1.3. वाह रे ! हमदर्द - Wah Re! Hamdard - Class 10 - Lokbharati
- Aug 20
- 8 min read
Updated: Nov 19

पाठ का प्रकार: गद्य (हास्य-व्यंग्य निबंध)
पाठ का शीर्षक: वाह रे! हमदर्द
लेखक का नाम: घनश्याम अग्रवाल
सारांश (Bilingual Summary)
हिन्दी: "वाह रे! हमदर्द" एक हास्य-व्यंग्य निबंध है जिसमें लेखक घनश्याम अग्रवाल ने एक दुर्घटना और उसके बाद के अस्पताल के अनुभवों का वर्णन किया है. टाँग टूटने के बाद लेखक को एक सार्वजनिक अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में भर्ती होना पड़ता है. असली मुसीबत तब शुरू होती है जब हमदर्दी जताने वाले परिचित, रिश्तेदार और मित्र उनसे मिलने आने लगते हैं. ये हमदर्द लोग आराम देने के बजाय मरीज का आराम हराम कर देते हैं. लेखक अलग-अलग तरह के हमदर्दों का मज़ेदार चित्रण करते हैं—जैसे वे लोग जो केवल एहसान चुकाने आते हैं, वे जो औपचारिकता निभाने के लिए मरीज़ को जगा देते हैं, सोनाबाई और उनके शरारती बच्चे, गलत कमरे में आकर रोने वाला आदमी, और अपनी बेतुकी कविता सुनाने वाले कवि लपकानंद. इन तकलीफदेह हमदर्दियों से तंग आकर लेखक ईश्वर से प्रार्थना करता है कि अगली बार उसकी टाँग ऐसी जगह टूटे जहाँ कोई परिचित न हो.
English: "Vah re! Hamdard" is a satirical essay in which author Ghanshyam Agrawal narrates his experiences in a hospital following an accident. After fracturing his leg, the author is admitted to the private ward of a public hospital. The real trouble begins when acquaintances, relatives, and friends start visiting to show sympathy. Instead of providing comfort, these sympathizers disrupt the patient's much-needed rest. The author humorously describes various types of visitors—those who come merely to return a favor, those who wake the patient up just to mark their attendance, Sonabai and her mischievous children, a man who weeps in the wrong room, and the poet Lapkanand who recites his absurd poetry. Fed up with this painful sympathy, the author prays to God that if his leg breaks again, it should be in a place where no one knows him.
केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)
हिन्दी: इस निबंध का केंद्रीय भाव यह दर्शाना है कि हमदर्दी भी कभी-कभी किस तरह पीड़ादायी बन जाती है. लेखक ने हास्य और व्यंग्य के माध्यम से उन लोगों पर कटाक्ष किया है जो मरीज से मिलने जाते समय औपचारिकता निभाते हैं और उसके आराम में खलल डालते हैं. पाठ का मूल संदेश यह है कि सहानुभूति जताने का तरीका सही होना चाहिए, अन्यथा वह हमदर्दी न होकर एक मुसीबत बन जाती है.
English: The central theme of this essay is to show how sympathy can sometimes become painful. Through humor and satire, the author criticizes people who, in the name of formality, visit patients and disturb their rest. The core message is that the way sympathy is expressed should be appropriate; otherwise, it becomes a nuisance rather than a comfort.
पात्रों का चरित्र-चित्रण (Bilingual Character Sketch)
लेखक (The Author):
हिन्दी: लेखक एक हास्य-प्रेमी और व्यंग्यकार व्यक्ति हैं जो अपने आस-पास की घटनाओं में भी हास्य ढूँढ़ लेते हैं. अपनी टाँग टूटने की गंभीर स्थिति में भी वे हमदर्दी जताने वालों की हरकतों पर व्यंग्य करते हैं. वे परेशान और चिड़चिड़े हैं, लेकिन अपनी पीड़ा को हास्य के रूप में प्रस्तुत करते हैं.
English: The author is a humorist and satirist who finds humor even in his surrounding circumstances. Despite the serious situation of his broken leg, he satirizes the behavior of his sympathizers. He is annoyed and irritated but presents his suffering in a humorous manner.
सोनाबाई (Sonabai):
हिन्दी: सोनाबाई लेखक की मुहल्लेवाली हैं जो अपने चार बच्चों के साथ हमदर्दी जताने आती हैं. वे एक लापरवाह माँ हैं जिन्हें अपने बच्चों की शरारतों पर कोई नियंत्रण नहीं है. वे दवा गिरने को शुभ मानती हैं और लेखक की परेशानी को समझे बिना फिर से आने का वादा करके चली जाती हैं.
English: Sonabai is the author's neighbor who comes to sympathize with her four children. She is a careless mother who has no control over her children's mischief. She considers the spilling of medicine to be auspicious and leaves promising to come again, oblivious to the author's distress.
कवि लपकानंद (Poet Lapkanand):
हिन्दी: श्री लपकानंद शहर के एक कवि हैं जिनकी बेतुकी कविताओं से सब परेशान हैं. वे एक अवसरवादी व्यक्ति हैं जो लेखक की टूटी टाँग पर भी कविता सुनाने का मौका नहीं छोड़ते. वे लेखक की पीड़ा की परवाह किए बिना अपनी कविता सुनाकर आत्म-प्रशंसा चाहते हैं.
English: Shri Lapkanand is a city poet known for his absurd poems that annoy everyone. He is an opportunist who doesn't miss the chance to recite a poem even on the author's broken leg. He seeks self-praise by reciting his poetry, completely ignoring the author's pain.
शब्दार्थ (Glossary)
शब्द (Word) | पर्यायवाची शब्द (Synonym) | विलोम शब्द (Antonym) |
हमदर्दी | सहानुभूति, संवेदना | कठोरता |
फिक्र | चिंता, सोच | निश्चिंतता |
एहसान | कृतज्ञता, उपकार | अपकार |
घृणा | नफरत | प्रेम, स्नेह |
औपचारिकता | दिखावा, औपचार | अनौपचारिकता |
बेदर्द | निर्दयी, कठोर | दयालु |
खामखाह | अकारण, व्यर्थ | सकारण |
तकलीफ | कष्ट, पीड़ा | आराम, सुख |
गुस्सा | क्रोध | शांति, प्रेम |
व्यस्त | मसरूफ़, काम में लगा हुआ | खाली, फुरसत में |
सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)
कथन १: लेखक की साइकिल और कार के बीच टक्कर हो गई थी.
उत्तर: सही।
कारण, लेखक बताते हैं, "मेरी साइकिल और वह कार जब करीब आए तो...आपस में जा भिड़े।"
कथन २: लेखक को जनरल वार्ड में भर्ती किया गया था.
उत्तर: गलत।
कारण, लेखक को बताया गया, "आप सार्वजनिक अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में हैं।"
कथन ३: सोनाबाई की बेटी ने दवा की शीशी पर बॉक्सिंग की प्रैक्टिस की.
उत्तर: गलत।
कारण, "सोनाबाई का एक लड़का मेरी टाँग के साथ लटक रही रेती की थैली पर बॉक्सिंग की प्रैक्टिस कर रहा था।"
कथन ४: कवि लपकानंद अपनी शायरी की डायरी झोले में लेकर आए थे.
उत्तर: सही।
कारण, "यह कह झोले में से डायरी निकाली और लगे सुनाने-"
कथन ५: लेखक की पत्नी ने गलत कमरे में रोने वाले आदमी से टैक्सी के पैसे वापस ले लिए थे.
उत्तर: गलत।
कारण, लेखक को गुस्सा आया क्योंकि "पत्नी ने उसे मेरा रिश्तेदार या करीबी मित्र समझकर टैक्सीवाले को पैसे दे दिए थे।"
स्वमत (Personal Opinion)
प्रश्न १: 'मरीज से मिलने जाते समय कौन-कौन-सी सावधानियाँ बरतनी चाहिए?' इस पर अपने विचार लिखिए.
उत्तर: मरीज से मिलने जाते समय हमें कई सावधानियाँ बरतनी चाहिए ताकि हमारी हमदर्दी उसके लिए मुसीबत न बने. सबसे पहले, हमें मिलने का एक निश्चित और संक्षिप्त समय तय करना चाहिए. मरीज को आराम की जरूरत होती है, इसलिए हमें ज्यादा देर तक रुककर या ऊँची आवाज में बात करके उसके आराम में खलल नहीं डालना चाहिए. हमें मरीज से नकारात्मक बातें नहीं करनी चाहिए, बल्कि उसका मनोबल बढ़ाना चाहिए. साथ ही, अपने साथ छोटे बच्चों को ले जाने से बचना चाहिए क्योंकि वे शोर मचा सकते हैं और अस्पताल में संक्रमण का खतरा भी होता है.
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: सावधानी, आराम, संक्षिप्त समय, मनोबल, संक्रमण, सकारात्मकता.
प्रश्न २: पाठ में आए हमदर्दों में से आपको सबसे मज़ेदार हमदर्द कौन लगा और क्यों?
उत्तर: पाठ में आए हमदर्दों में से मुझे सबसे मज़ेदार हमदर्द वह आदमी लगा जो गलत कमरे में आकर लेखक की छाती पर सिर रखकर रोने लगा. यह घटना हास्य की पराकाष्ठा है. उस व्यक्ति का दुख प्रकट करने का तरीका, फिर गलती का एहसास होने पर चुपके से हँसते हुए माफी माँगना और दूसरे कमरे से उसके रोने की आवाज का आना, यह पूरा दृश्य अत्यंत हास्यास्पद है. इस घटना में लेखक का शारीरिक नुकसान तो नहीं हुआ, पर पत्नी द्वारा टैक्सीवाले को पैसे दे दिए जाने से आर्थिक नुकसान जरूर हो गया, जो इस प्रसंग को और भी व्यंग्यात्मक बना देता है.
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: हास्यास्पद, गलत कमरा, व्यंग्यात्मक, प्रसंग, मज़ेदार, आर्थिक नुकसान.
प्रश्न ३: 'औपचारिकता निभाने वाले हमदर्द' पर लेखक के विचारों को स्पष्ट कीजिए.
उत्तर: लेखक के अनुसार, औपचारिकता निभाने वाले हमदर्द मरीज के लिए सबसे अधिक कष्टदायी होते हैं. इन्हें मरीज से कोई सच्ची सहानुभूति नहीं होती, ये केवल अपनी 'सूरत दिखाने' आते हैं ताकि उनकी गिनती हो जाए. लेखक उदाहरण देते हैं कि ऑफिस के बड़े बाबू उन्हें सोया देखकर जगाने के लिए उनकी टूटी टाँग का हिस्सा दबा देते हैं, जो उनकी संवेदनहीनता को दर्शाता है. लेखक का मानना है कि ऐसे लोग हमदर्दी के नाम पर केवल अपनी सामाजिक जिम्मेदारी पूरी करते हैं, भले ही इससे मरीज की तकलीफ और बढ़ जाए.
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: औपचारिकता, सूरत दिखाने, संवेदनहीनता, कष्टदायी, सामाजिक जिम्मेदारी.
प्रश्न ४: सार्वजनिक अस्पताल के बारे में लेखक के क्या विचार थे?
उत्तर: सार्वजनिक अस्पताल का खयाल आते ही लेखक काँप उठते थे. उनके लिए अस्पताल वैसे ही एक खतरनाक शब्द था, और उसके साथ 'सार्वजनिक' शब्द का जुड़ना आत्मा से परमात्मा के मिलन का संकेत था. लेखक को लगता था कि उनकी टाँग का टूटना केवल एक घटना थी, लेकिन सार्वजनिक अस्पताल में भर्ती होना एक बड़ी दुर्घटना थी. उनके विचार में प्राइवेट वार्ड का मतलब था हमदर्दों के लिए एक खुला निमंत्रण, जहाँ वे कभी भी आकर मरीज को परेशान कर सकते थे.
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: खतरनाक, दुर्घटना, खुला निमंत्रण, आत्मा-परमात्मा का मिलन, काँप उठना.
प्रश्न ५: लेखक ईश्वर से क्या प्रार्थना करता है और क्यों?
उत्तर: लेखक ईश्वर से प्रार्थना करता है कि यदि भविष्य में उनकी दूसरी टाँग भी तोड़नी हो तो जरूर तोड़े, लेकिन ऐसी जगह पर तोड़े जहाँ उनका कोई भी परिचित न हो. वह ऐसी प्रार्थना इसलिए करता है क्योंकि वह हमदर्दी जताने वालों की हरकतों से पूरी तरह तंग आ चुका है. उसके लिए टूटी टाँग का दर्द उतना कष्टदायी नहीं है जितना इन हमदर्दों द्वारा दी गई मानसिक पीड़ा. वह मानता है कि ये हमदर्दी जताने वाले लोग बड़े बेदर्द होते हैं, इसलिए वह इनसे बचने के लिए एकांत में अपनी टाँग तुड़वाना बेहतर समझता है.
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: प्रार्थना, परिचित, तंग आना, मानसिक पीड़ा, बेदर्द, एकांत.
पिछली बोर्ड परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्न (Previous Years' Board Questions)
प्रश्न १: सोनाबाई के बच्चों की शरारतों का वर्णन कीजिए.
उत्तर: अस्पताल में सोनाबाई के बच्चों ने निम्नलिखित शरारतें कीं:
एक बच्चा कुर्सी पर चढ़ गया तो दूसरा मेज पर.
एक छोटी लड़की दवा की शीशी लेकर कथकली डांस करने लगी.
एक लड़के ने लेखक की टाँग के साथ लटक रही रेत की थैली पर बॉक्सिंग की प्रैक्टिस शुरू कर दी.
लड़की ने अंत में दवा की शीशी जमीन पर पटक दी.
प्रश्न २: लेखक को अपनी पत्नी पर गुस्सा क्यों आया?
उत्तर: लेखक को अपनी पत्नी पर गुस्सा इसलिए आया क्योंकि जब एक अनजान आदमी गलत कमरे में आकर लेखक की छाती पर गिरकर रोने लगा, तो लेखक की पत्नी ने उसे लेखक का कोई करीबी मित्र या रिश्तेदार समझ लिया. इसी गलतफहमी में उन्होंने उस आदमी के टैक्सीवाले को पैसे दे दिए थे, जिससे लेखक का बेवजह आर्थिक नुकसान हो गया.
प्रश्न ३: कवि लपकानंद ने लेखक की टूटी टाँग पर क्या कविता सुनाई?
उत्तर: कवि लपकानंद ने लेखक को अपनी बेतुकी कविता सुनाते हुए कहा: "असम की राजधानी है शिलाँग, मेरे दोस्त की टूट गई है टाँग, मोटरवाले, तेरी ही साइड थी राँग।"
प्रश्न ४: प्राइवेट और जनरल वार्ड में लेखक ने क्या अंतर बताया है?
उत्तर: लेखक के अनुसार, जनरल वार्ड का एक नियम होता है कि आप मरीज को एक निश्चित समय पर ही आकर तकलीफ दे सकते हैं. इसके विपरीत, प्राइवेट वार्ड हमदर्दी जताने वालों के लिए एक खुला निमंत्रण होता है, जहाँ वे जब चाहें, जितनी देर चाहें, आकर मरीज को परेशान कर सकते हैं, क्योंकि वहाँ समय का कोई बंधन नहीं होता.
प्रश्न ५: मरीज से मिलने आने वाले लोगों की (पाठ के अनुसार) विशेषताएँ लिखिए.
उत्तर: पाठ के अनुसार, मरीज से मिलने आने वाले लोगों की विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
कुछ लोग केवल एहसान चुकाने आते हैं, जो पहले कभी बीमार पड़े थे और लेखक उनसे मिलने गया था.
कुछ लोग सिर्फ औपचारिकता निभाने और अपनी सूरत दिखाने आते हैं, जिन्हें मरीज से कोई सच्ची हमदर्दी नहीं होती.
कुछ लोग अपने बच्चों के साथ आकर मरीज का आराम हराम कर देते हैं, जैसे सोनाबाई.
कुछ लोग अनजाने में तकलीफ देते हैं, जैसे गलत कमरे में आने वाला आदमी.
कुछ लोग मरीज की पीड़ा में भी अपना स्वार्थ देखते हैं, जैसे कवि लपकानंद.
About BhashaLab
BhashaLab is a dynamic platform dedicated to the exploration and mastery of languages - operating both online and offline. Aligned with the National Education Policy (NEP) 2020 and the National Credit Framework (NCrF), we offer language education that emphasizes measurable learning outcomes and recognized, transferable credits.
We offer:
NEP alligned offline language courses for degree colleges - English, Sanskrit, Marathi and Hindi
NEP alligned offline language courses for schools - English, Sanskrit, Marathi and Hindi
Std VIII, IX and X - English and Sanskrit Curriculum Tuitions - All boards
International English Olympiad Tuitions - All classes
Basic and Advanced English Grammar - Offline and Online - Class 3 and above
English Communication Skills for working professionals, adults and students - Offline and Online
Contact: +91 86577 20901, +91 97021 12044
Mail: info@bhashalab.com
Website: www.bhashalab.com

Comments