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    2.11. समता की ओर - Samta Ki Ore - Class 10 - Lokbharati

    • 8 minutes ago
    • 9 min read

    पाठ का प्रकार: पद्य (कविता) पाठ का शीर्षक: समता की ओर रचनाकार का नाम: मुकुटधर पांडेय


    सारांश (Bilingual Summary)


    हिन्दी: यह कविता 'समता की ओर' (Towards Equality) समाज में व्याप्त आर्थिक असमानता और प्रकृति के कठोर रूप का चित्रण करती है। कवि मुकुटधर पांडेय ने शिशिर ऋतु (Late Winter) की कड़कड़ाती ठंड का वर्णन करते हुए बताया है कि कैसे यह मौसम गरीबों के लिए कष्टदायी होता है, जबकि अमीरों पर इसका कोई असर नहीं होता। कवि कहते हैं कि शिशिर ऋतु में ठंड के कारण प्रकृति तेजहीन हो गई है और कोहरा छाया हुआ है। रात में गरीब ठिठुर रहे हैं, कुत्ते और सियार रो रहे हैं, लेकिन अमीर अपने गर्म घरों में हलुवा-पूड़ी और दूध-मलाई का आनंद ले रहे हैं। अमीरों के पास शाल-दुशाले हैं, जबकि गरीबों के कांपते शरीरों पर बर्फ (पाला) गिर रही है। अंत में, कवि प्रश्न करते हैं कि क्या एक भाई का दूसरे भाई पर कोई अधिकार नहीं है? अर्थात, अमीरों को अपने गरीब भाइयों की मदद करनी चाहिए क्योंकि हम सब एक ही ईश्वर और प्रकृति की संतान हैं।

    English: The poem 'Samta Ki Ore' (Towards Equality) depicts the economic disparity prevailing in society and the harshness of nature. Poet Mukutdhar Pandey describes the biting cold of the Shishir season (Late Winter), illustrating how this weather is painful for the poor while having no negative effect on the rich. The poet says that in Shishir, nature has lost its radiance due to the cold, and fog covers the earth. At night, the poor shiver, and dogs and jackals cry, whereas the rich enjoy delicacies like halwa-puri and milk-cream in their warm homes. The rich have shawls and blankets, while frost falls on the trembling bodies of the poor. Finally, the poet questions if one brother has no right over another. This implies that the rich should help their poor brothers because we are all children of the same God and nature.


    केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)


    हिन्दी: इस कविता का केंद्रीय भाव 'सामाजिक समता' और 'बंधुत्व' है। कवि ने अमीर और गरीब के जीवन शैली में अंतर को स्पष्ट करते हुए अमीरों को संवेदनशील बनने का संदेश दिया है। शिशिर ऋतु के माध्यम से कवि ने यह दिखाया है कि प्राकृतिक आपदाएँ या कठोर मौसम गरीबों को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। कविता का उद्देश्य समाज में समानता लाना और एक-दूसरे के प्रति सहयोग की भावना जगाना है।

    English: The central theme of this poem is 'Social Equality' and 'Brotherhood'. By highlighting the difference in the lifestyles of the rich and the poor, the poet sends a message to the rich to become sensitive. Through the Shishir season, the poet shows that natural calamities or harsh weather affect the poor the most. The aim of the poem is to bring equality to society and awaken a spirit of cooperation towards each other.


    शब्दार्थ (Glossary)


    शब्द (Word)

    पर्यायवाची शब्द (Synonym)

    विलोम शब्द (Antonym)

    हेमंत

    एक ऋतु

    -

    द्युतिहीन

    चमकहीन / निस्तेज

    चमकीला / तेजस्वी

    कुंझटिका

    कोहरा / धुंध

    साफ मौसम

    अवनि

    धरती / पृथ्वी

    अंबर / आकाश

    तुषार

    बर्फ / पाला

    -

    नृप

    राजा / नरेश

    रंक / भिखारी

    पांडुवर्ण

    पीला रंग

    -

    मलीन

    गंदा / धुंधला

    स्वच्छ / साफ

    उदर

    पेट

    -

    श्वान

    कुत्ता

    -

    पंक्तियों का सरल अर्थ लिखें (Simple Meaning of Lines)


    १. बीत गया हेमंत भ्रात... दुख पाते। परिचय: इन पंक्तियों में कवि शिशिर ऋतु के आगमन और उसके प्रभाव का वर्णन कर रहे हैं। सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि हे भाई! हेमंत ऋतु बीत गई है और अब शिशिर ऋतु (कड़ाके की ठंड) आ गई है। ठंड के कारण प्रकृति की चमक खो गई है (द्युतिहीन) और पूरी धरती पर कोहरा (कुंझटिका) छाया हुआ है। तालाबों में कमल के फूलों (पद्मदल) पर बहुत बर्फ (तुषार) गिर रही है, जिससे वे वैसे ही दुखी हो रहे हैं जैसे किसी अन्यायी राजा के दंड से प्रजा दुखी होती है।

    २. निशा काल में लोग... कष्ट कुछ आया। परिचय: यहाँ कवि रात के समय ठंड के भयानक रूप और वातावरण की उदासी का चित्रण करते हैं। सरल अर्थ: रात के समय लोग ठंड से बचने के लिए अपने-अपने घरों में जाकर सो जाते हैं। बाहर केवल कुत्ते (श्वान) और सियार ठंड के मारे चिल्ला-चिल्लाकर रोते हैं। आधी रात को अगर कोई घर से बाहर आंगन में आता है, तो सूनसान आकाश को देखकर उसका मन डर जाता है। तारे धुंधले (मलीन) दिखाई दे रहे हैं और चंद्रमा का रंग पीला (पांडुवर्ण) पड़ गया है, मानो किसी राज्य पर कोई बड़ा राष्ट्रीय संकट आ गया हो।

    ३. धनियों को है मौज... सदा उदासी। परिचय: इन पंक्तियों में कवि अमीर और गरीब की स्थिति की तुलना करते हैं। सरल अर्थ: अमीरों के लिए तो रात-दिन मौज-मस्ती है, उनके तो 'पौ-बारह' (लाभ ही लाभ) हैं। शिशिर ऋतु के सारे दुख केवल दीन-दरिद्रों (गरीबों) के हिस्से में आए हैं। अमीर लोग ताजी मलाई, दूध और हलवा-पूड़ी खा रहे हैं, जबकि गरीबों को सूखी रोटी और सब्जी भी नसीब नहीं होती। अमीर लोग रंगीन और कीमती शाल-दुशाले ओढ़े हुए हैं, लेकिन गरीबों के कांपते हुए शरीरों पर रोज बर्फ (पाला) गिर रही है। अमीर लोग सुविधाओं से भरे सुंदर घरों में रहते हैं, जबकि गरीबों के टूटे-फूटे घरों में हमेशा उदासी छाई रहती है।

    ४. पहले हमें उदर की चिंता... अधिकार नहीं क्या होगा। परिचय: अंतिम पंक्तियों में कवि मनुष्य की प्राचीन स्थिति को याद करते हुए भाईचारे का संदेश देते हैं। सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि प्राचीन काल में हमें पेट भरने (उदर) की इतनी चिंता नहीं सताती थी क्योंकि प्रकृति हमारी माता के समान थी और वह हमारा पालन-पोषण करती थी (कंद-मूल-फल से)। अंत में कवि प्रश्न करते हैं कि क्या एक भाई का दूसरे भाई पर उपकार करना धर्म नहीं है? क्या एक भाई का दूसरे भाई की संपत्ति या सुख पर कोई अधिकार नहीं है? अर्थात, हमें मिल-जुलकर रहना चाहिए और एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।


    सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)


    कथन १: शिशिर ऋतु में प्रकृति बहुत चमकदार और सुंदर हो जाती है। उत्तर: गलत। कारण, कविता में कहा गया है, "प्रकृति हुई द्युतिहीन" अर्थात प्रकृति तेजहीन या चमकहीन हो गई है।

    कथन २: अन्यायी राजा के दंड से लोग सुखी होते हैं। उत्तर: गलत। कारण, कवि ने तुलना की है कि जैसे अन्यायी नृप के दंड से लोग "दुख पाते" हैं, वैसे ही कमल तुषार से दुखी हैं।

    कथन ३: धनियों को शिशिर ऋतु में बहुत कष्ट होता है। उत्तर: गलत। कारण, कविता के अनुसार "धनियों को है मौज रात-दिन", सारे दुख तो दीन-दरिद्रों के मत्थे पड़े हैं।

    कथन ४: गरीबों के घरों में सदा उदासी छाई रहती है। उत्तर: सही। कारण, पंक्ति है "इनके टूटे-फूटे घर में छाई सदा उदासी"।

    कथन ५: कवि के अनुसार एक भाई का दूसरे भाई पर अधिकार होना चाहिए। उत्तर: सही। कारण, कवि अंतिम पंक्ति में पूछते हैं, "भाई पर भाई का कुछ अधिकार नहीं क्या होगा", जिसका अर्थ है कि अधिकार होना चाहिए।


    पद विश्लेषण (Poetry Appreciation)


    रचनाकार का नाम: मुकुटधर पांडेय रचना का प्रकार: नई कविता (छायावाद के पूर्व की खड़ी बोली कविता)

    पसंदीदा पंक्ति

    पसंदीदा होने का कारण

    रचना से प्राप्त संदेश

    धनियों को है मौज रात-दिन... दीन दरिद्रों के मत्थे ही पड़े शिशिर दुख सारे

    यह पंक्ति समाज की कड़वी सच्चाई को बहुत स्पष्ट रूप से सामने लाती है कि कैसे अमीरों और गरीबों के लिए एक ही मौसम अलग-अलग अनुभव लाता है।

    समाज में संसाधनों का असमान वितरण है, जिसे कम किया जाना चाहिए।

    अन्यायी नृप के दंडों से यथा लोग दुख पाते

    इसमें उपमा अलंकार का बहुत सुंदर प्रयोग किया गया है जो प्राकृतिक आपदा की तुलना मानवीय अन्याय से करता है।

    अनियंत्रित शक्ति या कठोर प्रकृति हमेशा कमजोरों को ही कष्ट देती है।

    वे सुख से रंगीन कीमती ओढ़ें शाल-दुशाले, पर इनके कंपित बदनों पर गिरते हैं नित पाले

    यह विरोधाभास (Contrast) अमीर और गरीब की स्थिति को बहुत मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करता है।

    हमें अपने आसपास के अभावग्रस्त लोगों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।

    माता सम थी प्रकृति हमारी पालन करती जाती

    यह पंक्ति हमें उस समय की याद दिलाती है जब मनुष्य प्रकृति के करीब था और संतुष्ट था।

    प्रकृति हमारी पालक है, हमें उसका सम्मान और संरक्षण करना चाहिए।

    हमको भाई का करना उपकार नहीं क्या होगा

    यह एक प्रश्नवाचक पंक्ति है जो सीधे पाठक की अंतरात्मा को झकझोरती है और मानवता का पाठ पढ़ाती है।

    मनुष्यता ही सबसे बड़ा धर्म है और हमें एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिए।

    स्वमत (Personal Opinion)


    प्रश्न १: "विश्वबंधुत्व" (Universal Brotherhood) वर्तमान युग की मांग है, इस पर अपने विचार लिखिए। उत्तर: आज की दुनिया में तकनीक ने दूरियाँ कम कर दी हैं, लेकिन दिलों की दूरियाँ बढ़ गई हैं। युद्ध, आतंकवाद और असमानता जैसी समस्याओं का समाधान केवल 'विश्वबंधुत्व' की भावना से ही संभव है। जैसा कि कविता में कवि ने पूछा है, "भाई पर भाई का कुछ अधिकार नहीं क्या होगा?", यह प्रश्न आज पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक है। जब हम पूरे विश्व को एक परिवार (वसुधैव कुटुम्बकम) मानेंगे, तभी हम एक-दूसरे के सुख-दुख को समझ सकेंगे और शांति से रह सकेंगे। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: तकनीक, दूरियाँ, आतंकवाद, असमानता, समाधान, प्रासंगिक, वसुधैव कुटुम्बकम, शांति।

    प्रश्न २: ऋतु परिवर्तन का जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तर: ऋतु परिवर्तन का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हर ऋतु अपने साथ कुछ बदलाव लाती है। वसंत में मन प्रसन्न होता है, तो ग्रीष्म में गर्मी से बेहाल। जैसा कि इस कविता में 'शिशिर' ऋतु का वर्णन है, अत्यधिक ठंड या गर्मी हमेशा गरीबों के लिए मुसीबत बनती है जिनके पास सुरक्षा के साधन नहीं होते। अमीरों के लिए मौसम का बदलना केवल कपड़ों या भोजन का बदलना हो सकता है, लेकिन गरीबों के लिए यह अस्तित्व का संघर्ष बन जाता है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: गहरा प्रभाव, बदलाव, प्रसन्नता, सुरक्षा के साधन, मुसीबत, अस्तित्व का संघर्ष, संवेदनशीलता।

    प्रश्न ३: समाज में आर्थिक असमानता (Economic Inequality) को दूर करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं? उत्तर: आर्थिक असमानता को पूरी तरह मिटाना कठिन है, लेकिन इसे कम किया जा सकता है। सबसे पहले, शिक्षा का प्रसार होना चाहिए ताकि हर व्यक्ति को रोजगार के समान अवसर मिलें। सरकार को गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ चलानी चाहिए। अमीरों को अपनी आय का एक हिस्सा समाज सेवा में देना चाहिए (दान या टैक्स के माध्यम से)। सबसे महत्वपूर्ण है 'सहानुभूति' का दृष्टिकोण—हमें गरीबों को बोझ नहीं, बल्कि अपना भाई समझना चाहिए और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करनी चाहिए। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: शिक्षा का प्रसार, समान अवसर, कल्याणकारी योजनाएँ, समाज सेवा, सहानुभूति, दृष्टिकोण, सहयोग।

    प्रश्न ४: प्रकृति और मानव के बदलते रिश्तों पर टिप्पणी कीजिए। उत्तर: प्राचीन काल में प्रकृति और मानव का रिश्ता माँ और बेटे जैसा था। कविता में कहा गया है, "माता सम थी प्रकृति हमारी पालन करती जाती"। मनुष्य अपनी जरूरतों के लिए प्रकृति पर निर्भर था और उसका सम्मान करता था। लेकिन आज, विकास की दौड़ में मनुष्य ने प्रकृति का दोहन शुरू कर दिया है। जंगल कट रहे हैं और नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं। इसका परिणाम हमें ग्लोबल वार्मिंग और मौसम के असंतुलन के रूप में मिल रहा है। हमें फिर से प्रकृति के प्रति सम्मान का भाव जगाना होगा। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: माँ-बेटे का रिश्ता, निर्भरता, सम्मान, दोहन, प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, असंतुलन, संरक्षण।

    प्रश्न ५: "दीन-दुखियों की सेवा ही सच्ची ईश्वर सेवा है" - स्पष्ट करें। उत्तर: सभी धर्मों का सार यही है कि मानव सेवा ही माधव सेवा है। मंदिर-मस्जिद में जाकर पूजा करने से ईश्वर उतना प्रसन्न नहीं होता जितना किसी भूखे को खाना खिलाने या ठिठुरते को कपड़ा देने से। कविता का संदेश भी यही है कि "भाई का करना उपकार"। जब हम किसी जरूरतमंद के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं, तो हमें जो आत्म-संतोष मिलता है, वही सच्चा पुण्य है। समाज के सक्षम लोगों को आगे आकर दीन-दुखियों की पीड़ा को कम करने का प्रयास करना चाहिए। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: मानव सेवा, माधव सेवा, सार, आत्म-संतोष, सच्चा पुण्य, सक्षम लोग, पीड़ा, प्रयास।


    पिछली बोर्ड परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्न (Previous Years' Board Questions)


    प्रश्न १: कृति पूर्ण कीजिए: शिशिर ऋतु में हुए परिवर्तन (प्रकृति में और धरती पर)। उत्तर:

    • प्रकृति में: प्रकृति द्युतिहीन (तेजहीन) हो गई है।

    • धरती पर: अवनि (धरती) में कुंझटिका (कोहरा) छा गई है और खूब तुषार (पाला) पड़ रहा है।

    प्रश्न २: तालिका पूर्ण कीजिए: ऋतुएँ और उनके अंग्रेजी/हिंदी माह। उत्तर: | ऋतुएँ | अंग्रेजी माह | हिंदी माह | | :--- | :--- | :--- | | १. वसंत | मार्च, अप्रैल | चैत्र, बैसाख | | २. ग्रीष्म | मई, जून | ज्येष्ठ, आषाढ़ | | ३. वर्षा | जुलाई, अगस्त | श्रावण, भाद्रपद | | ४. शरद | सितंबर, अक्टूबर | आश्विन, कार्तिक | | ५. हेमंत | नवंबर, दिसंबर | मार्गशीर्ष, पौष | | ६. शिशिर | जनवरी, फरवरी | माघ, फाल्गुन |

    प्रश्न ३: जीवन शैली में अंतर स्पष्ट कीजिए: धनी और दीन-दरिद्र। उत्तर:

    • धनी (Rich): हलुवा-पूड़ी, दूध-मलाई खाते हैं; रंगीन कीमती शाल-दुशाले ओढ़ते हैं; सुघर (सुंदर) पक्के घरों में रहते हैं।

    • दीन-दरिद्र (Poor): सूखी रोटी और भाजी भी नहीं मिलती; कंपित बदनों पर पाले गिरते हैं; टूटे-फूटे घरों में उदासी छाई रहती है।

    प्रश्न ४: अंतिम दो पंक्तियों से मिलने वाला संदेश लिखिए। उत्तर: अंतिम दो पंक्तियों का संदेश यह है कि मनुष्य को स्वार्थ त्यागकर परोपकार की भावना अपनानी चाहिए। सभी मनुष्य एक ही ईश्वर की संतान होने के नाते भाई-भाई हैं, इसलिए एक भाई (समर्थ व्यक्ति) का यह कर्तव्य और अधिकार है कि वह दूसरे भाई (असमर्थ व्यक्ति) की मदद करे। यह पंक्तियाँ सामाजिक समानता और बंधुत्व की प्रेरणा देती हैं।

    प्रश्न ५: शब्द के अर्थ लिखिए: 'द्युतिहीन' और 'अवनि'। उत्तर:

    • द्युतिहीन: तेजहीन / चमक रहित / कांतिहीन।

    • अवनि: धरती / पृथ्वी।


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