2.2 - सब चढ़ा दो वहाँ - Sab Chadha Do Wahan - Class 7 - Sugambharati 1
- Nov 1
- 8 min read
Updated: Nov 5

पाठ का प्रकार: पद्य
पाठ का शीर्षक: सब चढ़ा दो वहाँ
लेखक/कवि का नाम: डॉ. विष्णु सक्सेना
सारांश (Bilingual Summary)
हिन्दी: यह एक प्रेरणादायक गीत है। इसमें कवि ने फूल, पेड़ और होंठों के माध्यम से परोपकार का संदेश दिया है। तितलियों के पूछने पर फूल बताता है कि वह काँटों के बीच रहकर भी खुशबू लुटाता है, इसलिए खुश है। पेड़ बताता है कि वह अपने सारे फल बाँटकर सुखी होता है। होंठ बताते हैं कि वे इसलिए मुस्कुराते हैं ताकि किसी की आँख में आँसू न आएँ। अंत में, कवि जब सृष्टिकर्ता से पूछते हैं कि उनसे भी बड़ा कौन है, तो उन्हें उत्तर मिलता है कि माता-पिता का स्थान सर्वोच्च है और सब कुछ उन्हीं को समर्पित कर देना चाहिए।
English: This is an inspirational song. In this, the poet gives the message of philanthropy through the examples of a flower, a tree, and lips. When asked by butterflies, the flower reveals it stays happy by spreading fragrance even while living amidst thorns. The tree explains that it finds happiness in distributing all its fruits. The lips share that they smile to ensure no tears come to anyone's eyes. In the end, when the poet asks the Creator who is greater than Him, he gets the answer that the position of parents is supreme, and everything should be dedicated to them.
केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)
हिन्दी: इस कविता का केंद्रीय भाव परोपकार, हर स्थिति में प्रसन्न रहना और माता-पिता के सर्वोच्च स्थान को दर्शाना है। कवि फूल, पेड़ और होंठों के उदाहरण से यह संदेश देते हैं कि सच्चा सुख दूसरों को अपना सर्वस्व बाँटने और उन्हें सुख पहुँचाने में है। कविता का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह है कि इस संसार में सृष्टिकर्ता से भी ऊँचा स्थान माता-पिता का है, अतः हमें अपना सब कुछ उन्हीं के चरणों में समर्पित कर देना चाहिए।
English: The central theme of this poem is to showcase philanthropy, staying happy in every situation, and the supreme position of parents. Through the examples of the flower, tree, and lips, the poet conveys the message that true happiness lies in sharing everything one has and giving comfort to others. The final and most important message of the poem is that in this world, parents hold a position even higher than the Creator, and therefore, we should dedicate our everything at their feet.
शब्दार्थ (Glossary)
शब्द (Word) | पर्यायवाची शब्द (Synonym) | विलोम शब्द (Antonym) |
हरेक | प्रत्येक | कुछ |
जंजाल | झंझट, उलझन | सुलझन |
सृजनहार | सृष्टि निर्माता | संहारक |
काल | समय | - |
खुश | प्रसन्न | दुखी |
हाल | स्थिति, दशा | - |
सुख | आनंद | दुख |
बाँटना | वितरित करना | बटोरना |
कोशिश | प्रयास, प्रयत्न | - |
आँसू | अश्रु | मुस्कान |
पंक्तियों का सरल अर्थ लिखें (Simple Meaning of Lines)
१. एक दिन फूल से तितलियों ने कहा,
कैसे रहते हो खुश तुम हरेक हाल में ?
फूल बोला कि खुशबू लुटाता हूँ मैं,
जब कि रहता हूँ काँटों के जंजाल में ।।
परिचय: इन पंक्तियों में तितलियाँ फूल से उसकी खुशी का रहस्य पूछती हैं।
सरल अर्थ: एक दिन तितलियों ने फूल से पूछा कि तुम हर हाल में (हर परिस्थिति में) इतने खुश कैसे रह लेते हो? इस पर फूल ने जवाब दिया कि मैं काँटों के जाल (यानी मुश्किलों) में रहकर भी अपनी खुशबू (अच्छाई) सब में लुटाता रहता हूँ, इसीलिए मैं खुश हूँ।
२. एक दिन पेड़ से पंछियों ने कहा,
मस्त रहते हो कैसे हरेक हाल में ?
पेड़ बोला कि मिलता मुझे इसमें सुख,
बाँट देता हूँ जो फल लगे डाल में।
परिचय: इन पंक्तियों में पंछी एक पेड़ से उसकी मस्ती (आनंद) का कारण पूछते हैं।
सरल अर्थ: एक दिन पंछियों ने पेड़ से पूछा कि तुम हर हाल में इतने मस्त (आनंदित) कैसे रहते हो? पेड़ ने उत्तर दिया कि मेरी डाल पर जो भी फल लगते हैं, मैं उन्हें दूसरों में बाँट देता हूँ और इसी बाँटने में मुझे सच्चा सुख मिलता है।
३. एक दिन ओंठ से आँख ने ये कहा,
मुस्करा कैसे लेते हो हरेक हाल में;
ओंठ बोले, "है कोशिश किसी आँख से,
कोई आँसू न आए नये साल में ।"
परिचय: इस अंश में आँख, होंठों से उनके मुस्कुराने का राज पूछती है।
सरल अर्थ: एक दिन आँख ने होंठों से पूछा कि तुम हर हाल में मुस्कुरा कैसे लेते हो? होंठों ने जवाब दिया कि हम इसलिए मुस्कुराते हैं क्योंकि हम यह कोशिश करते रहते हैं कि नए साल में किसी भी आँख से कोई आँसू न बहे (अर्थात सब खुश रहें)।
४. एक दिन मैंने पूछा सृजनहार से !
आप से भी बड़ा कौन इस काल में ?
बोले, "माँ-बाप से है न कोई बड़ा,
सब चढ़ा दो वहाँ, जो रखा थाल में।"
परिचय: इन अंतिम पंक्तियों में कवि, सृष्टिकर्ता से संसार के सबसे बड़े सत्य के बारे में पूछते हैं।
सरल अर्थ: एक दिन मैंने (कवि ने) सृष्टिकर्ता से पूछा कि इस समय में आपसे भी बड़ा कौन है? उन्होंने जवाब दिया कि इस दुनिया में माता-पिता से बड़ा कोई नहीं है, तुम्हारे पास थाल में जो कुछ भी है (तुम्हारा सर्वस्व), वह सब उन्हीं के चरणों में चढ़ा दो (समर्पित कर दो)।
सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)
कथन १: फूल काँटों के जंजाल में रहकर दुखी रहता है।
उत्तर: गलत। कारण, फूल बोला कि वह काँटों के जंजाल में रहकर भी "खुशबू लुटाता" है और "खुश" रहता है।
कथन २: पेड़ अपने फल बेचकर सुख प्राप्त करता है।
उत्तर: गलत। कारण, पेड़ ने कहा कि उसे सुख अपने फल "बाँट देता हूँ" से मिलता है।
कथन ३: आँख ने होंठों से उनके रोने का कारण पूछा।
उत्तर: गलत। कारण, आँख ने होंठों से पूछा कि वे हर हाल में "मुस्करा कैसे लेते हो"।
कथन ४: होंठों की कोशिश है कि कोई आँसू न आए।
उत्तर: सही। कारण, होंठों ने कहा, "है कोशिश किसी आँख से, कोई आँसू न आए नये साल में"।
कथन ५: सृजनहार के अनुसार, उनसे बड़ा कोई नहीं है।
उत्तर: गलत। कारण, सृजनहार ने कहा, "माँ-बाप से है न कोई बड़ा"।
पद विश्लेषण (Poetry Appreciation)
रचनाकार का नाम: डॉ. विष्णु सक्सेना
रचना का प्रकार: यह एक प्रेरणादायक गीत है।
पसंदीदा पंक्ति | पसंदीदा होने का कारण | रचना से प्राप्त संदेश |
फूल बोला कि खुशबू लुटाता हूँ मैं, जब कि रहता हूँ काँटों के जंजाल में। | यह पंक्ति सिखाती है कि परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन हों, हमें अपनी अच्छाई (परोपकार) नहीं छोड़नी चाहिए। | हमें मुश्किलों के बावजूद सकारात्मक रहकर दूसरों का भला करना चाहिए। |
पेड़ बोला कि मिलता मुझे इसमें सुख, बाँट देता हूँ जो फल लगे डाल में। | यह पंक्ति 'बाँटने' के वास्तविक सुख को दर्शाती है, जो स्वार्थ से कहीं अधिक बड़ा और स्थायी है। | सच्चा सुख 'लेने' में नहीं, बल्कि 'देने' और त्याग करने में है। |
ओंठ बोले, "है कोशिश किसी आँख से, कोई आँसू न आए नये साल में।" | यह पंक्ति दूसरों के दुख को अपना दुख समझने की गहरी मानवीय भावना (समानुभूति) को दिखाती है। | हमारी स्वयं की खुशी का स्रोत दूसरों को खुश करने का प्रयास होना चाहिए। |
बोले, "माँ-बाप से है न कोई बड़ा, | यह पंक्ति माता-पिता के सर्वोच्च स्थान को स्पष्ट करती है, जिसे स्वयं सृष्टिकर्ता ने ईश्वर से भी ऊपर माना है। | माता-पिता का स्थान इस संसार में सर्वोच्च और पूजनीय है। |
सब चढ़ा दो वहाँ, जो रखा थाल में।" | यह पंक्ति हमें माता-पिता के प्रति पूर्ण समर्पण और निःस्वार्थ सेवा की सबसे बड़ी प्रेरणा देती है। | हमें अपना सर्वस्व (सब कुछ) अपने माता-पिता को समर्पित कर देना चाहिए। |
स्वमत (Personal Opinion)
प्रश्न १: फूल काँटों के बीच रहकर भी खुशबू लुटाता है। इससे आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर: फूल के इस व्यवहार से मुझे यह प्रेरणा मिलती है कि जीवन में परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन और प्रतिकूल क्यों न हों, हमें अपने सकारात्मक गुणों और अच्छाई को नहीं छोड़ना चाहिए। जैसे फूल काँटों की परवाह किए बिना अपनी खुशबू फैलाता है, वैसे ही हमें भी मुश्किलों की शिकायत करने के बजाय दूसरों के जीवन में अच्छाई और सकारात्मकता फैलानी चाहिए।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: कठिन परिस्थितियाँ, सकारात्मकता, अच्छाई, परोपकार, शिकायत न करना, प्रतिकूल।
प्रश्न २: 'बाँट देने' में पेड़ को सुख क्यों मिलता है?
उत्तर: पेड़ को 'बाँट देने' में इसलिए सुख मिलता है क्योंकि परोपकार और त्याग में ही सच्चा आनंद निहित है। फल पेड़ के परिश्रम का परिणाम हैं, लेकिन वह उन्हें अपने लिए सँजोकर नहीं रखता। जब वह अपने फल दूसरों को देता है, तो उससे दूसरों की भूख मिटती है और उन्हें खुशी मिलती है। दूसरों को मिली इसी संतुष्टि और खुशी को देखकर पेड़ को स्वार्थ से कहीं अधिक बड़ा और वास्तविक सुख मिलता है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: परोपकार, निस्वार्थ भाव, सच्चा सुख, त्याग, संतुष्टि, दूसरों की खुशी।
प्रश्न ३: 'होंठों का मुस्कुराना' और 'आँख के आँसू' में क्या संबंध है?
उत्तर: कविता के अनुसार, 'होंठों का मुस्कुराना' और 'आँख के आँसू' में गहरा परोपकारी संबंध है। होंठ इसलिए मुस्कुरा रहे हैं क्योंकि वे यह प्रयास कर रहे हैं कि किसी दूसरे की आँखों में आँसू न आएँ। यहाँ होंठों की मुस्कुराहट स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि दूसरों को हिम्मत देने और उनकी पीड़ा को कम करने का एक माध्यम है। यह दर्शाता है कि सच्ची खुशी दूसरों के दुखों को दूर करने के प्रयास में है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: समानुभूति, दूसरों का दुख, सेवा भाव, सच्ची खुशी, परोपकार, प्रेरणा देना।
प्रश्न ४: कवि ने माता-पिता को सृजनहार से भी बड़ा क्यों बताया है?
उत्तर: कवि ने माता-पिता को सृजनहार से भी बड़ा इसलिए बताया है क्योंकि सृजनहार तो केवल सृष्टि की रचना करते हैं, लेकिन माता-पिता हमें जन्म देते हैं, हमारा पालन-पोषण करते हैं और हमें जीवन जीना सिखाते हैं। वे हमारे लिए अनगिनत त्याग करते हैं और बिना किसी स्वार्थ के हमसे प्रेम करते हैं। वे हमारे पृथ्वी पर साक्षात ईश्वर का रूप हैं। इसी निःस्वार्थ प्रेम और त्याग के कारण उनका स्थान सृजनहार से भी ऊँचा है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: जन्मदाता, पालन-पोषण, त्याग, निःस्वार्थ प्रेम, सर्वोच्च स्थान, साक्षात ईश्वर।
प्रश्न ५: कविता का शीर्षक 'सब चढ़ा दो वहाँ' क्यों रखा गया है?
उत्तर: कविता का शीर्षक 'सब चढ़ा दो वहाँ' इसलिए रखा गया है क्योंकि यह कविता का मुख्य संदेश और सर्वोच्च सीख है। कविता परोपकार के विभिन्न रूपों (खुशबू, फल, मुस्कान) को दर्शाती है, लेकिन अंत में यह बताती है कि सबसे बड़ा परोपकार और धर्म माता-पिता की सेवा है। शीर्षक हमें यह निर्देश देता है कि हमारे पास जो कुछ भी है, हमारा 'सर्वस्व', उसे हमें अपने माता-पिता के चरणों में समर्पित कर देना चाहिए, क्योंकि वे ही सर्वोच्च हैं।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: समर्पण, माता-पिता, सर्वोच्च स्थान, मुख्य संदेश, सर्वस्व अर्पण, धर्म, सेवा।
संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)
प्रश्न १: फूल हर हाल में क्यों खुश रहता है?
उत्तर: फूल हर हाल में इसलिए खुश रहता है, क्योंकि वह काँटों के जंजाल (मुश्किलों) में रहने के बावजूद हर हाल में अपनी खुशबू लुटाता (परोपकार करता) रहता है।
प्रश्न २: पेड़ हर हाल में मस्त क्यों रहता है?
उत्तर: पेड़ हर हाल में इसलिए मस्त रहता है, क्योंकि उसकी डाल पर जो भी फल लगते हैं, वह उन्हें दूसरों में बाँट देता है और इसी बाँटने में उसे सच्चा सुख मिलता है।
प्रश्न ३: आँख ने होंठों से क्या पूछा?
उत्तर: आँख ने होंठों से यह पूछा कि तुम हर हाल में (हर परिस्थिति में) मुस्कुरा कैसे लेते हो?
प्रश्न ४: होंठों ने आँख को अपने मुस्कुराने का क्या कारण बताया?
उत्तर: होंठों ने बताया कि वे इसलिए मुस्कुराते हैं क्योंकि वे यह कोशिश करते रहते हैं कि नए साल में किसी भी आँख से कोई आँसू न बहे, अर्थात सभी लोग खुश रहें।
प्रश्न ५: सृजनहार ने सबसे बड़ा किसे माना है और कवि को क्या करने के लिए कहा है?
उत्तर: सृजनहार ने "माँ-बाप" (माता-पिता) को सबसे बड़ा माना है। उन्होंने कवि से कहा कि उनके पास थाल में जो कुछ भी है (उनका सर्वस्व), वह सब माता-पिता के चरणों में चढ़ा दें (समर्पित कर दें)।
Found any mistakes or suggestions? Click here to send us your feedback!
About BhashaLab
BhashaLab is a dynamic platform dedicated to the exploration and mastery of languages - operating both online and offline. Aligned with the National Education Policy (NEP) 2020 and the National Credit Framework (NCrF), we offer language education that emphasizes measurable learning outcomes and recognized, transferable credits.
We offer:
1. NEP alligned offline language courses for degree colleges - English, Sanskrit, Marathi and Hindi
2. NEP alligned offline language courses for schools - English, Sanskrit, Marathi and Hindi
3. Std VIII, IX and X - English and Sanskrit Curriculum Tuitions - All boards
4. International English Olympiad Tuitions - All classes
5. Basic and Advanced English Grammar - Offline and Online - Class 3 and above
6. English Communication Skills for working professionals, adults and students - Offline and Online
Contact: +91 86577 20901, +91 97021 12044
Mail: info@bhashalab.com
Website: www.bhashalab.com




Thank you! The notes are fantastic.