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    2.8. अपनी गंध नहीं बेचूँगा - Apni Gandh Nahi Bechunga - Class 10 - Lokbharati

    • 19 minutes ago
    • 8 min read

    पाठ का प्रकार: पद्य (गीत)

    पाठ का शीर्षक: अपनी गंध नहीं बेचूँगा

    रचनाकार का नाम: बालकवि बैरागी

    सारांश (Bilingual Summary)


    हिन्दी: यह गीत एक फूल के माध्यम से स्वाभिमान और खुद्दारी का संदेश देता है। फूल अपनी सुगंध (गंध) को अपना संस्कार मानता है और कसम खाता है कि चाहे पूरी दुनिया या उपवन बिक जाए, वह अपनी गंध नहीं बेचेगा।

    फूल उन प्राकृतिक तत्वों (डाली, कोंपल, कांटे) के प्रति कृतज्ञ है जिन्होंने उसे पाला-पोसा और रक्षा की। वह कहता है कि उसे तोड़ने का हक केवल उनका है, न कि बाज़ार में बोली लगाने वालों का। फूल मौसम के बदलने या 'पिचकारी के जादू-टोने' (लालच) से प्रभावित नहीं होता। उसे अपना अंत पता है कि वह एक दिन झड़ जाएगा, लेकिन वह बिकने के बजाय अपनी ही मिट्टी में मिल जाना पसंद करता है। वह मरने से पहले हवा के साथ हर घर तक अपनी खुशबू पहुँचाना चाहता है।

    English: This song conveys a message of self-respect and dignity through a flower. The flower considers its fragrance (scent) as its core value (sanskar) and swears that even if the whole world or garden is sold, it will never sell its scent.

    The flower is grateful to the natural elements (branch, bud, thorns) that nurtured and protected it. It asserts that only they have the right to pluck it, not the bidders in the market. The flower remains unaffected by changing seasons or temptations. It knows its end is near (it will wither), but it prefers to die and return to its own soil rather than being sold. Before dying, it wishes to spread its fragrance to every home with the wind.


    केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)


    हिन्दी:

    इस कविता का केंद्रीय भाव 'स्वाभिमान' और 'कृतज्ञता' है। कवि ने फूल के माध्यम से मनुष्य को यह संदेश दिया है कि उसे किसी भी परिस्थिति में, चाहे वह कितना भी बड़ा प्रलोभन (लालच) क्यों न हो, अपने आत्म-सम्मान और सिद्धांतों (गंध) का सौदा नहीं करना चाहिए। जिस मिट्टी और परिवेश ने हमें गढ़ा है, हमें उसके प्रति वफादार रहना चाहिए।

    English:

    The central theme of this poem is 'Self-respect' and 'Gratitude'. Through the flower, the poet conveys the message that humans should not compromise their self-respect and principles (scent) under any circumstances or temptation. We must remain loyal to the soil and environment that nurtured us.


    शब्दार्थ (Glossary)


    शब्द (Word)

    पर्यायवाची शब्द (Synonym)

    विलोम शब्द (Antonym)

    सुमन

    फूल / पुष्प

    काँटा / कंटक

    उपवन

    बगीचा / बाग

    वीराना / मरुस्थल

    अरुणाई

    लालिमा / लाली

    कालिमा

    अनुबंध

    समझौता / बंधन

    मुक्ति / विच्छेद

    प्रतिबंध

    रुकावट / रोक

    छूट / स्वतंत्रता

    सौगंध

    कसम / शपथ

    -

    मोल

    कीमत / दाम

    अनमोल

    खुद्दारी

    स्वाभिमान / आत्म-सम्मान

    चापलूसी / दासता

    माटी

    मिट्टी / मृदा

    -

    दाता

    देने वाला

    याचक / लेने वाला

    पंक्तियों का सरल अर्थ लिखें (Simple Meaning of Lines)


    १. चाहे सभी सुमन बिक जाएँ... वो सौगंध नहीं बेचूँगा।

    परिचय: इन पंक्तियों में फूल अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा व्यक्त करता है कि वह किसी भी हाल में अपनी पहचान नहीं खोएगा।

    सरल अर्थ: फूल कहता है कि चाहे बगीचे के सारे फूल बिक जाएँ, पूरा उपवन बिक जाए, या सालों साल (सौ फागुन) बीत जाएँ, मैं अपनी सुगंध नहीं बेचूँगा। जिस डाली ने मुझे गोद में खिलाया, जिस कली ने मुझे शुरुआती लालिमा दी और जिन काँटों ने लक्ष्मण की तरह पहरा देकर मेरी जान बचाई, मुझे तोड़ने का पहला अधिकार उन्हीं का है। चाहे वे मुझे तोड़ें या नोचें, या कोई मालिन मेरा रिश्ता किसी से भी जोड़े, लेकिन हे मेरा मोल लगाने वालो! तुम मुझे नहीं खरीद सकते। यह गंध मेरा संस्कार है और मैं अपनी यह कसम नहीं तोड़ूँगा।

    २. मौसम से क्या लेना मुझको... वो अनुबंध नहीं बेचूँगा।

    परिचय: यहाँ फूल स्पष्ट करता है कि उस पर बाहरी परिस्थितियों या बाज़ार के लालच का कोई असर नहीं होगा।

    सरल अर्थ: फूल कहता है कि मुझे मौसम के आने-जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता। कोई देने वाला (दाता) दे या खाने वाला खाए, मुझे उससे क्या? भँवरों के कोमल गीत हों या पतझड़ का रोना-धोना, मुझ पर इनका कोई असर नहीं होगा। मुझ पर किसी बनावटी सजावट (पिचकारी का जादू-टोना) का भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। हे मेरी नीलामी करने वालो और पल-पल मेरा दाम बढ़ाने वालो! सुन लो, मैंने खुद से जो वादा (अनुबंध) किया है, मैं उसे नहीं बेचूँगा।

    ३. मुझको मेरा अंत पता है... वो प्रतिबंध नहीं बेचूँगा।

    परिचय: अंतिम पंक्तियों में फूल अपनी अंतिम इच्छा और खुद्दारी का परिचय देता है।

    सरल अर्थ: फूल कहता है कि मुझे पता है मेरा अंत निश्चित है, मैं एक-एक पंखुड़ी होकर झड़ जाऊँगा। लेकिन खत्म होने से पहले, मैं हवा (पवन परी) के साथ उड़कर हर किसी के घर जाना चाहता हूँ। मेरी गंध सबके पास जाकर अपनी भूल-चूक की माफी माँगेगी। उस दिन इस बाज़ार (मंडी) को समझ आएगा कि असली स्वाभिमान (खुद्दारी) किसे कहते हैं। मुझे बिकने से बेहतर मर जाना मंजूर है। मैं अपनी ही मिट्टी में झड़कर मिल जाना चाहता हूँ। मेरे मन ने मेरे तन पर जो रोक (प्रतिबंध) लगाई है कि मुझे बिकना नहीं है, मैं उसे कभी नहीं बेचूँगा।


    सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)


    कथन १: फूल को मौसम के बदलने से बहुत फर्क पड़ता है।

    उत्तर: गलत। कारण, फूल कहता है, "मौसम से क्या लेना मुझको ये तो आएगा-जाएगा"।

    कथन २: फूल को तोड़ने का पहला अधिकार उसे पालने वाली डाली और काँटों का है।

    उत्तर: सही। कारण, कविता में लिखा है, "इनको पहिला हक आता है चाहे मुझको नोचें-तोड़ें"।

    कथन ३: फूल बाज़ार में बिककर खुश रहना चाहता है।

    उत्तर: गलत। कारण, फूल स्पष्ट कहता है, "बिकने से बेहतर मर जाऊँ अपनी माटी में झर जाऊँ"।

    कथन ४: फूल अपनी गंध को अपना संस्कार मानता है।

    उत्तर: सही। कारण, पंक्ति है, "जो मेरा संस्कार बन गई वो सौगंध नहीं बेचूँगा"।

    कथन ५: फूल काँटों को अपना दुश्मन मानता है।

    उत्तर: गलत। कारण, वह मानता है कि काँटों ने "लछमन जैसी चौकी देकर" उसकी जान बचाई है।

    पद विश्लेषण (Poetry Appreciation)


    रचनाकार का नाम: बालकवि बैरागी

    रचना का प्रकार: गीत

    पसंदीदा पंक्ति

    पसंदीदा होने का कारण

    रचना से प्राप्त संदेश

    चाहे सभी सुमन बिक जाएँ... पर मैं गंध नहीं बेचूँगा

    यह पंक्ति अटूट स्वाभिमान और दृढ़ निश्चय को दर्शाती है।

    हमें भीड़ का हिस्सा बनने के बजाय अपने सिद्धांतों पर अडिग रहना चाहिए।

    बिकने से बेहतर मर जाऊँ, अपनी माटी में झर जाऊँ

    यह पंक्ति देशप्रेम और अपनी जड़ों के प्रति वफादारी की भावना जगाती है।

    धन के लिए अपनी आत्मा को बेचने से बेहतर है सम्मान के साथ मृत्यु को गले लगाना।

    लछमन जैसी चौकी देकर, जिन काँटों ने जान बचाई

    इसमें 'उपमा अलंकार' का सुंदर प्रयोग है और यह रक्षकों के प्रति कृतज्ञता दिखाता है।

    हमें उन लोगों का हमेशा आभारी रहना चाहिए जिन्होंने कठिन समय में हमारी रक्षा की।

    उस दिन ये मंडी समझेगी, किसको कहते हैं खुद्दारी

    यह पंक्ति बाज़ारवाद और लालच पर करारा व्यंग्य करती है।

    सच्चा धन स्वाभिमान है, जिसे बाज़ार में खरीदा नहीं जा सकता।

    जो मेरा संस्कार बन गई, वो सौगंध नहीं बेचूँगा

    यह पंक्ति बताती है कि हमारे संस्कार ही हमारी असली पहचान हैं।

    हमें अपने संस्कारों और मूल्यों की रक्षा हर कीमत पर करनी चाहिए।

    स्वमत (Personal Opinion)


    प्रश्न १: "स्वाभिमान" (Self-respect) का मानव जीवन में क्या महत्व है?

    उत्तर: स्वाभिमान मनुष्य का सबसे बड़ा आभूषण है। जिस व्यक्ति में स्वाभिमान नहीं होता, वह रीढ़विहीन प्राणी के समान है। कविता में फूल हमें यही सिखाता है कि धन-दौलत या सुख-सुविधाओं के लिए अपने मूल्यों से समझौता नहीं करना चाहिए। स्वाभिमान हमें सिर उठाकर जीने की शक्ति देता है। एक स्वाभिमानी व्यक्ति किसी के अधीन नहीं होता और न ही वह किसी अन्याय को सहता है। "बिकने से बेहतर मर जाऊँ" की भावना ही सच्चे चरित्र का निर्माण करती है।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: आभूषण, रीढ़विहीन, मूल्य, समझौता, सिर उठाकर जीना, अधीनता, चरित्र निर्माण।

    प्रश्न २: हमें अपनी जड़ों (Roots) और पालनहारों के प्रति कृतज्ञ क्यों होना चाहिए?

    उत्तर: जैसे फूल डाली, कोंपल और काँटों का अहसान मानता है, वैसे ही हमें भी अपने माता-पिता, गुरु और समाज के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए। हमारी सफलता के पीछे उनका त्याग और सुरक्षा होती है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अक्सर अपनों को भूल जाते हैं, जो गलत है। कृतज्ञता (Gratitude) एक महान गुण है। जो अपनी जड़ों से जुड़ा रहता है, वही आँधियों में भी खड़ा रह पाता है। जड़ों से कटकर कोई भी वृक्ष (या व्यक्ति) जीवित नहीं रह सकता।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: अहसान, कृतज्ञता, त्याग, सुरक्षा, महान गुण, जड़ें, अस्तित्व।

    प्रश्न ३: "खुद्दारी" और "अहंकार" में क्या अंतर है?

    उत्तर: खुद्दारी (Self-respect) और अहंकार (Ego) में बहुत बारीक अंतर है। खुद्दारी का अर्थ है अपने मूल्यों और सिद्धांतों की रक्षा करना, जैसा कि फूल ने किया। वह अपनी गंध नहीं बेचना चाहता, यह उसकी खुद्दारी है। दूसरी ओर, अहंकार का अर्थ है खुद को दूसरों से श्रेष्ठ समझना और दूसरों को नीचा दिखाना। खुद्दारी में विनम्रता हो सकती है (जैसे फूल अंत में 'माफी' मांगता है), लेकिन अहंकार में केवल घमंड होता है। हमें खुद्दार बनना चाहिए, अहंकारी नहीं।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: बारीक अंतर, सिद्धांत, रक्षा, श्रेष्ठता, विनम्रता, घमंड, संस्कार।

    प्रश्न ४: आज के युग में "हर चीज़ बिकाऊ है" - इस सोच पर अपने विचार लिखें।

    उत्तर: आज का युग बाज़ारवाद का युग है जहाँ माना जाता है कि पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है। लेकिन यह सोच पूरी तरह गलत है। चरित्र, प्रेम, संस्कार और स्वाभिमान ऐसी चीजें हैं जिनका कोई मोल नहीं लगाया जा सकता। कविता में फूल उन लोगों को चुनौती देता है जो "पल-पल दाम बढ़ाते हैं"। यह कविता आज के भौतिकवादी समाज के लिए एक चेतावनी है कि कुछ चीजें "नॉट फॉर सेल" (बिकाऊ नहीं) होनी चाहिए। आत्म-सम्मान उनमें से सबसे ऊपर है।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: बाज़ारवाद, भौतिकवादी समाज, चरित्र, संस्कार, चुनौती, अनमोल, चेतावनी।

    प्रश्न ५: फूल की अंतिम इच्छा क्या है और वह क्या संदेश देती है?

    उत्तर: फूल की अंतिम इच्छा है कि वह मरने से पहले हवा के साथ उड़कर हर घर तक अपनी खुशबू पहुँचाए और अंत में अपनी ही मिट्टी में मिल जाए। यह संदेश देता है कि जीवन का उद्देश्य केवल स्वयं के लिए जीना नहीं, बल्कि परोपकार करना है। मरते दम तक दूसरों को खुशी (सुगंध) देना ही जीवन की सार्थकता है। साथ ही, "अपनी माटी में झर जाऊँ" पंक्ति मातृभूमि के प्रति प्रेम और समर्पण का संदेश देती है।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: अंतिम इच्छा, परोपकार, जीवन का उद्देश्य, सार्थकता, मातृभूमि, समर्पण, खुशबू।


    संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)


    प्रश्न १: फूल किन-किन को अपना गंध नहीं बेचना चाहता?

    उत्तर:

    • बाज़ार में मोल लगाने वालों को।

    • नीलामी करने वालों को।

    • पल-पल दाम बढ़ाने वालों को।

    • मालिन को जो उसका सौदा करती है।

    प्रश्न २: फूल के अनुसार उसे तोड़ने का पहला हक किसे है?

    उत्तर:

    • उस डाली को जिसने उसे गोद में खिलाया।

    • उस कोंपल को जिसने उसे अरुणाई (लाली) दी।

    • उन काँटों को जिन्होंने लक्ष्मण की तरह पहरा देकर उसकी जान बचाई।

    प्रश्न ३: संजाल पूर्ण कीजिए: फूल की विशेषताएँ/प्रतिज्ञाएँ।

    उत्तर:

    • वह अपनी गंध नहीं बेचेगा।

    • उसे मौसम के आने-जाने से फर्क नहीं पड़ता।

    • वह बिकने से बेहतर मर जाना पसंद करता है।

    • वह अपनी मिट्टी में ही मिल जाना चाहता है।

    प्रश्न ४: "दाता होगा तो दे देगा, खाता होगा तो खाएगा" - इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर: इस पंक्ति का आशय यह है कि फूल को इस बात की चिंता नहीं है कि उसका पालन-पोषण कौन कर रहा है या उसका उपभोग कौन करेगा। वह अपनी स्वाभाविक स्थिति में मस्त है। वह न तो किसी दाता (ईश्वर या माली) से अतिरिक्त मांग करता है और न ही किसी उपभोग करने वाले की परवाह करता है। वह अपनी शर्तों पर, अपने स्वाभिमान के साथ जीना चाहता है।

    प्रश्न ५: कविता में आए 'लछमन' और 'पवन परी' शब्दों का संदर्भ लिखिए।

    उत्तर:

    • लछमन (लक्ष्मण): यहाँ काँटों की तुलना रामायण के लक्ष्मण से की गई है, जो अपनी सुरक्षा और पहरेदारी के लिए जाने जाते हैं। काँटों ने भी फूल की वैसी ही रक्षा की है।

    • पवन परी: यहाँ हवा को 'परी' कहा गया है, जिसके साथ उड़कर फूल अपनी सुगंध हर घर तक पहुँचाना चाहता है।

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