वाभिमानी' था, 'मुँहजोर' नहीं। वह अपने काम को पूरी लगन से करता था और बदले में सिर्फ अच्छा भोजन और सम्मान चाहता था। जब पंचानंद चौधरी के घर या भज्जू महाजन के घर उसे अपमानित करने का प्रयास किया गया, तो उसने जो जवाब दिया वह उसकी स्पष्टवादिता थी, बदतमीजी नहीं। वह 'मुँहजोर' तब लगता था जब कोई उसके स्वाभिमान पर हमला करता था। वह 'कामचोर' नहीं था, बल्कि सम्मान न मिलने पर काम छोड़ने वाला एक स्वाभिमानी कलाकार था।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: स्वाभिमानी, आत्म-सम्मान, स्पष्टवादी, कामचोर नहीं, सम्मान, कारीगर।
प्रश्न ३: सिरचन द्वारा स्टेशन पर मानू को उपहार देने की घटना उसकी कौन-सी विशेषता बताती है?
उत्तर: यह घटना सिरचन के चरित्र की कई विशेषताएँ बताती है। यह दिखाती है कि वह स्वाभिमानी होने के साथ-साथ अत्यंत स्नेही और कोमल हृदय का व्यक्ति है। भले ही उसे घर में अपमान मिला, लेकिन उसने मानू के प्रति अपना स्नेह कम नहीं किया। यह उसकी 'कलाकार' वाली विशेषता को भी दर्शाता है, जो अपनी कला का मूल्य पैसे से नहीं आँकता। उसने मानू के लिए वे चीजें (चिक, शीतलपाटी) बिना किसी मजदूरी के, दिल से बनाईं और उसे 'उपहार' स्वरूप भेंट कर दिया।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: स्नेही, कोमल हृदय, स्वाभिमानी, कला का सम्मान, निस्वार्थ, कलाकार।
प्रश्न ४: "बड़े लोगों की बस बात ही बड़ी होती है।" - सिरचन के इस कथन का क्या आशय है?
उत्तर: सिरचन के इस कथन का आशय है कि गाँव के अमीर या 'बड़े' लोग बातें तो बड़ी-बड़ी करते हैं, लेकिन जब काम के बदले उचित मेहनताना या सम्मान देने की बात आती है, तो वे कंजूसी दिखाते हैं। भज्जू महाजन की बेटी के प्रसंग में, वे सिरचन से बेहतरीन काम तो चाहते थे, लेकिन बदले में सिर्फ 'खेसारी का सत्तू' दे रहे थे। यह कथन अमीर लोगों के दोहरे चरित्र और कंजूसी पर एक गहरा व्यंग्य है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: व्यंग्य, कंजूसी, दोहरा चरित्र, अमीर लोग, मेहनताना, सम्मान न देना।
प्रश्न ५: मंझली भाभी और चाची का सिरचन के प्रति व्यवहार क्या दर्शाता है?
उत्तर: मंझली भाभी और चाची का व्यवहार उनकी संकीर्ण मानसिकता, घमंड और एक गरीब कारीगर के प्रति तिरस्कार की भावना को दर्शाता है। वे सिरचन की कला का मूल्य नहीं समझतीं, बल्कि उसे केवल एक 'बेगार' और 'चटोर' नौकर समझती हैं। बुंदिया फेंककर देना और 'बढ़ी हुई जीभ में आग लगे' जैसे अपमानजनक शब्द कहना, उनकी असंवेदनशीलता और अमानवीय व्यवहार को दिखाता है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: संकीर्ण मानसिकता, घमंड, तिरस्कार, असंवेदनशीलता, अमानवीय व्यवहार, कारीगर का अपमान।
पिछली बोर्ड परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्न (Previous Years' Board Questions)
प्रश्न १: सिरचन को लोग 'बेकार' और 'बेगार' क्यों समझते थे?
उत्तर: खेती-बारी के समय में सिरचन की गिनती नहीं होती थी क्योंकि वह काम पर धीरे-धीरे और अपनी गति से आता था। जब तक वह पगडंडी पर तौल-तौलकर पाँव रखता हुआ खेत पहुँचता, तब तक दूसरे मजदूर एक-तिहाई काम कर चुके होते थे। लोग सोचते थे कि उसे बुलाकर मुफ्त में मजदूरी देनी होगी, इसीलिए उसे 'बेकार' और 'बेगार' समझते थे।
प्रश्न २: सिरचन को खाने-पीने की किन चीजों का शौक था?
उत्तर: सिरचन 'चटोर' था। उसे खाने-पीने में चिकनाई पसंद थी। उसे तली-बघारी हुई तरकारी, दही की कढ़ी और मलाईवाला दूध बहुत पसंद था। इसके अलावा, उसे घी की खखोरन के साथ चूड़ा खाना भी बहुत पसंद था।
प्रश्न ३: सिरचन काम अधूरा छोड़कर क्यों चला गया?
उत्तर: सिरचन काम अधूरा छोड़कर इसलिए चला गया क्योंकि उसके स्वाभिमान को गहरी 'ठेस' पहुँची थी। पहले उसे कलेवे में सिर्फ चिउरा और गुड़ दिया गया। जब मंझली भाभी ने बुंदिया दी भी, तो सूप में फेंककर दी। अंत में, जब सिरचन ने चाची से गमकौआ जर्दा माँगा, तो चाची ने झनकती हुई बोली, "तुम्हारी बढ़ी हुई जीभ में आग लगे... चटोर कहीं के!" यह अपमान सिरचन बर्दाश्त नहीं कर सका और काम छोड़कर चला गया।
प्रश्न ४: मानू को ससुराल में क्या-क्या सामान ले जाना अनिवार्य था?
उत्तर: मानू के दूल्हे ने, जो एक अफसर आदमी था, पहले ही चिट्ठी लिखकर चेतावनी दे दी थी कि मानू के साथ मिठाई की पतीली आए या न आए, लेकिन "तीन जोड़ी फैशनेबल चिक और पटेर की दो शीतलपाटियों" के बिना यदि वह आई तो उसे बैरंग वापस कर दिया जाएगा।
प्रश्न ५: सिरचन ने मानू को क्या-क्या उपहार दिए और उनका मूल्य क्यों नहीं लिया?
उत्तर: सिरचन ने स्टेशन पर मानू को अपनी तरफ से उपहार में शीतलपाटी, चिक और एक जोड़ी कुश की आसनी दी। जब मानू उसे 'मोहर छापवाली धोती' का दाम देने लगी, तो सिरचन ने पैसे लेने से इंकार कर दिया। उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह एक स्वाभिमानी कलाकार था। घर में हुए अपमान के बावजूद वह मानू दीदी से स्नेह रखता था और अपनी कला को 'बेचकर' मानू से अपना संबंध खराब नहीं करना चाहता था। वह उपहार उसने पैसे के लिए नहीं, बल्कि स्नेहवश दिया था।
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