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    2.1 - कह कविराय - Kah Kavirai - Class 9 - Lokbharati

    • Sep 13
    • 11 min read
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    पाठ का प्रकार: पद्य (कुंडलियाँ) पाठ का शीर्षक: कह कविराय लेखक/कवि का नाम: गिरिधर


    सारांश (Bilingual Summary)


    हिन्दी: प्रस्तुत पाठ में कवि गिरिधर की नीतिपरक कुंडलियाँ दी गई हैं । इन कुंडलियों के माध्यम से कवि ने जीवन के व्यावहारिक पक्ष पर प्रकाश डाला है । पहली कुंडली में वे गुणों के महत्व को बताते हैं, जैसे कौआ और कोयल एक रंग के होते हुए भी अपनी-अपनी वाणी के कारण पसंद या नापसंद किए जाते हैं । दूसरी कुंडली में वे संसार के मतलबी व्यवहार को उजागर करते हैं, जहाँ मित्र तभी तक साथ रहते हैं जब तक आपके पास धन है । तीसरी में वे मीठी बातें कहकर कर्ज लेने वाले और बाद में मुकर जाने वाले झूठे लोगों से सावधान करते हैं । चौथी कुंडली में बिना विचारे काम करने के दुष्परिणाम, जैसे पछतावा और जग-हँसाई, बताए गए हैं । पाँचवीं में वे बीती बातों को भुलाकर भविष्य पर ध्यान केंद्रित करने की सीख देते हैं । अंतिम कुंडली में वे परोपकार का महत्व बताते हुए कहते हैं कि जिस तरह नाव में भरा पानी बाहर फेंकते हैं, उसी तरह घर में बढ़ा हुआ धन दान कर देना चाहिए ।


    English: This lesson presents the didactic Kundalis of the poet Giridhar. Through these Kundalis, the poet sheds light on the practical aspects of life. In the first Kundali, he explains the importance of virtues, just as a crow and a cuckoo, despite being of the same color, are liked or disliked based on their voices. In the second, he exposes the selfish nature of the world, where friends stay with you only as long as you have money. In the third, he warns against deceitful people who borrow money with sweet talk and later refuse to repay it. The fourth Kundali describes the negative consequences of acting without thinking, such as regret and public ridicule. In the fifth, he advises to forget the past and focus on the future. The final Kundali explains the importance of charity, stating that just as one bails out water from a boat, one should donate excess wealth.


    केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)


    हिन्दी: इन कुंडलियों का केंद्रीय भाव विविध सामाजिक गुणों को अपनाने की बात करना है । कवि गिरिधर ने नीति, वैराग्य और अध्यात्म से जुड़ी बातों के माध्यम से जीवन जीने की कला सिखाई है । वे पाठकों को गुणों का सम्मान करने, मतलबी दुनिया में सच्चे-झूठे मित्रों को पहचानने, सोच-समझकर कार्य करने, अतीत को भुलाकर आगे बढ़ने और परोपकार तथा सदाचार के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कुंडलियों का मूल उद्देश्य व्यावहारिक ज्ञान देकर व्यक्ति को एक सफल और सम्मानित जीवन के लिए तैयार करना है।


    English: The central theme of these Kundalis is to advocate for the adoption of various social virtues. Poet Giridhar, through themes of ethics, detachment, and spirituality, has taught the art of living. He inspires readers to value virtues, identify true and false friends in a selfish world, act thoughtfully, move on from the past, and follow the path of charity and good conduct. The core purpose of these Kundalis is to prepare an individual for a successful and respectable life by imparting practical wisdom.


    शब्दार्थ (Glossary)


    शब्द (Word)

    पर्यायवाची शब्द (Synonym)

    विलोम शब्द (Antonym)

    गाहक

    ग्राहक, खरीदार

    विक्रेता

    सुहावन

    सुहावना, प्रिय

    अप्रिय, मनहूस

    अपावन

    अपवित्र, अशुद्ध

    पावन, पवित्र

    गाँठ

    जेब, थैली

    -

    बेगरजी

    निस्वार्थ, बिना गरज के

    स्वार्थी, मतलबी

    ऋण

    कर्ज, उधार

    -

    पाछै

    पीछे, बाद में

    आगे, पहले

    सुधि

    याद, चेतना

    विस्मृति, भूल

    परतीती

    प्रतीति, विश्वास

    अविश्वास, संदेह

    उलीचिए

    बाहर फेंकिए, निकालिए

    भरिए, डालिए


    पंक्तियों का सरल अर्थ लिखें (Simple Meaning of Lines)


    १. गुन के गाहक सहस नर...सहस नर गाहक गुन के।। परिचय: इन पंक्तियों में कवि गुणों के महत्व को कौए और कोयल के उदाहरण से समझा रहे हैं। सरल अर्थ: कवि गिरिधर कहते हैं कि गुणी व्यक्ति के हजारों ग्राहक (चाहने वाले) होते हैं, पर बिना गुणों के किसी को कोई नहीं पूछता। जैसे कौआ और कोयल की आवाज तो सब सुनते हैं, पर कोयल की मीठी वाणी सभी को अच्छी लगती है। दोनों का रंग एक जैसा काला होता है, फिर भी कौए को सब अपवित्र मानते हैं। इसलिए कवि कहते हैं कि हे मन के ठाकुर (मनुष्य), सुनो, दुनिया में गुणी व्यक्ति के हजारों प्रशंसक हैं, पर निर्गुणी को कोई नहीं पूछता।

    २. देखा सब संसार में...मित्र कोई बिरला देखा।। परिचय: कवि यहाँ संसार के स्वार्थी व्यवहार और सच्चे मित्र की दुर्लभता पर प्रकाश डाल रहे हैं। सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि मैंने पूरे संसार में देखा है कि सभी का व्यवहार मतलब का है। जब तक किसी की जेब में पैसा है, तभी तक उसके मित्र होते हैं। मित्र उसके साथ-साथ घूमते हैं, पर जैसे ही पैसा पास नहीं रहता, वही मित्र मुँह से बात भी नहीं करते। कवि गिरिधर कहते हैं कि इस दुनिया का यही व्यवहार है; बिना किसी स्वार्थ के प्रेम करने वाला कोई विरला मित्र ही देखने को मिलता है।

    ३. झूठा मीठे वचन कहि...कहै तेरो कागज झूठा।। परिचय: इन पंक्तियों में कवि कर्ज लेकर न चुकाने वाले झूठे व्यक्ति के स्वभाव का वर्णन कर रहे हैं। सरल अर्थ: झूठा व्यक्ति मीठे वचन कहकर कर्ज उधार ले जाता है। कर्ज लेते समय उसे बहुत सुख मिलता है, पर लेकर उसे चुकाता नहीं है। जब कर्ज चुकाने को कहा जाता है तो वह ऊँच-नीच बताने लगता है (बहाने बनाता है)। कर्ज के लेन-देन का यही तरीका है कि माँगने पर वह मारने दौड़ता है। कवि गिरिधर कहते हैं कि वह मन ही मन रूठा रहता है और जब बहुत दिन हो जाते हैं तो कह देता है कि तुम्हारा कर्ज का कागज ही झूठा है।

    ४. बिना विचारे जो करै...कियो जो बिना विचारे।। परिचय: कवि यहाँ बिना सोचे-समझे काम करने के हानिकारक परिणामों के बारे में बता रहे हैं। सरल अर्थ: जो व्यक्ति बिना सोचे-विचारे कोई काम करता है, वह बाद में पछताता है। वह अपना काम तो बिगाड़ता ही है, साथ ही दुनिया में उसकी हँसी भी उड़ती है। जग में हँसी होने से उसके मन को शांति नहीं मिलती। उसे खाना-पीना, मान-सम्मान, गीत-संगीत कुछ भी अच्छा नहीं लगता। कवि गिरिधर कहते हैं कि यह दुख किसी भी तरह टाले नहीं टलता और जो काम बिना सोचे-विचारे किया था, वह हमेशा मन में खटकता रहता है।

    ५. बीती ताहि बिसारि दे...समझ बीती सो बीती।। परिचय: इन पंक्तियों में कवि अतीत को भूलकर भविष्य के बारे में सोचने की सलाह दे रहे हैं। सरल अर्थ: कवि कहते हैं कि जो बीत गया, उसे भूल जाओ और आगे की सुध लो (भविष्य के बारे में सोचो)। जो काम सहजता से बन सके, उसी में अपना मन लगाओ। उसी काम में मन लगाओ जो आसानी से हो जाए, ताकि दुष्ट लोग हँसें नहीं और तुम्हारे मन को भी कोई ठेस न पहुँचे। कवि गिरिधर कहते हैं कि अपने मन में यही विश्वास रखो, आगे की सोचो और समझ लो कि जो बीत गया सो बीत गया।

    ६. पानी बाढ़ो नाव में...राखिए अपनो पानी।। परिचय: कवि यहाँ परोपकार और सदाचार के महत्व को नाव और घर के उदाहरण से स्पष्ट कर रहे हैं। सरल अर्थ: यदि नाव में पानी भरने लगे और घर में धन बढ़ने लगे, तो समझदार व्यक्ति का यही काम है कि वह दोनों हाथों से उसे बाहर निकाले (दान करे)। यही सयानों का काम है; साथ ही राम का स्मरण करना चाहिए। परोपकार के लिए अपना शीश भी आगे कर देना चाहिए (बलिदान के लिए तैयार रहना चाहिए)। कवि गिरिधर कहते हैं कि बड़ों की यही सीख है कि हमेशा अच्छी चाल चलो (सदाचार का पालन करो) और अपना मान-सम्मान (पानी) बनाए रखो।


    सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)


    कथन १: बिना गुणों वाले व्यक्ति को समाज में हजारों लोग चाहते हैं। उत्तर: गलत। कारण, कवि कहते हैं, "बिन गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुन के।"


    कथन २: कवि के अनुसार मित्र तभी तक साथ घूमते हैं जब तक आपके पास पैसा होता है। उत्तर: सही। कारण, कुंडली में कहा गया है, "जब लगि पैसा गाँठ में, तब लगि ताको यार। यार सँग ही सँग डोलै।"


    कथन ३: जो व्यक्ति बिना सोचे काम करता है, उसे दुनिया में सम्मान मिलता है। उत्तर: गलत। कारण, कवि कहते हैं, "काम बिगारै आपनो, जग में होत हँसाय।"


    कथन ४: कवि की सलाह है कि बीती बातों को हमेशा याद रखना चाहिए। उत्तर: गलत। कारण, कवि स्पष्ट रूप से कहते हैं, "बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ।"


    कथन ५: घर में धन बढ़ने पर उसे दोनों हाथों से दान कर देना चाहिए। उत्तर: सही। कारण, कवि कहते हैं, "घर में बाढ़ो दाम। दोनों हाथ उलीचिए, यही सयानो काम।"


    पद विश्लेषण (Poetry Appreciation)


    रचनाकार का नाम: गिरिधर

    रचना का प्रकार: कुंडलियाँ

    पसंदीदा पंक्ति

    पसंदीदा होने का कारण

    रचना से प्राप्त संदेश

    गुन के गाहक सहस नर, बिन गुन लहै न कोय।

    यह पंक्ति बाहरी सुंदरता की जगह आंतरिक गुणों के महत्व को बहुत सरलता से स्थापित करती है, जो एक सार्वभौमिक सत्य है।

    व्यक्ति की पहचान उसके गुणों से होती है, रूप-रंग से नहीं।

    करत बेगरजी प्रीति, मित्र कोई बिरला देखा।

    यह पंक्ति मित्रता की सच्ची और दुर्लभ परिभाषा बताती है। आज के स्वार्थी युग में यह पंक्ति बहुत प्रासंगिक है।

    निस्वार्थ मित्रता बहुत अनमोल और दुर्लभ होती है।

    बिना विचारे जो करै, सो पाछै पछताय।

    यह पंक्ति एक बहुत ही व्यावहारिक सीख देती है। यह हमें जीवन के हर कदम पर धैर्य और सोच-विचार के महत्व की याद दिलाती है।

    कोई भी कार्य करने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए।

    बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ।

    यह पंक्ति मानसिक शांति और जीवन में आगे बढ़ने का अचूक मंत्र है। अतीत के बोझ से मुक्त होकर ही हम भविष्य को बेहतर बना सकते हैं।

    हमें अतीत में जीने की बजाय वर्तमान में रहकर भविष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

    चलिए चाल सुचाल, राखिए अपनो पानी।

    यह पंक्ति सदाचार और आत्म-सम्मान के बीच के गहरे संबंध को दर्शाती है। 'पानी' शब्द का लाक्षणिक प्रयोग बहुत प्रभावशाली है।

    हमारा मान-सम्मान हमारे अच्छे आचरण पर ही निर्भर करता है।


    स्वमत (Personal Opinion)


    प्रश्न १: 'गुन के गाहक सहस नर' - आज के युग में यह कथन कितना प्रासंगिक है? उत्तर: मेरे विचार में, 'गुन के गाहक सहस नर' यह कथन आज के युग में भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना पहले था। हालाँकि आज बाहरी दिखावे और सोशल मीडिया का बोलबाला है, लेकिन अंततः व्यक्ति के गुण ही उसे स्थायी सम्मान और सफलता दिलाते हैं। एक सुंदर लेकिन अवगुणी व्यक्ति को शायद क्षणिक प्रसिद्धि मिल जाए, पर एक गुणी व्यक्ति, जैसे एक कुशल डॉक्टर, एक ईमानदार शिक्षक या एक प्रतिभाशाली कलाकार, को समाज हमेशा खोजता है और सम्मान देता है। सच्ची प्रतिभा और अच्छे चरित्र का महत्व कभी कम नहीं होता। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: प्रासंगिकता, आंतरिक गुण, स्थायी सम्मान, सच्ची प्रतिभा, चरित्र, बाहरी दिखावा, सफलता।

    प्रश्न २: कवि के कथन 'बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ' का हमारे जीवन में क्या महत्व है? उत्तर: कवि के इस कथन का हमारे जीवन में बहुत गहरा महत्व है। अक्सर हम अपनी पिछली गलतियों या असफलताओं के बोझ तले दबे रहते हैं, जिससे हमारा वर्तमान प्रभावित होता है और हम भविष्य के लिए कोई नई पहल नहीं कर पाते। यह कथन हमें सिखाता है कि अतीत से केवल सीख लेकर उसे पीछे छोड़ देना चाहिए। जो हो चुका है, उसे बदला नहीं जा सकता। अपनी ऊर्जा को अतीत पर पछताने में व्यर्थ करने की बजाय, हमें उसे अपने भविष्य को सँवारने में लगाना चाहिए। यही मानसिक शांति और प्रगति का एकमात्र मार्ग है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: महत्व, मानसिक शांति, प्रगति, अतीत का बोझ, असफलता, ऊर्जा, भविष्य निर्माण, सकारात्मक सोच।

    प्रश्न ३: बिना सोचे काम करने का कोई एक दुष्परिणाम बताते हुए अपना अनुभव लिखिए। उत्तर: बिना सोचे काम करने का सबसे बड़ा दुष्परिणाम पछतावा होता है, जैसा कि कवि ने कहा है। एक बार परीक्षा के दौरान, मैंने एक प्रश्न को बिना ठीक से पढ़े, जल्दी में उसका उत्तर लिखना शुरू कर दिया। आधा उत्तर लिखने के बाद मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ कि प्रश्न में कुछ और पूछा गया था। तब तक काफी समय बर्बाद हो चुका था। हड़बड़ी में मुझे उस उत्तर को काटना पड़ा और फिर से लिखना पड़ा, जिससे मेरा बाकी का पेपर भी प्रभावित हुआ। उस दिन मुझे कवि की बात का सही अर्थ समझ आया कि बिना विचारे काम करने से व्यक्ति अपना ही काम बिगाड़ता है और बाद में सिर्फ पछताता है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: दुष्परिणाम, पछतावा, अनुभव, जल्दबाजी, समय की बर्बादी, गलती का एहसास, सीख।

    प्रश्न ४: कवि के अनुसार एक मतलबी और एक सच्चे मित्र में क्या अंतर है? उत्तर: कवि के अनुसार, एक मतलबी और एक सच्चे मित्र में जमीन-आसमान का अंतर है। मतलबी मित्र केवल आपके धन-दौलत का मित्र होता है। जब तक आपके पास पैसा है , वह आपके साथ-साथ घूमेगा , लेकिन जैसे ही आपका धन समाप्त हो जाता है, वह आपसे बात करना भी बंद कर देता है । इसके विपरीत, एक सच्चा मित्र निस्वार्थ भाव से प्रेम करता है ("करत बेगरजी प्रीति") । वह आपके सुख-दुख में, अमीरी-गरीबी में समान भाव से आपका साथ देता है। कवि के अनुसार, ऐसे निस्वार्थ मित्र दुनिया में बहुत दुर्लभ ("बिरला") होते हैं ।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: अंतर, मतलबी, सच्चा मित्र, धन-दौलत, निस्वार्थ प्रेम, सुख-दुख, दुर्लभ।

    प्रश्न ५: 'खुशियाँ बाँटने से बढ़ती हैं' इस कथन और कवि की परोपकार संबंधी सीख में क्या समानता है? उत्तर: 'खुशियाँ बाँटने से बढ़ती हैं' यह कथन और कवि की परोपकार संबंधी सीख, दोनों का मूल भाव एक ही है - देने का सुख। कवि कहते हैं कि जिस तरह नाव में पानी भरने पर उसे बाहर फेंकना जरूरी है, उसी तरह घर में धन बढ़ने पर उसे दान करना चाहिए । ऐसा करने से समाज का भला होता है और हमें भी आत्मिक शांति और यश मिलता है। ठीक इसी तरह, जब हम अपनी खुशियाँ दूसरों के साथ बाँटते हैं, तो वे कम नहीं होतीं, बल्कि और बढ़ जाती हैं। दोनों ही स्थितियों में, हम अपनी अच्छी चीजों (धन और खुशी) को दूसरों के साथ साझा करके एक बेहतर और अधिक सकारात्मक समाज का निर्माण करते हैं।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: समानता, परोपकार, दान, खुशियाँ बाँटना, देने का सुख, आत्मिक शांति, सकारात्मक समाज।

    संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)


    प्रश्न १: बिना सोचे-विचारे काम करने के क्या परिणाम होते हैं? उत्तर: बिना सोचे-विचारे काम करने के निम्नलिखित परिणाम होते हैं:

    • व्यक्ति बाद में पछताता है।

    • वह अपना ही काम बिगाड़ लेता है।

    • संसार में उसकी हँसी उड़ती है।

    • उसके मन को शांति नहीं मिलती और उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता।


    प्रश्न २: कवि गिरिधर के अनुसार 'सयानों के काम' कौन-से हैं? उत्तर: कवि गिरिधर के अनुसार 'सयानों के काम' निम्नलिखित हैं:

    • घर में धन बढ़ने पर उसे दोनों हाथों से दान करना।

    • ईश्वर का स्मरण करना।

    • परोपकार के लिए बलिदान देने को तैयार रहना।

    • अच्छे आचरण का पालन करना और अपना मान-सम्मान बनाए रखना।


    प्रश्न ३: कवि ने कौआ और कोयल का उदाहरण किस बात को स्पष्ट करने के लिए दिया है? उत्तर: कवि ने कौआ और कोयल का उदाहरण गुणों के महत्व को स्पष्ट करने के लिए दिया है। वे बताना चाहते हैं कि कौआ और कोयल, दोनों का रंग काला होता है, यानी वे बाहरी रूप से एक समान दिखते हैं । इसके बावजूद, कोयल को उसकी मीठी वाणी (गुण) के कारण सभी पसंद करते हैं, जबकि कौए को उसकी कर्कश वाणी के कारण अपवित्र माना जाता है । इस प्रकार, व्यक्ति की असली पहचान उसके बाहरी रूप से नहीं, बल्कि उसके आंतरिक गुणों से होती है।


    प्रश्न ४: ऋण (कर्ज) लेते और लौटाते समय झूठे व्यक्ति के व्यवहार में क्या परिवर्तन आता है? उत्तर: ऋण लेते और लौटाते समय झूठे व्यक्ति के व्यवहार में बहुत बड़ा परिवर्तन आता है।

    • ऋण लेते समय: वह बहुत मीठे वचन बोलता है और उसे कर्ज लेने में बहुत सुख मिलता है।

    • ऋण लौटाते समय: जब उससे कर्ज वापस माँगा जाता है, तो वह ऊँच-नीच बताने लगता है (बहाने बनाता है) और माँगने पर मारने दौड़ता है । बहुत दिन हो जाने पर वह यह भी कह सकता है कि कर्ज का कागज ही झूठा है ।


    प्रश्न ५: आकृति पूर्ण कीजिए: कौआ और कोकिल में समानता तथा अंतर | | समानता | अंतर | | :--- | :--- | :--- | | कौआ | रंग काला  | वाणी कर्कश, अपवित्र माना जाता है  |

    कोकिल | रंग काला  | वाणी मीठी, सबको प्रिय लगती है  |


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