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    2.9 - मेरे पिता जी - Mere Pita Ji - Class 9 - Lokbharati

    • Sep 18
    • 9 min read

    Updated: Sep 20

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    पाठ का प्रकार: गद्य (आत्मकथा) पाठ का शीर्षक: मेरे पिता जी लेखक/कवि का नाम: डॉ. हरिवंशराय बच्चन


    सारांश (Bilingual Summary)


    हिन्दी: प्रस्तुत पाठ लेखक हरिवंशराय बच्चन की आत्मकथा 'क्या भूलूँ, क्या याद करूँ' का एक अंश है, जिसमें वे अपने पिता प्रताप नारायण जी के व्यक्तित्व और दिनचर्या का सजीव चित्रण करते हैं। वे अपने पिता के पेशेवर जीवन के गुणों—जैसे समय की पाबंदी, कड़ी मेहनत और ईमानदारी—का वर्णन करते हैं। वे एक हिंदू-मुस्लिम दंगे की घटना को याद करते हैं, जहाँ उनके पिता ने अकेले ही अपनी सूझबूझ और साहस से भीड़ को शांत कर दिया था। लेखक अपने पिता की अत्यंत अनुशासित दिनचर्या का भी विस्तार से वर्णन करते हैं, जिसमें सुबह तीन बजे उठना, गंगा स्नान के लिए मीलों पैदल चलना और घंटों तक रामचरितमानस का सस्वर पाठ करना शामिल था। लेखक बताते हैं कि उनके पिता की आवाज की यही स्मृति उनके जीवन का पहला श्रवण संस्कार थी। अंत में, वे अपने घर की पुरानी 'आराम घड़ी' का जिक्र करते हैं, जो उनके पिता के अनुशासित जीवन और परिवार के सुख-दुख की मूक साक्षी रही।

    English: The present text is an excerpt from the autobiography of Harivanshrai Bachchan, 'Kya Bhulun, Kya Yaad Karun', in which he vividly portrays the personality and routine of his father, Pratap Narayan ji. He describes his father's professional virtues—such as punctuality, hard work, and honesty. He recalls an incident of a Hindu-Muslim riot where his father single-handedly pacified a mob with his wisdom and courage. The author also details his father's extremely disciplined daily routine, which included waking up at 3 AM, walking miles for a bath in the Ganga, and reciting the Ramcharitmanas aloud for hours. The author states that this memory of his father's voice was the first auditory sacrament of his life. In the end, he mentions the old 'alarm clock' in their house, which was a silent witness to his father's disciplined life and the family's joys and sorrows.


    केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)


    हिन्दी: इस पाठ का केंद्रीय भाव एक पुत्र द्वारा अपने पिता के प्रति श्रद्धापूर्ण स्मरण है। लेखक अपने पिता को एक सिद्धांतवादी, अनुशासित, कर्मठ, स्वाभिमानी और साहसी व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करते हैं। यह पाठ केवल एक व्यक्ति का चरित्र-चित्रण नहीं है, बल्कि उस युग के मूल्यों और संस्कारों को भी दर्शाता है। पिता के जीवन के माध्यम से लेखक ने कर्तव्यनिष्ठा, समय की पाबंदी, साम्प्रदायिक सौहार्द, सादगी और गहरी आस्था जैसे मानवीय मूल्यों को उजागर किया है। यह पाठ दिखाता है कि कैसे एक साधारण व्यक्ति का जीवन भी अपने सिद्धांतों और अनुशासन के बल पर असाधारण और प्रेरणादायक हो सकता है।

    English: The central theme of this lesson is a son's reverent remembrance of his father. The author presents his father as a man of principles, discipline, diligence, self-respect, and courage. This text is not just a character sketch of an individual but also reflects the values and संस्कार (upbringing) of that era. Through his father's life, the author highlights human values like dedication to duty, punctuality, communal harmony, simplicity, and deep faith. The lesson shows how an ordinary person's life can become extraordinary and inspirational through the strength of their principles and discipline.


    पात्रों का चरित्र-चित्रण (Bilingual Character Sketch)


    पिता जी (प्रताप नारायण):

    हिन्दी:

    • अनुशासित और समय के पाबंद: वे सुबह तीन बजे उठते थे और अपनी पैंतीस वर्ष की नौकरी में कभी दफ्तर देर से नहीं पहुँचे।

    • कर्मठ और परिश्रमी: वे दफ्तर में अपना काम खत्म करके दूसरों की भी मदद करते थे और रोज सोलह मील से ज्यादा पैदल चलते थे।

    • साहसी और बुद्धिमान: उन्होंने दंगे के समय अकेले ही भीड़ को अपनी बातों से शांत कर दिया था, जो उनकी बहादुरी और सूझबूझ को दर्शाता है।

    • धार्मिक और आस्थावान: वे प्रतिदिन गंगा स्नान करते थे और रामचरितमानस का सस्वर पाठ करते थे।

    • सिद्धांतवादी: वे सादा जीवन जीते थे और उनका जीवन नियमों के एक पक्के ढर्रे पर चलता था।

    English:

    • Disciplined and Punctual: He used to wake up at 3 AM and was never late for the office in his thirty-five years of service.

    • Diligent and Hardworking: He would help others at the office after finishing his own work and used to walk more than sixteen miles daily.

    • Courageous and Wise: During the riot, he single-handedly pacified the mob with his words, which shows his bravery and wisdom.

    • Religious and Devout: He used to take a bath in the Ganga daily and recite the Ramcharitmanas aloud.

    • A Man of Principle: He lived a simple life, and his routine was fixed and rule-bound.

    माता जी:

    हिन्दी:

    • पतिव्रता और धैर्यवान: जब पिता जी बिना खाए दफ्तर चले जाते, तो वे तब तक उपवास रखतीं जब तक उन तक खाना न पहुँच जाता।

    • त्यागमयी: वे घर की अन्य महिलाओं के गुस्से और तानों को चुपचाप सह लेती थीं।

    • एक आदर्श गृहिणी: वे समय पर भोजन बनाने का पूरा प्रयास करती थीं और घर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती थीं।

    English:

    • Devoted and Patient: When her husband left for the office without eating, she would fast until the food reached him.

    • Sacrificing: She silently endured the anger and taunts of other women in the house.

    • An Ideal Housewife: She tried her best to prepare meals on time and managed her household responsibilities well.


    शब्दार्थ (Glossary)


    शब्द (Word)

    पर्यायवाची शब्द (Synonym)

    विलोम शब्द (Antonym)

    नैमित्तिक

    नियमित, नित्य

    अनियमित, अनित्य

    गरज

    आवश्यकता, प्रयोजन

    -

    फबती

    सजती, शोभा देती

    -

    तालीम

    शिक्षा, प्रशिक्षण

    -

    वारदात

    घटना, कांड

    -

    ढर्रा

    रीति, तरीका, पद्धति

    अव्यवस्था

    सप्राण

    सजीव, प्राणयुक्त

    निर्जीव, प्राणहीन

    चलास

    चलने का शौक

    -

    उत्कटता

    प्रबलता, तीव्रता

    मंदता, शिथिलता

    जीवनपर्यंत

    जीवन भर, आजीवन

    क्षणिक


    सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)


    कथन १: लेखक के पिता जी दफ्तर जाने के लिए साइकिल का प्रयोग करते थे। उत्तर: गलत। कारण, पाठ में लिखा है, "वे पैदल ही आते-जाते...साइकिल न उन्होंने खरीदी, न उसकी सवारी की।"


    कथन २: दंगे के समय पिता जी लड़ने के लिए अपने साथ कई लोगों को ले गए थे। उत्तर: गलत। कारण, उन्होंने भीड़ से कहा, "मैं लड़ने नहीं आया हूँ। लड़ने को आता तो अपने साथ औरों को भी लाता।"


    कथन ३: लेखक के पिता जी का दैनिक जीवन बहुत अव्यवस्थित था। उत्तर: गलत। कारण, लेखक कहते हैं, "मेरे पिता का दैनिक जीवन प्रायः एक ढर्रे पर चलने वाला, नियमबद्ध और नैमित्तिक था।"


    कथन ४: पिता जी का मानना था कि लंबी नींद लेना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। उत्तर: गलत। कारण, "उनका कहना था कि नींद लंबाई नहीं गहराई माँगती है।"


    कथन ५: लेखक के घर की आराम घड़ी एक नया और कीमती विदेशी मॉडल थी। उत्तर: गलत। कारण, "यह घड़ी नई नहीं थी, विक्टोरियन युग की थी...पिता जी ने शायद दो रुपए में ले ली।"


    स्वमत (Personal Opinion)


    प्रश्न १: लेखक के पिता जी ने दंगे के समय साम्प्रदायिक सौहार्द स्थापित करने के लिए जो बातें कहीं, उनका क्या महत्व है? उत्तर: लेखक के पिता जी द्वारा दंगे के समय कही गई बातें साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने धर्म के नाते से ऊपर इंसानियत के नाते को रखा। उन्होंने तर्क दिया कि कुछ लोगों के मरने से कोई धर्म खत्म नहीं हो जाएगा और अंततः सबको साथ मिलकर ही रहना है। उन्होंने भीड़ की हिंसा को 'बे-समझी की लड़ाई' कहा और समझाया कि मर्द की लड़ाई बराबरी की होती है, न कि चार लोगों का मिलकर एक को पीटना।  उनकी इन बातों ने हिंसा की निरर्थकता और आपसी मेलजोल की आवश्यकता पर जोर दिया, जो किसी भी समाज में शांति स्थापित करने का एकमात्र रास्ता है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: साम्प्रदायिक सौहार्द, इंसानियत, तर्क, शांति, मेलजोल, हिंसा की निरर्थकता, आपसी समझ।

    प्रश्न २: 'नींद लंबाई नहीं गहराई माँगती है' - इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं? उत्तर: मैं इस विचार से पूरी तरह सहमत हूँ। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कई लोगों के पास आठ घंटे सोने का समय नहीं होता। ऐसे में नींद की गुणवत्ता उसकी मात्रा से अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। यदि कुछ घंटों की नींद भी गहरी और बिना किसी तनाव के ली जाए, तो वह शरीर और मस्तिष्क को पूरी तरह तरोताजा कर देती है। इसके विपरीत, यदि कोई व्यक्ति चिंता और तनाव में आठ-दस घंटे भी सोए, तो भी उठने पर वह थका हुआ महसूस कर सकता है। लेखक के पिता जी का जीवन इसका प्रमाण है, जो रात में देर से सोने पर भी सुबह तीन बजे उठकर दिन भर ऊर्जावान रहते थे।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: गुणवत्ता, गहरी नींद, तनावमुक्त, ऊर्जावान, तरोताजा, भागदौड़ भरी जिंदगी, मानसिक शांति।

    प्रश्न ३: पाठ में वर्णित 'आराम घड़ी' परिवार का एक सदस्य जैसी बन गई थी। आपके घर में ऐसी कौन-सी वस्तु है जो आपको बहुत प्रिय है और क्यों? उत्तर: हमारे घर में दादाजी की एक पुरानी लकड़ी की कुर्सी है जो हमें बहुत प्रिय है। वह अब उतनी मजबूत नहीं रही, फिर भी घर के एक कोने में सम्मान से रखी हुई है। वह कुर्सी हमारे लिए केवल एक वस्तु नहीं, बल्कि दादाजी की यादों का प्रतीक है। उस पर बैठकर उन्होंने हमें कहानियाँ सुनाई थीं, हमें पढ़ाया था और अपना अधिकांश समय बिताया था। जब भी हम उसे देखते हैं, हमें दादाजी का स्नेह और उनकी उपस्थिति का एहसास होता है। उस घड़ी की तरह ही, इस कुर्सी ने भी हमारे परिवार के कई सुख-दुख देखे हैं और यह हमारी पारिवारिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: प्रिय वस्तु, यादों का प्रतीक, पारिवारिक विरासत, स्नेह, उपस्थिति का एहसास, भावनात्मक जुड़ाव, सम्मान।

    प्रश्न ४: लेखक के पिता की समय की पाबंदी अनुकरणीय है। विद्यार्थियों के जीवन में समय की पाबंदी का क्या महत्व है? उत्तर: विद्यार्थियों के जीवन में समय की पाबंदी का अत्यधिक महत्व है। यह अनुशासन का पहला पाठ है। समय पर स्कूल पहुँचना, गृहकार्य पूरा करना और परीक्षा की तैयारी करना, यह सब समय प्रबंधन पर ही निर्भर करता है। जो विद्यार्थी समय का पालन करता है, उसका आत्मविश्वास बढ़ता है और वह तनाव से मुक्त रहता है। समय की पाबंदी हमें जिम्मेदार और विश्वसनीय बनाती है। लेखक के पिता जी ने अपनी 35 वर्ष की नौकरी में एक भी दिन देर नहीं की,  यह उनकी कर्तव्यनिष्ठा को दर्शाता है। यही गुण विद्यार्थियों को जीवन में सफलता की ऊँचाइयों तक ले जाता है।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: समय की पाबंदी, अनुशासन, समय प्रबंधन, आत्मविश्वास, जिम्मेदारी, कर्तव्यनिष्ठा, सफलता।

    प्रश्न ५: 'संयुक्त परिवार' संबंधी अपने विचार लगभग छह से आठ पंक्तियों में लिखिए। उत्तर: मेरी दृष्टि में संयुक्त परिवार भारतीय संस्कृति की एक अनमोल धरोहर है। इसमें बच्चों को दादा-दादी और बड़ों का भरपूर स्नेह और मार्गदर्शन मिलता है, जिससे उनमें अच्छे संस्कार विकसित होते हैं।  सुख-दुख में परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे का सहारा बनते हैं, जिससे कोई भी व्यक्ति अकेलापन महसूस नहीं करता। हालांकि, कभी-कभी विचारों में भिन्नता के कारण छोटे-मोटे मतभेद हो सकते हैं, लेकिन आपसी प्रेम और सामंजस्य से उन्हें सुलझाया जा सकता है। संयुक्त परिवार हमें साझा करने, सहयोग करने और एक-दूसरे का सम्मान करने जैसे महत्वपूर्ण जीवन मूल्य सिखाता है।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: संयुक्त परिवार, स्नेह, मार्गदर्शन, संस्कार, सहारा, आपसी प्रेम, सामंजस्य, जीवन मूल्य।


    संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)


    प्रश्न १: लेखक के पिता जी की दिनचर्या का वर्णन कीजिए। उत्तर: लेखक के पिता जी की दिनचर्या अत्यंत नियमबद्ध थी। वे प्रतिदिन सुबह तीन बजे उठते, शौचादि से निवृत्त होकर साढ़े तीन बजे गंगा स्नान के लिए पैदल चले जाते थे। वे साढ़े छह बजे तक नहाकर लौटते और फिर साढ़े आठ बजे तक पूजा करते, जिसमें वे रामचरितमानस का सस्वर पाठ करते थे। पूजा के बाद वे भोजन करके नौ बजे तक दफ्तर के लिए रवाना हो जाते थे।


    प्रश्न २: दफ्तर में लेखक के पिता जी किन गुणों के कारण लोकप्रिय थे? उत्तर: दफ्तर में लेखक के पिता जी निम्नलिखित गुणों के कारण अधिकारियों और सहकर्मियों, दोनों के प्रिय बन गए थे:

    • समय की पाबंदी: वे अपने काम पर हमेशा समय से पहुँचते थे।

    • उत्कृष्ट कार्य: उनकी लिखावट शुद्ध-स्वच्छ थी और वे हिसाब-किताब सही-साफ रखते थे।

    • विनम्र व्यवहार: उनका व्यवहार विनम्र और निश्चल था।

    • सहयोगी स्वभाव: वे अपना काम खत्म करके सहयोगी क्लर्कों का पिछड़ा काम भी पूरा कर देते थे।


    प्रश्न ३: हिंदू-मुस्लिम दंगे के समय लेखक के पिता ने लोगों को समझाते हुए क्या कहा? उत्तर: दंगे के समय लेखक के पिता ने लोगों को समझाते हुए कहा कि वे लड़ने नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि धर्म के नाते से बड़ा इंसानियत का नाता है और इंसानों को मेल से रहना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि कुछ लोगों के कट-मरने से न हिंदुत्व समाप्त होगा और न ही इस्लाम खत्म होगा, इसलिए साथ रहना है तो खूबी इसी में है कि मेल से रहें।


    प्रश्न ४: 'आराम घड़ी' की विशेषताएँ लिखिए। उत्तर: 'आराम घड़ी' की विशेषताएँ निम्नलिखित थीं:

    • यह घड़ी नई नहीं, बल्कि विक्टोरियन युग की थी, जिसे पिता जी ने दो रुपए में खरीदा था।

    • यह बहुत मजबूत साबित हुई और थोड़ी सफाई के बाद ही चलने लगी।

    • इसमें सातवें दिन चाभी देनी पड़ती थी और यह अलार्म भी बजाती थी।

    • यह पिता जी के जीवनपर्यंत और उनकी मृत्यु के लगभग तीस वर्ष बाद भी चलती रही।

    • यह परिवार के सभी सुख-दुख, जन्म-मरण और हर्ष-विषाद की साक्षी रही।


    प्रश्न ५: पिता जी के रामचरितमानस पाठ का बालक हरिवंशराय पर क्या प्रभाव पड़ा? उत्तर: पिता जी के रामचरितमानस पाठ का बालक हरिवंशराय पर गहरा प्रभाव पड़ा। लेखक की आवाज की पहली स्मृति ही उनके पिता के मानस पाठ के स्वर की है। उनकी आया राधा बताया करती थीं कि बचपन में वे कितना भी रो रहे हों, पूजा की कोठरी के सामने लाते ही वे चुप हो जाते थे, जैसे वे भी पाठ सुन रहे हों। लेखक मानते हैं कि इन्हीं श्रवण संस्कारों ने बाद में उन्हें अवधी भाषा में 'जनगीता' की रचना करने में अद्भुत रूप से सहायता की होगी।

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