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    1.2 - उसी से ठंडा, उसी से गरम - Usi se Thanda, Usi se Garam - Class 8 - Sugambharati

    Updated: 4 days ago

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    पाठ का प्रकार: गद्य (हास्यकथा) पाठ का शीर्षक: उसी से ठंडा, उसी से गरम लेखक/कवि का नाम: डॉ. जाकिर हुसैन


    सारांश (Bilingual Summary)


    हिन्दी: यह एक मनोरंजक कहानी है जिसमें एक लकड़हारा कड़ाके की ठंड में जंगल में लकड़ियाँ काट रहा होता है। ठंड से अपनी उँगलियों को गरमाने के लिए वह बार-बार उन पर फूँक मारता है। उसे ऐसा करते हुए एक छोटा, अँगूठे बराबर का आदमी, 'मियाँ बालिश्तिये' देखता है और हैरान होता है। पूछने पर लकड़हारा बताता है कि वह हाथों को गरम करने के लिए फूँक रहा है। बाद में, लकड़हारा खाना पकाने के लिए आग जलाने हेतु फूँक मारता है और फिर उबले हुए गरम आलू को ठंडा करने के लिए भी फूँक मारता है। एक ही मुँह से गरम और ठंडा करने की क्रिया देखकर मियाँ बालिश्तिये डर जाते हैं। वे लकड़हारे को कोई भूत या जादूगर समझकर काँपते हुए वहाँ से भाग जाते हैं। कहानी इस बात पर समाप्त होती है कि यह साधारण सी बात उन मियाँ बालिश्तिये की नन्हीं-सी खोपड़ी में आने की थी भी नहीं।

    English: This is an entertaining story about a woodcutter who is cutting wood in the forest during the severe cold. To warm his fingers from the cold, he repeatedly blows on them. A tiny, thumb-sized man, 'Miyan Balishtiya', sees him doing this and is surprised. Upon asking, the woodcutter explains that he is blowing to warm his hands. Later, the woodcutter blows to kindle the fire for cooking and then also blows on a hot boiled potato to cool it down. Seeing the act of making things hot and cold from the same mouth, Miyan Balishtiya gets scared. Mistaking the woodcutter for a ghost or a magician, he trembles with fear and runs away from there. The story concludes by stating that this simple fact was beyond the comprehension of the tiny Miyan Balishtiya's small head.


    केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)


    हिन्दी: इस हास्यकथा का केंद्रीय भाव एक साधारण वैज्ञानिक तथ्य को मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत करना है। कहानी यह दर्शाती है कि ज्ञान के अभाव में साधारण घटनाएँ भी किसी के लिए रहस्यमयी और जादुई लग सकती हैं। बालिश्तिये के भोले और अज्ञानी चरित्र के माध्यम से लेखक यह समझाते हैं कि हमारी फूँक किसी वस्तु को गरम या ठंडा कर सकती है, यह उस वस्तु के तापमान पर निर्भर करता है। इसके साथ ही, कहानी यह नैतिक संदेश भी देती है कि हमें किसी अपरिचित को सताना नहीं चाहिए और न ही उसकी हँसी उड़ानी चाहिए, जैसा कि बालिश्तिये के समाज में सभी अच्छे बच्चे करते हैं। यह कहानी हमें अंधविश्वास की जगह जिज्ञासा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करती है।

    English: The central theme of this humorous story is to present a simple scientific fact in an entertaining manner. The story shows that in the absence of knowledge, ordinary events can seem mysterious and magical to someone. Through the naive and ignorant character of the Balishtiya, the author explains that our breath can warm or cool an object depending on the object's temperature. Along with this, the story also gives a moral message that we should not harass a stranger or make fun of them, just as all the good children do in the Balishtiya's community. This story inspires us to adopt curiosity and a scientific perspective instead of superstition.


    पात्रों का चरित्र-चित्रण (Bilingual Character Sketch)


    लकड़हारा:

    हिन्दी:

    • परिश्रमी: वह रोज जंगल में जाकर लकड़ियाँ काटता है और शहर में बेचकर अपना गुजारा करता है।

    • सरल स्वभाव: वह बालिश्तिये के अजीब सवालों का बड़ी सरलता और धैर्य से उत्तर देता है।

    • भला मानस: वह बालिश्तिये जैसे विचित्र प्राणी को देखकर हँसता जरूर है, लेकिन अपनी हँसी रोककर उससे सम्मान से बात करता है।

    • व्यावहारिक: वह ठंड से बचने, आग जलाने और आलू ठंडा करने के लिए अपनी फूँक का व्यावहारिक उपयोग जानता है।

    English:

    • Hardworking: He goes to the forest daily to cut wood and sells it in the city to earn his living.

    • Simple-natured: He answers the Balishtiya's strange questions with great simplicity and patience.

    • A good man: He is amused upon seeing a strange creature like the Balishtiya but controls his laughter and speaks to him respectfully.

    • Practical: He knows the practical use of his breath to escape the cold, kindle a fire, and cool a potato.

    मियाँ बालिश्तिये:

    हिन्दी:

    • छोटे कद का: वह केवल बालिश्त भर का, अँगूठे बराबर का आदमी है।

    • जिज्ञासु: वह लकड़हारे की हरकतों को देखकर बार-बार सवाल पूछने के लिए उसके पास आता है।

    • भोला और अज्ञानी: उसे फूँक से गरम और ठंडा करने के पीछे का विज्ञान समझ नहीं आता।

    • डरपोक: जब उसे कोई बात समझ नहीं आती तो वह लकड़हारे को भूत या जादूगर समझकर डर जाता है और काँपने लगता है।

    English:

    • Short-statured: He is a tiny man, only a span long, the size of a thumb.

    • Curious: Upon seeing the woodcutter's actions, he repeatedly approaches him to ask questions.

    • Naive and Ignorant: He does not understand the science behind warming and cooling with breath.

    • Timid: When he cannot understand something, he gets scared, mistakes the woodcutter for a ghost or magician, and begins to tremble.


    शब्दार्थ (Glossary)


    शब्द (Word)

    पर्यायवाची शब्द (Synonym)

    विलोम शब्द (Antonym)

    ठिठुरना

    काँपना, थरथराना

    -

    सुन्न

    संवेदनहीन, जड़

    सचेत, संवेदनशील

    बालिश्तिया

    बौना, छोटे कद का आदमी

    लंबा, विशालकाय

    ताज्जुब

    आश्चर्य, हैरानी

    -

    हाँड़ी

    छोटा मटका, बर्तन

    -

    रंज

    दुख, खेद

    खुशी, हर्ष

    बला

    आफत, मुसीबत

    -

    जादूगर

    मायावी

    -

    फिक्र

    चिंता, सोच

    निश्चिंतता

    हैरत

    आश्चर्य, विस्मय

    -


    सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)


    कथन १: लकड़हारा अपने हाथों को ठंडा करने के लिए उन पर फूँक मार रहा था। उत्तर: गलत। कारण, लकड़हारे ने जवाब दिया, "मैं मुँह से फूंककर उन्हें जरा गरमा लेता हूँ।"

    कथन २: मियाँ बालिश्तिये लकड़हारे से बहुत लंबे थे। उत्तर: गलत। कारण, पाठ में उन्हें "जरा-से अँगूठे बराबर आदमी" बताया गया है।

    कथन ३: लकड़हारे ने गरम आलू पर उसे और गरम करने के लिए फूँक मारी। उत्तर: गलत। कारण, लकड़हारे ने कहा, "मैं इसे मुँह से फूंककर ठंडा कर रहा हूँ।"

    कथन ४: लकड़हारे की बातें सुनकर मियाँ बालिश्तिये बहुत खुश हुए। उत्तर: गलत। कारण, "यह सुनकर मियाँ बालिश्तिये का मुँह पीला पड़ गया। वे डर के मारे थर-थर काँपने लगे।"

    कथन ५: कहानी गरमी के मौसम में घटित होती है। उत्तर: गलत। कारण, पाठ में स्पष्ट लिखा है, "सरदी का मौसम था। कड़ाके का जाड़ा पड़ रहा था।"


    स्वमत (Personal Opinion)


    प्रश्न १: अंत में मियाँ बालिश्तिये क्यों डर गए? यह डर हमें अज्ञानता के बारे में क्या सिखाता है? उत्तर: अंत में मियाँ बालिश्तिये इसलिए डर गए क्योंकि वे यह समझ नहीं पाए कि एक ही मुँह से कोई चीज ठंडी और गरम दोनों कैसे हो सकती है। उन्हें लगा कि लकड़हारा कोई जादूगर या भूत-प्रेत है। यह डर हमें सिखाता है कि अज्ञानता ही अक्सर हमारे डर का मूल कारण होती है। जब हम किसी चीज के पीछे के कारण या विज्ञान को नहीं समझते, तो हम उससे डरने लगते हैं और उसे कोई दैवीय या बुरी शक्ति मान लेते हैं। ज्ञान हमारे मन से ऐसे अंधविश्वासों और डरों को दूर करता है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: अज्ञानता, डर, अंधविश्वास, विज्ञान, समझ, तर्क, ज्ञान, रहस्य।

    प्रश्न २: लकड़हारे ने बालिश्तिये के साथ कैसा व्यवहार किया? इससे हमें क्या सीख मिलती है? उत्तर: लकड़हारे ने बालिश्तिये के साथ बहुत अच्छा और सम्मानजनक व्यवहार किया। बालिश्तिये के विचित्र रूप को देखकर उसे हँसी तो आई, लेकिन उसने अपनी हँसी को रोककर उसके सभी सवालों का धैर्यपूर्वक और सरलता से जवाब दिया। इससे हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी के बाहरी रूप, आकार या पहनावे को देखकर उसका मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। हर व्यक्ति, चाहे वह कैसा भी दिखे, सम्मान का हकदार होता है और हमें सभी के प्रति विनम्र और मददगार रहना चाहिए। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: सम्मानजनक व्यवहार, धैर्य, विनम्रता, सीख, मजाक न उड़ाना, समानता, मदद।

    प्रश्न ३: क्या आप वैज्ञानिक रूप से समझा सकते हैं कि हमारी फूँक कभी 'गरम' और कभी 'ठंडी' क्यों लगती है? उत्तर: हाँ, इसका एक सरल वैज्ञानिक कारण है। हमारे शरीर का तापमान लगभग 37°C होता है, इसलिए हमारे मुँह से निकलने वाली हवा का तापमान भी लगभग इतना ही होता है। सर्दियों में, जब हमारे हाथ का तापमान इससे बहुत कम होता है, तो वही फूँक हमें 'गरम' महसूस होती है। इसके विपरीत, जब हम किसी उबलते हुए आलू पर फूँक मारते हैं, जिसका तापमान 100°C के करीब होता है, तो हमारी 37°C वाली फूँक उस आलू की तुलना में 'ठंडी' होती है और उसकी गर्मी को कम कर देती है। इसलिए, फूँक का ठंडा या गरम लगना उस वस्तु के तापमान पर निर्भर करता है जिस पर हम फूँक रहे हैं। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: वैज्ञानिक कारण, शरीर का तापमान, सापेक्ष तापमान, गरम महसूस होना, ठंडा करना, निर्भरता।

    प्रश्न ४: कहानी में कहा गया है कि बालिश्तिये के यहाँ सभी बच्चे अच्छे होते हैं और वे किसी परदेशी को नहीं सताते। लेखक इसके माध्यम से क्या संदेश देना चाहते हैं? उत्तर: इसके माध्यम से लेखक यह संदेश देना चाहते हैं कि सच्चा बड़प्पन या सभ्यता आकार या ज्ञान में नहीं, बल्कि व्यवहार में होती है। हम मनुष्य स्वयं को बहुत सभ्य और बड़ा समझते हैं, लेकिन हमारे बच्चे अक्सर नए या अलग दिखने वाले लोगों को चिढ़ाते हैं और परेशान करते हैं। लेखक बालिश्तिये के समाज का उदाहरण देकर हम पर यह व्यंग्य कर रहे हैं कि वे छोटे होकर भी व्यवहार में हमसे बेहतर हैं। वे हमें यह सिखाना चाहते हैं कि हमें अपने बच्चों को सभी का सम्मान करना और किसी भी अजनबी के साथ अच्छा व्यवहार करना सिखाना चाहिए। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: संदेश, सभ्यता, अच्छा व्यवहार, सम्मान, व्यंग्य, नैतिक शिक्षा, परदेशी का आदर।

    प्रश्न ५: इस कहानी में आपको सबसे मनोरंजक बात क्या लगी और क्यों? उत्तर: इस कहानी में मुझे सबसे मनोरंजक बात मियाँ बालिश्तिये की हैरानी और उनका डर लगा। जिस तरह वे हर बार लकड़हारे को फूँक मारते देखकर हैरान होते हैं और अपने नन्हे से दिमाग में अजीब-अजीब कल्पनाएँ करते हैं, वह बहुत हास्यास्पद है। पहले उन्हें लगता है कि लकड़हारे के मुँह से आग निकलती है और फिर लगता है कि वह आलू को जला देगा। अंत में, जब उनका छोटा-सा दिमाग सच को समझ नहीं पाता और वे डर के मारे काँपते हुए भाग जाते हैं, तो यह दृश्य कहानी को बहुत ही मनोरंजक बना देता है। यह भोलापन और अज्ञानता ही कहानी के हास्य का मुख्य स्रोत है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: मनोरंजक, हैरानी, डर, भोलापन, अज्ञानता, हास्यास्पद, कल्पनाएँ, हास्य।


    संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)


    प्रश्न १: लकड़हारा बार-बार अपने हाथों पर फूँक क्यों मार रहा था? उत्तर: सरदी का मौसम था और कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। ठंड के कारण लकड़हारे के हाथ ठिठुर रहे थे और उसकी उँगलियाँ सुन्न हुई जा रही थीं। इसलिए, वह अपने मुँह से फूँक मारकर उन्हें गरम करने की कोशिश कर रहा था।

    प्रश्न २: मियाँ बालिश्तिये की विशेषताएँ लिखिए। उत्तर: मियाँ बालिश्तिये की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

    • वे कद में बहुत छोटे, बालिश्त भर के थे।

    • उनका सिर सुपारी जैसा था।

    • वे बहुत जिज्ञासु थे और बार-बार सवाल पूछते थे।

    • वे भोले और अज्ञानी थे, जिन्हें साधारण बातें भी जादुई लगती थीं।

    • वे बहुत डरपोक थे।

    प्रश्न ३: लकड़हारे ने अपनी फूँक का उपयोग किन तीन कामों के लिए किया? उत्तर: लकड़हारे ने अपनी फूँक का उपयोग निम्नलिखित तीन कामों के लिए किया:

    • ठंड से सुन्न हुए अपने हाथों को गरम करने के लिए

    • गीली लकड़ियों की बुझती हुई आग को तेज करने के लिए

    • बहुत गरम उबले हुए आलू को ठंडा करने के लिए

    प्रश्न ४: मियाँ बालिश्तिये लकड़हारे को जादूगर समझकर क्यों भाग गए? उत्तर: मियाँ बालिश्तिये ने देखा कि लकड़हारे ने अपनी फूँक से पहले ठंडे हाथों को गरम किया और फिर गरम आलू को ठंडा किया। वे यह साधारण सी बात समझ नहीं पाए कि एक ही मुँह से कोई चीज ठंडी और गरम दोनों कैसे हो सकती है। इस विरोधाभास के कारण उन्हें लगा कि लकड़हारा कोई साधारण इंसान नहीं, बल्कि कोई बला या जादूगर है, और इसी डर के मारे वे वहाँ से भाग गए।

    प्रश्न ५: पाठ में आए सरदी से संबंधित शब्द लिखिए। उत्तर: पाठ में आए सरदी से संबंधित शब्द हैं:

    • ठंड

    • जाड़ा

    • ठिठुरना

    • सुन्न होना

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