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    2.6. हम इस धरती की संतति हैं - Hum Is Dharti Ki Santati Hain - Class 10 - Lokbharati

    • 3 days ago
    • 9 min read

    Updated: 2 days ago

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    पाठ का प्रकार: पद्य (कव्वाली)

    पाठ का शीर्षक: हम इस धरती की संतति हैं

    रचनाकार का नाम: उमाकांत मालवीय


    सारांश (Bilingual Summary)


    हिन्दी: यह पाठ 'कव्वाली' विधा में लिखी गई एक रचना है, जिसमें दो समूह (लड़के और लड़कियाँ) अपनी-अपनी महानता सिद्ध करने का प्रयास करते हैं।

    लड़कों का समूह गर्व से कहता है कि वे उस धरती के पुत्र हैं जहाँ ध्रुव और प्रह्लाद जैसे ईश्वर-भक्त और भरत जैसे वीर पैदा हुए, जो बचपन में शेरों के दाँत गिना करते थे। वे जयमल और पत्ता जैसे शूरवीरों का उदाहरण देकर लड़कियों को चुप रहने की सलाह देते हैं।

    इसके जवाब में लड़कियाँ कहती हैं कि वे उस धरती की बेटियाँ हैं जहाँ झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, रजिया सुलताना और दुर्गावती जैसी वीरांगनाएँ जन्मीं। वे पद्मिनी के जौहर, चाँदबीबी की बहादुरी और सीता-सावित्री की पवित्रता का हवाला देते हुए लड़कों को चेतावनी देती हैं कि यदि वे ज्यादा डींग मारेंगे, तो उन्हें ताने सुनने पड़ेंगे।

    अंत में, दोनों पक्ष समझदारी दिखाते हुए झगड़ा समाप्त करते हैं और स्वीकार करते हैं कि स्त्री और पुरुष दोनों ही भारत माता के रथ के दो पहिये हैं और दोनों का समान महत्त्व है।

    English: This lesson is written in the 'Qawwali' genre, where two groups (boys and girls) try to prove their own greatness.

    The boys' group proudly claims to be the sons of the land that produced devotees like Dhruv and Prahlad, and warriors like Bharat, who used to count lions' teeth in his childhood. Citing brave warriors like Jaimal and Patta, they advise the girls to remain silent.

    In response, the girls state that they are the daughters of the land that gave birth to warrior queens like Rani Lakshmibai of Jhansi, Razia Sultan, and Durgavati. Citing Padmini's Jauhar (sacrifice), Chand Bibi's bravery, and the purity of Sita and Savitri, they warn the boys that boasting will only lead to taunts.

    Finally, both sides show wisdom by ending the quarrel and accepting that both men and women are the two wheels of Mother India's chariot, and both are equally important.

    केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)


    हिन्दी: इस कव्वाली का केंद्रीय भाव राष्ट्रीय एकता और लैंगिक समानता (Gender Equality) है। कवि ने ऐतिहासिक और पौराणिक पात्रों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि भारत के निर्माण में स्त्री और पुरुष दोनों का योगदान रहा है। आपसी विवाद को भुलाकर हमें यह समझना चाहिए कि देश की प्रगति के लिए दोनों का सहयोग अनिवार्य है, क्योंकि वे भारत माता के रथ के दो पहिये हैं।

    English: The central theme of this Qawwali is national unity and gender equality. Through historical and mythological characters, the poet conveys the message that both men and women have contributed to the making of India. Forgetting mutual disputes, we must understand that the cooperation of both is essential for the country's progress, as they are the two wheels of Mother India's chariot.


    शब्दार्थ (Glossary)


    शब्द (Word)

    पर्यायवाची शब्द (Synonym)

    विलोम शब्द (Antonym)

    संतति

    संतान / औलाद

    जनक / पूर्वज

    दतुली

    दाँत

    -

    शऊर

    ढंग / सलीका

    बेढंगापन

    खफा

    नाराज / रुष्ट

    खुश / प्रसन्न

    टंटा

    झगड़ा / विवाद

    शांति / सुलह

    शेखी

    घमंड / डींग

    विनम्रता

    जौहर

    बलिदान की प्रथा

    -

    लगन

    निष्ठा / धुन

    उदासीनता

    हासिल

    प्राप्त / लब्ध

    गँवाना

    मजबूरन

    विवशता में

    स्वेच्छा से

    पंक्तियों का सरल अर्थ लिखें (Simple Meaning of Lines)


    १. हम उस धरती के लड़के हैं... अजी चुप रहिए, हाँ चुप रहिए ।

    परिचय: इस पद में लड़कों का दल अपनी ऐतिहासिक विरासत और वीरता का बखान करते हुए लड़कियों को चुनौती दे रहा है।

    सरल अर्थ: लड़के कहते हैं कि हम उस महान भारत भूमि के पुत्र हैं जिसकी महिमा का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। यह वही मिट्टी है जहाँ ध्रुव और प्रह्लाद जैसे दृढ़ निश्चय वाले भक्त बच्चे खेले थे। यहाँ भरत जैसे पराक्रमी बालक हुए जो शेरों का मुँह खुलवाकर उनके दाँत (दतुली) गिनते थे। यहाँ जयमल और पत्ता जैसे शूरवीर हुए जो अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझते थे। हमारे पास ऐसा गौरवशाली इतिहास है, इसलिए तुम हमारे सामने चुप ही रहो।

    २. हम उस धरती की लड़की हैं... ताने सहिए, ताने सहिए ।

    परिचय: इस पद में लड़कियों का दल लड़कों की बातों का करारा जवाब देते हुए भारत की वीरांगनाओं और सती-साध्वियों का उदाहरण पेश करता है।

    सरल अर्थ: लड़कियाँ कहती हैं कि हम उस धरती की बेटियाँ हैं जहाँ झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने जन्म लिया था। यहाँ रजिया सुलताना और दुर्गावती जैसी रानियाँ हुईं जिन्होंने युद्ध के मैदान में पुरुषों की तरह वीरता दिखाई (मर्दानी)। यह बीबी चाँद जहाँ और जौहर की आग में कूदने वाली रानी पद्मिनी की धरती है। यह सीता और सावित्री जैसी पवित्र नारियों की भूमि है। इसलिए जनाब, अगर आप हमारे सामने अपनी झूठी शान (शेखी/डींग) बघारेंगे, तो आपको मजबूर होकर हमारे ताने सुनने पड़ेंगे।

    ३. यों आप खफा क्यों होती हैं... अजी दो पहिये, हाँ दो पहिये ।

    परिचय: यह कव्वाली का अंतिम पद है जहाँ दोनों दल विवाद को व्यर्थ मानकर समानता और एकता की बात करते हैं।

    सरल अर्थ: अंत में दोनों दल (लड़के और लड़कियाँ) एक-दूसरे से कहते हैं कि आप व्यर्थ में नाराज (खफा) क्यों होते हैं? हमारे बीच यह झगड़ा (टंटा) किस बात का है? हममें से कोई भी एक-दूसरे से बढ़कर नहीं है। लड़ाई-झगड़े से कुछ भी हासिल नहीं होगा, बस बातें उलझकर रह जाएँगी। पते की बात (सच्चाई) तो यह है कि चाहे ध्रुव हो या रजिया, सभी भारत माँ की संतान हैं। हम दोनों (स्त्री और पुरुष) भारत माता रूपी रथ के दो पहिये हैं, जिनके बिना यह रथ नहीं चल सकता।


    सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)


    कथन १: भरत शेरों के दाँत गिनते थे।

    उत्तर: सही। कारण, कविता में पंक्ति है "शेरों के जबड़े खुलवाकर, थे जहाँ भरत दतुली गिनते"।

    कथन २: रजिया सुलताना और दुर्गावती ने युद्ध में कायरता दिखाई।

    उत्तर: गलत। कारण, कविता के अनुसार वे "खूब लड़ी थीं मर्दानी" अर्थात उन्होंने वीरता से युद्ध किया।

    कथन ३: झगड़ा करने से समस्याओं का समाधान मिल जाता है।

    उत्तर: गलत। कारण, कवि के अनुसार "झगड़े से न कुछ हासिल होगा, रख देंगे बातें उलझा के"।

    कथन ४: ध्रुव और प्रह्लाद इस धरती की मिट्टी में खेले थे।

    उत्तर: सही। कारण, लड़कों का समूह कहता है, "यह वह मिट्टी, जिस मिट्टी में खेले थे यहाँ ध्रुव-से बच्चे"।

    कथन ५: भारत माता के रथ का केवल एक ही पहिया है।

    उत्तर: गलत। कारण, अंत में स्वीकार किया गया है कि "भारत माता के रथ के हैं हम दोनों ही दो-दो पहिये"।


    पद विश्लेषण (Poetry Appreciation)


    रचनाकार का नाम: उमाकांत मालवीय

    रचना का प्रकार: कव्वाली

    पसंदीदा पंक्ति

    पसंदीदा होने का कारण

    रचना से प्राप्त संदेश

    यह वह मिट्टी, जिस मिट्टी में खेले थे यहाँ ध्रुव-से बच्चे

    यह पंक्ति बच्चों की मासूमियत के साथ-साथ उनकी महानता और भक्ति की नींव को दर्शाती है।

    हमें अपने बचपन से ही उच्च संस्कार और दृढ़ निश्चय रखना चाहिए।

    शेरों के जबड़े खुलवाकर, थे जहाँ भरत दतुली गिनते

    यह पंक्ति अदम्य साहस और निर्भीकता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती है जो रोमांचित करता है।

    हमें जीवन में निडर होना चाहिए और कठिन चुनौतियों का सामना साहस से करना चाहिए।

    रजिया सुलताना, दुर्गावती, जो खूब लड़ी थीं मर्दानी

    यह पंक्ति नारी शक्ति और वीरता का प्रतीक है, जो यह भ्रम तोड़ती है कि स्त्रियाँ अबला होती हैं।

    स्त्रियाँ भी पुरुषों के समान साहसी और वीर हो सकती हैं।

    सीता, सावित्री की धरती, जन्मी ऐसी-ऐसी बाला

    इसमें भारतीय संस्कृति की पवित्रता, त्याग और पतिव्रता धर्म की महान परंपरा का स्मरण होता है।

    भारतीय नारियों में वीरता के साथ-साथ त्याग और समर्पण के गुण भी होते हैं।

    भारत माता के रथ के हैं हम दोनों ही दो-दो पहिये

    यह पूरी कविता का सार है जो बहुत ही सरल रूपक (Metaphor) के माध्यम से समानता की बात कहता है।

    समाज और राष्ट्र की प्रगति के लिए स्त्री और पुरुष दोनों का समान सहयोग आवश्यक है।

    स्वमत (Personal Opinion)


    प्रश्न १: "नारी शक्ति" (Women Empowerment) के विषय में अपने विचार लिखिए।

    उत्तर: नारी शक्ति किसी भी राष्ट्र का आधार स्तंभ होती है। जैसा कि कविता में लक्ष्मीबाई, दुर्गावती और रजिया सुलताना का उल्लेख है, नारियों ने इतिहास में अपनी वीरता सिद्ध की है। आज भी स्त्रियाँ शिक्षा, खेल, राजनीति और विज्ञान हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। नारी को केवल 'गृहलक्ष्मी' मानकर सीमित रखना गलत है; वह 'शक्ति' का रूप है। एक सशक्त नारी ही एक सशक्त समाज का निर्माण कर सकती है।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: आधार स्तंभ, वीरता, सशक्तिकरण, कंधे से कंधा, गृहलक्ष्मी, शक्ति का रूप, सशक्त समाज।

    प्रश्न २: ऐतिहासिक पात्रों (जैसे ध्रुव, भरत, लक्ष्मीबाई) को याद करना क्यों आवश्यक है?

    उत्तर: ऐतिहासिक और पौराणिक पात्र हमारे प्रेरणा स्रोत (Role Models) होते हैं। ध्रुव की लगन, भरत का साहस और लक्ष्मीबाई का बलिदान हमें जीवन मूल्यों की शिक्षा देते हैं। इन्हें याद करने से हमारे भीतर देशप्रेम, साहस और स्वाभिमान की भावना जागृत होती है। ये पात्र हमें हमारी गौरवशाली परंपरा और जड़ों से जोड़ते हैं। यदि हम इन्हें भूल जाएँगे, तो हम अपनी पहचान खो देंगे। "हम इस धरती की संतति हैं" पाठ का उद्देश्य भी हमें इन्हीं पूर्वजों का स्मरण कराना है।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: प्रेरणा स्रोत, जीवन मूल्य, देशप्रेम, स्वाभिमान, गौरवशाली परंपरा, जड़ें, पहचान, स्मरण।

    प्रश्न ३: "लड़ाई-झगड़े से कुछ हासिल नहीं होता" - इस कथन पर अपने विचार व्यक्त करें।

    उत्तर: लड़ाई-झगड़ा केवल विनाश और मनमुटाव का कारण बनता है। कव्वाली के अंत में भी कहा गया है कि "झगड़े से न कुछ हासिल होगा"। चाहे वह घर का झगड़ा हो या देशों का युद्ध, अंत में नुकसान दोनों पक्षों का होता है। ऊर्जा और समय जो विकास में लगने चाहिए, वे व्यर्थ के विवाद में नष्ट हो जाते हैं। मिल-जुलकर रहने और बातचीत (संवाद) से ही बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान संभव है। शांति और सहयोग ही उन्नति का मार्ग है।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: विनाश, मनमुटाव, ऊर्जा का अपव्यय, विकास, संवाद, समाधान, शांति, सहयोग, उन्नति।

    प्रश्न ४: "भारत माता के रथ के दो पहिये" - इस रूपक (Metaphor) का अर्थ समझाइए।

    उत्तर: रथ को सुचारू रूप से चलने के लिए उसके दोनों पहियों का समान आकार और मजबूत होना आवश्यक है। यदि एक भी पहिया कमजोर या छोटा होगा, तो रथ आगे नहीं बढ़ पाएगा और पलट जाएगा। इसी प्रकार, समाज और राष्ट्र रूपी रथ के दो पहिये स्त्री और पुरुष हैं। यदि समाज में किसी एक वर्ग (जैसे महिलाओं) को दबाया जाएगा या कमजोर रखा जाएगा, तो देश की प्रगति असंभव है। यह रूपक पूर्ण समानता और संतुलन (Balance) की मांग करता है।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: सुचारू रूप, संतुलन, समान आकार, समाज रूपी रथ, प्रगति असंभव, पूर्ण समानता, सह-अस्तित्व।

    प्रश्न ५: कव्वाली विधा (Genre) का परिचय देते हुए इसकी विशेषताएँ बताइए।

    उत्तर: कव्वाली लगभग सात सौ वर्ष पुरानी एक लोकप्रिय काव्य विधा है। यह मूल रूप से किसी की तारीफ या शान में गाया जाने वाला गीत है। कव्वाली की मुख्य विशेषता इसकी प्रस्तुति शैली है, जिसमें अक्सर दो दल (Groups) होते हैं जो एक-दूसरे के साथ संगीतमय नोक-झोंक या सवाल-जवाब करते हैं। इसमें लय, ताल और शब्दों की पुनरावृत्ति (जैसे "अजी क्या कहिए, हाँ क्या कहिए") श्रोताओं को बांधे रखती है। यह मनोरंजन के साथ-साथ संदेश देने का एक सशक्त माध्यम है।

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: सात सौ वर्ष पुरानी, लोकप्रिय विधा, तारीफ/शान, नोक-झोंक, सवाल-जवाब, लय-ताल, पुनरावृत्ति, सशक्त माध्यम।


    पिछली बोर्ड परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्न (Previous Years' Board Questions)


    प्रश्न १: वर्गीकरण कीजिए (Classify): पाठ में आए पात्रों को ऐतिहासिक और पौराणिक वर्गों में बाँटिए।

    उत्तर:

    • ऐतिहासिक (Historical): लक्ष्मीबाई, रजिया सुलताना, दुर्गावती, पद्मिनी, चाँदबीबी, जयमल, पत्ता।

    • पौराणिक (Mythological): ध्रुव, प्रह्लाद, भरत, सीता, सावित्री।

    प्रश्न २: विशेषताओं के आधार पर पात्र पहचानिए:

    उत्तर:

    1. खूब लड़ने वाली मर्दानी: लक्ष्मीबाई, रजिया सुलताना, दुर्गावती।

    2. अपनी लगन के सच्चे: प्रह्लाद।

    3. शेरों के दाँत गिनने वाले: भरत।

    4. जौहर की ज्वाला: पद्मिनी।

    प्रश्न ३: कविता से प्राप्त संदेश (Message) लिखिए।

    उत्तर: कविता का मुख्य संदेश यह है कि हमें लिंग भेद (Gender Discrimination) को भूलकर स्त्री और पुरुष दोनों का समान आदर करना चाहिए। हमारे देश का इतिहास स्त्री और पुरुष दोनों की वीरता और त्याग से बना है। हमें व्यर्थ के वाद-विवाद और झगड़ों में समय नष्ट नहीं करना चाहिए, बल्कि भारत माता की संतान होने के नाते एकजुट होकर देश की प्रगति में योगदान देना चाहिए।

    प्रश्न ४: गलत वाक्य को सही करके पुनः लिखिए: "झगड़ने से सब कुछ प्राप्त होता है"।

    उत्तर: गलत वाक्य: झगड़ने से सब कुछ प्राप्त होता है।

    सही वाक्य: झगड़े से न कुछ हासिल होगा। (या: झगड़ने से कुछ भी प्राप्त नहीं होता है।)

    प्रश्न ५: "बातों का जनाब, शऊर नहीं" - यह पंक्ति किसने, किससे कही?

    उत्तर: यह पंक्ति लड़कों के समूह ने लड़कियों के समूह के लिए कही है (व्यंग्य के रूप में)। इसका अर्थ है कि लड़कों के अनुसार लड़कियों को बात करने का ढंग (शऊर) नहीं है और उन्हें शेखी नहीं बघारनी चाहिए। यह कव्वाली की नोक-झोंक का हिस्सा है।



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