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    9. रीढ़ की हड्‍डी - Reedh ki Haddi - Class 10 - Lokbharat

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    पाठ का प्रकार: गद्य (एकांकी)

    पाठ का शीर्षक: रीढ़ की हड्डी

    लेखक/कवि का नाम: जगदीशचंद्र माथुर



    सारांश (Bilingual Summary)


    हिन्दी: "रीढ़ की हड्डी" जगदीशचंद्र माथुर द्वारा लिखित एक सामाजिक एकांकी है जो स्त्री-शिक्षा और सम्मान के मुद्दे पर केंद्रित है. कहानी रामस्वरूप के परिवार की है, जो अपनी सुशिक्षित बेटी उमा के विवाह की तैयारी कर रहे हैं. लड़के वाले, गोपाल प्रसाद और उनका बेटा शंकर, स्वयं शिक्षित होने के बावजूद एक कम पढ़ी-लिखी बहू चाहते हैं. इस कारण, रामस्वरूप अपनी बेटी की बी.ए. तक की पढ़ाई को छिपाने का फैसला करते हैं. जब लड़के वाले आते हैं, तो वे उमा को एक वस्तु की तरह नाप-तौलते हैं. प्रारंभ में चुप रहने वाली उमा, इस अपमान को सहन नहीं कर पाती और अपनी चुप्पी तोड़ती है. वह न केवल अपनी शिक्षा को गर्व से स्वीकार करती है, बल्कि शंकर के चरित्रहीन अतीत (लड़कियों के होस्टल में ताक-झाँक) का भी पर्दाफाश करती है. अंत में, वह शंकर के चरित्र और व्यक्तित्व पर सवाल उठाते हुए पूछती है कि क्या उसकी "रीढ़ की हड्डी" भी है या नहीं, जिसके बाद अपमानित पिता-पुत्र वहाँ से चले जाते हैं.


    English: "Reeducation ki Haddi" is a social one-act play by Jagdish Chandra Mathur that focuses on the issue of women's education and respect. The story revolves around Ramswaroop's family, who are preparing for the marriage of their well-educated daughter, Uma. The groom's family, Gopal Prasad and his son Shankar, despite being educated themselves, desire a less-educated daughter-in-law. For this reason, Ramswaroop decides to hide his daughter's B.A. qualification. When the groom's family arrives, they inspect Uma as if she were an object. Uma, who is initially silent, cannot tolerate this humiliation and breaks her silence. She not only proudly accepts her education but also exposes Shankar's characterless past (peeping into a girls' hostel). In the end, she questions Shankar's character and personality, asking if he even has a "backbone," after which the humiliated father and son depart.



    केंद्रीय भाव (Bilingual Theme / Central Idea)


    हिन्दी: इस एकांकी का केंद्रीय भाव समाज में व्याप्त स्त्री-शिक्षा के प्रति दोहरी मानसिकता और रूढ़िवादी विचारों पर प्रहार करना है. लेखक यह दर्शाना चाहते हैं कि शिक्षा का सच्चा अर्थ केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, स्वाभिमान और सही-गलत के विरुद्ध आवाज उठाने का साहस प्राप्त करना है. 'रीढ़ की हड्डी' शीर्षक शंकर के चारित्रिक खोखलेपन और व्यक्तित्वहीनता का प्रतीक है. एकांकी यह सशक्त संदेश देती है कि स्त्रियों को शिक्षित होने के साथ-साथ अपने सम्मान के लिए खड़ा होना चाहिए और समाज को भी महिलाओं को एक वस्तु नहीं, बल्कि एक सम्मानित व्यक्तित्व के रूप में देखना चाहिए.


    English: The central theme of this one-act play is to attack the dual standards and orthodox views prevalent in society regarding women's education. The author aims to show that the true meaning of education is not just obtaining a degree, but gaining self-confidence, self-respect, and the courage to raise one's voice against injustice. The title "Reeducation ki Haddi" (The Backbone) symbolizes Shankar's hollow character and lack of personality. The play gives a strong message that women should not only be educated but also stand up for their respect, and society must see women as respected individuals, not as objects.



    पात्रों का चरित्र-चित्रण (Bilingual Character Sketch)


    उमा (Uma):

    हिन्दी: उमा एक सुशिक्षित, स्वाभिमानी और साहसी युवती है. वह आधुनिक विचारों की है लेकिन अपने बड़ों का सम्मान करती है. जब उसके स्वाभिमान पर चोट पहुँचती है, तो वह बिना डरे समाज की खोखली मानसिकता के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करती है.

    English: Uma is a well-educated, self-respecting, and courageous young woman. She holds modern views but respects her elders. When her self-respect is attacked, she fearlessly raises her voice against the hollow mindset of society.


    रामस्वरूप (Ramswaroop):

    हिन्दी: रामस्वरूप एक स्नेही पिता हैं जो अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाते हैं. लेकिन वे सामाजिक दबाव के आगे झुक जाते हैं और एक मजबूर, समझौतावादी व्यक्ति नजर आते हैं, जो अपनी बेटी की शिक्षा को छिपाने जैसा गलत कदम उठाते हैं.

    English: Ramswaroop is a loving father who provides higher education to his daughter. However, he succumbs to societal pressure and appears as a helpless, compromising individual who takes the wrong step of hiding his daughter's education.


    गोपाल प्रसाद (Gopal Prasad):

    हिन्दी: गोपाल प्रसाद एक शिक्षित वकील होकर भी दकियानूसी और patriarchal विचारों वाले व्यक्ति हैं. वे चालाक, लालची और अहंकारी हैं. वे विवाह को एक 'बिजनेस' समझते हैं और अपनी बहू को एक वस्तु से अधिक नहीं मानते.

    English: Gopal Prasad, despite being an educated lawyer, is a man with regressive and patriarchal views. He is cunning, greedy, and arrogant. He considers marriage a 'business' and does not view his daughter-in-law as more than a commodity.


    शंकर (Shankar):

    हिन्दी: शंकर एक व्यक्तित्वहीन और चरित्रहीन युवक है. उसमें न तो शारीरिक दृढ़ता है (वह झुककर बैठता है) और न ही चारित्रिक ('बैकबोन' की कमी). वह अपने पिता के हर निर्णय पर निर्भर है और उसका अपना कोई मत नहीं है.

    English: Shankar is a young man with no personality and a weak character. He lacks physical firmness (he slouches) as well as moral character (lacks a 'backbone'). He is dependent on his father for every decision and has no opinion of his own.


    शब्दार्थ (Glossary)

    शब्द (Word)

    पर्यायवाची शब्द (Synonym)

    विलोम शब्द (Antonym)

    एकांकी

    एक अंक का नाटक

    -

    दकियानूसी

    रूढ़िवादी, पुरानी सोच

    प्रगतिशील, आधुनिक

    करीने से

    सलीके से, ढंग से

    बेढंगेपन से, अस्त-व्यस्त

    बैकबोन

    रीढ़ की हड्डी, मेरुदंड

    -

    तकल्लुफ

    औपचारिकता, शिष्टाचार

    अनौपचारिकता, बेतकल्लुफी

    जायचा

    जन्म-पत्री, कुंडली

    -

    सकपकाना

    घबराना, हक्का-बक्का होना

    शांत रहना, संयत रहना

    ताक-झाँक

    छिपकर देखना, जासूसी करना

    -

    दगा

    धोखा, छल, कपट

    वफ़ादारी, ईमानदारी

    बेबसी

    लाचारी, विवशता, असहायता

    सक्षमता, समर्थता


    सही या गलत (कारण सहित) (True or False with Reason)


    कथन १: गोपाल प्रसाद अपनी बहू के रूप में एक पढ़ी-लिखी लड़की चाहते थे.

    उत्तर: गलत। कारण, वे चाहते थे कि "लड़की ज्यादा पढ़ी-लिखी न हो".


    कथन २: शंकर लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में पढ़ता था.

    उत्तर: सही। कारण, रामस्वरूप बताते हैं, "बी. एस्सी. के बाद लखनऊ में ही तो पढ़ता है मेडिकल कॉलेज में".


    कथन ३: उमा की आँखें खराब होने की वजह से उसे स्थायी रूप से चश्मा लगा था.

    उत्तर: गलत। कारण, रामस्वरूप ने बहाना बनाया था कि "पिछले महीने में इसकी आँखें दुखने लग गई थीं, सो कुछ दिनों के लिए चश्मा लगाना पड़ रहा है".


    कथन ४: उमा ने शंकर पर लड़कियों के होस्टल में ताक-झाँक करने का आरोप लगाया.

    उत्तर: सही। कारण, उमा ने कहा था, "न आपके पुत्र की तरह लड़कियों के होस्टल में ताक झाँककर कायरता दिखाई है".


    कथन ५: रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को गर्व से सबको बताते थे.

    उत्तर: गलत। कारण, उन्होंने गोपाल प्रसाद से झूठ कहा था कि उमा "सिर्फ मैट्रिक तक पढ़ी है".



    स्वमत (Personal Opinion)


    प्रश्न १: उमा के पिता रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छिपाने के लिए मजबूर क्यों थे? क्या उनका ऐसा करना सही था?

    उत्तर: रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छिपाने पर इसलिए मजबूर थे क्योंकि लड़के वाले (गोपाल प्रसाद) शिक्षित होने के बावजूद अपने लिए एक कम पढ़ी-लिखी बहू चाहते थे. वे समाज की इस पिछड़ी सोच के दबाव में आ गए. उनका ऐसा करना बिल्कुल सही नहीं था. यह न केवल अपनी बेटी की योग्यता का अपमान था, बल्कि झूठ और धोखे पर एक रिश्ते की शुरुआत करने का प्रयास था. उन्हें अपनी बेटी की शिक्षा पर गर्व करना चाहिए था और ऐसे दकियानूसी विचारों वाले परिवार में रिश्ता करने से इंकार कर देना चाहिए था.

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: सामाजिक दबाव, पिछड़ी सोच, समझौता, स्वाभिमान, झूठ, आत्मविश्वास.


    प्रश्न २: 'रीढ़ की हड्डी' एकांकी के शीर्षक की सार्थकता पर अपने विचार लिखिए।

    उत्तर: यह शीर्षक "रीढ़ की हड्डी" पूरी तरह सार्थक और व्यंग्यात्मक है. इसके दोहरे अर्थ हैं. पहला, यह शंकर के शारीरिक व्यक्तित्व की कमी को दर्शाता है, जो हमेशा झुककर बैठता है. दूसरा और अधिक महत्वपूर्ण अर्थ उसके चारित्रिक दोष से है. शंकर की अपनी कोई सोच, कोई मत या निर्णय लेने की क्षमता नहीं है; वह पूरी तरह अपने पिता पर निर्भर है. उसमें न तो नैतिक साहस है और न ही आत्मविश्वास. इस प्रकार, 'रीढ़ की हड्डी' का न होना उसके व्यक्तित्वहीन और चरित्रहीन होने का प्रतीक है.

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: शीर्षक, सार्थकता, दोहरा अर्थ, प्रतीक, व्यक्तित्वहीन, चरित्रहीन, नैतिक साहस.


    प्रश्न ३: गोपाल प्रसाद जैसे पात्र समाज के लिए हानिकारक क्यों हैं?

    उत्तर: गोपाल प्रसाद जैसे पात्र समाज के लिए बेहद हानिकारक हैं क्योंकि वे पढ़े-लिखे होकर भी पिछड़ी और रूढ़िवादी सोच को बढ़ावा देते हैं. वे स्त्री-शिक्षा का विरोध करते हैं, महिलाओं को वस्तु समझते हैं और विवाह जैसे पवित्र बंधन को 'बिजनेस' मानते हैं. उनकी दोहरी मानसिकता (खुद शिक्षित पर बहू अनपढ़ चाहिए) समाज में पाखंड को जन्म देती है. ऐसे लोग अपनी बातों से नई पीढ़ी (जैसे शंकर) को भी व्यक्तित्वहीन और दब्बू बना देते हैं, जिससे समाज का विकास रुक जाता है.

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: हानिकारक, दोहरी मानसिकता, पाखंड, रूढ़िवादी, स्त्री-विरोधी, सामाजिक विकास.


    प्रश्न ४: उमा का अंत में बोलना और विद्रोह करना आपको कैसा लगा? क्या उसे चुप रहना चाहिए था? उत्तर: उमा का अंत में बोलना और विद्रोह करना मुझे बिल्कुल सही और प्रेरणादायक लगा. उसका चुप रहना कायरता होती और ऐसी अपमानजनक शर्तों पर रिश्ता तय हो जाता. बोलकर उसने न केवल अपने व्यक्तिगत स्वाभिमान की रक्षा की, बल्कि गोपाल प्रसाद जैसे लोगों की खोखली मानसिकता को भी आईना दिखाया. उसका विद्रोह यह संदेश देता है कि शिक्षा का असली अर्थ अन्याय और अपमान के खिलाफ आवाज उठाने का साहस प्राप्त करना है. उसे बिल्कुल भी चुप नहीं रहना चाहिए था.

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: विद्रोह, स्वाभिमान, प्रेरणादायक, साहस, अन्याय, अपमान, सशक्तिकरण.


    प्रश्न ५: "जब कुर्सी-मेज बिकती है तब दुकानदार कुर्सी-मेज से कुछ नहीं पूछता" - उमा के इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर: इस कथन से उमा का आशय उस अपमानजनक प्रक्रिया से है जिससे उसे गुजरना पड़ रहा था. गोपाल प्रसाद उससे गाने, पेंटिंग, सिलाई के बारे में ऐसे सवाल कर रहे थे जैसे वे कोई वस्तु खरीद रहे हों और उसकी गुणवत्ता जाँच रहे हों. उमा कहना चाहती थी कि जिस तरह बेजान कुर्सी-मेज से उसकी राय नहीं पूछी जाती, उसी तरह आप लोग भी मुझसे मेरी राय या इच्छा पूछे बिना मेरा सौदा कर रहे हैं. यह कथन विवाह के बाजारीकरण और उसमें लड़की को वस्तु समझे जाने पर एक तीखा व्यंग्य है.

    उत्तर लिखने के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण शब्द: अपमानजनक, वस्तुकरण, बाजारीकरण, व्यंग्य, स्वाभिमान, सौदा.


    संभावित परीक्षा प्रश्न (Probable Exam Questions)


    प्रश्न १: 'रीढ़ की हड्डी' एकांकी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर: 'रीढ़ की हड्डी' एकांकी का मुख्य उद्देश्य समाज में स्त्री-शिक्षा के महत्व को उजागर करना और महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही, यह एकांकी समाज के उन पढ़े-लिखे लोगों की दोहरी मानसिकता पर भी प्रहार करती है जो स्वयं आधुनिक होकर भी अपने घर की स्त्रियों के लिए दकियानूसी विचार रखते हैं. एकांकी का अंतिम उद्देश्य यह संदेश देना है कि व्यक्ति की पहचान उसके चरित्र और आत्मविश्वास से होती है, न कि केवल दिखावे की शिक्षा या लिंग से.


    प्रश्न २: गोपाल प्रसाद और रामस्वरूप के चरित्र की तुलना कीजिए।

    उत्तर: गोपाल प्रसाद और रामस्वरूप दोनों ही अपने बच्चों का भविष्य सोचते हैं, लेकिन दोनों के तरीकों में बहुत अंतर है:

    • गोपाल प्रसाद: वे एक चालाक, अहंकारी और रूढ़िवादी व्यक्ति हैं. वे विवाह को एक व्यापार समझते हैं और बेटे के लिए कम पढ़ी-लिखी, घरेलू बहू चाहते हैं जो उनकी हाँ में हाँ मिलाए.

    • रामस्वरूप: वे एक प्रगतिशील सोच वाले पिता हैं जिन्होंने बेटी को उच्च शिक्षा दिलाई. लेकिन वे सामाजिक दबाव में आकर कमजोर पड़ जाते हैं और झूठ का सहारा लेते हैं. वे गोपाल प्रसाद की तरह कठोर नहीं, बल्कि एक मजबूर पिता हैं.


    प्रश्न ३: शंकर के चरित्र की क्या विशेषताएँ (या कमियाँ) हैं?

    उत्तर: शंकर के चरित्र की प्रमुख कमियाँ निम्नलिखित हैं:

    • व्यक्तित्वहीन: उसका अपना कोई मत या विचार नहीं है. वह पूरी तरह अपने पिता के निर्देशों का पालन करता है.

    • शारीरिक रूप से कमजोर: उसकी पीठ झुकी हुई है, जिसे 'बैकबोन' की समस्या कहा गया है.

    • चरित्रहीन: उसका अतीत दागदार है, जैसा कि उमा लड़कियों के होस्टल वाली घटना से बताती है.

    • आत्मनिर्भर नहीं: वह मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है लेकिन अपने विवाह जैसे महत्वपूर्ण निर्णय के लिए भी पिता पर आश्रित है.


    प्रश्न ४: उमा ने शंकर और गोपाल प्रसाद को किस प्रकार आईना दिखाया?

    उत्तर: उमा ने शंकर और गोपाल प्रसाद को उनकी असलियत का आईना दिखाया:

    • उसने अपनी बी.ए. तक की शिक्षा को स्वीकार करके गोपाल प्रसाद के कम पढ़ी-लिखी बहू चाहने के पाखंड को तोड़ा.

    • उसने शंकर के लड़कियों के होस्टल में ताक-झाँक करने और नौकरानी के पैरों में पड़कर भागने की घटना का जिक्र करके उसके चरित्रहीन और कायर होने का पर्दाफाश किया.

    • अंत में, उसने शंकर की 'रीढ़ की हड्डी' पर सवाल उठाकर उसके व्यक्तित्वहीन और बिना आत्म-सम्मान के होने पर करारा व्यंग्य किया.


    प्रश्न ५: एकांकी के आधार पर बताइए कि गोपाल प्रसाद को कैसी बहू चाहिए थी?

    उत्तर: एकांकी के आधार पर, गोपाल प्रसाद को एक ऐसी बहू चाहिए थी जो:

    • कम पढ़ी-लिखी हो: वे स्पष्ट रूप से कहते हैं कि लड़कियों को अधिक पढ़ने की जरूरत नहीं है.

    • खूबसूरत हो: उनका मानना था कि लड़की का खूबसूरत होना निहायत जरूरी है.

    • घरेलू काम में निपुण हो: वे सिलाई-पेंटिंग जैसे गुणों को महत्व देते थे.

    • आज्ञाकारी और दब्बू हो: वह चाहते थे कि बहू उनके और उनके बेटे के नियंत्रण में रहे और ज्यादा बोले नहीं. उमा का बोलना उन्हें अपमानजनक लगा.



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