2.5 - अतीत के पत्र - Ateet ke Patra - Class 9 - Lokbharati
- Sep 13
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Updated: Sep 14

पाठ का प्रकार: गद्य (पत्र) पाठ का शीर्षक: अतीत के पत्र लेखक/कवि का नाम: विनोबा और गांधीजी
सारांश (Bilingual Summary)
हिन्दी: यह पाठ विनोबा भावे और महात्मा गांधी के बीच हुए पत्र-व्यवहार का एक अंश है। पहले पत्र में, विनोबा जी गांधीजी को एक वर्ष तक आश्रम से बाहर रहने का कारण बताते हैं। वे बताते हैं कि वाई में वेदांत और उपनिषदों का अध्ययन करने के लोभ के कारण वे रुक गए। इस दौरान उन्होंने कठोर दिनचर्या अपनाकर अपना स्वास्थ्य सुधारा, जिसमें मीलों घूमना, अनाज पीसना और सूर्य नमस्कार शामिल थे। उन्होंने आजीवन नमक और मसाले त्यागने का व्रत लिया। इसके साथ ही, उन्होंने विद्यार्थियों को निःशुल्क गीता, ज्ञानेश्वरी और उपनिषद पढ़ाए, हिंदी का प्रचार किया और सामाजिक कार्यों के लिए 'विद्यार्थी मंडल' की स्थापना की। वे गांधीजी को पिता तुल्य मानते हुए आश्रम के प्रति अपनी गहरी निष्ठा व्यक्त करते हैं। दूसरे पत्र में, गांधीजी विनोबा के प्रति अपना गहरा स्नेह और गर्व प्रकट करते हैं। वे विनोबा के चरित्र और आत्म-परीक्षण की प्रशंसा करते हैं और उन्हें पिता का पद देना स्वीकार करते हैं। वे विनोबा को भारत की उन्नति के लिए एक महान व्यक्ति मानते हैं और उनके काम से अभिभूत होकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं।
English: This lesson is an excerpt from the correspondence between Vinoba Bhave and Mahatma Gandhi. In the first letter, Vinoba ji explains to Gandhiji the reason for his year-long absence from the ashram. He states that he stayed back in Wai due to the temptation ('लोभ') of studying Vedanta and the Upanishads. During this period, he improved his health by adopting a rigorous routine that included walking for miles, grinding grain, and performing Surya Namaskars. He took a lifelong vow to abstain from salt and spices. Alongside this, he taught the Gita, Jnaneshwari, and Upanishads to students for free, promoted Hindi, and established a 'Vidyarthi Mandal' for social work. Considering Gandhiji as a father figure, he expresses his deep commitment to the ashram. In the second letter, Gandhiji expresses his profound affection and pride for Vinoba. He praises Vinoba's character and self-assessment and accepts the position of a father to him. He considers Vinoba a great man for the progress of India and, overwhelmed by his work, gives him his blessings.
केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)
हिन्दी: इस पाठ का केंद्रीय भाव एक आदर्श गुरु-शिष्य संबंध को दर्शाना और मानवीय मूल्यों जैसे दृढ़ निश्चय, परिश्रम, अनुशासन, देशसेवा और समर्पण को प्रेरित करना है। विनोबा का पत्र एक शिष्य की अपने गुरु के प्रति पूरी पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्ठा का उत्कृष्ट उदाहरण है। वहीं, गांधीजी का पत्र एक सच्चे गुरु के वात्सल्य, विश्वास और अपने शिष्य की प्रगति पर होने वाले गर्व को दर्शाता है। यह पाठ हमें सिखाता है कि सच्ची उन्नति केवल बाहरी कार्यों में नहीं, बल्कि आत्म-सुधार, आत्म-अनुशासन और निःस्वार्थ सेवा में निहित है।
English: The central theme of this lesson is to showcase an ideal Guru-disciple relationship and to inspire human values like determination, diligence, discipline, service to the nation, and dedication. Vinoba's letter is an excellent example of a disciple's complete transparency, accountability, and loyalty towards his Guru. On the other hand, Gandhiji's letter reflects a true Guru's affection, trust, and pride in his disciple's progress. This lesson teaches us that true progress lies not just in external actions but in self-improvement, self-discipline, and selfless service.
पात्रों का चरित्र-चित्रण (Bilingual Character Sketch)
विनोबा भावे:
हिन्दी:
अनुशासित और परिश्रमी: वे स्वास्थ्य सुधार और ज्ञान प्राप्ति के लिए अत्यंत कठोर दिनचर्या का पालन करते हैं।
ज्ञान के प्रति लोभ: उनमें ज्ञान प्राप्त करने की तीव्र इच्छा है, जिसके लिए वे आश्रम से दूर भी रह जाते हैं।
निःस्वार्थ सेवक: वे विद्यार्थियों को निःशुल्क पढ़ाते हैं और सामाजिक कार्यों के लिए चक्की पीसकर धन जुटाते हैं।
समर्पित शिष्य: वे गांधीजी को पिता तुल्य मानते हैं और आश्रम के नियमों का पूरी श्रद्धा से पालन करते हैं।
आत्म-विश्लेषक: वे अपने कार्यों और आचरण का स्वयं कठोरता से विश्लेषण करते हैं।
English:
Disciplined and Hardworking: He follows an extremely rigorous routine for health improvement and knowledge acquisition.
Greed for Knowledge: He has an intense desire to gain knowledge, for which he even stays away from the ashram.
Selfless Servant: He teaches students for free and raises money for social work by grinding grain.
Dedicated Disciple: He considers Gandhiji a father figure and follows the rules of the ashram with full devotion.
Self-analytical: He rigorously analyzes his own actions and conduct.
महात्मा गांधी:
हिन्दी:
पितृवत स्नेही: उनका विनोबा के प्रति गहरा स्नेह और वात्सल्य है। वे खुद को विनोबा का पिता पद ग्रहण करने योग्य बनाने का प्रयत्न करने की बात करते हैं।
पारखी: वे विनोबा के चरित्र की महानता को तुरंत पहचान लेते हैं और उनकी भरपूर प्रशंसा करते हैं।
प्रेरणास्रोत: वे एक ऐसे गुरु हैं जो अपने शिष्य को स्वयं से भी श्रेष्ठ बनते देखना चाहते हैं।
व्यावहारिक: वे विनोबा को स्वास्थ्य के लिए दूध न छोड़ने की व्यावहारिक सलाह देते हैं।
English:
Fatherly and Affectionate: He has deep affection and fatherly love for Vinoba. He talks about trying to become worthy of the fatherly position Vinoba has given him.
A good judge of character: He immediately recognizes the greatness of Vinoba's character and praises him generously.
Source of Inspiration: He is a Guru who wants to see his disciple become even greater than himself.
Practical: He gives Vinoba the practical advice not to give up milk for the sake of his health.
शब्दार्थ (Glossary)
शब्द (Word) | पर्यायवाची शब्द (Synonym) | विलोम शब्द (Antonym) |
अपरिग्रह | संग्रह न करना, त्याग | परिग्रह, संग्रह |
अस्वादव्रत | स्वादहीन भोजन का व्रत | स्वादलोलुपता |
साध्य | लक्ष्य, उद्देश्य | साधन |
पितृतुल्य | पिता के समान | - |
परिग्रह | संग्रह, धन-दौलत | अपरिग्रह, त्याग |
निरादर | अपमान, तिरस्कार | आदर, सम्मान |
दीर्घायु | लंबी आयु | अल्पायु |
उत्सुक | आतुर, जिज्ञासु | उदासीन, विरक्त |
निमित्त | हेतु, कारण | - |
दृढ़ | मजबूत, पक्का | कमजोर, अस्थिर |
सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)
कथन १: विनोबा जी एक साल तक आश्रम से बाहर घूमने-फिरने के लिए गए थे।
उत्तर: गलत। कारण, वे "अस्वास्थ्य के कारण" बाहर गए थे और फिर "वेदांत का अभ्यास करने का अच्छा मौका हाथ लगा" इसलिए रुक गए।
कथन २: स्वास्थ्य सुधार के लिए विनोबा जी ने नमक और मसाले खाना शुरू कर दिया।
उत्तर: गलत। कारण, उन्होंने लिखा है, "आजन्म नमक और मसाले न खाने का व्रत लिया।"
कथन ३: विनोबा का पत्र पढ़कर गांधीजी उन पर बहुत क्रोधित हुए।
उत्तर: गलत। कारण, गांधीजी ने उत्तर में लिखा, "तुम्हारा प्रेम और तुम्हारा चरित्र मुझे मोह में डुबो देता है।"
कथन ४: विनोबा जी आश्रम से बाहर रहते हुए भी आश्रम के सभी नियमों का पालन कर रहे थे।
उत्तर: गलत। कारण, उन्होंने स्वयं स्वीकार किया कि एक नियम, "अपना भोजन (यानी भाकरी) स्वयं बनाना," का पालन वे प्रवास के कारण नहीं कर पाए।
कथन ५: गांधीजी विनोबा को एक महान चरित्र का व्यक्ति मानते थे। उत्तर: सही। कारण, पत्र के बाद गांधीजी के उद्गार थे, "बहुत बड़ा मनुष्य है...उसमें भी विनोबा ने तो हद कर दी!"
स्वमत (Personal Opinion)
प्रश्न १: 'स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है' - इस कथन को विनोबा जी ने कैसे सिद्ध किया?
उत्तर: विनोबा जी ने अपने कार्यों से इस कथन को पूरी तरह सिद्ध किया। वे अस्वस्थ होकर आश्रम से बाहर गए थे, लेकिन उन्होंने अपनी शारीरिक कमजोरियों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। उन्होंने कठोर शारीरिक परिश्रम—जैसे दस-बारह मील घूमना, अनाज पीसना और तीन सौ सूर्य नमस्कार—करके पहले अपने शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाया। एक बार जब उनका शरीर स्वस्थ हो गया, तो उन्होंने अपने स्वस्थ मन का उपयोग ज्ञानार्जन, अध्यापन और समाज सेवा जैसे महान कार्यों में लगाया। यह दर्शाता है कि एक स्वस्थ शरीर ही स्वस्थ और उच्च विचारों को धारण करने तथा उन्हें कार्यरूप में परिणत करने की ऊर्जा प्रदान करता है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: शारीरिक परिश्रम, स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मन, ज्ञानार्जन, समाज सेवा, ऊर्जा, सिद्ध करना।
प्रश्न २: विनोबा जी का पत्र एक शिष्य की कौन-सी विशेषताओं को दर्शाता है?
उत्तर: विनोबा जी का पत्र एक आदर्श शिष्य की अनेक विशेषताओं को दर्शाता है। इसमें सबसे प्रमुख है जवाबदेही और पारदर्शिता; वे अपने गुरु को अपनी हर गतिविधि का पूरा हिसाब देते हैं। दूसरी विशेषता है गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण और श्रद्धा; वे गांधीजी को पिता तुल्य मानते हैं और आश्रम को ही अपना अंतिम लक्ष्य। तीसरी विशेषता है निरंतर आत्म-सुधार; वे केवल ज्ञान ही नहीं अर्जित कर रहे, बल्कि स्वास्थ्य और चरित्र पर भी लगातार काम कर रहे हैं। चौथी विशेषता है विनम्रता; इतनी उपलब्धियों के बावजूद वे स्वयं को आश्रम का एक साधारण सेवक ही मानते हैं।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: जवाबदेही, पारदर्शिता, समर्पण, श्रद्धा, आत्म-सुधार, विनम्रता, आदर्श शिष्य।
प्रश्न ३: गांधीजी कहते हैं, "सच्चा पुत्र वह है जो, पिता ने जो कुछ किया है उसमें वृद्धि करें।" इसका आपके लिए क्या अर्थ है?
उत्तर: इस कथन का मेरे लिए यह अर्थ है कि अगली पीढ़ी की जिम्मेदारी केवल पिछली पीढ़ी की विरासत को सँभालना ही नहीं, बल्कि उसे और आगे बढ़ाना और बेहतर बनाना है। एक सच्चा शिष्य या पुत्र केवल अपने गुरु या पिता के कार्यों की नकल नहीं करता, बल्कि उनके सिद्धांतों को आत्मसात करके उन्हें समय के अनुसार और भी अधिक प्रासंगिक और प्रभावशाली बनाता है। जैसा विनोबा ने गांधीजी के सत्य, अहिंसा और स्वदेशी के व्रतों को अपने जीवन में और भी कठोरता से अपनाकर किया। यह केवल अनुकरण नहीं, बल्कि विरासत का विकास और संवर्धन है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: विरासत, वृद्धि करना, विकास, संवर्धन, अनुकरण, सिद्धांत, अगली पीढ़ी, जिम्मेदारी।
प्रश्न ४: विनोबा जी ने ज्ञान प्राप्त करने की अपनी इच्छा को 'लोभ' क्यों कहा है? उत्तर: विनोबा जी जैसे आत्म-विश्लेषक व्यक्ति के लिए 'लोभ' शब्द का प्रयोग उनकी विनम्रता और अपने मन पर कड़ी नजर रखने की प्रवृत्ति को दर्शाता है। सामान्यतः लोभ एक नकारात्मक शब्द है जो भौतिक वस्तुओं के लिए होता है। ज्ञान प्राप्त करना एक सकारात्मक इच्छा है, लेकिन विनोबा जी शायद यह महसूस कर रहे थे कि इस इच्छा ने उन्हें उनके मूल कर्तव्य (आश्रम लौटने) से विमुख कर दिया। किसी भी चीज की अत्यधिक इच्छा, चाहे वह ज्ञान ही क्यों न हो, यदि आपको आपके निर्धारित मार्ग से भटकाए तो एक साधक उसे 'लोभ' की संज्ञा दे सकता है। यह उनके उच्च नैतिक मापदंडों का प्रतीक है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: लोभ, विनम्रता, आत्म-विश्लेषण, नैतिक मापदंड, कर्तव्य, निर्धारित मार्ग, भटकाव।
प्रश्न ५: इन पत्रों के आधार पर गांधीजी और विनोबा के बीच के संबंध का वर्णन कीजिए। उत्तर: इन पत्रों के आधार पर गांधीजी और विनोबा के बीच का संबंध एक सामान्य गुरु-शिष्य संबंध से कहीं बढ़कर है; यह एक पिता-पुत्र के आत्मीय संबंध जैसा है। विनोबा गांधीजी में एक पिता का रूप देखते हैं और पूरी श्रद्धा से उनके प्रति समर्पित हैं। वे अपने हर कार्य का लेखा-जोखा उन्हें देना अपना कर्तव्य समझते हैं। दूसरी ओर, गांधीजी भी विनोबा पर एक पिता की तरह गर्व करते हैं। वे विनोबा के चरित्र और उपलब्धियों से इतने प्रभावित हैं कि वे कहते हैं कि विनोबा ने उन्हें मोह में डुबो दिया है। यह संबंध आपसी सम्मान, गहरे स्नेह, विश्वास और एक साझा महान लक्ष्य पर आधारित है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: गुरु-शिष्य, पिता-पुत्र, आत्मीय संबंध, सम्मान, स्नेह, विश्वास, समर्पण, गर्व।
संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)
प्रश्न १: विनोबा जी वाई में एक साल तक क्यों रुक गए थे?
उत्तर: विनोबा जी वाई में एक साल तक इसलिए रुक गए क्योंकि वहाँ उन्हें नारायण शास्त्री मराठे नामक एक आजन्म ब्रह्मचारी विद्वान के पास वेदांत तथा उपनिषदों जैसे शास्त्रों का अध्ययन करने का एक अच्छा अवसर मिल गया था। इसी ज्ञान प्राप्ति के लोभ के कारण वे वहाँ ज्यादा समय तक रह गए।
प्रश्न २: स्वास्थ्य सुधार के लिए विनोबा जी द्वारा किए गए कार्य लिखिए। उत्तर: स्वास्थ्य सुधार के लिए विनोबा जी ने निम्नलिखित कार्य किए:
शुरुआत में दस-बारह मील घूमना शुरू किया।
बाद में छह से आठ सेर अनाज पीसना चालू किया।
प्रतिदिन तीन सौ सूर्य नमस्कार और घूमना, यह उनका व्यायाम बन गया।
आहार में उन्होंने आजीवन नमक और मसाले न खाने का व्रत लिया।
प्रश्न ३: विनोबा का पत्र पढ़कर गांधीजी के मुँह से क्या उद्गार निकले?
उत्तर: विनोबा का पत्र पढ़कर गांधीजी के मुँह से यह उद्गार निकले, "गोरख ने मछंदर को हराया। भीम है भीम।" बाद में उन्होंने यह भी कहा, "बहुत बड़ा मनुष्य है...उसमें भी विनोबा ने तो हद कर दी!"
प्रश्न ४: गांधीजी ने विनोबा को अपने उत्तर-पत्र में क्या सलाह दी? उत्तर: गांधीजी ने विनोबा को सलाह दी कि वे अपने आहार में फिलहाल कोई परिवर्तन न करें। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि वे अभी दूध का त्याग न करें और यदि आवश्यकता हो तो दूध की मात्रा बढ़ा दें। उन्होंने यह भी बताया कि अभी रेल-संबंधी सत्याग्रह की आवश्यकता नहीं है।
प्रश्न ५: उचित जोड़ियाँ मिलाइए: उत्तर: | अ | आ | | :--- | :--- | १. विद्यार्थी मंडल | संस्था | २. राष्ट्रीय शिक्षा | योजना | ३. विनोबा जी का साध्य | आश्रम | ४. ब्रह्मचर्य | व्रत |
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