1.1 - चाँदनी रात - Chandani Raat - Class 9 - Lokbharati
- Aug 28
- 10 min read
Updated: Sep 12

पाठ का प्रकार: पद्य (खंडकाव्य का अंश)
पाठ का शीर्षक: चाँदनी रात
कवि का नाम: मैथिलीशरण गुप्त
सारांश (Bilingual Summary)
हिन्दी: "चाँदनी रात" कविता 'पंचवटी' खंडकाव्य का एक अंश है , जिसमें कवि मैथिलीशरण गुप्त ने प्रकृति की सुंदरता का मनमोहक वर्णन किया है. कवि कहते हैं कि सुंदर चंद्रमा की किरणें जल और पृथ्वी पर फैली हुई हैं. हरी घास की नोकों से धरती अपनी खुशी प्रकट कर रही है और पेड़ मंद हवा के झोंकों से झूम रहे हैं. रात शांत है , लेकिन प्रकृति के कार्यकलाप चुपचाप चल रहे हैं. कवि कल्पना करते हैं कि पृथ्वी सबके सो जाने पर ओस की बूंदों के रूप में मोती बिखेर देती है, जिन्हें सुबह होने पर सूर्य बटोर लेता है. अंत में, कवि पंचवटी की कुटिया के सामने एक शिला पर बैठे वीर धनुर्धर को देखते हैं और आश्चर्य करते हैं कि इस सौंदर्य में कौन योगी-सा जाग रहा है.
English: The poem "Chandni Raat" is an excerpt from the epic poem 'Panchvati' , in which poet Maithilisharan Gupt beautifully describes the beauty of nature. The poet says that the playful rays of the beautiful moon are spread across the water and land. The earth expresses its joy through the tips of green grass, and the trees seem to sway with the gentle breeze. The night is serene , yet the activities of nature continue silently. The poet imagines that the earth scatters pearls in the form of dew drops when everyone is asleep, which the sun collects in the morning. Finally, the poet observes a brave archer sitting on a rock in front of a hut in Panchvati and wonders who this ascetic-like figure is, keeping watch amidst this beauty.
केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)
हिन्दी: इस कविता का केंद्रीय भाव चाँदनी रात में प्रकृति की मनोहारी छटा का चित्रण करना है. कवि ने चंद्रमा की किरणों, धरती, हवा, और पेड़ों के माध्यम से रात के सौंदर्य और शांति को बहुत ही सजीव रूप में प्रस्तुत किया है. साथ ही, प्रकृति की निरंतरता (नियति-नटी के कार्य-कलाप) और पंचवटी में जाग रहे धनुर्धर के माध्यम से कर्तव्यनिष्ठा का भी सुंदर संकेत दिया गया है.
English: The central theme of this poem is the depiction of the enchanting beauty of nature on a moonlit night. The poet has vividly presented the beauty and serenity of the night through the moon's rays, the earth, the wind, and the trees. Additionally, a beautiful hint of conscientiousness is given through the continuity of nature (the activities of "Niyati-Nati" or destiny) and the watchful archer in Panchvati.
शब्दार्थ (Glossary)
शब्द (Word) | पर्यायवाची शब्द (Synonym) | विलोम शब्द (Antonym) |
चारु | सुंदर, मनोहर | कुरूप |
अवनि | धरती, पृथ्वी | अंबर |
अंबर | आकाश, गगन | अवनि |
तरु | पेड़, वृक्ष | - |
निस्तब्ध | शांत, नीरव | कोलाहलपूर्ण |
वसुंधरा | पृथ्वी, धरती | आकाश |
कुटीर | झोंपड़ी, कुटिया | महल |
निर्भीक | निडर, साहसी | डरपोक |
धनुर्धर | तीरंदाज | - |
पवन | हवा, वायु |
पंक्तियों का सरल अर्थ लिखें (Simple Meaning of Lines) (For Poetry Only)
१. चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही हैं जल-थल में। स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है, अवनि और अंबर तल में।।
परिचय: इन पंक्तियों में कवि चाँदनी रात के सौंदर्य का वर्णन करते हुए बताते हैं कि चंद्रमा की किरणें कहाँ-कहाँ फैली हुई हैं.
सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि सुंदर चंद्रमा की चंचल किरणें जल और पृथ्वी पर इस तरह पड़ रही हैं, मानो वे खेल रही हों. चंद्रमा का स्वच्छ प्रकाश पृथ्वी (अवनि) और आकाश (अंबर) में, सभी जगह फैला हुआ है.
२. पुलक प्रगट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से। मानो झूम रहे हैं तरु भी, मंद पवन के झोंकों से।।
परिचय: यहाँ कवि कल्पना करते हैं कि प्रकृति के विभिन्न अंग (धरती और पेड़) अपनी खुशी किस प्रकार व्यक्त कर रहे हैं.
सरल अर्थ: धरती हरी घास (तृणों) की नोकों के माध्यम से अपनी खुशी और रोमांच (पुलक) प्रकट कर रही है. ऐसा प्रतीत हो रहा है, मानो पेड़ (तरु) भी धीमी हवा (मंद पवन) के झोंकों से खुशी में झूम रहे हैं.
३. क्या ही स्वच्छ चाँदनी है यह, है क्या ही निस्तब्ध निशा। है स्वच्छंद-सुमंद गंध वह, निरानंद है कौन दिशा?
परिचय: इन पंक्तियों में कवि रात की शांति और उसमें फैली सुगंध का वर्णन कर रहे हैं.
सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि यह चाँदनी कितनी निर्मल (स्वच्छ) है और यह रात (निशा) कितनी शांत (निस्तब्ध) है. वातावरण में धीमी-धीमी सुगंध (सुमंद गंध) स्वतंत्र रूप से (स्वच्छंद) फैली हुई है. ऐसी कोई भी दिशा नहीं है, जहाँ आनंद न हो.
४. बंद नहीं, अब भी चलते हैं, नियति-नटी के कार्य-कलाप। पर कितने एकांत भाव से, कितने शांत और चुपचाप।।
परिचय: यहाँ कवि बताते हैं कि रात की शांति के बावजूद प्रकृति का काम रुका नहीं है.
सरल अर्थ: इस शांत वातावरण में भी, नियति रूपी नर्तकी (नियति-नटी) के सारे कार्यकलाप (गतिविधियाँ) अब भी चल रहे हैं. लेकिन यह सब बहुत ही एकांत, शांत और चुपचाप तरीके से हो रहा है.
५. है बिखेर देती वसुंधरा, मोती, सबके सोने पर। रवि बटोर लेता है उनको, सदा सबेरा होने पर।। परिचय: इन पंक्तियों में कवि ओस की बूंदों और सूर्य के संबंध में एक सुंदर कल्पना प्रस्तुत करते हैं.
सरल अर्थ: कवि कल्पना करते हैं कि जब सब सो जाते हैं, तब पृथ्वी (वसुंधरा) ओस की बूंदों के रूप में मोती बिखेर देती है. और जब सुबह होती है, तो सूर्य (रवि) उन मोतियों को हमेशा बटोर लेता है, अर्थात सूर्य की गर्मी से ओस की बूँदें भाप बन जाती हैं.
६. जाग रहा यह कौन धनुर्धर, जबकि भुवन भर सोता है? भोगी कुसुमायुध योगी-सा, बना दृष्टिगत होता है।।
परिचय: इन पंक्तियों में कवि पंचवटी में कुटिया के बाहर बैठे एक वीर पुरुष को देखकर आश्चर्य व्यक्त करते हैं.
सरल अर्थ: कवि देखते हैं कि पंचवटी की छाया में एक सुंदर पत्तों की कुटिया बनी है, जिसके सामने एक निडर (निर्भीक) और वीर धनुर्धर एक साफ-सुथरी शिला पर बैठा है. कवि सोचते हैं कि जब सारा संसार (भुवन) सो रहा है, तब यह कौन धनुर्धर है जो जाग रहा है? यह वीर ऐसा दिखाई दे रहा है, मानो स्वयं कामदेव (कुसुमायुध) ने एक योगी का रूप धारण कर लिया हो.
पद विश्लेषण (Poetry Appreciation)
रचनाकार का नाम: मैथिलीशरण गुप्त
रचना का प्रकार: यह 'पंचवटी' खंडकाव्य का एक अंश है , जिसमें प्रकृति का मनोहारी चित्रण है.
पसंदीदा पंक्ति | पसंदीदा होने का कारण | रचना से प्राप्त संदेश |
पुलक प्रगट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से। | यह पंक्ति बहुत पसंद है क्योंकि इसमें धरती का मानवीकरण किया गया है. यह कल्पना करना कि धरती घास के माध्यम से अपनी खुशी जता रही है, प्रकृति को एक जीवंत रूप देता है. | प्रकृति भी सजीव है और अपनी भावनाओं को व्यक्त करती है; हमें उसका सम्मान करना चाहिए. |
बंद नहीं, अब भी चलते हैं, नियति-नटी के कार्य-कलाप। | यह पंक्ति जीवन के गहरे दर्शन को दर्शाती है. बाहरी शांति के बावजूद, सृष्टि का चक्र निरंतर और चुपचाप चलता रहता है. 'नियति-नटी' का प्रयोग बहुत प्रभावशाली है. | जीवन और प्रकृति कभी नहीं रुकते, वे निरंतर गतिमान रहते हैं, भले ही वे शांत दिखें. |
है बिखेर देती वसुंधरा, मोती, सबके सोने पर। | ओस की बूंदों को 'मोती' कहना एक अत्यंत सुंदर कल्पना है. यह साधारण प्राकृतिक घटना को एक काव्यात्मक और मूल्यवान रूप प्रदान करता है. | हमें प्रकृति की साधारण घटनाओं में भी छिपे सौंदर्य को देखना और सराहना चाहिए. |
जाग रहा यह कौन धनुर्धर, जबकि भुवन भर सोता है? | यह पंक्ति रहस्य और कर्तव्यनिष्ठा का भाव जगाती है. जहाँ पूरी प्रकृति और संसार आराम कर रहा है, वहीं कोई अपने कर्तव्य के लिए जाग रहा है. | आनंद और आराम के क्षणों में भी कर्तव्य का पालन करना महत्वपूर्ण है. |
भोगी कुसुमायुध योगी-सा, बना दृष्टिगत होता है। | इस पंक्ति में 'भोगी' और 'योगी' जैसे दो विपरीत शब्दों का एक साथ प्रयोग अद्भुत है. यह धनुर्धर के सौंदर्य और उनके संयम, दोनों को एक साथ दर्शाता है, जो बहुत प्रभावशाली है. | सच्चा सौंदर्य और बल केवल बाहरी रूप में नहीं, बल्कि आत्म-नियंत्रण और संयम में भी होता है. |
स्वमत (Personal Opinion)
प्रश्न १: 'प्रकृति का सौंदर्य मन को आनंदित करता है', इस विषय पर कविता के आधार पर अपने विचार लिखिए। उत्तर: यह कथन बिल्कुल सत्य है कि प्रकृति का सौंदर्य मन को आनंदित करता है। इस कविता में कवि ने चाँदनी रात का इतना सजीव वर्णन किया है कि उसे पढ़कर ही मन प्रसन्न हो जाता है. जब हम कल्पना करते हैं कि चंद्रमा की किरणें जल-थल पर खेल रही हैं , धरती घास की नोकों से अपनी खुशी जता रही है , और हर दिशा में सुगंध फैली है, तो हम अपनी सारी चिंताएँ भूलकर उस सौंदर्य में खो जाते हैं। प्रकृति की शांति और सुंदरता हमारे मन को तनाव से मुक्त कर एक नई ऊर्जा प्रदान करती है, इसलिए प्रकृति के सानिध्य में समय बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: प्रकृति, सौंदर्य, आनंद, सजीव वर्णन, तनाव मुक्त, मानसिक स्वास्थ्य.
प्रश्न २: कविता में वर्णित 'नियति-नटी के कार्य-कलाप' से आप क्या समझते हैं? उत्तर: कविता में 'नियति-नटी के कार्य-कलाप' का अर्थ है कि सृष्टि का चक्र निरंतर और चुपचाप चलता रहता है. 'नियति' का अर्थ है भाग्य और 'नटी' का अर्थ है अभिनेत्री. कवि कहना चाहते हैं कि रात की शांति में भले ही सब कुछ ठहरा हुआ प्रतीत होता है, लेकिन भाग्य रूपी अभिनेत्री अपना काम शांत और एकांत भाव से करती रहती है. तारे चमकते हैं, ओस की बूँदें बनती हैं, हवा चलती है - यह सब प्रकृति के कार्य हैं जो कभी नहीं रुकते. इससे यह संदेश मिलता है कि बाहरी शांति के बावजूद जीवन और ब्रह्मांड की गतिविधियाँ हमेशा चलती रहती हैं।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: नियति, नटी, कार्य-कलाप, सृष्टि का चक्र, निरंतरता, शांत भाव, गतिविधियाँ.
प्रश्न ३: एक वीर पुरुष के कौन-से गुण आपको प्रभावित करते हैं? कविता के धनुर्धर के संदर्भ में लिखिए। उत्तर: एक वीर पुरुष के साहस, धीरज और कर्तव्यनिष्ठा जैसे गुण मुझे सबसे अधिक प्रभावित करते हैं. कविता में वर्णित धनुर्धर इन सभी गुणों का प्रतीक है. जहाँ सारा संसार सो रहा है, वहीं वह वीर अकेला जागकर अपने कर्तव्य का पालन कर रहा है. उसका मन निर्भीक है और वह एक शिला पर धीरज के साथ बैठा है. उसका सौंदर्य कामदेव जैसा है, पर उसका आचरण एक योगी जैसा है, जो उसके आत्म-नियंत्रण को दर्शाता है. यह हमें सिखाता है कि सच्चा वीर वही है जो विपरीत परिस्थितियों में भी शांत, निडर और अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित रहे।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: वीर, धीरज, साहस, कर्तव्यनिष्ठा, निर्भीक, आत्म-नियंत्रण, समर्पण.
प्रश्न ४: कवि द्वारा ओस की बूँदों की तुलना 'मोतियों' से करना आपको कितना सार्थक लगता है? उत्तर: कवि द्वारा ओस की बूँदों की तुलना 'मोतियों' से करना मुझे अत्यंत सार्थक और सुंदर लगता है. सुबह जब घास पर ओस की बूँदें चमकती हैं, तो वे वास्तव में छोटे-छोटे मोतियों जैसी ही दिखती हैं. 'मोती' शब्द का प्रयोग ओस की बूंदों के सौंदर्य और मूल्य को बढ़ा देता है. यह कल्पना करना कि पृथ्वी रात में ये मोती बिखेरती है और सूर्य सुबह उन्हें बटोर लेता है, एक साधारण प्राकृतिक घटना को एक जादुई और काव्यात्मक रूप प्रदान करता है. यह हमें सिखाता है कि प्रकृति की छोटी-छोटी चीजों में भी अनमोल सौंदर्य छिपा होता है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: सार्थक, ओस की बूँदें, मोती, कल्पना, सौंदर्य, काव्यात्मक, अनमोल.
प्रश्न ५: कविता में वर्णित रात की शांति और एकांत का हमारे जीवन में क्या महत्व है? उत्तर: कविता में वर्णित रात की शांति और एकांत का हमारे जीवन में बहुत महत्व है. दिन भर की भागदौड़ और शोर-शराबे के बाद रात का शांत वातावरण मन को सुकून देता है. यह एकांत हमें आत्म-चिंतन और मनन का अवसर प्रदान करता है. जैसे प्रकृति रात में चुपचाप अपने कार्य करती है, वैसे ही हम भी इस शांति में अपने विचारों को व्यवस्थित कर सकते हैं और अगले दिन के लिए नई ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं. यह शांति हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक औषधि की तरह काम करती है.
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: शांति, एकांत, सुकून, आत्म-चिंतन, ऊर्जा, मानसिक स्वास्थ्य, औषधि.
संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)
प्रश्न १: चाँदनी रात की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: कविता के अनुसार चाँदनी रात की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
चंद्रमा की किरणें जल और थल में फैली हुई हैं.
चाँदनी पृथ्वी और आकाश में समान रूप से बिछी हुई है.
रात अत्यंत शांत और नीरव (निस्तब्ध) है.
वातावरण स्वच्छ और धीमी सुगंध से महक रहा है.
कोई भी दिशा आनंद रहित नहीं है, अर्थात हर तरफ आनंद ही आनंद है.
प्रश्न २: कवि ने 'नियति-नटी के कार्य-कलाप' क्यों कहा है?
उत्तर: कवि ने 'नियति-नटी के कार्य-कलाप' इसलिए कहा है क्योंकि रात की शांति के बावजूद प्रकृति का काम रुका नहीं है. 'नियति' अर्थात भाग्य या सृष्टि का विधान, एक 'नटी' (नर्तकी या अभिनेत्री) की तरह अपने सभी कार्य चुपचाप और एकांत भाव से कर रही है. जैसे एक कुशल नटी पर्दे के पीछे अपना काम करती रहती है, वैसे ही नियति भी रात के शांत वातावरण में अपना काम निरंतर कर रही है.
प्रश्न ३: कवि ने 'पंचवटी' के सौंदर्य का वर्णन किस प्रकार किया है?
उत्तर: कवि के अनुसार, पंचवटी की घनी छाया में पत्तों से बनी एक सुंदर कुटिया है. उस कुटिया के सामने एक साफ-सुथरी पत्थर की शिला है, जिस पर एक धीर, वीर और निडर धनुर्धर बैठा हुआ है. यह दृश्य चाँदनी रात के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ मिलकर एक पवित्र और शांत वातावरण का निर्माण करता है.
प्रश्न ४: सूर्य, पृथ्वी और संध्या के बीच क्या संबंध दर्शाया गया है?
उत्तर: कवि ने एक सुंदर कल्पना के माध्यम से इनमें संबंध दर्शाया है:
पृथ्वी: रात में सबके सो जाने पर ओस की बूंदों के रूप में मोती बिखेर देती है.
सूर्य: सुबह होने पर उन सभी मोतियों को बटोर लेता है.
संध्या: सूर्य उन बटोरे हुए मोतियों को आराम देने वाली संध्या को सौंप देता है, जिससे शाम का श्यामल रूप एक नए सौंदर्य के साथ छलक उठता है.
प्रश्न ५: धनुर्धर के लिए 'भोगी कुसुमायुध योगी-सा' उपमा क्यों दी गई है?
उत्तर: धनुर्धर के लिए यह उपमा उनके रूप और उनके कार्य के विरोधाभास को दर्शाने के लिए दी गई है. 'कुसुमायुध' अर्थात कामदेव, जो सौंदर्य और भोग-विलास के देवता माने जाते हैं. वह धनुर्धर कामदेव के समान सुंदर और आकर्षक ('भोगी') है. लेकिन, जिस तरह वह संसार के भोग-विलास से दूर, रात में जागकर एक योगी की तरह अपना कर्तव्य निभा रहा है, वह उसे 'योगी-सा' बनाता है. इस प्रकार, कवि ने उनके सौंदर्य और संयम को एक साथ प्रस्तुत किया है.
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