top of page

    2.5. ईमानदारी की प्रतिमूर्ति - Imandari Ki Pratimurti - Class 10 - Lokbharati

    • 4 days ago
    • 8 min read

    Updated: 2 days ago

    ree

    पाठ का प्रकार: गद्य (संस्मरण)

    पाठ का शीर्षक: ईमानदारी की प्रतिमूर्ति

    लेखक का नाम: सुनील शास्त्री

    सारांश (Bilingual Summary)


    हिन्दी:

    इस संस्मरण में लेखक सुनील शास्त्री ने अपने पिता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी की ईमानदारी और सादगी के प्रेरक प्रसंगों का वर्णन किया है।

    पहला प्रसंग: लेखक और उनके भाई ने पिताजी की सरकारी गाड़ी (इंपाला शेवरलेट) को निजी उपयोग के लिए चलाया। जब शास्त्री जी को पता चला कि गाड़ी १४ किलोमीटर चली है, तो उन्होंने अपने निजी सचिव से कहकर उसका पैसा (६० पैसे प्रति किलोमीटर) जमा करवाया। इससे लेखक को बहुत पछतावा हुआ और उन्हें ईमानदारी का पाठ मिला।

    दूसरा प्रसंग: शास्त्री जी पुराने और फटे हुए कुरतों को फेंकने के बजाय, उनसे रूमाल बनवा लेते थे ताकि खादी और मेहनत का अपमान न हो।

    तीसरा प्रसंग: एक बार आर्थिक तंगी और पारिवारिक कर्ज चुकाने के लिए शास्त्री जी ने अपनी पत्नी से गहने मांगे। पत्नी ने खुशी-खुशी गहने दे दिए, जिससे शास्त्री जी भावुक हो गए। यह पाठ हमें सिखाता है कि सार्वजनिक पद का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और जीवन में सादगी अपनानी चाहिए।

    English:

    In this memoir, author Sunil Shastri narrates inspiring incidents highlighting the honesty and simplicity of his father, the late Lal Bahadur Shastri (former Prime Minister of India).

    First Incident: The author and his brother used their father's official car (Impala Chevrolet) for a personal drive. When Shastriji found out the car had run for 14 km, he instructed his private secretary to deposit the money for it (at 60 paise per km) into the government account. This taught the author a lesson in honesty.

    Second Incident: Instead of throwing away old and torn kurtas, Shastriji would have them made into handkerchiefs to ensure that Khadi and the weaver's labor were not wasted.

    Third Incident: Once, to pay off a family debt during a financial crunch, Shastriji asked his wife for her jewelry. She willingly gave it up, which deeply moved him. This lesson teaches us not to misuse public office and to adopt simplicity in life.


    केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)


    हिन्दी:

    इस पाठ का केंद्रीय भाव सार्वजनिक जीवन में शुचिता (purity) और नैतिकता है। लेखक यह संदेश देते हैं कि सरकारी पद और संपत्ति का उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं करना चाहिए। शास्त्री जी का जीवन 'सादा जीवन, उच्च विचार' का सर्वोत्तम उदाहरण है, जहाँ ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा सर्वोपरि है।

    English:

    The central theme of this lesson is purity and morality in public life. The author conveys the message that public office and assets should not be used for personal gain. Shastriji's life is the perfect example of 'Simple Living, High Thinking,' where honesty and devotion to duty are paramount.


    पात्रों का चरित्र-चित्रण (Bilingual Character Sketch)


    १. लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri):

    हिन्दी:

    • ईमानदार और सिद्धांतवादी: वे सरकारी गाड़ी का निजी उपयोग करने के सख्त खिलाफ थे और १४ किमी का पैसा भी जमा करवाया।

    • मितव्ययी (Kifayati): वे फटे कपड़ों का भी उपयोग रूमाल के रूप में करते थे।

    • संवेदनशील: पत्नी के गहने मांगते समय उन्हें बहुत पीड़ा हुई और वे पत्नी के त्याग से भावुक हो गए।

    • सच्चे देशभक्त: वे खादी के एक-एक सूत को महत्व देते थे क्योंकि उसमें गरीबों की मेहनत छिपी थी।

    English:

    • Honest and Principled: He was strictly against using the government car for private use and paid for the 14 km driven.

    • Frugal: He utilized even torn clothes by making handkerchiefs out of them.

    • Sensitive: He felt great pain while asking for his wife's jewelry and was moved by her sacrifice.

    • True Patriot: He valued every thread of Khadi because it represented the hard work of the poor.

    २. सुनील शास्त्री (लेखक) / Sunil Shastri (The Author):

    हिन्दी:

    • अल्हड़ युवा: युवावस्था में उन्हें बड़ी गाड़ी चलाने का शौक था, जिसके कारण उन्होंने बिना पूछे गाड़ी निकाली।

    • आज्ञाकारी और संवेदनशील: पिता की डांट (परोक्ष रूप से पैसे जमा करवाने की बात) सुनकर उन्हें अपनी गलती का गहरा अहसास हुआ और वे फूट-फूटकर रोए।

    • पितृ-भक्त: वे अपने पिता को आदर्श मानते हैं और उनके सिखाए मूल्यों पर चलने का प्रयास करते हैं।

    English:

    • Impulsive Youth: As a young man, he had a craze for driving big cars, leading him to take the car without permission.

    • Obedient and Sensitive: Upon realizing his father's disapproval (indirectly through the payment order), he deeply regretted his mistake and cried profusely.

    • Devoted Son: He considers his father his idol and strives to follow the values taught by him.


    शब्दार्थ (Glossary)


    शब्द (Word)

    पर्यायवाची शब्द (Synonym)

    विलोम शब्द (Antonym)

    अभाव

    कमी / तंगी

    प्रचुरता / अधिकता

    आलीशान

    भव्य / शानदार

    साधारण / मामूली

    निजी

    व्यक्तिगत / खुद का

    सार्वजनिक / सरकारी

    बेतरतीब

    अस्त-व्यस्त / बिखरा हुआ

    सुव्यवस्थित / सलीके से

    किफायत

    बचत / मितव्ययता

    फिजूलखर्ची / अपव्यय

    इजाजत

    अनुमति / आज्ञा

    मनाई / इनकार

    हिदायत

    निर्देश / चेतावनी

    -

    दस्तक

    खटखटाना / आहट

    -

    प्रशन्नता

    खुशी / आनंद

    दु:ख / अप्रसन्नता

    स्वतंत्र

    आजाद / मुक्त

    परतंत्र / गुलाम

    सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)


    कथन १: लेखक और उनके भाई ने बाबूजी की फिएट गाड़ी चलाई थी।

    उत्तर: गलत। कारण, उन्होंने बाबूजी की बड़ी गाड़ी 'इंपाला शेवरलेट' चलाई थी।

    कथन २: ड्राइवर ने बताया कि गाड़ी चौदह किलोमीटर चली है।

    उत्तर: सही। कारण, जब शास्त्री जी ने ड्राइवर से पूछा, तो उसने लॉग बुक देखकर बताया कि १४ किलोमीटर चली है।

    कथन ३: शास्त्री जी ने पुराने कुरतों को गरीबों में बांटने के लिए कहा।

    उत्तर: गलत। कारण, उन्होंने पुराने कुरतों से रूमाल बनवाने के लिए कहा ताकि उनका सदुपयोग हो सके।

    कथन ४: शास्त्री जी की पत्नी ने गहने देने से मना कर दिया।

    उत्तर: गलत। कारण, उन्होंने खुशी-खुशी अपने गहने दे दिए और कहा कि "उनकी प्रसन्नता में हमारी खुशी है"।

    कथन ५: शास्त्री जी ने ६० पैसे प्रति किलोमीटर के हिसाब से पैसे जमा करवाने को कहा।

    उत्तर: सही। कारण, उन्होंने निजी उपयोग के लिए सरकारी गाड़ी के इस्तेमाल का भुगतान अपनी जेब से किया।


    स्वमत (Personal Opinion)


    प्रश्न १: "सादा जीवन, उच्च विचार" - इस सूक्ति की सार्थकता शास्त्री जी के जीवन के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर: लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन इस सूक्ति का प्रत्यक्ष प्रमाण है। भारत के प्रधानमंत्री जैसे सर्वोच्च पद पर होते हुए भी उनका जीवन अत्यंत सरल था। वे सरकारी संसाधनों का उपयोग निजी सुख के लिए नहीं करते थे। फटे कुरतों से रूमाल बनवाना और पत्नी के मामूली गहनों से काम चलाना उनकी सादगी को दर्शाता है। उनके विचार बहुत ऊँचे थे; वे देश के गरीबों और बुनकरों की मेहनत का सम्मान करते थे। आज के दिखावटी युग में उनका जीवन हमें संयम और नैतिकता की प्रेरणा देता है।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: प्रत्यक्ष प्रमाण, सर्वोच्च पद, सरकारी संसाधन, निजी सुख, संयम, नैतिकता, प्रेरणा, आडंबरहीन।

    प्रश्न २: सार्वजनिक संपत्ति का दुरुपयोग देश के विकास में बाधक है, इस पर अपने विचार लिखिए।

    उत्तर: सार्वजनिक संपत्ति देश के नागरिकों के टैक्स के पैसे से बनती है। जब कोई अधिकारी या नेता इसका दुरुपयोग (जैसे सरकारी गाड़ी का निजी काम में इस्तेमाल) करता है, तो यह देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाता है। यह एक प्रकार का भ्रष्टाचार है। यदि यह धन बर्बाद न हो, तो इसे शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़कों के विकास में लगाया जा सकता है। शास्त्री जी जैसे नेताओं ने यह सिखाया है कि सरकारी संपत्ति 'निजी जागीर' नहीं होती, बल्कि यह जनता की अमानत है जिसकी रक्षा करना सबका कर्तव्य है।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: सार्वजनिक संपत्ति, करदाता (Taxpayer), अर्थव्यवस्था, भ्रष्टाचार, निजी जागीर, अमानत, कर्तव्य, विकास में बाधा।

    प्रश्न ३: "ईमानदारी मनुष्य का सबसे बड़ा आभूषण है" - अपने विचार व्यक्त कीजिए।

    उत्तर: ईमानदारी वह गुण है जो मनुष्य को आत्म-सम्मान और समाज में प्रतिष्ठा दिलाता है। सोने-चाँदी के आभूषण केवल बाहरी सुंदरता बढ़ाते हैं, लेकिन ईमानदारी आत्मा को सुंदर बनाती है। शास्त्री जी के पास धन का अभाव था, लेकिन उनकी ईमानदारी ने उन्हें महान बना दिया। एक ईमानदार व्यक्ति निडर होता है, उसकी नींद गहरी होती है और वह किसी के सामने झुकता नहीं है। बेईमानी से कमाया गया धन क्षणिक सुख दे सकता है, लेकिन ईमानदारी का सुख स्थायी होता है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: आत्म-सम्मान, प्रतिष्ठा, आंतरिक सुंदरता, निडर, स्थायी सुख, नैतिक मूल्य, चरित्र निर्माण।

    प्रश्न ४: पारिवारिक संस्कार व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण में कैसे सहायक होते हैं?

    उत्तर: परिवार मनुष्य की प्रथम पाठशाला है। लेखक सुनील शास्त्री के व्यक्तित्व पर उनके पिता के संस्कारों का गहरा प्रभाव पड़ा। जब उन्होंने देखा कि उनके पिता ने १४ किलोमीटर के पैसे जमा करवाए, तो यह ईमानदारी का पाठ उनके जीवन भर का आदर्श बन गया। माता-पिता का आचरण बच्चों के लिए सबसे बड़ी शिक्षा होती है। यदि घर में नैतिक मूल्यों, सत्य और सादगी का वातावरण हो, तो बच्चे भी सभ्य और जिम्मेदार नागरिक बनते हैं। शास्त्री जी के बच्चों में वही संस्कार झलकते हैं।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: प्रथम पाठशाला, गहरा प्रभाव, आदर्श, आचरण, नैतिक मूल्य, जिम्मेदार नागरिक, संस्कार, अनुकरण।

    प्रश्न ५: आज के उपभोक्तावादी युग (Consumerism) में दिखावे की संस्कृति पर टिप्पणी कीजिए।

    उत्तर: आज के युग में लोग 'होने' से ज्यादा 'दिखने' पर विश्वास करते हैं। महंगी गाड़ियाँ, ब्रांडेड कपड़े और आलीशान घर सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रतीक बन गए हैं। लोग अपनी चादर से बाहर पैर पसारते हैं और कर्ज लेकर भी दिखावा करते हैं। यह प्रवृत्ति मानसिक तनाव और भ्रष्टाचार को जन्म देती है। शास्त्री जी का जीवन हमें याद दिलाता है कि असली सम्मान व्यक्ति के चरित्र और कर्मों से मिलता है, न कि उसके कपड़ों या गाड़ी से। हमें दिखावे की दौड़ से बचकर वास्तविकता और सादगी को अपनाना चाहिए।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: दिखावा, सामाजिक प्रतिष्ठा, कर्ज, मानसिक तनाव, चरित्र, वास्तविकता, सादगी, उपभोक्तावाद।

    पिछली बोर्ड परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्न (Previous Years' Board Questions)


    प्रश्न १: संजाल पूर्ण कीजिए: शास्त्री जी की स्वभावगत विशेषताएँ।

    उत्तर:

    • ईमानदार (सरकारी पैसों का निजी उपयोग न करना)।

    • सादगी पसंद (खादी के पुराने कपड़ों का उपयोग)।

    • सिद्धांतवादी (उसूलों के पक्के)।

    • परदुखकातर (दूसरों के दुख को समझने वाले)।

    प्रश्न २: कारण लिखिए: शास्त्री जी ने अपनी पत्नी से गहने क्यों मांगे?

    उत्तर: शास्त्री जी के चाचा जी को व्यापार में घाटा हो गया था और बाकी का रुपया देने की जिम्मेदारी शास्त्री जी पर आ गई थी। उनके पास पर्याप्त धन नहीं था, इसलिए पारिवारिक कर्ज और मुसीबत को हल करने के लिए उन्होंने अपनी पत्नी से गहने मांगे।

    प्रश्न ३: परिणाम लिखिए: सुबह साढ़े पाँच-पौने छह बजे दरवाजा खटखटाने का परिणाम।

    उत्तर: जब सुबह दरवाजा खटखटाया गया, तो लेखक ने नींद में झुंझलाते हुए तेज आवाज में कहा कि वे देर रात आए हैं और सोना चाहते हैं। लेकिन जब उन्होंने दरवाजा खोला, तो सामने बाबूजी (शास्त्री जी) को खड़ा पाया और शर्मिंदा होकर उनसे माफी माँगी।

    प्रश्न ४: पाठ में आए अंग्रेजी शब्दों की सूची बनाइए (कोई चार)।

    उत्तर:

    1. इंपाला (Impala)

    2. शेवरलेट (Chevrolet)

    3. ड्राइवर (Driver)

    4. किलोमीटर (Kilometer)

      (अन्य शब्द: गेट, किचन, लॉग बुक, एंट्री)

    प्रश्न ५: शास्त्री जी ने पुराने कुरतों के बारे में क्या तर्क दिया?

    उत्तर: शास्त्री जी ने कहा कि ये सब खादी के कपड़े हैं जिन्हें बीनने वालों ने बड़ी मेहनत से बनाया है। इनका एक-एक सूत काम आना चाहिए। जाड़ों में वे इन्हें कोट के नीचे पहन लेंगे या फिर फटे हुए कुरतों से रूमाल बना लिए जाएँ, लेकिन उन्हें फेंका न जाए।



    About BhashaLab


    BhashaLab is a dynamic platform dedicated to the exploration and mastery of languages - operating both online and offline. Aligned with the National Education Policy (NEP) 2020 and the National Credit Framework (NCrF), we offer language education that emphasizes measurable learning outcomes and recognized, transferable credits.


    We offer:

    1. NEP alligned offline language courses for degree colleges - English, Sanskrit, Marathi and Hindi

    2. NEP alligned offline language courses for schools - English, Sanskrit, Marathi and Hindi

    3. Std VIII, IX and X - English and Sanskrit Curriculum Tuitions - All boards

    4. International English Olympiad Tuitions - All classes

    5. Basic and Advanced English Grammar - Offline and Online - Class 3 and above

    6. English Communication Skills for working professionals, adults and students - Offline and Online


    Contact: +91 86577 20901, +91 97021 12044


    Found any mistakes or suggestions? Click here to send us your feedback!



     
     
     

    Recent Posts

    See All
    2.7. महिला आश्रम - Mahila Ashram - Class 10 - Lokbharati

    पाठ का प्रकार: गद्य (पत्र) पाठ का शीर्षक: महिला आश्रम लेखक का नाम: काका कालेलकर सारांश (Bilingual Summary) हिन्दी: यह पाठ एक पत्र के रूप में है जो काका कालेलकर ने अपनी शिष्या सरोज को लिखा है। इसमें

     
     
     

    Comments


    bottom of page