1.3 - अपकार का उपकार - Apkar ka Upkar - Class 7 - Sugambharati 1
- Oct 12
- 8 min read
Updated: Oct 16

पाठ का प्रकार: गद्य (कहानी) पाठ का शीर्षक: अपकार का उपकार लेखक/कवि का नाम: डॉ. दर्शनसिंह आशट
सारांश (Bilingual Summary)
हिन्दी: एक तालाब के किनारे जामुन के पेड़ पर एक कौआ अपनी पत्नी के साथ रहता था । कौआ बहुत दुष्ट स्वभाव का था और तालाब में रहने वाले एक कछुए को अक्सर परेशान करता था । वह कछुए की पीठ पर चढ़कर उछल-कूद करता और उसे उलट-पलट भी देता था । एक दिन गाँव के कुछ लड़के पेड़ पर चढ़कर जामुन तोड़ने लगे, जिससे कौए का घोंसला हिल गया और उसका एक अंडा तालाब में जा गिरा । कौआ और उसकी पत्नी फूट-फूट कर रोने लगे । कछुए ने, जिसके साथ कौए ने हमेशा बुरा व्यवहार किया था, उस अंडे को पानी में गिरते देख लिया । उसने तुरंत अंडे को अपने मुँह में पकड़कर सुरक्षित बाहर निकाला और कौए को सौंप दिया । अपने साथ हुए बुरे व्यवहार के बदले में भलाई पाकर कौए को अपनी करनी पर बहुत पछतावा हुआ, उसकी आँखें खुल गईं और उसने भविष्य में किसी को कष्ट न देने का प्रण लिया ।
English: A crow lived with his wife on a Jamun tree near a pond. The crow was very wicked and often troubled a tortoise that lived in the pond. He would jump on the tortoise's back and even flip him over. One day, some village boys climbed the tree to pick jamuns, shaking the crow's nest and causing one of his eggs to fall into the pond. The crow and his wife began to cry bitterly. The tortoise, whom the crow had always mistreated, saw the egg falling. He immediately caught the egg in his mouth, brought it out safely, and handed it to the crow. Receiving good in return for his bad deeds, the crow greatly repented his actions, his eyes were opened, and he vowed never to trouble anyone in the future.
केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)
हिन्दी: इस कहानी का केंद्रीय भाव यह शिक्षा देना है कि हमें अपने साथ बुरा व्यवहार करने वालों के साथ भी भलाई और उपकार का व्यवहार करना चाहिए। कछुए के चरित्र के माध्यम से लेखक ने यह संदेश दिया है कि क्षमा और परोपकार सबसे बड़ा गुण है। एक अच्छा कार्य (उपकार) बुरे से बुरे व्यक्ति (अपकारी) के हृदय को भी बदल सकता है और उसे अपनी गलतियों का एहसास करा सकता है। कहानी का मूल उद्देश्य 'बुराई पर अच्छाई की जीत' और 'जब जागो तभी सवेरा' जैसे मूल्यों को स्थापित करना है।
English: The central theme of this story is to teach that we should behave with kindness and benevolence even towards those who misbehave with us. Through the character of the tortoise, the author gives the message that forgiveness and altruism are the greatest virtues. A good deed (upkar) can transform the heart of even the most wicked person (apkari) and make them realize their mistakes. The core objective of the story is to establish values like 'the victory of good over evil' and 'it's never too late to mend'.
पात्रों का चरित्र-चित्रण (Bilingual Character Sketch)
कौआ:
हिन्दी:
दुष्ट और शरारती: वह अक्सर दूसरों को, विशेषकर कछुए को, परेशान करता और लड़ता-झगड़ता रहता था ।
अहंकारी: वह अपनी ताकत का दिखावा करता था और दूसरों को तंग करके खुश होता था ।
परिवर्तनशील: कछुए की भलाई देखकर उसे अपनी गलती का एहसास होता है और वह एक अच्छा प्राणी बनने का प्रण लेता है ।
English:
Wicked and Mischievous: He often used to trouble others, especially the tortoise, and would fight with them.
Arrogant: He used to show off his strength and enjoyed troubling others.
Capable of Change: Seeing the tortoise's goodness, he realizes his mistake and vows to become a good creature.
कछुआ:
हिन्दी:
सहनशील: वह लंबे समय तक कौए का दुर्व्यवहार चुपचाप सहता रहा ।
परोपकारी और क्षमाशील: अपने साथ हुए बुरे व्यवहार को भूलकर वह कौए के अंडे की जान बचाता है ।
बुद्धिमान और शांत: वह गुस्से में आकर कौए से बदला नहीं लेता, बल्कि उसे उसकी गलती का एहसास कराता है। वह कहता है, "जब जागो तभी सवेरा" ।
English:
Tolerant: He endured the crow's misbehavior silently for a long time.
Benevolent and Forgiving: Forgetting the bad deeds done to him, he saves the life of the crow's egg.
Wise and Calm: He does not take revenge on the crow in anger but makes him realize his mistake. He says, "It's never too late to mend".
शब्दार्थ (Glossary)
शब्द (Word) | पर्यायवाची शब्द (Synonym) | विलोम शब्द (Antonym) |
अक्सर | प्रायः | कभी-कभी |
दुर्व्यवहार | बुरा बर्ताव | सद्व्यवहार |
तंग करना | परेशान करना | सहायता करना |
भलमनसाहत | सज्जनता, भद्रता | दुष्टता, दुर्जनता |
दंपति | पति-पत्नी | - |
करनी | करतूत, कार्य | - |
लज्जित | शर्मिंदा | गौरवान्वित |
नम्र | विनम्र | उग्र, कठोर |
परिचित | जाना-पहचाना | अपरिचित |
प्रयत्न | कोशिश, प्रयास | - |
सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)
कथन १: कछुआ और कौआ बहुत अच्छे मित्र थे। उत्तर: गलत। कारण, कौआ अक्सर कछुए को परेशान करता था और उससे दुखी था कछुआ ।
कथन २: कौए की पत्नी का स्वभाव भी कौए की तरह ही दुष्ट था। उत्तर: गलत। कारण, पाठ में लिखा है, "कौए की पत्नी नम्र स्वभाव की थी" ।
कथन ३: कछुए ने जानबूझकर कौए का अंडा तालाब में गिरा दिया। उत्तर: गलत। कारण, अंडा गाँव के लड़कों द्वारा पेड़ हिलाने के कारण घोंसले से निकलकर तालाब में जा गिरा था ।
कथन ४: कौए ने कछुए द्वारा अंडा बचाने पर उसे धन्यवाद दिया। उत्तर: गलत। कारण, "कछुए को धन्यवाद देने के लिए उन दोनों पति-पत्नी के पास शब्द नहीं थे" । वे लज्जित थे।
कथन ५: कछुए की भलाई देखकर कौए का हृदय परिवर्तन हो गया। उत्तर: सही। कारण, कौए ने कहा, "आज मेरी आँखें खुल गईं। मैं अपने किए पर लज्जित हूँ। मैं भविष्य में किसी को कष्ट नहीं दूँगा।" ।
स्वमत (Personal Opinion)
प्रश्न १: "अपकार का उपकार" - इस शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कहानी का यह शीर्षक पूरी तरह सार्थक है। 'अपकार' का अर्थ है बुराई और 'उपकार' का अर्थ है भलाई। कहानी में कौआ लगातार कछुए का अपकार (बुराई) करता है, उसे तंग करता है और उसका अपमान करता है। इसके विपरीत, जब कौए पर मुसीबत आती है और उसका अंडा तालाब में गिर जाता है, तो कछुआ उसकी बुराई को भूलकर उसका उपकार (भलाई) करता है और अंडे को बचाता है। कछुए द्वारा की गई यही भलाई कौए का हृदय बदल देती है। इस प्रकार, यह कहानी 'बुराई के बदले भलाई' के महान संदेश को चरितार्थ करती है, इसलिए यह शीर्षक बिल्कुल उपयुक्त है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: सार्थक, अपकार, उपकार, बुराई, भलाई, हृदय परिवर्तन, संदेश, उपयुक्तता।
प्रश्न २: यदि आप कछुए की जगह होते तो क्या आप भी कौए की मदद करते? क्यों?
उत्तर: हाँ, यदि मैं कछुए की जगह होता तो मैं भी कौए की मदद अवश्य करता। यद्यपि कौए का व्यवहार बहुत बुरा था, लेकिन संकट के समय किसी की मदद करना ही मानवता है। अंडे में एक निर्दोष जीव की जान थी, जिसे बचाना मेरा परम कर्तव्य होता। बदला लेने की भावना हमें कौए की तरह ही दुष्ट बना देती है। भलाई करके मैं कौए को यह दिखा सकता था कि सच्चा बड़प्पन दूसरों को कष्ट देने में नहीं, बल्कि उनकी मदद करने में है। हो सकता है, मेरे इस कार्य से उसका भी हृदय परिवर्तन हो जाता, जैसा कि कहानी में हुआ।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: मदद, मानवता, कर्तव्य, बदला न लेना, भलाई, हृदय परिवर्तन, सच्चा बड़प्पन।
प्रश्न ३: 'जब जागो तभी सवेरा' - इस कहावत का कहानी के संदर्भ में क्या अर्थ है?
उत्तर: इस कहावत का अर्थ है कि जब भी किसी को अपनी गलती का एहसास हो जाए और वह सुधरने का निश्चय कर ले, तभी से एक नई और अच्छी शुरुआत मानी जाती है। कहानी के संदर्भ में, जब कौए को कछुए की भलाई देखकर अपनी दुष्टता पर पछतावा होता है और वह भविष्य में किसी को कष्ट न देने का प्रण लेता है, तो कछुआ उसे डाँटने या पुराना व्यवहार याद दिलाने की बजाय कहता है, "जब जागो तभी सवेरा"। इसका अर्थ है कि कछुआ उसे अतीत को भूलकर एक नई शुरुआत करने का अवसर दे रहा है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: कहावत, गलती का एहसास, नई शुरुआत, सुधरने का निश्चय, अवसर देना, अतीत को भूलना।
प्रश्न ४: कहानी में कौए की पत्नी नम्र स्वभाव की थी, फिर भी वह कौए को रोक क्यों नहीं पाती थी? उत्तर: कहानी में कौए की पत्नी नम्र स्वभाव की थी और वह अपने पति को कछुए से दुर्व्यवहार करने के लिए मना भी करती थी । इसके बावजूद वह उसे रोक नहीं पाती थी क्योंकि कौआ बहुत अहंकारी और झगड़ालू स्वभाव का था। वह अपनी पत्नी की नम्र सलाह को महत्व नहीं देता था। अक्सर ऐसे अहंकारी और दुष्ट स्वभाव के लोग किसी की अच्छी सलाह नहीं सुनते और अपनी ही मनमानी करते हैं। वे तभी सीखते हैं जब उन्हें अपने कर्मों का कोई बड़ा परिणाम भुगतना पड़ता है, जैसा कौए के साथ अंडा गिरने पर हुआ। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: नम्र स्वभाव, अहंकारी, झगड़ालू, सलाह न मानना, मनमानी, परिणाम।
प्रश्न ५: 'दूसरों को तंग-परेशान करके खुश होना, कहाँ की भलमनसाहत है?' - इस वाक्य पर अपने विचार लिखिए। उत्तर: यह वाक्य एक बहुत ही महत्वपूर्ण नैतिक प्रश्न उठाता है। मेरे विचार में, दूसरों को परेशान करके खुश होना सज्जनता (भलमनसाहत) नहीं, बल्कि एक प्रकार की मानसिक विकृति है। सच्ची खुशी दूसरों को सुख और आनंद देने से मिलती है, उन्हें कष्ट पहुँचाने से नहीं। जो व्यक्ति दूसरों के दुख में अपना सुख ढूंढता है, वह वास्तव में अंदर से स्वयं दुखी और असुरक्षित होता है। कहानी में कौआ ऐसा ही करता है, लेकिन अंत में उसे समझ आता है कि सच्ची खुशी और सम्मान अच्छे कर्मों से ही मिलता है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: नैतिक प्रश्न, सज्जनता, विकृति, सच्ची खुशी, सुख देना, अच्छे कर्म, सम्मान।
संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)
प्रश्न १: कौन? बताओ: (क) कछुए को तंग-परेशान करने वाला - कौआ (ख) मुँह में अंडा पकड़ने वाला - कछुआ (ग) पेड़ के जामुन खाने के लिए आने वाले - गाँव के लड़के (घ) दुर्व्यवहार करने से रोकने वाली - कौए की पत्नी
प्रश्न २: कौआ दंपति क्यों दुखी हो गए थे? उत्तर: गाँव के लड़कों के जामुन के पेड़ पर चढ़ने और हिलने-डुलने के कारण कौए के घोंसले में से एक अंडा निकलकर सीधा तालाब में जा गिरा था, इसी कारण वे दुखी हो गए थे ।
प्रश्न ३: कछुए ने कौए से अपनी जान कैसे बचाई? उत्तर: जब कौआ कछुए को बहुत ज्यादा परेशान करने लगा, तो कछुए ने तालाब से बाहर आना ही कम कर दिया, इस प्रकार उसने अपनी जान बचाई ।
प्रश्न ४: कछुए द्वारा अंडा बचाने पर कौए पर क्या प्रभाव पड़ा? उत्तर: कछुए द्वारा अंडा बचाने पर कौआ अपनी करनी पर बहुत दुखी और लज्जित हुआ । उसकी आँखें खुल गईं और उसने भविष्य में किसी को कष्ट न देने का प्रण लिया।
प्रश्न ५: कहानी का अंत किस प्रकार हुआ? उत्तर: कहानी का अंत सुखद हुआ। कौए को अपनी गलती का एहसास हो गया और उसने सबसे हिल-मिलकर रहने का वादा किया। कछुए ने उसे क्षमा कर दिया और कहा, "जब जागो तभी सवेरा" ।
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