2.4 - सोनू हाथी - Sonu Hathi - Class 7 - Sugambharati 1
- Nov 1
- 7 min read
Updated: Nov 5

पाठ का प्रकार: गद्य (एकांकी)
पाठ का शीर्षक: सोनू हाथी
लेखक/कवि का नाम: उमाकांत खुबालकर
सारांश (Bilingual Summary)
हिन्दी: यह एक गरीब लकड़हारे 'विश्वास' की कहानी है, जो एक पेड़ को काटने जाता है। पेड़ की विनती ("मैं भी तुम्हारे बेटे जैसा हूँ") सुनकर विश्वास 'इनसानियत' दिखाते हुए उसे छोड़ देता है। पेड़ उसे उपहार में एक बीमार और भूखा हाथी का बच्चा 'सोनू' देता है। विश्वास की पत्नी 'सुमित्रा' गरीबी का वास्ता देकर ("घर में नहीं हैं दाने...") पहले तो सोनू का विरोध करती है। लेकिन, जब विश्वास बीमार पड़ता है, तो सोनू का प्यार और समझदारी (खूँटा तोड़कर विश्वास के पास आना) देखकर पूरा परिवार उसे अपना लेता है। सुमित्रा भी अफसोस जताती है कि सोनू को भी उनके साथ भूखा रहना पड़ रहा है। अंत में, पूरा परिवार सोनू को लेकर मेले में जाने का फैसला करता है और बच्चे तय करते हैं कि सोनू के ठीक हो जाने पर वे उसे वापस जंगल छोड़ आएँगे।
English: This is the story of a poor woodcutter, 'Vishwas', who goes to cut a tree. Hearing the tree's plea ("I am also like your son"), Vishwas shows 'humanity' and spares it. The tree gifts him a sick and hungry baby elephant, 'Sonu'. Vishwas's wife, 'Sumitra', initially opposes Sonu, citing their poverty ("We don't have grain in the house..."). However, when Vishwas falls ill, seeing Sonu's love and understanding (breaking his tether to come to Vishwas) the whole family accepts him. Sumitra also expresses regret that Sonu has to stay hungry with them. In the end, the family decides to take Sonu to a fair, and the children decide they will return Sonu to the forest once he is healthy.
केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)
हिन्दी: इस एकांकी का केंद्रीय भाव पशुओं के प्रति प्रेम, करुणा और दयाभाव को जगाना है। यह पाठ सिखाता है कि मानवता का प्रदर्शन (जैसे विश्वास ने पेड़ को नहीं काटा) हमेशा पुरस्कृत होता है। यह कहानी गरीबी और लाचारी के बीच भी एक बेसहारा जानवर के प्रति सहानुभूति और उसे परिवार का हिस्सा बनाने की भावनात्मक यात्रा को दर्शाती है।
English: The central theme of this one-act play is to awaken feelings of love, compassion, and kindness towards animals. This lesson teaches that acts of humanity (like Vishwas sparing the tree) are always rewarded. The story portrays an emotional journey of empathy for a helpless animal amidst poverty and hardship, showing how it becomes a part of the family.
पात्रों का चरित्र-चित्रण (Bilingual Character Sketch)
विश्वास: हिन्दी: वह एक गरीब लकड़हारा है जो अपने बच्चों की भूख से परेशान है। वह स्वभाव से दयालु और 'इनसानियत' रखने वाला है, इसीलिए वह बेटे का नाम लेने पर पेड़ को नहीं काटता। वह सोनू के प्रति स्नेही है और अपनी गरीबी के बावजूद उसे घर ले आता है।
English: He is a poor woodcutter who is distressed by his children's hunger. He is kind-hearted and possesses 'humanity', which is why he spares the tree when it mentions being like a son. He is affectionate towards Sonu and brings him home despite his poverty.
सुमित्रा:
हिन्दी: वह विश्वास की पत्नी है और एक यथार्थवादी महिला है। वह घर की गरीबी ("घर में नहीं दाने...") से चिंतित है, इसलिए शुरू में सोनू का विरोध करती है। वह कठोर नहीं है, बल्कि लाचार है; बाद में वह सोनू के प्रति अफसोस ("मैं इसकी दुश्मन थोड़े ही हूँ") और स्नेह (सोनू के गले लिपट जाना) दिखाती है।
English: She is Vishwas's wife and a practical woman. She is worried about the household poverty ("We don't have grain...") and thus opposes Sonu at first. She is not heartless, but helpless; later, she shows both regret ("I am not his enemy") and affection (hugging Sonu) for him.
पेड़:
हिन्दी: यह एक दयालु चरित्र है जो विश्वास की इनसानियत से प्रभावित होता है। यह विश्वास को पशु प्रेम के लिए प्रेरित करता है और उसे एक 'अनोखा उपहार' (सोनू) सौंपता है, क्योंकि वह खुद कटा हुआ होने के कारण सोनू की रक्षा नहीं कर सकता।
English: It is a kind character who is impressed by Vishwas's humanity. It inspires Vishwas to show love towards animals and gives him a 'unique gift' (Sonu), as it cannot protect Sonu itself due to being cut.
शब्दार्थ (Glossary)
शब्द (Word) | पर्यायवाची शब्द (Synonym) | विलोम शब्द (Antonym) |
पार्श्व | पीछे | आगे |
ठौर-ठिकाना | रहने का स्थान | बेघर |
सौदेबाजी | मोल-भाव | - |
कलेजा | हृदय | - |
अफसोस | दुख, खेद | खुशी, हर्ष |
कष्ट | दुख, पीड़ा | सुख, आराम |
अनोखा | अद्भुत, अनूठा | साधारण |
भूखा | क्षुधित | तृप्त, पेट भरा |
अपराध | जुर्म, दोष | पुण्य |
इनसानियत | मानवता | हैवानियत |
सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)
कथन १: पेड़ ने विश्वास को सोने के सिक्के उपहार में दिए।
उत्तर: गलत। कारण, पेड़ ने विश्वास को एक नन्हा हाथी (सोनू) उपहार में दिया।
कथन २: विश्वास के बच्चे भूखे थे।
उत्तर: सही। कारण, विश्वास ने पेड़ से कहा, "मेरे बच्चे भूखे हैं... बच्चों का कष्ट देखा नहीं जाता।"
कथन ३: सुमित्रा सोनू को देखकर बहुत खुश हुई।
उत्तर: गलत। कारण, सुमित्रा ने झल्लाते हुए कहा, "किसको पकड़ लाए हो? घर में दो बच्चे हैं, उनकी चिंता नहीं है तुम्हें?"
कथन ४: विश्वास के बीमार होने पर सोनू खूँटा तोड़कर उससे मिलने आया।
उत्तर: सही। कारण, विश्वास को बीमार और दुखी पाकर सोनू "खूँटा तोड़कर घर के अंदर आने का प्रयास करता है।"
कथन ५: बच्चों ने सोनू को हमेशा अपने पास रखने का फैसला किया।
उत्तर: गलत। कारण, बड़े बेटे ने कहा, "सोनू के ठीक हो जाने पर हम उसे उसके असली घर जंगल में छोड़ देंगे।"
स्वमत (Personal Opinion)
प्रश्न १: 'इनसानियत' का क्या अर्थ है? विश्वास ने इनसानियत कैसे दिखाई?
उत्तर: 'इनसानियत' का अर्थ है मानवता, दया और करुणा का भाव रखना। विश्वास ने पेड़ की पीड़ा को समझकर और उसकी यह बात सुनकर कि "मैं भी तुम्हारे बेटे जैसा हूँ," उसे न काटने का निर्णय लिया। अपनी गरीबी और भूख के बावजूद उसने पेड़ पर दया दिखाई, यही उसकी इनसानियत थी।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: मानवता, दया, करुणा, सहानुभूति, पेड़ का जीवन।
प्रश्न २: "घर में नहीं हैं दाने अम्मा चली भुनाने!" सुमित्रा ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर: सुमित्रा ने यह कहावत इसलिए कही क्योंकि वे पहले से ही बहुत गरीब थे और उनके पास अपने दो बच्चों को खिलाने के लिए भी दाने नहीं थे। ऐसे में उसके पति विश्वास एक हाथी को घर ले आए, जिसे पालना और खिलाना उनकी हैसियत से बाहर था। यह उनकी गरीबी और लाचारी को दर्शाता है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: गरीबी, लाचारी, हैसियत से बाहर, व्यंग्य, आर्थिक तंगी।
प्रश्न ३: सुमित्रा सोनू की दुश्मन क्यों नहीं थी?
उत्तर: सुमित्रा सोनू की दुश्मन नहीं थी, बल्कि वह घर की आर्थिक स्थिति से मजबूर थी। उसका गुस्सा सोनू पर नहीं, बल्कि अपनी गरीबी पर था। यह तब स्पष्ट होता है जब वह सिसकती हुई कहती है, "मुझे अफसोस इस बात का है कि इसे भी अपने साथ भूखा रहना पड़ रहा है।" बाद में वह सोनू के गले लिपट जाती है, जो उसके प्रेम को दर्शाता है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: अफसोस, मजबूरी, गरीबी, माँ का हृदय, स्नेह, आर्थिक स्थिति।
प्रश्न ४: पशुओं के प्रति हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए?
उत्तर: पशु बेजुबान होते हैं और उन्हें हमारे प्रेम और सहारे की जरूरत होती है। हमारा व्यवहार उनके प्रति दयालु और प्रेमपूर्ण होना चाहिए। हमें उन्हें सताना या मारना नहीं चाहिए। जैसा विश्वास ने सोनू को अपने हिस्से की रोटी खिलाने का निश्चय किया, वैसे ही हमें भी उनकी भूख-प्यास का ध्यान रखना चाहिए। पशु भी प्रेम की भाषा समझते हैं और सोनू की तरह समझदार और वफादार होते हैं।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: प्रेमपूर्ण, दयालु, सहानुभूति, बेजुबान, वफादार, सहारा।
प्रश्न ५: बेटे का यह कहना कि "सोनू के ठीक हो जाने पर हम उसे... जंगल में छोड़ देंगे," क्यों सही है?
उत्तर: बेटे का यह कहना बिल्कुल सही है क्योंकि किसी भी जंगली जानवर का असली घर जंगल ही होता है। सोनू हाथी है, और उसे घर में बाँधकर रखना उसके स्वभाव के विरुद्ध है। सच्चा प्रेम स्वार्थ में नहीं, बल्कि दूसरे की भलाई में होता है। उसे ठीक करके वापस उसके असली घर (जंगल) में छोड़ना ही उसके प्रति सच्चा न्याय और प्रेम होगा।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: असली घर, जंगल, सच्चा प्रेम, भलाई, न्याय, जंगली जानवर।
संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)
प्रश्न १: विश्वास ने पेड़ को न काटने का फैसला क्यों किया?
उत्तर: विश्वास ने पेड़ को न काटने का फैसला इसलिए किया क्योंकि पेड़ ने उसे 'भाई' कहकर पुकारा और कहा, "मैं भी तुम्हारे बेटे जैसा हूँ।" अपने भूखे बच्चों के पिता विश्वास को 'बेटे' की बात सुनकर दया आ गई और उसने इनसानियत दिखाते हुए पेड़ को नहीं काटा।
प्रश्न २: पेड़ ने विश्वास को सोनू हाथी क्यों सौंपा?
उत्तर: पेड़ ने विश्वास को सोनू हाथी दो कारणों से सौंपा। पहला, विश्वास ने इनसानियत दिखाकर पेड़ की जान बचाई थी, इसलिए वह उसे एक 'अनोखा उपहार' देना चाहता था। दूसरा, नन्हा हाथी अपने परिवार से बिछड़ गया था, बीमार और आठ दिनों से भूखा था, और पेड़ खुद कटा हुआ होने के कारण उसकी रक्षा नहीं कर सकता था।
प्रश्न ३: विश्वास के घर आने पर सोनू ने अपनी समझदारी कैसे दिखाई?
उत्तर: जब विश्वास बीमार और दुखी था, तब सोनू ने उसकी पीड़ा को महसूस कर लिया। वह अपनी जगह से "खूँटा तोड़कर घर के अंदर आने का प्रयास करता है" और विश्वास के पास चला आता है। जानवर होकर भी उसने विश्वास की बीमारी को समझ लिया, यही उसकी समझदारी थी।
प्रश्न ४: सुमित्रा शुरू में सोनू से नाराज क्यों थी, और बाद में क्यों मान गई?
उत्तर: सुमित्रा शुरू में सोनू से इसलिए नाराज थी क्योंकि वे बहुत गरीब थे और अपने दो बच्चों का पेट पालना भी मुश्किल था। ऐसे में एक हाथी को खिलाने का खर्च वे नहीं उठा सकते थे। बाद में, जब उसने देखा कि सोनू विश्वास की बीमारी में उसका कितना ध्यान रखता है और वह खुद भी उनके साथ भूखा रह रहा है, तो उसका गुस्सा अफसोस और प्यार में बदल गया।
प्रश्न ५: अंत में परिवार ने सोनू के बारे में क्या फैसला किया?
उत्तर: अंत में पूरे परिवार ने सोनू को अपना लिया। उन्होंने फैसला किया कि वे सब सोनू को साथ लेकर पड़ोस के गाँव में लगे मेले में जाएँगे, जहाँ लोग उसे केले और गन्ने खिलाएँगे। साथ ही, बड़े बेटे ने यह भी फैसला किया कि सोनू के पूरी तरह ठीक हो जाने पर वे उसे वापस उसके असली घर, यानी जंगल में छोड़ देंगे।
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