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    2.11 - स्वतंत्रता गान - Swatantrata Gaan - Class 9 - Lokbharati

    • Sep 19
    • 10 min read

    Updated: Sep 20

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    पाठ का प्रकार: पद्य (प्रेरणागीत) पाठ का शीर्षक: स्वतंत्रता गान लेखक/कवि का नाम: गोपालसिंह नेपाली


    सारांश (Bilingual Summary)


    हिन्दी: 'स्वतंत्रता गान' एक प्रेरणादायी कविता है जिसमें कवि गोपालसिंह नेपाली ने स्वतंत्रता को एक दीपक ('दिया') के रूप में चित्रित किया है। वे आह्वान करते हैं कि यह दीपक किसी भी परिस्थिति में बुझना नहीं चाहिए, चाहे कितना भी घना अंधकार हो, तेज हवा चल रही हो या नदी में तेज बहाव हो। यह स्वतंत्रता रूपी दीपक हमारे अतीत की कल्पना, वर्तमान की प्रार्थना और भविष्य की अनंत साधना का प्रतीक है। यह शहीदों के प्राणों का पुण्य दान है, इसलिए इसे कब्र और मजार पर भी प्रज्वलित रखना है। कवि कहते हैं कि चाहे युद्ध, क्रांति, या प्राकृतिक आपदा जैसी कोई भी मुश्किल आए, छोटी-मोटी हार-जीत की परवाह किए बिना हमें इस दीपक को जलाए रखना है, क्योंकि यही हमारी स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है।

    English: 'Swatantrata Gaan' is an inspirational poem in which the poet Gopalsingh Nepali has depicted freedom in the form of a lamp ('diya'). He calls upon everyone to ensure that this lamp is never extinguished under any circumstance, no matter how deep the darkness, how strong the wind, or how swift the river's current. This lamp of freedom symbolizes our past imagination, present prayers, and endless future endeavors. It is the sacred offering of the martyrs' lives, which is why it must be kept alight even on graves and tombs. The poet says that no matter the difficulty—be it war, revolution, or a natural calamity—we must keep this lamp burning without worrying about petty victories or defeats, because this is the independent song of our independent spirit.


    केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)


    हिन्दी: इस कविता का केंद्रीय भाव हर परिस्थिति में देश की स्वतंत्रता की रक्षा करने की प्रेरणा देना है। कवि ने 'दीपक' को स्वतंत्रता का प्रतीक बनाकर उसे अत्यंत पवित्र, शक्तिशाली और जीवनदायी बताया है। यह दीपक केवल एक राजनीतिक आजादी नहीं, बल्कि देश की आत्मा, संस्कृति, बलिदान और भविष्य की आशा का पुंज है। कविता का मूल संदेश यह है कि स्वतंत्रता अमूल्य है क्योंकि यह अनगिनत शहीदों के बलिदान से प्राप्त हुई है। इसलिए, हर नागरिक का यह परम कर्तव्य है कि वह सभी आंतरिक और बाहरी खतरों से इसकी रक्षा करे और इसे सदैव प्रज्वलित रखे, ताकि देश निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर रहे।

    English: The central theme of this poem is to inspire the protection of the nation's freedom in every situation. By using the 'lamp' as a symbol of freedom, the poet portrays it as extremely sacred, powerful, and life-giving. This lamp is not just political freedom, but a beacon of the nation's soul, culture, sacrifice, and hope for the future. The core message of the poem is that freedom is priceless because it has been achieved through the sacrifice of countless martyrs. Therefore, it is the utmost duty of every citizen to protect it from all internal and external threats and to keep it forever lit, so that the nation continues to move forward on the path of progress.

    शब्दार्थ (Glossary)


    शब्द (Word)

    पर्यायवाची शब्द (Synonym)

    विलोम शब्द (Antonym)

    बयार

    हवा, वायु

    -

    निशीथ

    रात, रात्रि

    विहान, भोर

    विहान

    सवेरा, प्रभात

    निशीथ, संध्या

    कछार

    किनारा, तट

    मझधार, बीच

    वितान

    आकाश, मंडप

    धरती, जमीन

    दुकूल

    दुपट्टा, वस्त्र

    -

    हिलोर

    लहर, तरंग

    स्थिरता

    मजार

    कब्र, समाधि

    -

    यातना

    कष्ट, पीड़ा

    सुख, आनंद

    क्षुद्र

    तुच्छ, छोटा

    महान, विशाल


    पंक्तियों का सरल अर्थ लिखें (Simple Meaning of Lines)


    १. घोर अंधकार हो...ला रहा विहान है। परिचय: इन पंक्तियों में कवि मुश्किल परिस्थितियों में भी स्वतंत्रता के दीपक को जलाए रखने का आह्वान कर रहे हैं। सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि चाहे कितना भी घना अँधेरा हो और तेज हवा चल रही हो, आज हर दरवाजे पर यह दीपक बुझना नहीं चाहिए। रात के अँधेरे का यह दीपक एक नया सवेरा (विहान) लेकर आ रहा है।

    २. शक्ति का दिया हुआ...प्राण के समान है। परिचय: कवि यहाँ स्वतंत्रता रूपी दीपक के महत्व और उसकी उत्पत्ति पर प्रकाश डाल रहे हैं। सरल अर्थ: यह दीपक हमें हमारी शक्ति (जनशक्ति) ने ही दिया है, और इसे हमने अपनी शक्ति (राष्ट्र) को ही समर्पित किया है। यह भक्ति भाव से दिया गया स्वतंत्रता का दीपक है। चाहे हमारी नाव (देश) रुक रही हो या बहाव बहुत तेज हो, आज गंगा की धारा पर यह दीपक बुझना नहीं चाहिए। यह हमारे स्वदेश का दीपक हमारे प्राणों के समान मूल्यवान है।

    ३. यह अतीत कल्पना...ज्योति का वितान है। परिचय: इन पंक्तियों में कवि स्वतंत्रता के दीपक के विभिन्न प्रतीकात्मक अर्थों को स्पष्ट कर रहे हैं। सरल अर्थ: यह दीपक हमारे अतीत की कल्पनाओं, हमारी विनम्र प्रार्थनाओं, हमारी पवित्र भावनाओं और हमारी अंतहीन साधना का प्रतीक है। चाहे शांति हो या अशांति, युद्ध हो, संधि हो या क्रांति हो, नदी के किनारे पर या सूखी भूमि पर, यह दीपक कभी बुझना नहीं चाहिए। यह हमारे देश और समाज पर प्रकाश का एक विशाल आकाश (वितान) है।

    ४. तीन-चार फूल हैं...पुण्य प्राण दान है। परिचय: कवि यहाँ स्वतंत्रता के दीपक को शहीदों के बलिदान से जोड़ रहे हैं। सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी विपरीत क्यों न हों—भले ही आस-पास कुछ ही फूल हों और चारों ओर धूल हो, काँटेदार बाँस और बबूल हों और घास के ही वस्त्र हों, चाहे हवा लहरें उठाकर इस दीपक को बुझाने की कोशिश करे, फिर भी किसी शहीद की कब्र पर या मजार पर यह दीपक बुझना नहीं चाहिए। क्योंकि यह दीपक किसी शहीद के प्राणों का पवित्र दान है।

    ५. झूम-झूम बदलियाँ...स्वतंत्र गान है। परिचय: अंतिम पंक्तियों में कवि स्वतंत्रता की भावना को सर्वोपरि बताते हुए कविता का समापन करते हैं। सरल अर्थ: चाहे झूम-झूमकर बादल आएँ, बिजलियाँ चमकें, आँधियाँ उठें और हलचलें मचाएँ, चाहे हमारा देश युद्ध कर रहा हो या विशेष कष्टों से गुजर रहा हो, हमें छोटी-मोटी हार या जीत की चिंता किए बिना इस दीपक को बुझने नहीं देना है। यह दीपक हमारी स्वतंत्र भावना का ही एक स्वतंत्र गीत है।


    सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)


    कथन १: कवि कहते हैं कि तेज हवा चलने पर दीपक को बुझा देना चाहिए। उत्तर: गलत। कारण, कवि कहते हैं, "घोर अंधकार हो, चल रही बयार हो, आज द्वार-द्वार पर यह दिया बुझे नहीं।"

    कथन २: स्वतंत्रता का दीपक देश और समाज के लिए प्रकाश का वितान है। उत्तर: सही। कारण, कविता में पंक्ति है, "देश पर, समाज पर, ज्योति का वितान है।"

    कथन ३: कवि के अनुसार, स्वतंत्रता का दीपक किसी शहीद के प्राणों का दान है। उत्तर: सही। कारण, कवि कहते हैं, "यह किसी शहीद का पुण्य प्राण दान है।"

    कथन ४: कवि की सलाह है कि युद्ध के समय देशवासी छोटी-मोटी हार से निराश हो जाएँ। उत्तर: गलत। कारण, कवि कहते हैं, "क्षुद्र जीत-हार पर, यह दिया बुझे नहीं।"

    कथन ५: यह कविता परतंत्र भावना का गान है। उत्तर: गलत। कारण, कविता की अंतिम पंक्ति है, "यह स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है।"


    पद विश्लेषण (Poetry Appreciation)


    रचनाकार का नाम:  गोपालसिंह नेपाली रचना का प्रकार:  प्रेरणागीत

    पसंदीदा पंक्ति

    पसंदीदा होने का कारण

    रचना से प्राप्त संदेश

    यह निशीथ का दिया ला रहा विहान है।

    यह पंक्ति निराशा में आशा का एक शक्तिशाली बिंब प्रस्तुत करती है। यह बताती है कि सबसे गहरे अँधेरे (गुलामी) के बाद ही एक नई सुबह (आजादी) आती है।

    हमें कठिन से कठिन समय में भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।

    यह स्वदेश का दिया प्राण के समान है।

    यह पंक्ति स्वतंत्रता के महत्व को सीधे जीवन से जोड़ती है। यह हमें एहसास दिलाती है कि स्वतंत्रता उतनी ही मूल्यवान है जितने हमारे प्राण।

    हमें अपनी स्वतंत्रता की रक्षा अपने प्राणों की तरह ही करनी चाहिए।

    देश पर, समाज पर, ज्योति का वितान है।

    यह पंक्ति स्वतंत्रता के व्यापक प्रभाव को दर्शाती है। 'वितान' (आकाश) शब्द बताता है कि स्वतंत्रता की रोशनी पूरे देश और समाज पर एक सुरक्षा कवच की तरह फैली हुई है।

    स्वतंत्रता केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि एक सामूहिक वरदान है जो पूरे समाज को प्रकाशित करती है।

    यह किसी शहीद का पुण्य प्राण दान है।

    यह पंक्ति हमें स्वतंत्रता के लिए चुकाई गई कीमत की याद दिलाती है। यह स्वतंत्रता को शहीदों के बलिदान से जोड़कर उसे और भी पवित्र और सम्माननीय बना देती है।

    हमें शहीदों के बलिदान को कभी नहीं भूलना चाहिए और स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए।

    यह स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है।

    यह पंक्ति स्वतंत्रता की सच्ची परिभाषा देती है। यह केवल एक राजनीतिक स्थिति नहीं, बल्कि हमारी आत्मा और चेतना की स्वतंत्र अभिव्यक्ति का गीत है।

    सच्ची स्वतंत्रता मन और विचारों की आजादी में निहित है।


    स्वमत (Personal Opinion)


    प्रश्न १: कवि ने स्वतंत्रता के लिए 'दीपक' को ही प्रतीक के रूप में क्यों चुना है? उत्तर: कवि ने स्वतंत्रता के लिए 'दीपक' को प्रतीक के रूप में इसलिए चुना है क्योंकि दीपक और स्वतंत्रता में कई समानताएँ हैं। दीपक अंधकार को मिटाकर प्रकाश फैलाता है, ठीक उसी तरह स्वतंत्रता भी अज्ञानता, भय और गुलामी के अंधकार को मिटाकर ज्ञान और प्रगति का प्रकाश लाती है। दीपक को जलाए रखने के लिए निरंतर तेल और बाती का ध्यान रखना पड़ता है और उसे हवा से बचाना पड़ता है, उसी प्रकार स्वतंत्रता को भी बनाए रखने के लिए नागरिकों को निरंतर त्याग, जागरूकता और परिश्रम की आवश्यकता होती है। दीपक स्वयं जलकर दूसरों को राह दिखाता है, जो स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का प्रतीक है।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: प्रतीक, दीपक, स्वतंत्रता, अंधकार, प्रकाश, प्रगति, निरंतर प्रयास, जागरूकता, बलिदान।

    प्रश्न २: कविता में कवि देशवासियों से क्या अपेक्षाएँ करते हैं? उत्तर: कविता में कवि देशवासियों से यह अपेक्षा करते हैं कि वे हर परिस्थिति में देश की स्वतंत्रता की रक्षा करें। वे चाहते हैं कि देशवासी हर मुश्किल, जैसे- अंधकार, तूफान, बाढ़, युद्ध या आंतरिक अशांति, का सामना करें, लेकिन स्वतंत्रता के दीपक को बुझने न दें। वे यह अपेक्षा करते हैं कि नागरिक शहीदों के बलिदान को याद रखें और छोटी-मोटी हार-जीत से विचलित हुए बिना देश की एकता और आजादी को सर्वोपरि मानें। कवि चाहते हैं कि हर देशवासी स्वतंत्रता के महत्व को समझे और उसे अपने प्राणों के समान मूल्यवान माने। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: अपेक्षा, स्वतंत्रता की रक्षा, मुश्किल परिस्थिति, बलिदान का सम्मान, एकता, सर्वोपरि, कर्तव्य।

    प्रश्न ३: 'क्षुद्र जीत-हार पर, यह दिया बुझे नहीं' - इस पंक्ति का वर्तमान समय में क्या महत्व है? उत्तर: यह पंक्ति वर्तमान समय में बहुत महत्वपूर्ण है। आज हमारे देश में अक्सर छोटी-छोटी बातों, जैसे- राजनीतिक मतभेद, क्षेत्रीय विवाद या सामाजिक मुद्दों पर, लोग आपस में लड़ने लगते हैं। वे अपनी छोटी सी 'जीत' के लिए देश की एकता और शांति जैसी बड़ी चीजों को दाँव पर लगा देते हैं। कवि की यह पंक्ति हमें चेतावनी देती है कि हमें इन तुच्छ ('क्षुद्र') जीत-हार से ऊपर उठकर देखना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी आपसी लड़ाई में देश की स्वतंत्रता और अखंडता रूपी दीपक को कोई आँच न आए। देशहित व्यक्तिगत या समूह के हितों से हमेशा बड़ा होता है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: महत्व, राजनीतिक मतभेद, सामाजिक मुद्दे, देश की एकता, शांति, क्षुद्र जीत-हार, देशहित सर्वोपरि।

    प्रश्न ४: कविता में कवि ने स्वतंत्रता को किन-किन रूपों में देखा है? उत्तर: कविता में कवि ने स्वतंत्रता को अनेक रूपों में देखा है। वे इसे 'निशीथ का दिया' कहते हैं जो 'विहान' (नई सुबह) ला रहा है। वे इसे 'शक्ति का दिया', 'भक्ति से दिया' और 'प्राण के समान' बताते हैं। वे इसे देश की 'अतीत कल्पना', 'विनीत प्रार्थना', 'पुनीत भावना' और 'अनंत साधना' का प्रतीक मानते हैं। वे स्वतंत्रता को 'शहीद का पुण्य प्राण दान' कहकर उसे सर्वोच्च सम्मान देते हैं। अंत में, वे इसे 'स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान' कहकर इसे देश की आत्मा की आवाज बताते हैं। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: प्रतीक, रूप, विहान, प्राण समान, साधना, शहीद का दान, आत्मा की आवाज।

    प्रश्न ५: एक छात्र के रूप में आप देश की स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने में क्या योगदान दे सकते हैं? उत्तर: एक छात्र के रूप में, मैं कई तरह से देश की स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने में योगदान दे सकता हूँ। सबसे पहले, मैं अच्छी तरह से पढ़ाई करके एक ज्ञानी और जिम्मेदार नागरिक बनूँगा। मैं देश के कानूनों का पालन करूँगा और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करूँगा। मैं किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं करूँगा और सभी धर्मों और संस्कृतियों का सम्मान करके राष्ट्रीय एकता को मजबूत करूँगा। मैं सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा और स्वच्छता अभियान जैसे सामाजिक कार्यों में भाग लूँगा। एक जागरूक छात्र बनकर मैं देश की प्रगति में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दूँगा। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: योगदान, जिम्मेदार नागरिक, कानून का पालन, राष्ट्रीय एकता, सामाजिक कार्य, जागरूकता, प्रगति।


    संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)


    प्रश्न १: कवि किन-किन कठिन परिस्थितियों में दीपक को प्रज्वलित रखना चाहते हैं? उत्तर: कवि निम्नलिखित कठिन परिस्थितियों में दीपक को प्रज्वलित रखना चाहते हैं:

    • जब घोर अंधकार हो और तेज हवा चल रही हो।

    • जब नाव रुक रही हो और नदी का बहाव तेज हो।

    • जब शांति हो या अशांति; युद्ध, संधि या क्रांति का समय हो।

    • जब आँधियाँ और बिजलियों के साथ बादल घिरे हों।

    • जब देश युद्ध लड़ रहा हो या विशेष यातना से गुजर रहा हो।

    प्रश्न २: स्वतंत्रता के दीपक को कवि ने 'प्राण के समान' क्यों कहा है? उत्तर: कवि ने स्वतंत्रता के दीपक को 'प्राण के समान' इसलिए कहा है क्योंकि जिस प्रकार प्राणों के बिना शरीर का कोई अस्तित्व नहीं होता, उसी प्रकार स्वतंत्रता के बिना किसी राष्ट्र और उसके नागरिकों का कोई गौरव, सम्मान और अस्तित्व नहीं होता। स्वतंत्रता ही हमें विकास करने, अपने विचारों को व्यक्त करने और गरिमा के साथ जीने का अवसर देती है। यह उतनी ही मूल्यवान और आवश्यक है जितने कि हमारे प्राण।

    प्रश्न ३: कवि के अनुसार स्वतंत्रता का दीपक किसका प्रतीक है? उत्तर: कवि के अनुसार स्वतंत्रता का दीपक निम्नलिखित बातों का प्रतीक है:

    • अतीत की कल्पना

    • विनीत प्रार्थना

    • पुनीत भावना

    • अनंत साधना

    प्रश्न ४: 'यह स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है' - इस पंक्ति में आई कवि की भावना स्पष्ट कीजिए। उत्तर: इस पंक्ति में कवि की स्वतंत्रता के प्रति गहरी आस्था और गौरव की भावना व्यक्त हुई है। उनके लिए स्वतंत्रता केवल एक बाहरी शासन से मुक्ति नहीं है, बल्कि यह देश की आत्मा की अपनी मौलिक और स्वतंत्र अभिव्यक्ति है। यह एक ऐसा गान है जो किसी के दबाव में नहीं, बल्कि स्वतंत्र चेतना से उत्पन्न हुआ है। यह पंक्ति स्वतंत्रता के सबसे गहरे और आध्यात्मिक अर्थ को प्रकट करती है, जो हर नागरिक के मन में बसता है। प्रश्न ५: उचित जोड़ियाँ मिलाइए: उत्तर: | 'अ' | 'आ' | | :--- | :--- | | अतीत | कल्पना | | प्रार्थना | विनीत | | भावना | पुनीत | | साधना | अनंत |


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