1.6 - ऐ सखि ! - Ae Sakhi! - Class 9 - Lokbharati
- Sep 6
- 11 min read
Updated: Sep 12

पाठ का प्रकार: पद्य (मुकरियाँ)
पाठ का शीर्षक: ऐ सखि !
लेखक/कवि का नाम : अमीर खुसरो
सारांश (Bilingual Summary)
हिन्दी: प्रस्तुत पाठ में अमीर खुसरो की नौ प्रसिद्ध 'मुकरियाँ' दी गई हैं। मुकरी एक विशेष प्रकार की पहेली है जो दो सखियों के संवाद के रूप में होती है। पहली सखी किसी वस्तु का वर्णन इस प्रकार करती है कि उसके गुण उसके प्रिय (साजन) से मिलते-जुलते लगते हैं। यह सुनकर दूसरी सखी पूछती है, "ऐ सखि साजन?"। तब पहली सखी चतुराई से 'नहीं' कहकर उस पहेली का सही उत्तर देती है, जो एक साधारण वस्तु होती है। इस पाठ में तारा, ढोल, लोटा, मक्खी, तोता, चाँद, अंजन (काजल), नीर (पानी) और पाती (पत्र) पर आधारित मनोरंजक मुकरियाँ संकलित हैं, जो पाठक की बुद्धि को चुनौती देती हैं और मनोरंजन भी करती हैं।
English: This lesson presents nine famous 'Mukris' by Amir Khusro. A Mukri is a special type of riddle in the form of a dialogue between two female friends (sakhis). The first friend describes an object in such a way that its qualities resemble her beloved (sajan). Hearing this, the second friend asks, "Ae sakhi sajan?" (Oh friend, is it the beloved?). The first friend then cleverly denies it and gives the correct answer to the riddle, which is a common, everyday object. This lesson compiles entertaining mukris based on a star, drum, water pot, fly, parrot, moon, kohl (anjan), water (neer), and a letter (paati), which challenge the reader's intellect while also providing amusement.
केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)
हिन्दी: इन मुकरियों का केंद्रीय भाव मनोरंजन के साथ-साथ बुद्धि-चातुर्य की परीक्षा लेना है । अमीर खुसरो ने अपनी विशेष शैली में ऐसी पहेलियाँ रची हैं जिनमें दोहरा अर्थ छिपा होता है। वर्णन किसी प्रिय व्यक्ति (साजन) का लगता है, लेकिन उत्तर एक निर्जीव या सामान्य वस्तु होती है। इस माध्यम से, वे पाठकों और श्रोताओं को सोचने पर मजबूर करते हैं और जब अंत में सही उत्तर प्रकट होता है, तो एक मनोरंजक आश्चर्य का भाव उत्पन्न होता है। इसका मुख्य लक्ष्य लोक प्रचलित शैली में दिमागी कसरत और हास्य का आनंद प्रदान करना है।
English: The central theme of these mukris is to test intelligence and wit along with providing entertainment. Amir Khusro has composed these riddles in his unique style, embedding double meanings within them. The description seems to be of a beloved person (sajan), but the answer is an inanimate or a common object. Through this medium, he compels the readers and listeners to think, and when the correct answer is revealed in the end, it creates a sense of amusing surprise. The main goal is to provide mental exercise and the joy of humor in a popular folk style.
शब्दार्थ (Glossary)
शब्द (Word) | पर्यायवाची शब्द (Synonym) | विलोम शब्द (Antonym) |
अचरज | आश्चर्य, विस्मय | सामान्य, साधारण |
तपन | गरमी, ताप | ठंडक, शीतलता |
भौन | भवन, घर | जंगल, बाहर |
अंजन | काजल, सुरमा | - |
हिय | हृदय, दिल | - |
सुरंग | सुंदर रंग, चटकीला | बदरंग, फीका |
छिन | क्षण, पल | युग, कल्प |
पीर | पीड़ा, दर्द | सुख, आनंद |
न्यारा | अलग, भिन्न | समान, एक जैसा |
सीरा | शीतल, ठंडा | गरम, तप्त |
पंक्तियों का सरल अर्थ लिखें (Simple Meaning of Lines)
१. रात समय वह मेरे आवे... ना सखि तारा ।।
परिचय: इस मुकरी में एक सखी रात में आने और सुबह चले जाने वाले किसी मेहमान का वर्णन कर रही है। सरल अर्थ: एक सखी दूसरी से कहती है कि वह रात के समय मेरे पास आता है और सुबह होते ही अपने घर चला जाता है। यह सबसे अनोखा आश्चर्य है। दूसरी सखी पूछती है, "सखी, क्या वह तुम्हारा साजन है?" पहली सखी जवाब देती है, "नहीं सखी, वह तारा है।"
२. वह आवे तब शादी होय... ना सखि ढोल ।।
परिचय: यहाँ एक सखी किसी ऐसे के बारे में बता रही है जिसके आने पर घर में शादी जैसा उत्सव होता है। सरल अर्थ: सखी कहती है कि जब वह आता तो शादी होती है। उस दिन उसके सिवा और कोई महत्वपूर्ण नहीं होता। उसकी बोली बहुत मीठी लगती है। दूसरी सखी पूछती है, "ऐ सखि, क्या वह साजन है?" पहली सखी उत्तर देती है, "नहीं सखी, वह तो ढोल है।"
३. जब माँगू तब जल भरि लावे... ना सखि लोटा ।।
परिचय: इस पहेली में ऐसी वस्तु का वर्णन है जो प्यास बुझाती है और तन की छोटी पर मन की भारी है। सरल अर्थ: सखी कहती है कि जब भी मैं उससे माँगती हूँ, वह जल भरकर ले आता है और मेरे मन की गर्मी (प्यास) को शांत करता है। वह मन का भारी (वजनदार) और तन का छोटा है। दूसरी सखी पूछती है, "सखी, क्या वह साजन है?" पहली सखी जवाब देती है, "नहीं सखी, वह लोटा है।"
४. बेर-बेर सोवतहि जगावे... ना सखि मक्खी ।।
परिचय: यहाँ किसी ऐसे के बारे में बताया गया है जो बार-बार नींद से जगाता है और परेशान करता है। सरल अर्थ: सखी कहती है कि वह बार-बार मुझे सोते हुए जगा देता है। अगर मैं नहीं जागती तो वह मुझे काटता है। मैं व्याकुल और हक्की-बक्की हो गई हूँ। दूसरी सखी पूछती है, "ऐ सखि, क्या वह साजन है?" पहली सखी उत्तर देती है, "नहीं सखी, वह मक्खी है।"
५. अति सुरंग है रंग रंगीलो... ना सखि तोता ।।
परिचय: इस मुकरी में एक बहुत सुंदर और गुणवान के बारे में वर्णन है जो ईश्वर का नाम लिए बिना नहीं सोता। सरल अर्थ: सखी कहती है कि उसका रंग बहुत सुंदर और चटकीला है, और वह बहुत गुणवान है। वह राम का भजन किए बिना कभी नहीं सोता। दूसरी सखी पूछती है, "क्यों सखी, क्या वह साजन है?" पहली सखी जवाब देती है, "नहीं सखी, वह तोता है।"
६. अर्धनिशा वह आयो भौन... ना सखि चंद ।।
परिचय: यहाँ आधी रात को आने वाले किसी सुंदर अतिथि का वर्णन है जिसे देखकर मन आनंदित हो उठता है। सरल अर्थ: सखी कहती है कि वह आधी रात को घर आया। उसकी सुंदरता का वर्णन कौन कवि कर सकता है! उसे देखते ही मेरा मन आनंद से भर गया। दूसरी सखी पूछती है, "क्यों सखी, क्या वह साजन है?" पहली सखी उत्तर देती है, "नहीं सखी, वह चाँद है।"
७. शोभा सदा बढ़ावन हारा... ना सखि अंजन ।।
परिचय: इस पहेली में ऐसी वस्तु का वर्णन है जो सुंदरता बढ़ाती है और हर समय साथ रहती है। सरल अर्थ: सखी कहती है कि वह हमेशा शोभा बढ़ाने वाला है और एक पल के लिए भी आँखों से दूर नहीं होता। आठों पहर वह मेरा मनोरंजन करता है। दूसरी सखी पूछती है, "क्यों सखी, क्या वह साजन है?" पहली सखी जवाब देती है, "नहीं सखी, वह अंजन (काजल) है।"
८. जीवन सब जग जासों कहै... ना सखि नीर।।
परिचय: यहाँ उसके बारे में बताया गया है जिसे सारा संसार जीवन कहता है और जिसके बिना धीरज नहीं रहता। सरल अर्थ: सखी कहती है कि सारा संसार जिसे जीवन कहता है, उसके बिना एक पल भी धीरज नहीं रहता। वह पल भर में हृदय की पीड़ा हर लेता है। दूसरी सखी पूछती है, "क्यों सखि, क्या वह साजन है?" पहली सखी उत्तर देती है, "नहीं सखी, वह नीर (पानी) है।"
९. बिन आए सबहीं सुख भूले... ना सखि पाती ।। परिचय: इस अंतिम मुकरी में उसके बारे में बताया गया है जिसके आने से तन-मन खिल उठता है। सरल अर्थ: सखी कहती है कि उसके बिना आए मैं सारे सुख भूल जाती हूँ। और जब वह आ जाता है तो मेरा अंग-अंग खिल उठता है। उसे छाती से लगाने पर ठंडक महसूस होती है। दूसरी सखी पूछती है, "क्यों सखि, क्या वह साजन है?" पहली सखी जवाब देती है, "नहीं सखी, वह पाती (पत्र) है।"
सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)
कथन १: तोता राम भजन किए बिना ही सो जाता है। उत्तर: गलत। कारण, मुकरी में कहा गया है, "राम भजन बिन कभी न सोता।"
कथन २: ढोल के बोल मीठे लगते हैं।
उत्तर: सही। कारण, मुकरी में लिखा है, "मीठे लागे वाके बोल।"
कथन ३: लोटा तन का बड़ा और मन का छोटा होता है। उत्तर: गलत। कारण, मुकरी के अनुसार, लोटा "मन का भारी तन का छोटा" होता है।
कथन ४: अंजन (काजल) आँखों की शोभा बढ़ाता है और आठों पहर मनोरंजन करता है। उत्तर: सही। कारण, मुकरी में कहा गया ہے, "शोभा सदा बढ़ावन हारा... आठ पहर मेरो मनरंजन।"
कथन ५: तारा दिन में आता है और रात में चला जाता है। उत्तर: गलत। कारण, मुकरी के अनुसार, "रात समय वह मेरे आवे। भोर भये वह घर उठि जावे॥"
पद विश्लेषण (Poetry Appreciation)
रचनाकार का नाम: अमीर खुसरो
रचना का प्रकार: मुकरियाँ (लोक प्रचलित पहेलियों का एक रूप)
पसंदीदा पंक्ति | पसंदीदा होने का कारण | रचना से प्राप्त संदेश |
ऐ सखि साजन ? ना सखि... | यह पंक्ति हर मुकरी की जान है। यह दोहराव पाठक में उत्सुकता जगाता है और उत्तर आने पर हास्य पैदा करता है। | सामान्य बातों में भी चतुराई और हास्य ढूंढा जा सकता है। |
मन का भारी तन का छोटा | यह पंक्ति ('लोटा' के लिए) विरोधाभास का सुंदर उदाहरण है। यह कम शब्दों में गहरा अर्थ देती है (पानी से भरा होने पर भारी, पर आकार में छोटा)। | चीजों को केवल बाहरी आकार से नहीं, बल्कि उनके गुणों से आंकना चाहिए। |
ना जागू तो काटे-खावे | यह पंक्ति ('मक्खी' के लिए) एक सामान्य परेशानी को बहुत ही नाटकीय और व्यक्तिगत ढंग से प्रस्तुत करती है, जिससे हास्य उत्पन्न होता है। | जीवन की छोटी-छोटी परेशानियों को भी साहित्यिक और मनोरंजक रूप दिया जा सकता है। |
राम भजन बिन कभी न सोता | यह पंक्ति ('तोता' के लिए) एक पक्षी के रटने के गुण को मानवीय आस्था और भक्ति से जोड़ती है, जो बहुत ही सुंदर कल्पना है। | प्रकृति के जीवों में भी मानवीय गुणों को देखा जा सकता है और उनसे प्रेरणा ली जा सकती है। |
आए ते अँग अँग सब फूले | यह पंक्ति ('पाती' के लिए) एक निर्जीव वस्तु के आगमन से होने वाली सजीव और गहरी खुशी को दर्शाती है। यह संचार के महत्व को उजागर करती है। | प्रियजनों का एक छोटा सा संदेश भी जीवन में अपार खुशी और स्फूर्ति ला सकता है। |
स्वमत (Personal Opinion)
प्रश्न १: अमीर खुसरो की मुकरियाँ मनोरंजन के साथ-साथ बौद्धिक भी हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यह कथन बिल्कुल सही है। अमीर खुसरो की मुकरियाँ केवल मनोरंजन के लिए नहीं हैं, वे हमारी बुद्धि को भी चुनौती देती हैं। हर मुकरी में दोहरा अर्थ छिपा होता है। पहली बार सुनने पर वर्णन 'साजन' का लगता है, लेकिन जब हम गहराई से सोचते हैं तो हमें उसके दूसरे अर्थ का संकेत मिलता है। यह दिमागी कसरत हमें अपनी सोचने की क्षमता को विकसित करने में मदद करती है। साजन के धोखे से निकलकर सही उत्तर (जैसे- तारा, लोटा, मक्खी) तक पहुँचना एक बौद्धिक प्रक्रिया है। इस प्रकार, हास्य और मनोरंजन के पर्दे के पीछे यह एक बुद्धिमानी का खेल है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: दोहरा अर्थ, बौद्धिक चुनौती, दिमागी कसरत, मनोरंजन, हास्य, बुद्धिमानी, सोचने की क्षमता।
प्रश्न २: आपको कौन-सी मुकरी सबसे अधिक पसंद आई और क्यों?
उत्तर: मुझे "अर्धनिशा वह आयो भौन..." वाली मुकरी सबसे अधिक पसंद आई, जिसका उत्तर 'चंद' (चाँद) है। इसका कारण यह है कि इसमें काव्य और सौंदर्य का अद्भुत संगम है। 'सुंदरता बरनै कवि कौन' पंक्ति चाँद की सुंदरता की भव्यता को दर्शाती है जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। चाँद का आधी रात को आना और उसे देखते ही मन का आनंद से भर जाना, एक बहुत ही सुंदर और रोमांटिक कल्पना है। साजन और चाँद की सुंदरता की तुलना इसे और भी खास बनाती है। यह मुकरी केवल एक पहेली नहीं, बल्कि एक सुंदर कविता की तरह लगती है। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: काव्य, सौंदर्य, कल्पना, रोमांटिक, सुंदरता, भव्यता, आनंद।
प्रश्न ३: मुकरियों की भाषा सरल होते हुए भी प्रभावशाली है। इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर: अमीर खुसरो की मुकरियों की भाषा लोक-जीवन के बहुत करीब है। उन्होंने कठिन संस्कृत या फारसी शब्दों की जगह आम बोलचाल के शब्दों का प्रयोग किया है, जैसे 'भोर', 'आवे', 'जावे', 'लोटा' आदि। यह सरलता ही इनकी सबसे बड़ी ताकत है। सरल भाषा के कारण ये आम लोगों तक आसानी से पहुँचती हैं और समझ में आ जाती हैं। इसके बावजूद, भाषा बहुत प्रभावशाली है। कम शब्दों में गहरी बात कह दी गई है। उदाहरण के लिए, 'मन का भारी तन का छोटा' जैसी पंक्ति अपने आप में बहुत अर्थपूर्ण है। यह साबित करता है कि प्रभाव पैदा करने के लिए हमेशा कठिन शब्दों की आवश्यकता नहीं होती। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: सरल भाषा, लोक-जीवन, आम बोलचाल, प्रभावशाली, अर्थपूर्ण, सरलता, ताकत।
प्रश्न ४: पहेलियाँ और मुकरियाँ जैसी विधाएँ आज के डिजिटल युग में क्यों प्रासंगिक हैं?
उत्तर: आज के डिजिटल युग में, जहाँ हमें हर जानकारी तुरंत मिल जाती है और हमारी सोचने की क्षमता कम होती जा रही है, पहेलियाँ और मुकरियाँ पहले से भी अधिक प्रासंगिक हैं। ये विधाएँ हमें सोचने, कल्पना करने और अपने दिमाग पर जोर डालने के लिए मजबूर करती हैं। ये हमारी तार्किक और विश्लेषणात्मक Fähigkeiten को बढ़ाती हैं। इसके अलावा, ये परिवार और दोस्तों के साथ बैठकर मनोरंजन करने का एक सामाजिक माध्यम भी हैं, जो हमें मोबाइल स्क्रीन से दूर ले जाता है। यह हमारी लोक-संस्कृति और भाषा की जड़ों से हमें जोड़ती हैं। उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: प्रासंगिक, सोचने की क्षमता, दिमागी कसरत, तार्किक क्षमता, सामाजिक मनोरंजन, लोक-संस्कृति, डिजिटल युग।
प्रश्न ५: 'जीवन सब जग जासों कहै' - इस पंक्ति में 'नीर' (पानी) को जीवन क्यों कहा गया है? उत्तर: इस पंक्ति में 'नीर' (पानी) को जीवन इसलिए कहा गया है क्योंकि पानी के बिना किसी भी जीव का अस्तित्व संभव नहीं है। "जल ही जीवन है" यह एक सार्वभौमिक सत्य है। पृथ्वी पर सभी प्राणियों, वनस्पतियों और मनुष्यों का जीवन पानी पर ही निर्भर है। पानी न केवल हमारी प्यास बुझाकर हृदय की पीड़ा हरता है, बल्कि शरीर की सभी जैविक क्रियाओं, खेती और स्वच्छता के लिए भी आवश्यक है। इसके बिना धीरज रखना असंभव हो जाता है । इसीलिए, कवि ने पानी को संसार का जीवन कहा है, जो बिल्कुल सटीक है।
उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: अस्तित्व, सार्वभौमिक सत्य, प्यास, जैविक क्रियाएँ, निर्भरता, आवश्यक, धीरज।
संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)
प्रश्न १: मुकरियों के आधार पर 'तोता' और 'अंजन' की विशेषताएँ लिखिए। उत्तर: तोता की विशेषताएँ:
उसका रंग बहुत सुंदर और चटकीला (रंगीलो) होता है ।
वह बहुत गुणवान होता है ।
वह राम का भजन किए बिना कभी नहीं सोता है ।
अंजन की विशेषताएँ:
यह हमेशा शोभा (सुंदरता) को बढ़ाता है ।
यह एक पल के लिए भी आँखों से दूर नहीं होता ।
यह आठों पहर मनोरंजन करता है ।
प्रश्न २: 'ढोल' और 'पाती' के आने पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तर: ढोल के आने पर:
उसके आने पर शादी जैसा माहौल हो जाता है ।
उस दिन कोई और महत्वपूर्ण नहीं लगता ।
उसके बोल (आवाज) बहुत मीठे लगते हैं ।
पाती के आने पर:
उसके आने से भूले हुए सारे सुख याद आ जाते हैं ।
शरीर का अंग-अंग खिल उठता (प्रसन्न हो जाता) है ।
उसे छाती से लगाने पर ठंडक और शांति मिलती है ।
प्रश्न ३: 'मुकरी' किसे कहते हैं? पाठ की किसी एक मुकरी का भावार्थ लिखिए।
उत्तर: मुकरी: यह लोक प्रचलित पहेलियों का ही एक रूप है । इसका लक्ष्य मनोरंजन के साथ-साथ बुद्धि-चातुर्य की परीक्षा लेना होता है । इसमें एक सखी दूसरी सखी से पहेली पूछती है, जिसका वर्णन साजन से मिलता-जुलता होता है, पर उत्तर कोई और वस्तु होती है।
मुकरी का भावार्थ (उदाहरण - लोटा): "जब माँगू तब जल भरि लावे। मेरे मन की तपन बुझावे ।। मन का भारी तन का छोटा। ऐ सखि साजन ? ना सखि लोटा ।।"
भावार्थ: एक सखी दूसरी सखी से कहती है कि जब भी मुझे आवश्यकता होती है, वह पानी भरकर ले आता है और मेरे मन की गर्मी यानी प्यास को शांत करता ہے । वह शरीर से छोटा है, लेकिन पानी से भरा होने के कारण मन (अंदर) से भारी है । इस पर दूसरी सखी पूछती है कि क्या वह तुम्हारा साजन है, तो पहली सखी उत्तर देती है कि नहीं, वह लोटा है ।
प्रश्न ४: कवि अमीर खुसरो का संक्षिप्त साहित्यिक परिचय दीजिए। उत्तर: अमीर खुसरो का जन्म १२५३ में पटियाली, एटा (उ.प्र.) में हुआ था । उनका मूल नाम अबुल हसन यमीनुद्दीन मुहम्मद खुसरो था । वे पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदी, हिंदवी और फारसी में एक साथ लेखन कार्य किया । वे अपनी पहेलियों और मुकरियों के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं । उनकी प्रमुख कृतियों में दोहे, घरेलू नुस्खे, कह मुकरियाँ और दुसुखने आदि शामिल हैं ।
प्रश्न ५: निम्नलिखित मुकरियों के उत्तर लिखिए: (क) बेर-बेर सोवतहि जगावे। ना जागू तो काटे-खावे।। (ख) अर्धनिशा वह आयो भौन। सुंदरता बरनै कवि कौन।। उत्तर: (क) मक्खी
(ख) चंद (चाँद)
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