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    2.5A - असली गवाह - Asli Gawah - Class 7 - Sugambharati 1

    • Nov 1
    • 7 min read

    Updated: Nov 5

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    पाठ का प्रकार:  गद्य पाठ का शीर्षक:  असली गवाह लेखक/कवि का नाम:  ज्ञात नहीं

    सारांश (Bilingual Summary)


    हिन्दी: राजा कृष्णदेव राय के दरबार में, हलवाई बालचंद्रन और दो अजनबी एक सिक्कों की थैली पर झगड़ते हुए पहुँचे। बालचंद्रन ने कहा कि वे ठग उसकी थैली लूट रहे हैं, जबकि अजनबियों ने दावा किया कि वह थैली उनकी है। राजा ने तेनालीराम को न्याय करने का आदेश दिया। कोई गवाह न होने पर, तेनालीराम ने एक बरतन में उबलता पानी मँगवाया और उसमें सारे सिक्के डाल दिए। कुछ ही देर में पानी के ऊपर घी तैरने लगा। तेनालीराम ने समझाया कि बालचंद्रन हलवाई है और मिठाइयाँ बेचते समय उसके हाथों का घी सिक्कों पर लग गया होगा। यही घी 'असली गवाह' था। सच सामने आने पर दोनों ठग पकड़े गए और बालचंद्रन को उसकी थैली वापस मिल गई।

    English: In King Krishnadeva Raya's court, a halwai (confectioner) Balchandran and two strangers arrived, fighting over a bag of coins. Balchandran claimed they were frauds trying to rob him, while the strangers insisted the bag was theirs. The king ordered Tenaliram to do justice. With no witness available, Tenaliram called for a pot of boiling water and put all the coins into it. Soon, ghee (clarified butter) started floating on the surface. Tenaliram explained that Balchandran is a halwai, and the ghee from his hands (from selling sweets) must have stuck to the coins. This ghee was the 'real witness'. The truth was revealed, the two frauds were caught, and Balchandran got his bag back.


    केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)


    हिन्दी: इस कहानी का केंद्रीय भाव तेनालीराम की बुद्धिमानी और न्याय करने की अद्भुत क्षमता को दर्शाना है। यह पाठ सिखाता है कि सत्य को खोजने के लिए गहरी सोच और सूक्ष्म अवलोकन की आवश्यकता होती है। बिना किसी प्रत्यक्ष गवाह के भी, तेनालीराम ने सिक्कों पर लगे 'घी' को ही 'असली गवाह' बनाकर दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।

    English: The central theme of this story is to showcase Tenaliram's wisdom and his amazing ability to deliver justice. This lesson teaches that finding the truth requires deep thinking and keen observation. Even without a direct witness, Tenaliram made the 'ghee' on the coins the 'real witness' and successfully separated truth from falsehood (milk from water).


    पात्रों का चरित्र-चित्रण (Bilingual Character Sketch)


    बालचंद्रन: हिन्दी: वह शहर का एक प्रसिद्ध और सच्चा हलवाई था। जब ठगों ने उसकी थैली छीनने की कोशिश की, तो वह डर गया लेकिन न्याय पाने के लिए तुरंत राजा के दरबार में पहुँचा। English: He was a famous and truthful confectioner of the city. When the frauds tried to snatch his bag, he got scared but immediately went to the king's court to seek justice.

    दो अजनबी: हिन्दी: वे लालची, धूर्त और झूठे ठग थे। उन्होंने बलपूर्वक बालचंद्रन से उसकी थैली लूटने की कोशिश की और पकड़े जाने तक दरबार में झूठ बोलते रहे। English: They were greedy, cunning, and dishonest frauds. They tried to forcibly rob Balchandran of his bag and kept lying in the court until they were caught.

    तेनालीराम: हिन्दी: वे राजा कृष्णदेव राय के दरबार के सबसे बुद्धिमान सदस्य थे। वे अत्यंत चतुर, न्यायप्रिय और एक महान पारखी थे। उन्होंने अपनी सूक्ष्म अवलोकन शक्ति (घी की तरकीब) से बिना किसी गवाह के ही असली अपराधियों को पकड़ लिया। English: He was the wisest member of King Krishnadeva Raya's court. He was extremely clever, just, and a great observer. With his keen observation skills (the ghee trick), he caught the real culprits even without a witness.


    शब्दार्थ (Glossary)


    शब्द (Word)

    पर्यायवाची शब्द (Synonym)

    विलोम शब्द (Antonym)

    दुहाई

    न्याय की माँग

    -

    हलवाई

    मिठाई बनाने और बेचने वाला

    -

    निर्दयता

    क्रूरता

    दया

    बेगुनाही

    निर्दोष होना

    गुनाह

    गवाह

    साक्षी

    -

    तरकीब

    उपाय, युक्ति

    -

    सबूत

    प्रमाण

    -

    चतुराई

    होशियारी, बुद्धिमानी

    मूर्खता

    प्रशंसा

    तारीफ

    निंदा

    यथोचित

    उचित, जैसा चाहिए

    अनुचित

    सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)


    कथन १: बालचंद्रन एक प्रसिद्ध चित्रकार था। उत्तर: गलत। कारण, बालचंद्रन शहर का "प्रसिद्ध हलवाई" था।

    कथन २: थैली में पूरे पाँच सौ सिक्के थे। उत्तर: सही। कारण, अजनबियों ने कहा, "इसमें पूरे पाँच सौ सिक्के हैं"।

    कथन ३: तेनालीराम ने न्याय के लिए ठंडे पानी का इस्तेमाल किया। उत्तर: गलत। कारण, तेनालीराम ने सिपाही को "उबलता पानी" लाने का आदेश दिया।


    कथन ४: पानी के ऊपर तेल तैरने लगा। उत्तर: गलत। कारण, "कुछ ही देर में पानी पर घी तैरने लगा।"

    कथन ५: असली गवाह सिक्कों पर लगा घी था। उत्तर: सही। कारण, तेनालीराम ने समझाया कि बालचंद्रन के हाथों का "वही घी, गवाही देने के लिए पानी के ऊपर तैर आया है।"


    स्वमत (Personal Opinion)


    प्रश्न १: तेनालीराम की किस बात से आप सबसे अधिक प्रभावित हुए और क्यों? उत्तर: मैं तेनालीराम की सूक्ष्म अवलोकन शक्ति और बुद्धिमानी से सबसे अधिक प्रभावित हुआ। उन्होंने यह समझ लिया कि एक हलवाई के सिक्कों पर घी लगा होना स्वाभाविक है। बिना किसी गवाह के, उन्होंने इस छोटे से सुराग को 'असली गवाह' बनाकर दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। यह उनकी चतुराई को दर्शाता है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: सूक्ष्म अवलोकन, बुद्धिमानी, चतुराई, तरकीब, न्यायप्रिय, सुराग।

    प्रश्न २: "दूध का दूध, पानी का पानी" का क्या अर्थ है? उत्तर: "दूध का दूध, पानी का पानी" एक मुहावरा है, जिसका अर्थ है सच्चा और निष्पक्ष न्याय करना। इसका मतलब है सच और झूठ को बिल्कुल अलग कर देना, ताकि असली अपराधी और निर्दोष व्यक्ति की पहचान स्पष्ट हो जाए। तेनालीराम ने घी की तरकीब से सच और झूठ को अलग करके यही किया। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: सच्चा न्याय, निष्पक्ष फैसला, सच-झूठ का अंतर, स्पष्टीकरण, सही निर्णय।

    प्रश्न ३: अजनबियों के "चेहरे पीले क्यों पड़ गए"? उत्तर: अजनबियों के चेहरे पीले पड़ गए क्योंकि उनका झूठ पकड़ा गया था। जब तेनालीराम ने पानी पर तैरते घी का रहस्य खोला, तो उन ठगों को समझ आ गया कि वे रंगे हाथों पकड़े गए हैं। चोरी पकड़े जाने के डर से और राजा से मिलने वाली सजा की घबराहट के कारण उनके चेहरे पीले पड़ गए। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: झूठ पकड़ा जाना, डर, घबराहट, चोरी, सजा, रंगे हाथों।

    प्रश्न ४: इस कहानी से आपको क्या सीख मिलती है? उत्तर: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सत्य की हमेशा जीत होती है, भले ही उसे साबित करने में समय लगे। यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें किसी भी समस्या का हल ठंडे दिमाग और बुद्धिमानी से खोजना चाहिए। यदि हम अपनी अवलोकन शक्ति (observation) का सही इस्तेमाल करें, तो हम बिना किसी गवाह के भी सच्चाई तक पहुँच सकते हैं। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: सत्य की जीत, बुद्धिमानी, अवलोकन शक्ति, चतुराई, न्याय।

    प्रश्न ५: आपको क्यों लगता है कि बालचंद्रन राजा के दरबार में गया?

    उत्तर: बालचंद्रन एक मेहनती हलवाई था और वे सिक्के उसकी मेहनत की कमाई थे। जब दो ठगों ने उसे लूटने की कोशिश की और उल्टा उसी को चोर बताने लगे, तो उसे अपने राजा के न्याय पर पूरा भरोसा था। वह जानता था कि केवल महाराज कृष्णदेव राय ही उसे उन ठगों से बचा सकते हैं और उसे न्याय दिला सकते हैं, इसीलिए वह दरबार में "दुहाई हो" चिल्लाता हुआ पहुँचा। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: मेहनत की कमाई, न्याय पर भरोसा, राजा, ठग, निर्दोष, गुहार।


    संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)


    प्रश्न १: बालचंद्रन और दो अजनबी दरबार में क्यों झगड़ रहे थे? उत्तर: बालचंद्रन और दो अजनबी सिक्कों से भरी एक थैली के लिए झगड़ रहे थे। बालचंद्रन का कहना था कि वह थैली उसकी है और वे दो ठग उसे लूटना चाहते हैं। जबकि, उन अजनबियों का कहना था कि वह थैली उनकी है और बालचंद्रन ने उसे लूटा है।

    प्रश्न २: राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम को क्या आदेश दिया? उत्तर: राजा कृष्णदेव राय यह तय नहीं कर पा रहे थे कि धन का असली मालिक कौन है। इसलिए उन्होंने तेनालीराम को आदेश दिया कि वे इस "समस्या का पता लगाओ" और असली अपराधी को सजा मिलनी चाहिए।

    प्रश्न ३: तेनालीराम ने असली अपराधी का पता लगाने के लिए क्या तरकीब अपनाई? उत्तर: तेनालीराम ने एक बड़े बरतन में उबलता पानी मँगवाया। उन्होंने सिक्कों से भरी वह थैली उस गर्म पानी में डाल दी। यह उनकी तरकीब थी, क्योंकि वे जानते थे कि हलवाई होने के कारण बालचंद्रन के सिक्कों पर घी जरूर लगा होगा।

    प्रश्न ४: पानी में सिक्के डालने पर क्या हुआ और उससे क्या साबित हुआ? उत्तर: पानी में सिक्के डालने के कुछ ही देर बाद पानी के ऊपर घी तैरने लगा। इससे यह साबित हुआ कि यह थैली हलवाई बालचंद्रन की ही है, क्योंकि मिठाइयाँ बेचते समय उसके घी लगे हाथों से ही वे सिक्के थैली में रखे गए थे। यह घी ही असली गवाह बन गया।


    प्रश्न ५: कहानी का अंत क्या हुआ?

    उत्तर: सच सामने आने पर दोनों अजनबियों के चेहरे पीले पड़ गए। उन्होंने भागने की कोशिश की, लेकिन सिपाहियों ने उन्हें पकड़कर जेल में डाल दिया। बालचंद्रन को उसकी सिक्कों की थैली वापस मिल गई और उसने तेनालीराम को धन्यवाद दिया। महाराज ने भी तेनालीराम की चतुराई की प्रशंसा की और उन्हें पुरस्कार दिया।



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